Simple lecture on seven chakras and seven bodies | 7 chakra aur 7 sharir
दोस्तों आज तक आपने केवल बाहरी दुनिया ही देखी होगी। जिसमें ये पेड़-पौधे, जीव-जंतु और हम इंसान इत्यादि होते हैं। और शायद आपको यहीं लगता होगा कि सारी दुनिया यहीं है। लेकिन आप ये जानकार हैरान हो जाएंगे कि ये सब एक नकली दुनिया है। असली दुनिया तो हमारे भीतर है। जो इस दुनिया से कहीं ज्यादा अद्भुत और विशाल है। आपने अभी तक केवल सात समुद्र, सात रंगों,सात ऋषियों, सात सुरों, सात जन्मों, सात दिनों और सात महाद्वीपों के बारे में सुना था। परन्तु आज मैं आपको उन सात शरीरों और सात चक्रों के रहस्य के बारे में बताने वाला हूं। जो हमारे शरीर के सात तलों पर स्थित है।
मनुष्य के 7 शरीर- 7 bodies OF human In Hindi
7. निर्वाण शरीर – Nirvanic body
6. ब्रह्म शरीर – casmic body
5. आत्मिक शरीर – spritual body
4. मनस शरीर – mental body
3. सुक्ष्म शरीर – Astral body
2. भाव शरीर – ethric body
1. भौतिक शरीर – physical body
शरीर के सात चक्र कौन-कौन से है – seven chakras
7. सहस्त्रार चक्र – sahastrahar chakra
6. आज्ञा चक्र – aagya chakra
5. विशुद्ध चक्र – vishuddh chakra
4. अनाहत चक्र – anahata chakra
3. मणिपुर चक्र – manipur chakra
2. स्वाधिष्ठान चक्र – swadhisthana chakra
1. मूलाधार चक्र – muladhar chakra
यूं समझ लीजिए कि हमारा शरीर एक सात मंजिला इमारत है। सातों तलों पर एक एक शरीर हैं। जो सात अलग-अलग चक्रों से जुड़े हुए हैं। इन सात शरीरों की ऊर्जा इगला, पिंगला और सुषुम्ना इन तीन मुख्य नाड़ियों के माध्यम से इन सात चक्रों से होकर गुजरती है। सभी चक्रों की अलग-अलग शक्तियां हैं और सभी शरीरों की अलग-अलग प्रकृति और संभावनाएं है। तो आइए अब इन Seven bodies and seven chakras की विस्तार से व्याख्या करते हैं।
1. Physical body (भौतिक शरीर)
हमारा यह शरीर हाड़-मांस का बना हुआ है। इस शरीर का निर्माण प्रकृति के पंचतत्वों अग्नि,जल,पृथ्वी, वायु और आकाश से हुआ है। जिसे हम भोजन के रूप प्रकृति के विभिन्न स्तोत्रों से ग्रहण करते हैं। इस शरीर की प्रकृति सेक्स, भुख और निंद्रा की है। यह शरीर हमारे मुलाधार चक्र से जुड़ा होता है। जो इस उर्जा शरीर का केंद्र बिंदु है। इसी उर्जा के कारण हमें सेक्स, भुख और नींद की जरूरत महसूस होती हैं। क्योंकि हमारे भौतिक शरीर को गतिशील बनाएं रखने के लिए ये तीनों ही चीजें आवश्यक है। सामान्यतः 7 वर्ष की अवस्था आते-आते यह उर्जा मनुष्य के शरीर में सक्रिय हो जाती है। इस घरती के अधिकांश प्राणी इसी तल पर अपना सारा जीवन बीता देते हैं। वे बार-बार इसी तल पर जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। जन्म-मृत्यु का यह जीवन चक्र जन्मों जनम तक चलता रहता है। परन्तु जो इस उर्जा को समझ कर उसका सदुपयोग कर लेता है। उसके भीतर ब्रह्मचर्य का जन्म होता है। यानी वह सेक्स और भुख से ऊपर उठ कर जीवन की अन्य संभावनाओं के बारे में सोचता है। जैसे- नैतिकता, धार्मिकता, अध्यात्म, परम आनंद अथवा मोक्ष इत्यादि।
2. Ethnic body (भाव शरीर)
इस शरीर में हमारी भावनाएं होती है। भाव शरीर को रसायनिक उर्जा नियंत्रित करती है। जिन्हें हम हार्मोंन्स भी कहते हैं। हार्मोंन्स अनेकों प्रकार की सुक्ष्म रसायनों से निर्मित होते है। हम भोजन के रूप में जो चीजें ग्रहण करते हैं। वहीं चीजें पचने के बाद विभिन्न रसायनों में परिवर्तित हो जाती है। हमारे शरीर के विभिन्न स्थानों पर कई अंत स्रावी ग्रंथियां होती है। जिनसे इन सुक्ष्म हार्मोन्स का रिसाव होता है। हमारे भीतर क्रोध, मोह घृणा, हिंसा और भय जैसी जितनी भी दुर्भावनाएं उठती है। वह इसी उर्जा के प्राकृतिक प्रभाव के कारण उठती है। सामान्यतः 14 वर्ष की अवस्था में यह उर्जा मानव शरीर में सक्रिय हो जाती है। यह उर्जा शरीर स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ा होता है। जो हमारे नाभि के करीब चार अंगुल नीचे स्थित होता है। जो मनुष्य अपनी भावनाओं के प्रति जागरूक हो कर इस उर्जा को विकसित कर लेता है। उसके अंदर प्रेम, क्षमा, अहिंसा करूणा और परोपकार जैसी अच्छी भावनाएं प्रबल होने लगती है।
3. Astral body (सुक्ष्म शरीर)
आध्यात्मिक जगत में इसे प्राणमय कोश भी कहा जाता है। यह शरीर अति सुक्ष्म अदृश्य ऊर्जा तरंगों से निर्मित है। हमारे शरीर में अरबों न्यूरो ट्रासमीटर्स का एक जाल बिछा हुआ है। जिनसे ये इलेक्ट्रिक तरंगे दौड़ती रहती है। यह शरीर मणिपुर चक्र से जुड़ा हुआ है। जो नाभि के केंद्र में स्थित होता है। इसी उर्जा की के प्रभाव से ही हमारे मन में तरह-तरह के संदेह और विचार उत्पन्न होते हैं। परन्तु जो मनुष्य इस उर्जा को इसके उच्चतम संभावना को विकसित कर लेता है। उसके अंदर श्रद्धा, विश्वास और संकल्प शक्ति उत्पन्न हो जाती है। वह व्यक्ति एक नियोजित विचार कर सकता है। एक समझदार व्यक्ति अपनी समझ और साधना के द्वारा इस तल पर आराम से पहुंच सकता है। हठयोग के द्वारा भी इस उर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है।
4. Mental body (मनस शरीर)
अध्यात्म में इसे मनोमय कोश भी कहा जाता है।
इस तल तक बहुत कम मनुष्य ही पहुंच पाते हैं। यह उर्जा शरीर अनाहत चक्र से जुड़ा हुआ है। जो हमारे हृदय में मध्य में स्थित है। इसी उर्जा के प्रभाव से हमारे भीतर स्वप्न शक्ति और कल्पना शक्ति उत्पन्न होती है। इसी उर्जा के प्रभाव से हम हमेशा स्वप्न और कल्पनाओं में खोए रहते है। परन्तु यह कल्पना शक्ति प्राकृतिक रूप यह अस्पष्ट और अनियंत्रित होती है। इसलिए हम केवल कल्पनाओं में भटकते रहते हैं। परन्तु जो मनुष्य संयम,समझ अथवा साधना के द्वारा इस उर्जा को उसके अधिकतम संभावनाओं तक विकसित कर लेते हैं। उनके अंदर स्पष्ट कल्पनाशीलता और अद्भुत सृजनात्मकता उत्पन्न हो जाती है। इस संसार में जितने भी महान वैज्ञानिक, चित्रकार, गीतकार अथवा आविष्कारक हुए हैं। वे इसी उर्जा के विकास के कारण हुए हैं। स्वामी विवेकानंद, अल्बर्ट आइंस्टीन, लिओनार्दो दा विंची और निकोला टेस्ला इत्यादि इसके सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। हठयोग अथवा अन्य युक्तियों द्वारा इस उर्जा को इसके उच्चतम संभावना तक विकसित करके कई अद्भुत चमत्कारिक सिद्धियां भी हासिल की जा सकती है।
5. Spiritual body (आत्मिक शरीर)
यह शरीर हमारे विशुद्ध चक्र से जुड़ा होता है। जो हमारे गले के कंठ में स्थित है। इस तल पर पहुंचते ही मनुष्य के अन्दर सभी प्रकार के दैत और अहंकार मिट जाते हैं। और उसे अपने आत्मस्वरुप का बोध होता है अर्थात वह को आत्म ज्ञान उपलब्ध हो जाता है। इस शरीर में अब वह मनुष्य नहीं रह जाता बल्कि देव स्वरूप हो जाता है। परम आनंद इस शरीर की प्रकृति है। इसलिए इस शरीर में सारे दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और वह केवल आनंद ही आनंद अनुभव करता है। इसी परम आनंद उस महापुरुष को वर्षों मगन रहता है। यह भौतिक शरीर का आखिरी बिंदु है। यहां तक पंचतत्वों की सीमा समाप्त हो जाती है। इसलिए तल पर मनुष्य जीवन चक्र से बाहर निकल जाता है। अर्थात इसके पश्चात वह पुनः मनुष्य के रूप में संसार में जन्म नहीं लेता। हालांकि वह खुद चाहे तो अपनी मर्जी से संसार में वापस आ सकता है। इस तल तक पहुंचना सामान्य मनुष्य के लिए बहुत कठिन है। कई वर्षों के निरंतर अभ्यास और साधना के बाद भी संसार में कुछ गिने-चुने लोग ही इस शरीर को उपलब्ध हो पाते हैं।
6. Cosmic body (ब्रह्म शरीर)
यह शरीर हमारे आज्ञा चक्र से जुड़ा हुआ है। इस स्तर तक आते ही मनुष्य ब्रह्म ज्ञान को उपलब्ध हो जाता है। अब वह कह सकता है, अहमं ब्रह्मस्मि यानी मैं ही ईश्वर हूं। उसके पास समस्त ईश्वरीय शक्तियां आ जाती है। अब वह चाहे तो अपने ईच्छा अनुसार नई सृष्टि की रचना कर सकता है। असिमित शक्तियों की चाह रखने वाले हठयोगी हठयोग एवं अन्य साधनाओं द्वारा इस स्तर तक पहुंच सकते हैं। परन्तु अभी भी वह अपने अस्तित्व से जुड़ा होता है इसलिए उनकी यात्रा अभी पूरी नहीं होती। इस दिव्य ऊर्जा के प्रभाव से कई रोगी और ब्रह्मज्ञानी बरसों तक इसी शरीर तक अटके रह जाते हैं।
7.nirvana body (निर्वाण शरीर)
यह शरीर सहस्त्रहार चक्र से जुड़ा होता है। जो मनुष्य के सिर के सबसे ऊपरी भाग में होता है। आप नवजात शिशुओं के सिर पर उस स्थान को आराम से देख सकते हैं। इस शरीर में मनुष्य के अंदर से मैं और हूं दोनों मिट जाते हैं और बस ईश्वर शेष रह जाता है। इस आखिरी तल पर मनुष्य का समस्त अस्तित्व शुन्य में विलीन हो जाता है। अब आप उसे ईश्वर अल्लाह परमात्मा या ब्रह्मा, विष्णु महेश, कुछ भी नाम दे सकते हैं। यहां पर आपको एक और बात समझ लेनी चाहिए कि यहां जो मैंने सात शरीरों की बात की है। वे वस्तुत अलग-अलग नहीं हैं बल्कि सभी एक ही उर्जा के ही अलग-अलग रूप है। और ये सारी चीजें हमारे शरीर में अभी भी सुप्त अवस्था में मौजूद हैं।
आपको इन्हें भी पढ़नी चाहिए 👇
दोस्तों इसे एक विडंबना ही कहा जाएगा कि इतनी सारी संभावनाएं होने के बावजूद भी हम इस जीवन उर्जा को केवल सेक्स और भुख में बर्बाद करके जीवन और मृत्यु के चक्र में घूम रहे हैं। जब हम ईश्वर हो सकते हैं तो हम पशुवत जीवन क्यों जी रहे हैं। एक बार सोचिएगा जरूर। और हां अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न उठ रहा हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा। हमारे ब्लॉग पर विजिट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🧡🙏🧡🙏
Dinesh ji, good day. Dorry to say that, slthough you have chosen s very good topic but the way you hsve presented is not upto the mark. The kind of Hindi written here is something no one will agree to. Also. You have not explained the yatra of our 7 bodies snd chakra does not impart with sny knowledge as how to cross from the physicsl body to etheric body to astrsl body and so on. Hooe you improve the language snd give full explanation for rhe journey from first to seventh body. Thanks with gratitude.
Thanks for your opinion. We try it.