love story in hindi: दुनिया की सबसे दर्दनाक और रुला देने वाली सच्ची प्रेम कहानी

Real love story in Hindi| सच्चे प्यार की एक अधूरी कहानी   true love story इस प्रेम कहानी के पहले भाग का सारांश.. इधर धीरे-धीरे मुझे महसूस होने लगा कि मुझे अपने मोहब्बत का इजहार कर देना चाहिए क्योंकि अब मैं उसके बगैर जिंदा नहीं रह सकता था। रात की तनहाई में मेरे दिल ने मुझसे गुफ्तगू … Read more

love story in hindi: इतिहास की सबसे दर्दनाक और अनोखी सच्ची प्रेम कहानी

love story in hindi |real love story in hindi Love story in Hindi| रुला देने वाली लव स्टोरी “उई मां!” उसने इतने जोर से काटा कि मेरी चीख निकल गई। मैंने गुस्से और हैरानी का मिश्रित भाव लिए उसकी तरफ देखा। वह अपनी जीत पर इतराती हुई मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। उसकी मुस्कराहट का मेरे … Read more

प्यार में हत्या और आत्महत्या क्यों ? why suicide and murder in love.

सुना था कि प्यार इंसान को जीना सिखाता है। प्यार इंसान के जीवन को खुशियों से भर देता है। परंतु ये कैसा प्यार है। जो मरना और मारना सीखाता है। ये कैसा प्यार है। जो इंसान की जिंदगी को विरान बना कर उसे घुट-घुट कर जीने पर मजबूर कर देता है।‌ सुना था कि प्यार … Read more

प्यार 3 प्रकार का होता है, जानें आपका प्यार कौन सा है?

प्यार एक बेहद खूबसूरत और बेहतरीन एहसास हैं और हम सभी लोग कभी ना कभी इस एहसास से जरूर गुजरते हैं। परंतु हम सबके लिए प्यार के मायने अलग-अलग होते हैं। हम में से हर कोई प्यार को अलग-अलग अर्थो में परिभाषित करता हैं। कोई सेक्स को प्यार समझता है तो कोई त्याग को प्यार … Read more

best motivational love story in hindi – रुला देने वाली दर्द भरी कहानी

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मैंने उस letter को पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे मैं लेटर पढ़ता गया। मेरे होंठों की मुस्कराहट के साथ-साथ मन की उलझन भी बढ़ती चली गई। शायद कोई लड़की मुझे बिना देखे, बिना जाने कई सालों से प्यार करती थी। सिर्फ प्यार ही नहीं करती थी बल्कि वह मन ही मन मुझे अपना पति भी मान चुकी थी उसने ये भी लिखा था कि अगर मैंने उसका प्रेम स्वीकार नहीं किया तो वह ….

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एक गरीब लड़के की दिल को छू लेने वाली मोटिवेशनल कहानी

क्या यहीं प्यार है

क्या हुआ मां ”
मैंने बेचैनी से मां से पूछा।
मां खामोश रही।
परंतु उसकी आंखों मे झलकती मायूसी सब कुछ बयां कर रही थी।
बेयकीनी से मैंने मां को देखा और बाबूजी के कमरे की तरफ बढ़ गया।
“क्या हुआ बाबूजी, क्या कहां उन्होंने”
मैंने बाबूजी के पैरों के पास बैठ गया।
“बस तुम जो चाहते थे वह हो गया ना”
“करवा दी ना मेरी बेइज्जती”
“और कोई कसर बाकी रह गई हो तो उसे भी पूरा कर ले।”
बाबूजी की आवाज में दुख और नाराजगी साफ झलक रही थी।
“कहां क्या उन्होंने”
मैं पूरी बात सुनना चाहता था।
“उनका कहना है कि हम एक भिखमंगे के घर अपने बेटी की शादी कभी नहीं करेंगे।”
यह सुनते ही मेरा मन गुस्से और नफ़रत से भर गया।
उस दिन मुझे एक बात और सीखने को मिली‌ थी।
प्यार और गुस्सा दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। नफ़रत को प्यार में और प्यार को नफरत में बदलने में एक क्षण भी नहीं लगता। हमारे प्यार और नफ़रत विचारों, शब्दों और परिस्थितियों के दास होते हैं।

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एक गरीब लड़के की गरीबी, मोहब्बत, मजबूरी, संघर्ष और सफलता की बेमिसाल कहानी

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दिल को छूने वाली रोमांटिक लव स्टोरी | प्रेम कहानी हिंदी में

prem kahani story शेखर शनाया से पहली बार अपने दोस्त के बहन की शादी में मिला था। उस वक्त उसने सोचा भी नहीं था कि यह सांवली-सलोनी सी लड़की दुबारा उसकी जिंदगी में आयेगी। परंतु फेसबुक ने उन्हें फिर से मिला दिया। पढ़िए ये दिलचस्प प्रेम कहानी.. heart touching romantic love story in Hindi| prem … Read more

Motivational story for success: संघर्ष से सफलता तक की सच्ची कहानी

Motivational story in hindi for success|real life inspirational story in hindi My real life story दोस्तों मेरी आत्मकथा के पहले भाग में अपने पढ़ा कि मेरा जन्म एक गांव के अत्यंत गरीब परिवार में पैदा हुआ था। मेरा बचपन एक ऐसे माहौल में गुजरा था। जहां रात दिन परिवारिक कलह और लड़ाई झगड़े हुआ करते … Read more

सच्चे प्यार की यह अद्वितीय कहानी आपको प्रेम की सच्ची परिभाषा सिखाती है।

 सच्चे प्यार की कहानी | sache pyar ki love story

सच्चे प्यार की कहानी, सच्चे प्यार की परिभाषा

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च्चे प्यार की परिभाषा क्या है ? यह प्रश्न इतना जटिल है कि इसे केवल शब्दों के द्वारा परिभाषित करना लगभग असंभव बात है। क्योंकि प्रेम कोई वैज्ञानिक सिद्धांत नहीं है जिसकी सटीक परिभाषा दी जा सके। प्रेम एक आंतरिक अनुभूति है। जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है। हालांकि विश्व के सभी प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, शायरों और संगीतज्ञों ने अपनी रचनाओं में इसे परिभाषित करने हरसंभव कोशिश की है। परंतु आज भी यह प्रश्न हमारे युवा पीढ़ी के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है। इसलिए आजकल के युवा प्रेम के वास्तविक मार्ग से भटकते जा रहे हैं। जो कि हमारे मानव समाज के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। बहरहाल आज हम आपके लिए निस्वार्थ प्रेम की एक अनोखी प्रेम कहानी ले कर आए हैं। इस अद्भुत कहानी को हमने बचपन में ही किसी पत्रिका में पढ़ा था परंतु उस समय भावनात्मक रूप से इतने परिपक्व नहीं थे कि इस कहानी में छुपे मर्म को समझ पाएं लेकिन आज जब ये कहानी हमें याद आई तो एहसास हुआ कि यह कहानी सच्चे प्रेम के श्रेष्ठतम उदाहरणों में से एक है। इस कहानी का वर्णन हमारे पुज्य गुरूजी ओशो ने भी अपने प्रवचनों में किया है। इसलिए हमने सोचा कि इसे अपने प्रिय पाठकों के साथ जरूर शेयर करना चाहिए। इसे पढ़ने के बाद शायद आप समझ जाएंगे कि प्रेम की पराकाष्ठा क्या होती है।

(प्रेम की परिभाषा)

एक गांव के बाहर सड़क के किनारे एक बहुत ही विशाल वृक्ष था। आसमान को छूती हुई उसकी ऊंची-ऊंची शाखाएं बहुत ही सुंदर लगती थी। हवा के हर झोंके पर वह वृक्ष ऐसे झूमता जैसे सावन में मोर नाचते हो। गर्मियों के मौसम में जब उस पर रंग-बिरंगे फूल लगते, फल आते तो सारा वातावरण उसकी भीनी-भीनी खुशबू से महक उठता। दूर-दूर से पशु-पक्षी उसकी सोंधी महक से खिंचे चले आते थे। पास के गांव कि एक नन्हा सा बच्चा प्रतिदिन उस वृक्ष के नीचे खेलने आता। वह वहां दिनभर पेड़ की ठंडी छांव में खेलता और शाम को अपने घर वापस चला जाता। वह वृक्ष उस बच्चे की मनोहर बाल लीलाओं को देखकर मंद-मंद मुस्कुराता रहता। धीरे धीरे उस वृक्ष को उस छोटे बच्चे से एक लगाव हो गया। अब वह प्रतिदिन उस बच्चे के आने का इंतजार करने लगा। जिस दिन वह बच्चा वहां खेलने नहीं आता उस दिन वह वृक्ष उदास हो जाता और उसके आते ही वह उसके ऊपर अपने रंग-बिरंगे फूलों की बारिश कर देता। उस पेड़ की शाखाएं काफी ऊंची थी और वह बच्चा काफी छोटा था इसीलिए वह बच्चा जब उसके फल तोड़ने को ऊपर हाथ बढ़ाता तो वृक्ष अपनी शाखाएं नीची कर लेता और वह बच्चा जब फल तोड़ने में कामयाब हो जाता तो वृक्ष का रोम-रोम आनंद से भर जाता। कभी वह बच्चा पेड़ की छांव में लोटता, कभी उस फल तोड़ता तो कभी उसके फूलों का ताज अपने सर पर रख कर खुद को जंगल का सम्राट समझता। वह बच्चा जब उसके फूलों का ताज सर पर रख कर जब नाचता तो वृक्ष भी खुशी से झूमने लगता।

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धीरे-धीरे वह बच्चा बड़ा हो गया। अब वह उस वृक्ष पर चढ़ने-उतरने भी लगा। जब वह लड़का उस वृक्ष की शाखाओं पर सो कर विश्राम करता तो वृक्ष का मन आनंद से भर जाता। धीरे-धीरे दिन बीतते गए और वह लड़का बड़ा होता गया। अब उसके पास और भी दुनियादारी के काम बढ़ गए थे। अब उसे अपने सपने भी पूरे करने थे। दोस्तों के साथ घूमना था। पैसे कमाने थे। इसीलिए वह अब वह कभी कभार ही उस वृक्ष के नीचे आता। लेकिन वह वृक्ष निरंतर उसके आने की प्रतीक्षा करता रहता कि वह कब आए। लेकिन अब वह कभी आता और कभी नहीं आता तो वृक्ष उदास हो जाता। फिर वह लड़का जैसे-जैसे और बड़ा होता गया, उसके वृक्ष के नीचे आने के दिन और भी कम होते गए।

 काफी दिनों बाद जब एक दिन वह लड़का उस वृक्ष के पास से निकल रहा था तभी वृक्ष ने उसे पुकारा, सुनो! आजकल तुम आते नहीं, मैं कितनी बेसब्री से तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहता हूं। उस लड़के ने तुनक कर कहा- तुम्हारे पास क्या है कि मैं आऊं मुझे धन चाहिए, मुझे पैसे चाहिए क्या तुम मुझे दे सकते हो। वृक्ष तो उसकी बात सुनकर बिल्कुल हैरान रह गया। वह बोला, तो क्या अब तुम तभी आओगे जब मैं तुम्हें कुछ दूंगा। ठीक है मैं तुम्हें अपना सब-कुछ दे सकता हूं लेकिन रुपए मेरे पास नहीं है। तो फिर मैं क्यों आऊं तुम्हारे पास, मुझे तो जहां रुपया है वहां जाना पड़ेगा, मुझे रुपयों की जरूरत है। लड़का ने कहा। वृक्ष ने थोड़ी देर सोचा और कहा- तुम एक काम करो मेरे ऊपर जितने भी फल लगे है उसे तोड़ लो और ले जाकर बाजार में बेच दो, शायद तुम्हें रुपए मिल जाए। लड़का को भी उसकी बात जंची। वह फटाफट पेड़ पर चढ़ा और सारे फल तोड़ लिए। उसकी जल्दीबाजी की वजह से कुछ कच्चे फल भी टूटे, कुछ शाखाएं भी टुटी, कुछ पत्ते भी टुटे। फिर भी वह वृक्ष बहुत खुश हुआ, बहुत आनंदित हुआ। उस लड़के ने पलटकर वृक्ष को धन्यवाद भी नहीं दिया। परंतु वृक्ष को धन्यवाद की आकांक्षा भी नहीं थी वह तो इस बात को लेकर खुश था कि वह उसे कुछ दे पाया। वह खुश था कि वह अपने प्रेमी के कुछ काम आ सका। वह लड़का उन फलों को बाजार में ले गया और बेच आया। फिर काफी दिनो तक वह उस पेड़ के पास नहीं आया। अब वह फल बेचकर कमाए हुऊ पैसो से और पैसे बनाने के लिए बिजनेस करने लगा।

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धीरे-धीरे कई साल बीत गए लेकिन वह उस पेड़ के पास नहीं आया। इधर वृक्ष निरंतर उसकी प्रतीक्षा करता रहा, रात दिन उसकी बाट जोहता रहा कि वह कब आए, वह कब आए। वह अपने पतों को हवा के झोंको से टकरा कर पुकार की ध्वनि पैदा करता। वह वृक्ष उसकी जुदाई‌ के दर्द में रात-दिन तड़पता रहता।

फिर एक दिन जब वह आया तो अधेड़ हो चुका था। उसे देख कर वृक्ष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह खुशी से अपनी शाखाएं फैलाकर बोला- अरे कितने दिनों बाद आए हो, आओ मेरे गले लग जाओ। उस अधेड़ उसे झिड़कते हुए पीछे हटा और बोला- अरे दूर हटो यह क्या पागलपन कर रहे हो, यह सब बचपन की बातें हैं। उस वृक्ष उसके ऊपर अपना प्रेम बरसाते हुए कहा- आओ मेरी डाली के ऊपर झूलो, मेरे मीठे-मीठे फल खाओ। उस आदमी ने कहा- अरे छोड़ो यह सब फिजूल की बातें, मुझे मकान की जरूरत है क्या तुम मुझे मकान दे सकते हो। वृक्ष ने कहा, क्या मकान” हम तो बिना मकान के ही रहते हैं। मकान में तो आदमी रहते हैं। फिर कुछ सोचकर उस वृक्ष ने कहा- सुनो एक काम करो तुम मेरी सारी शाखाएं काट कर ले जाओ और अपना मकान बना लो। वह अधेड़ आदमी तुरंत गया और कुल्हाड़ी लेकर आया। उसने उस वृक्ष की सारे शाखाएं काट डाली। अब वृक्ष का सिर्फ एक ठूंठ रह गया। वृक्ष को दर्द तो बहुत हुआ लेकिन फिर भी वह बहुत आनंदित था।‌ प्रेम सदा आनंदित रहता है भले उसे अपने प्रेमी से कितने भी दुख मिले। मगर उस लड़के ने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। उसने उसकी शाखाओं को चिरवा कर जाकर एक मकान बना लिया।

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धीरे-धीरे काफी वक्त गुजर गया मगर वह अधेड़ आदमी वृक्ष के पास नहीं आया। वह वृक्ष हमेशा की तरह उसकी राह देखता रहता। वह उसे पुकारना चाहता कि आओ आओ लेकिन अब तो उसके पास पत्ते भी नहीं थे। हवाएं आतीं और चली जातीं किंतु वह कोई ध्वनि नहीं निकाल पाता। लेकिन उसके प्राण हमेशा उसे पुकारते रहते। अचानक एक दिन वह आदमी आया अब बच्चा बूढ़ा हो चुका था। वह उस वृक्ष के सामने खड़ा हो गया और उसे हसरत से देखने लगा। वृक्ष ने प्यार से कहा, बहुत दिनों बाद आए हो। कहो, अब मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं। उस बूढ़े आदमी ने कहा, मुझे दूर देश जाना है इसलिए मुझे नांव की जरूरत है। वृक्ष ने मुस्कुराते हुए कहा- तुम मुझे जड़ से काट लो और मेरे तने से नांव बनवा लो। मुझे बहुत खुशी होगी कि मैं तुम्हारा नाव बन कर तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य तक पहुंचा पाऊंगा। लेकिन तुम अपने देश जल्दी लौट आना और सकुशल लौट आना। उस वृद्ध आदमी ने आरी से उस वृक्ष को जड़ से काट डाला। और उससे नांव बनवा कर दूर देश की यात्रा पर निकल गया। अब वह पेड़ बस एक छोटा सा ठूंठ बच गया। लेकिन वह ठूंठ भी उस आदमी की प्रतीक्षा करता रहता उसकी सकुशल वापसी की दुआएं करता रहता।

 काफी दिनों बाद वह व्यक्ति वापसी में उधर से गुजरा लेकिन उसने उस ठूंठ वृक्ष की तरफ देखा भी नहीं। वह वृक्ष आंखों में खुशी के आंसू लिए उसे देखता रहा कि वह मुझसे मिलने आएगा। फिर उसके निश्चल प्रेम ने उसे सांत्वना दी कि वह जरूर किसी जरूरी काम में होगा इसलिए वह मुझसे मिलने नहीं आया। अचानक एक दिन उस वृद्ध आदमी की मृत्यु हो गई। उसके बेटे उस वृद्ध आदमी को उसके मृत शरीर को लेकर आए और उस ठूंठ वृक्ष के पास रख दिया। फिर उन्होंने कुदाल से उस वृक्ष के जड़ को जड़ से निकाला और उसकी लकड़ियों को चीर फाड़ कर चिता पर रख दिया। थोड़ी देर के बाद वह ठूंठ वृक्ष अपने प्रेमी के निष्प्राण शरीर से लिपटा जल रहा था। आज उस वृक्ष का प्रेम अमर हो गया था।

सच्चे प्यार की परिभाषा क्या है?

दोस्तों यह मार्मिक कहानी अत्यंत गहरे अर्थों में सच्चे प्रेम को परिभाषित करती है। यदि आपने उसे ग्रहण कर लिया हो तो बहुत अच्छी बात है परंतु यदि नहीं समझे हो तो इतना समझ लो कि प्रेम शत् प्रतिशत शुद्धता का प्रतीक है। सच्चा प्रेम अहंकार, क्रोध, स्वार्थ, आकांक्षा, ईर्ष्या, घृणा, कामना, तृष्णा और वासना जैसे अवगुणों से बिल्कुल रहित होता है। सच्चे प्रेमी में कोई कामना कोई आकांक्षा नहीं होती। बस त्याग और समर्पण की भावना होती है। वह अपने प्रेमी पर बिना किसी स्वार्थ के अपना सर्वस्व लुटा देना चाहता है। जिसके जीवन में प्रेम का अमृत हो उसके लिए स्वर्ग और मोक्ष भी तुच्छ लगते हैं। ‌ जिसके जीवन में प्रेम की पवित्रता हो वह बिना किसी प्रयत्न के स्वत: ही परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।

दोस्तों प्रेम की परिभाषा यदि हम लाखों शब्दों में भी लिख दे तो भी कम ही मालूम होगी इसलिए अभी इतना समझ ले कि यदि कोई हमसे पुछे कि, एक शब्द में प्रेम क्या है? तो हमारा उत्तर होगा “परमात्मा

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