आज सारी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। लाखों लोग इस महामारी के शिकार हो रहे हैं। लेकिन इसी बीच एक और महामारी काफी तेजी से अपना पैर पसार रही है। जो शायद कोरोना महामारी से भी कई गुना अधिक खतरनाक है।
इस महामारी को मैं कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक इसलिए कह रहा हूं क्योंकि दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 20 करोड़ लोग इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। जो कोरोना संक्रमण से कई गुना ज्यादा है और सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि हर वर्ष करीब 8 से 10 लाख लोग इस महामारी की चपेट में आकर आत्महत्या कर लेते हैं। अभी कुछ दिन पहले बॉलीवुड के लोकप्रिय और प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने इसी वजह से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। शायद आप समझ गए होंगे कि मैं डिप्रेशन (अवसाद) बात कर रहा हूं।
लोग आत्महत्या क्यों करते हैं ?
डिप्रेशन (अवसाद) एक मानसिक बीमारी है। जिसके शिकार होने वाले कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं। वैसे तो आत्महत्या के लिए आत्महत्या करने वाले लोग ही जिम्मेदार होते हैं क्योंकि वे जीवन के विपरीत परिस्थितियों में संतुलन नहीं बना पाते परंतु उसके लिए हमारा समाज भी कम जिम्मेदार नहीं है मानव जीवन में आत्मीयता और सहयोग की भावना विकसित करने के बजाए नित नई-नई समस्याएं खड़ी करके एक अच्छे भले व्यक्ति को भी आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी ना कभी डिप्रेशन का शिकार जरूर होता है। उससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है की आत्महत्या करने वालों में शिक्षित और संपन्न लोगों की संख्या ज्यादा होती है। शायद आप यकीन नहीं करेंगे कि मैं भी कुछ वर्षों पहले डिप्रेशन से गुजर चुका हूं और केवल इतना ही नहीं, मैं भी अपने जीवन में 3 बार आत्महत्या की दहलीज पर पहुंच चुका हूं। परंतु ईश्वर की कृपा से मैं बच गया। लेकिन दुर्भाग्य से दुनिया के लाखों लोगों को यह अवसर नहीं मिलता। तो दोस्तों आज मैं अपने जीवन की उन्हीं घटनाओं के अनुभव से आपको यह समझाने की कोशिश करूंगा कि आत्महत्या का मूल कारण क्या होता है, लोग आत्महत्या क्यों करते हैं और आत्महत्या से कैसे बचा जा सकता है।आत्महत्या के मुख्यत: 5 कारण होते हैं।
आत्महत्या के कारण| डिप्रेशन के कारण
- प्रेम संबंधों में असफलता
- परिवारिक रिश्तो में तनाव
- शिक्षा या व्यापार में असफलता
- किसी गंभीर बिमारी से तंग आना
- आर्थिक तंगी या कर्ज़
वैसे भले ही डिप्रेशन के कई कारण हो मगर इन सभी कारणों के पीछे एक ही कारण होता है, जीवन के मुलभुत सिद्धान्तों का पालन नहीं करना। सबसे पहले मैं आपको डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में बता देता हूं ताकि आप डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के मनोस्थिति को समझ सकें। फिर हम भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में डिप्रेशन से बाहर निकलने के तरीकों के बारे में बात करेंगे।
डिप्रेशन के लक्षण
डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति दुनिया में खुद को अकेला महसूस करता है, उसे लगता है कि दुनिया में उसका दुख: समझने वाला कोई नहीं है। इसलिए वह ज़्यादातर अकेला रहना पसंद करता है। उसे लगता है कि उसके जीवन में सब कुछ खत्म हो चुका है,अब कुछ नहीं बचा इसलिए वह हमेशा उदास रहता है। लेकिन वह लोगों से मिलते वक्त अपनी उदासी को बनावटी मुस्कान के पीछे छुपाने की कोशिश करता है। लेकिन उसकी मुस्कान के पीछे का दर्द साफ नजर आता है। उसे अपनी समस्याओं का कोई हल दिखाई नहीं देता। उसे हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है इसलिए उसके मन में बार-बार आत्महत्या के ख्याल आते हैं। वह आत्महत्या के विभिन्न तरीकों के बारे में विचार करता है, जिसमें कम से कम दर्द हो। वह बार-बार कल्पना करता है कि उसके मरने के बाद उसके मां-बाप दोस्त या परिजनों की कैसी प्रतिक्रिया होगी। दोस्तों मैं खुद इन सभी एहसासों से गुजरा हूं इसलिए मैं अभी भी उन्हें महसूस कर सकता हूं। अगर आप भी खुद में या और किसी व्यक्ति में ये लक्षण देखे तो समझ जाएं कि वह डिप्रेशन का शिकार है।
चाहे कुछ भी हो जाए कभी हार मत मानना
डिप्रेशन से बाहर कैसे निकलें
- सबसे पहले बात करते हैं, डिप्रेशन के पहले कारण ” प्रेम संबंधों में असफलता की “।
प्रेम संबंधों में धोखे की वजह से भारत में अधिकतर युवक और युवतियां आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या करने के पीछे शायद उनकी यही सोच होती है कि उनके आत्महत्या कर लेने से सामने वाले को उसके प्यार का एहसास होगा। लेकिन यह उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है क्योंकि सच तो यह है कि इस दुनिया में आपके होने या ना होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। दूसरी बात आपको यह समझना चाहिए कि जिन्हें आपके जीते जी आपकी परवाह नहीं है वे मरने के बाद आपकी क्या परवाह करेंगे। प्रेम संबंधों में साथ जीने मरने के जितने भी कसमें वादे होते हैं, उनमें से 99.9% झुठे होते हैं। आपने एक गाना सुना होगा ” कसमे वादे प्यार वफा सब बाते हैं बातों का क्या, कोई नहीं है किसी का जगत में नाते हैं नातों का क्या “। यह गीत इसी सच को उजागर करता है। और सच भी यही है कि दुनिया में एक ईश्वर के सिवा और कोई आपका अपना नहीं है इसलिए भीतर से बाहर की दुनिया को देखने के बजाय अपने भीतर की दुनिया को देखें। दुसरों से प्यार करने से पहले खुद से प्यार करें। इस परिस्थिति में डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए अध्यात्म का सहारा लें। अपने मन को दुनिया में लगाने के बजाय ईश्वर में लगाएं। कुछ ही दिनों के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आपके मन से सारा बोझ हट गया और आप जीवन को अलग नजरिए से देखने लगेंगे। मैंने भी अपने डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए यही तरीका अपनाया था।
- डिप्रेशन का दूसरा कारण है- शिक्षा या व्यापार में असफलता।
भागवद् गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था- तुम्हारा अधिकार कर्म करने में है। कर्मफल पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है, इसलिए तुम अपने सारे कर्मो को मुझ में अर्पण करके फल की इच्छा किए बगैर निष्काम भाव से निरंतर कर्म करते रहो। परंतु हम लोगों अपने आस-पास असिमित इच्छाओं का ऐसा जाल बुन लिया है कि हम जीवन भर उसमें उलझे रहते हैं और जब हमारी कोई इच्छाएं पूरी नहीं होती तो हम डिप्रेशन में आ जाते हैं। मगर ये आपको समझाना होगा कि जीवन जीने का ये सही तरीका नहीं है। जीवन प्राकृति के नियमों पर आधारित है और हमें प्रकृति के नियमों के अनुसार ही जीना होगा। अन्यथा हमारे जीवन का संतुलन बिगड़ जाएगा।
- डिप्रेशन का तीसरा कारण है- किसी गंभीर बीमारी से या शारीरिक अक्षमता से तंग आ जाना।
इस परिस्थिति में हम आपसे यहीं कहना चाहेंगे कि आप दुनिया में अकेले नहीं हैं जो किसी गंभीर बीमारी के शिकार हैं। इस दुनिया में आपके जैसे लाखों लोग है इसलिए आपको जीवन की इस रूप को सच्चाई के साथ स्वीकार कर लेना चाहिए और जब तक हो सके जीवन की चुनौतियां से लड़ते रहना चाहिए। आप ईश्वर पर विश्वास रखिए क्योंकि ईश्वर जो भी करता है उसके पीछे उसका कोई ना कोई उद्देश्य जरूर होता है। शायद आपने महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का नाम सुना होगा। उनको बचपन से ही एक ऐसी बीमारी लग गई जिसके कारण उनके शरीर के सभी अंगों ने धीरे धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया। यहां तक कि वे अपना होठ भी नहीं हिला सकते। फिर भी उन्होने एक से एक आविष्कार करके दुनिया को चकित कर दिया। उनका कहना था कि अगर उन्हें यह बीमारी नहीं होती तो इतने आविष्कार नहीं कर पाते। आपने शायद निक वुजिक का नाम सुना होगा। उनके बचपन से ही दोनों हाथ और दोनों पैर कुछ भी नहीं है फिर भी वे अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के दम पर शानदार जीवन जी रहे हैं।
- डिप्रेशन का चौथा कारण है- परिवारिक समस्याएं।
आजकल अक्सर देखा जा रहा है कि लोग परिवार की आर्थिक परेशानियों की जैसे आर्थिकी तंगी और कर्ज की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या ऐसा करने से समस्या खत्म हो जाती है, बिल्कुल नहीं। कई बार तो लोग ऐसे फैसलों से अपने परिवार को और भारी मुसीबत में डाल देते हैं। यहां हमें समझने की जरूरत है कि जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है इसलिए हमेशा कोई भी परिस्थिति एक जैसी नहीं रह सकती। एक समय था जब मेरे ऊपर लाखों रुपए का कर्ज था और घर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी लेकिन मैंने धैर्य नहीं खोया। मैंने कुछ हिलातों से समझौता किया और कुछ हालातों से लड़ता रहा। और आज देखिए सब कुछ बदल चुका है। याद रखें संघर्ष ही जीवन है। संघर्ष के बिना जीवन का कोई महत्व ही नहीं है इसलिए संघर्ष से डर कर आत्महत्या कर लेना जीवन के साथ-साथ ईश्वर का भी अपमान है।
- डिप्रेशन का पांचवा कारण है- रिश्तो में कलह।
मनुष्य के जीवन में हर रिश्ते एक उपहार की तरह है, जो मनुष्य के जीवन को खूबसूरत बनाते हैं। रिश्ते ही वे मजबूत धागे हैं जो मनुष्य के जीवन को मजबूती से थामे में रहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से मनुष्य के जीवन को मजबूती देने वाली रिश्तों की यह डोर आज मनुष्य के लिए फांसी का फंदा बन गई। दरअसल आर्थिक विकास और जीवन की आधुनिकता की चकाचौंध में मनुष्य रिश्तों की मर्यादा और आदर्शों को भुला बैठा है इसलिए रिश्तों की वजह से होने वाले आत्महत्याओं को रोकने के लिए आपको स्वार्थ और अहंकार को त्याग कर रिश्तों के बुनियादी पहलुओं पर ध्यान देना होगा।
- डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को आत्मीयता और प्यार की जरूरत होती है उसे एक ऐसे भरोसेमंद दोस्त की जरूरत होती है जो उसकी बातों को ध्यान से सुन सके और उसके दिल की हालत को समझ सके। वह दोस्त कोई भी हो सकता है, उसके मां-बाप भाई-बहन या कोई और जो उसके दिल के करीब हो। इस तरह डिप्रेशन के मरीज को अगर सही समय पर सहायता मिल जाए तो उसे आत्महत्या से रोका जा सकता है।
- लगातार बढ़ती जा रही आत्महत्या की घटनाओं को रोकने वालों के लिए आजकल चिकित्सा सेवा और दवाएं भी उपलब्ध है। अगर आपको लगे कि आपको इलाज की जरूरत है तो आप किसी योग्य मनोचिकित्सक से सलाह ले सकते हैं।
आत्महत्या करने के बाद क्या होता है ?
याद रखिए, इस दुनिया में कोई भी ऐसी समस्या नहीं है, जिसका कोई हल ना हो। मगर आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है। शायद आपको मालूम नहीं है कि आत्महत्या करना बहुत बड़ा पाप है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा को कहीं शांति नहीं मिलती। उसे ना तो स्वर्ग में जगह मिलता हैं, ना ही नरक में और ना ही किसी अन्य शरीर में। उसकी आत्मा को अनिश्चित काल तक इस अनंत ब्रह्मांड में भटकना पड़ता है। इसलिए यह सोच कर आत्महत्या ना करें कि इससे आपको सभी दुखों से छुटकारा मिल जाएगा। अतः बेहतर होगा कि आप अपने जीवन जीने के तौर-तरीकों में व्यापक बदलाव करें और जीवन की अच्छी बुरी घटनाओं के बीच संतुलन बनाना सीखे।
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