what is true meaning of life| हमारे जीवन का क्या अर्थ है?
अगर कोई व्यक्ति मरना चाह्ता है तो क्या वास्तव मे वह मरना चाहता है या या वह कुछ और ही चाहता है। मेरे ख्याल से वह मरना तो नही चाहता होगा। शायद उसे अपने जीने का कोई अर्थ नही दिखाई दे रहा होगा। इसलिए उसके मन में मरने का ख्याल आया होगा। अगर आप किसी मरते हुये आदमी से पुछो कि तुम मरना क्यों चाहते हो। तो वह कुछ ना कुछ तो बतायेगा जरुर। और अगर उसे जीने का कोई अर्थ मिल जाये तो उसके अंदर फिर से जीने की चाहत पैदा हो सकती है।
दोस्तों, हमारी इस दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग सुसाइड करते है। यानी हर 40 सेकेंड में एक आदमी अपनी जिंदगी से परेशान हो कर मौत को गले लगा लेता है। यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट कहती है। और यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना इक्कीसवीं सदी इस विकसित दुनिया में हो रही है। जहाँ पिछले सौ सालों के मुकाबले मानव जीवन का स्तर काफी तेजी से बढ़ा हैं। जहाँ सुख सुविधाओं और मनोरंजन के विकल्पों की कोई कमी नहीं है। फिर क्यों इतने सारे लोग अपने जीवन को खत्म कर देना चाहते हैं।
अगर आप किसी मरते हुए आदमी से पुछोगे कि तुम क्यों मरना चाहते हो तो वह बहुत सारे कारण बता सकता है। जैसे- दुख, गरीबी, नाकामी, प्रेम में धोखा, जुदाई या ऐसे ही और भी कारण बता सकता है लेकिन इन सभी कारणों के पीछे सिर्फ एक ही कारण है। उसके जीवन में किसी अर्थ का ना होना। किसी मरते हुए आदमी का आखिरी विचार शायद यही होगा कि अब मेरे जीने में क्या अर्थ रह गया है। अब मैं जी कर करूँगा भी क्या। यानि इंसान को जीने के लिए उसके जीवन में किसी सार्थक अर्थ का होना जरूरी है। प्रसिद्ध मनोविश्लेषक और लेखक डा विक्टर ई फैंकल इस पर एक बहुत ही सुंदर बात लिखते हैं कि
यदि इंसान के जीवन में कहीं कोई सार्थक अर्थ है तो उसके दुखों और कष्टों के भी मायने हो जाते हैं। यानी अगर आपके जीवन में कोई अर्थ, कोई उद्देश्य है तो आप भयानक से भयानक दुखों और कष्टों को भी झेल सकते हैं।
1939 में दृतीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के नाजी सैनिकों ने करीब डेढ़ करोड़ लोगों को कैद कर लिया। इन कैदियों गुलाम बना कर विभिन्न यातना शिविरो में रखा जाता है। जहा उन्हे मामूली से भोजन पर बहुत ही बद हाल स्थिति मे जिन्दा रखा जाता था। वहाँ से उन कैदिओ को जर्मनी के बिभ्भिन स्थानों पर ले कर तरह तरह के काम कराये जाते थे.उनमें जो कैदी कमजोर या बीमार हो जाते थे उन्हें गैस चेम्बरो में डाल कर जिंदा जला दिया जाता था। उन कैदियों को जानवरों से भी बदतर सुलूक किया जाता था और ऐसी बर्बर और भयानक यातनाएं दी थी कि उससे बचने के लिए अनेक कैदी जान बुझ कर कमजोरी या बीमारी का बहाना बना कर गैस चैम्बर में मरने के लिए चले जाते थे। डाक्तर फ्रान्कल उन्ही कैदिओ में से एक थे।
1942 में, अपनी शादी के सिर्फ़ नौ महीने बाद, फ़्रैंकल और उनके परिवार को यातना शिविर में भेज दिया गया । उनके पिता की वहाँ भूख और निमोनिया से मृत्यु हो गई। जहाँ उनकी माँ और भाई की गैस चैंबर में हत्या कर दी गई। उनकी पत्नी की भी बाद टाइफस से मृत्यु हो गई। इतनी दर्द नाक और बदतर हालत मे भी फ़्रैंकल ने चार यातना शिविरों में तीन साल बिताए। क्योंकि उनके जीवन मे अभी भी एक अर्थ बचा हुआ था। उस समय वह एक बुक लिख रहे थे। जिनकी पांडुलिपियों को वहां उनसे छीन कर जला दिया गया था। उसी बुक को दुबारा पूरा करने की आस मे वे तीन सालो तक भयानक यातना सहते रहे। १९४५ में विश्व युद्ध के रुकने के बाद लाखो कैदियों के साथ उन्हें भी वह से रिहा किया गया, वहाँ उन्होंने देखा की जिन कैदियों के पास जीवन का कोई अर्थ था। उन्हीने भयानक यातनाये सहने के बाद जीने की आस नहीं छोड़ी ।
वहा से आने के बाद उन्होंने एक किताब लिखी जिसका नाम है जीवन की तलाश में मनुष्य। उस किताब में वे लिखते है कि जिस व्यक्ति के पास अपने जीवन के लिए एक ‘क्यों’ है, वह किसी भी तरह के ‘कैसे’ को सहन कर सकता है परंतु अगर आपके जीवन में कोई सार्थक अर्थ नहीं है तो फिर आपको सुबह उठना भी बोझिल लगेगा। धन दौलत, पद प्रतिष्ठा,मान सम्मान, सब कुछ होते हुए भी जीवन आपको बोझिल, बेरंग, नीरस और महत्वहीन प्रतीत होगा। और कभी कभार आपके मन में सुसाइड के ख्याल भी आ सकतें है। इसलिए अगर आपको भी अपना जीवन नीरस और उबाऊ लग रहा है तो आप अपने जीवन में अर्थ ढूढने की कोशिश किजिए। कि आपके जीवन का अर्थ क्या है?[ what is meaning of life] आप क्यों जीना चाहते हैं। और यदि आप जीवन का अर्थ नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो हम आपकी मदद करेंगे। लेकिन उससे पहले आपको यह समझने की जरूरत है कि क्या वास्तव में यह सवाल आपके लिए मायने रखता है? क्या वास्तव में आपको अपने जीवन का अर्थ ढूंढना चाहिए?
जीवन में अर्थ का महत्व क्या है?
देखिए आज से करीब 3 लाख साल पहले जब हम सब होमो सेपियंस के रूप में इस पृथ्वी पर उत्पन्न हुये थे। तो उस समय हमारे जीवन का अर्थ कोई विशेष मायने नहीं रखता था। जंगली जानवरों से अपनी जान बचाना और किसी तरह पेट भर कर अपने शरीर को जिंदा रखना ही हमारे जीवन का अर्थ था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज हम अपने दोस्त की जान बचाने के लिए भी अपनी जान दे सकते हैं। अपने हिस्से का भोजन किसी भुखे आदमी को दे सकते हैं। क्यों क्योकिं। हम बौद्धिक और भावनात्मक स्तर पर काफी विकसित हो चुके हैं। आज हमारे खुद के जीवन के साथ परिवारिक, समाजिक और अध्यात्मिक अर्थ भी जुड़ चुके हैं। जो कि हमारी इस प्रगतिशील मानव प्रजाति के लिए एक उत्कृष्ट उपलब्धि हैं। परंतु आज की इस भौतिकवादी दुनिया में हमारे विचारों का ताना बाना इस कदर उलझ गया है कि हम में से अधिकांश लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि जीवन में क्या करना है? और क्यों करना है? आजकल अधिकांश लोगों का मानना है कि मनुष्य जीवन का अर्थ सुखों का खोज और दुखों से निजात पाने में निहित है। लेकिन मुझे लगता है कि मनुष्य की प्रधान चिंता यह नहीं है कि वह सुख प्राप्त करे या स्वयं को पीड़ा से दूर रखे। वह तो दरअसल अपने जीवन के लिए एक अर्थ पाना चाहता है। मनुष्य तो भयानक से भयानक दुख़ और कष्ट भी झेलने को तैयार हो सकता है, बशर्ते वह पीड़ा उसके जीवन को कोई अर्थ दे रही हो। अगर आपको अपने प्यार को पाने के लिए अंगारों पर भी चलना पडे तो आप तैयार हो जायेगे लेकिन बिना मतलब के धुप में भी निकलना भारी लगेगा। आप खुद ही सोचिए कि आपको किसी ट्रेन में बिठा दिया जाये और आपको कुछ मालूम ना हो कि कहाँ जा रहे और जहाँ जा रहे हैं वहां क्यों जा रहे हैं तो आपका सफर कैसा होगा। आप खुद समझ सकते हैं। इसीलिए हमारे जीवन में एक सार्थक उद्देश्य का होना जरूरी है। ताकि हमारा जीवन सही दिशा में, एक निश्चित मार्ग पर अग्रसर हो सके।
आपका अमीर बनना क्यों जरूरी है, आपको अमीर क्यों बनना चाहिए
देखिये जीवन का अर्थ हर किसी के लिये अलग अलग हो सकता है। जैसे किसी के लिये जीवन का अर्थ बहुत अमीर इंसान बनने मे हो सकता है। किसी को जीवन का अर्थ अपने प्रेमिका को पाने में हो सकता है। किसी के लिए किसी विशेष पद की प्राप्ति में हो सकता है। परंतु ये सब ठोस और सार्थक अर्थ नहीं हो सकते । ये सब इंसान की सोच और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। ये आपको जीवन की सार्थकता का बोध नहीं करा सकते। मान लिजिए कि आप बहुत मेहनत और संघर्ष करते हैं और अपने परिवार के लिए बहुत ज्यादा पैसा कमा लेते हैं लेकिन उसके बदले अपने नैतिक मूल्यों से समझौता कर लेते हैं तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि आपको अपनी धन दौलत निरर्थक और महत्वहीन लगने लगे। मान लिजिए कि आप अपनी प्रेमिका को पाने में सफल हो जाते हैं लेकिन वही प्रेमिका आगे चलकर धोका दे दे तो आपको ऐसा लग सकता है कि आपने अपने जीवन का अर्थ ही खो दिया। इसलिए आपको अपने जीवन में एक ठोस और अस्तित्वगत अर्थ ढूंढना चाहिए। जो आपके नैतिक मूल्यों के अनुरूप हो और जो आपके जीवन के अंतिम क्षणों में भी सार्थकता का एहसास कराये।
तो दोस्तों, आईए अब जानते हैं कि आप अपने जीवन का एक ठोस और सार्थक अर्थ कैसे ढूंढ सकते हैं। जो आपके जीवन के अस्तित्वगत मूल्यों को सही मायनों में प्रदर्शित करता है। जो आपको आपके उपलब्धियों का सार्थकता का बोध कराते हुए जीवन के अंतिम क्षणों तक बना रहता है।
जीवन का सच्चा अर्थ क्या होता है?
तो अब हम लोगोथेरेपी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से जीवन का एक सार्थक अर्थ ढुढने की कोशिश करेंगे। आपको बता दे कि लोगोथेरेपी एक विशेष चिकित्सा पद्धति है। जो जीवन से निराश हो चुके लाखों लोगों को उनके जीवन का अर्थ ढूंढने में मदद करती हैं। इस चिकित्सा पद्धति को प्रसिद्ध मनोविश्लेषक, दार्शनिक और लेखक डॉ विक्टर ई फैंकल ने विकसित किया था। आपको बता दे कि डॉक्टर फ्रैकल को सिगमंड फ्रायड और अल्फ्रेड एडलर के बाद तीसरा सबसे बड़ा मनोचिकित्सक मन जाता है और उनके लॉगोथेरेपी स्कुल को मनोचिकित्सा के तीसरे सबसे बड़े स्कूल के रूप में मन जाता है।
लोगोथेरेपी के अनुसार हम जीवन के अर्थ की तलाश तीन प्रकार से कर सकते हैं।
पहला तरीका है, कोई सृजनात्मक या सेवा कार्य करते हुए।
दूसरा है, प्रेम अच्छाई या सुंदरता का अनुभव करते हुए।
और तीसरा तरीका है, भयंकर दुखों और कष्टों से गुजरते हुए।
पहला तरीका तो बिल्कुल स्पष्ट है कि जब कोई व्यक्ति किसी रचनात्मक और महत्वपूर्ण कार्य के प्रति या किसी सेवा के काम मे पुरी तरह समर्पित हो जाता है तो उसमें भी उसको अपने जीवन का अर्थ मिल सकता है। उदाहरण के लिये अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने काम मे अपने जीवन् का अर्थ मिल गया था। इस्लिये वे बिना बोरियत महसूस किये सालो तक अपने काम मे लगे रहे। मदर टेरेसा को बिमार लोगो की सेवा करने मे ही अपने जीवन का अर्थ मिल गया। लोगो की सेवा करते हुये उन्हे एहसास हुआ की उनका जनम लोगो कि सेवा कर्ने के लिये ही हुआ है। इसलिये उन्होंने लोगों कि सेवा मे अपना पुरा जीवन समर्पित कर दिया। तो आप भी अपनी रुचि के अनुरूप कोई काम चुन लो और उसमें पुरी तरह् से डूब जाओ।
जीवन का अर्थ ढूढने का दूसरा तरीका है, प्रेम करना। इस दुनिया मे अधिकांश लोग प्रेम कि वजह से ही जी रहे है या जीना चाह्ते है। वह प्रेम किसी स्त्री से, मा बाप से, औलाद से, प्रकृति से या किसी से भी हो सकता है। तो जब भी किसी से प्रेम करो तो पुरे समर्पण से करो और अपने पुरे अस्तित्व के साथ अनुभव करो। हो सकता है कि उस प्रेम मे भी आपको अपने जीवन का सच्चा अर्थ मिल जाये।
जीवन मे अर्थ खोजने का तीसरा रास्ता भयंकर दुख और पीड़ा से होकर गुजरता है।
देखिये भले ही आप कितने ही भयंकर दुख और पीड़ा से गुजर रहे हो। किसी ऐसी बदनसीबी का सामन कर रहे हो। जिस से निकलन आपको असम्भव लग रहा हो। लेकिन आपको नही भुलना चाहिये की ऐसे समय मे भी आपको अपने जीवन का अर्थ मिल सकता है। बल्कि ऐसे समय मे ही तो जीवन के सबसे गहरे अर्थ प्राप्त होते है । ऐसा अक्सर देख भी जाता है कि जो लोग असहनीय दुख और पीड़ा मे भी अपने नैतिक मुल्यों को नही खोते वे उस से निकलने के बाद और भी बेह्तर और महान इंसान बन कर सामने आते है। बिल्कुल वैसे ही जैसे भयंकर ताप से गुजर कर सोना और भी शुद्ध और मूल्यवान हो जाता है। तो दोस्तो जो लोग अपने जीवन का अर्थ खो चुके है या जिन लोगों को अभी तक अपने जीवन का अर्थ नहीं मिला है। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जीवन कभी भी अपना अर्थ नहीं खोता। जीवन का हर एक दिन आपके लिये एक नया अवसर लेकर आता है ताकि आप अपने अतीत को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ सके। दरअसल मनुष्य का पूरा जीवन ही अर्थ की तलाश है। जब तक उसे अपने जीवन का अर्थ नही मिलता तब तक वह बेचैन और अशांत ही रह्ता है। जब मनुष्य को अपने जीवन का अर्थ मिल जाता है तो मनुष्य को अपने जीवन मे सार्थकता, सुकुन और सच्चे आनंद का अनुभव होता है। तो दोस्तो हम दुआ करते है कि जल्द ही आपको अपने जीवन का अर्थ मिल जाये। हमारे साथ जुड़ने के लिए हमें Facebook, Instagram pintrest linkedin पर फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।
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