प्यार एक बेहद खूबसूरत और बेहतरीन एहसास हैं और हम सभी लोग कभी ना कभी इस एहसास से जरूर गुजरते हैं। परंतु हम सबके लिए प्यार के मायने अलग-अलग होते हैं। हम में से हर कोई प्यार को अलग-अलग अर्थो में परिभाषित करता हैं। कोई सेक्स को प्यार समझता है तो कोई त्याग को प्यार समझता है तो हमदर्दी को प्यार समझता है। जैसे मेरी नजर में प्यार की केवल एक ही परिभाषा है, “समर्पण” लेकिन आजकल लोगों ने प्यार को भी टुकड़ों में बांट दिया है। जी हां दोस्तों प्यार भी कई प्रकार का होता है। और इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि प्यार कितने प्रकार का होता हैं। तो अगर आपने भी कभी किसी से प्यार किया हैं तो आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना और अपने प्यार से तुलना करना कि आपका प्यार कौन से प्रकार का है।
love
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देखिए वैसे तो प्यार के कई रूप होते हैं लेकिन हमने quality और definition के आधार पर प्यार को तीन category में divide किया है।
- conditional love
- unconditional love
- spiritual love
conditional love
सबसे पहले बात करते हैं, conditional love यानी सशर्त प्रेम के बारे में क्योंकि आजकल सबसे ज्यादा यहीं प्रेम देखने को मिलता है। तो जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस प्रेम में बहुत सारी शर्तें हैं। बहुत सारी उलझनें है। आप इसे शारीरिक या मानसिक प्रेम भी कह सकते हैं क्योंकि यह अधिकांशतः शारीरिक या मानसिक आकर्षण से शुरू होता है और घृणा, नफरत, बेवफाई और जुदाई पर खत्म होता है। इस प्यार में लेन-देन अथना यूं कहें कि लेने का, कुछ हासिल करने का भाव अधिक होता है। जैसे, मैंने तुमसे प्यार किया है इसलिए तुम भी मुझे प्यार करो। मैंने तुम्हें खुशी दी है अतः तुम भी मुझे खुशी दो। इस प्रेम की जड़ में कामवासना छुपी होती है। जो मौका मिलते ही बाहर आ जाती है। इसका एक छोटा सा उदाहरण यह murder movie का यह song है। “भीगे होंठ तेरे प्यासा दिल मेरा। कभी मेरे साथ एक रात गुजार, तुझे सुबह तक मैं करूं प्यार।” अब आप समझ सकते हैं कि यह कैसा प्यार है। इस प्यार में लोग किसी के होंठों पर, गालों पर या नशीली आंखों पर मोहित हो कर उससे अपनी प्यास बुझाना चाहते हैं। लोग किसी की खुबसूरती, जवानी, दौलत या पर्सनेलिटी से प्रभावित हो कर उसे हासिल करना चाहते हैं। उस पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। ओशो इस प्रेम को कहते हैं, falling in love यानी प्रेम में गिरना। यह प्रेम आपको गुलाम बनाता है। आप जिसके प्रेम में गिर गए उसके गुलाम हो गए। वह आपकी कमजोरी बन गई। अब आप उसके बिना नहीं रह सकते। इसलिए इसमें लोग कहते हैं कि तुम मेरी नहीं हो सकती तो किसी की नहीं हो सकती या मैं तुम्हारा नहीं हो सकता तो किसी का नहीं हो सकता। ऐसे प्यार में जलन होती है, इगो होता है और बेवफाई भी होती है। यह प्यार कभी-कभी इतना दुःख देता है कि प्रेमी को घुटन सी महसूस होती है। इस प्यार में कभी-कभी लोग अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। कभी-कभी तो हत्या या आत्महत्या भी हो जाती है। इस प्यार का धागा बहुत कच्चा होता है और यह सबसे निचले स्तर का प्यार है। आजकल कुछ रिश्तों में भी यहीं प्यार देखने को मिलता है। क्योंकि कुछ रिश्तों में भी कई तरह के बंधन होते हैं, अपेक्षाएं होती है, अधिकार होता है। देखिए स्वतंत्रता मनुष्य का प्राकृतिक स्वभाव है लेकिन ऐसा प्रेम मनुष्य को गुलाम बनाता है। उसे कैद कर देता है। इसलिए जब हम किसी को गुलाम बनाने की कोशिश करते हैं तो वह व्यक्ति उससे निकलने की कोशिश करने लगता है। क्योंकि कोई भी आदमी किसी का गुलाम नहीं बनना चाहता। इसलिए ज्यादातर प्रेमी प्रेमिकाएं,पति-पत्नी प्यार के मामले में खाली हाथ रह जाते हैं। उनके बीच में ना तो प्यार होता है और ना विश्वास। बचती है केवल शिकवे-शिकायतें और कुछ कड़वी यादें।
unconditional love
unconditional love या true love अर्थात सच्चा प्यार। इस प्यार में कोई शर्त नहीं होती। कोई बंधन नहीं होता। इस प्यार में केवल और केवल देने का भाव रहता है लेकिन बदले में कुछ पाने की चाहत नहीं होती। इस प्यार में त्याग होता है, समर्पण होता है। यह प्यार हृदय की अनंत गहराइयों में जन्म लेता है। यह प्यार कुछ हासिल करने का नाम नहीं है बल्कि कुछ खोने का नाम है। यह प्यार लेने का नाम नहीं है बल्कि देने का नाम है। इस प्यार में कोई समझौता नहीं है। कोई शर्त नहीं है। इस प्यार में गुलामी नहीं है। स्वतंत्रता है। क्योंकि यह प्रेम प्रेमी को सारे बंधनों से मुक्त कर देता है। यह प्रेम यह नहीं कहता कि मैं जब भी बुलाऊं तो तुम्हें आना पड़ेगा। वह कहता है तुम्हारा दिल करें तो आना या मत आना। इस प्रेम में प्रेमी यह नहीं कहता कि तुम सिर्फ मेरी हो। मेरे अलावा और किसी की नहीं हो सकती। उसे इस बात की परवाह नहीं होती कि उसका प्रेमी उससे प्रेम करता है या नहीं। उसे इस बात की चिंता नहीं रहती उसका प्रेमी किसी और का ना हो जाए। वह यह नहीं कहता कि तुम मेरे अतिरिक्त किसी और की तरफ मत देखना। किसी और से बात मत करना। इस प्रेम में प्रेमी सिर्फ प्रेम करता है उसके अंदर प्रेम पाने की भी आकांक्षा नहीं रह जाती। सच्चे प्रेम में प्रेमी भले ही अलग-अलग हो लेकिन उनकी रूह एक होती है इसलिए इस प्यार में कोई जुदाई नहीं होती। इस प्यार में जितना दिया जाए उतनी ही खुशी मिलती है। इस प्रेम में प्रेमी हर हाल में अपने प्यार की खुशी चाहता है। चाहे उसके लिए उसे कितना भी दुःख क्यों ना उठाना पड़े। वह ऐसा कोई भी अनुचित कदम नहीं उठाता। जिसके कारण उसके प्यार को कष्ट उठाना पड़े। वह अपने प्यार पर अपना सर्वस्व लुटा देना चाहता है। राधा कृष्ण, मीरा और शबरी का प्रेम भी इसी कैटेगरी में आता है। इसी कैटेगरी में मां-बाप बहन-भाई और सच्ची मित्रता का प्रेम भी आता है। जब एक मित्र दुसरे मित्र से कहता है कि तू चिंता मत कर मैं हूं ना।
Spritual love
तीसरा प्रेम है, spiritual love अर्थात अध्यात्मिक प्रेम। यह प्रेम का सर्वोच्च शिखर है। यह प्रेम की सबसे शुद्धतम दशा है। ऐसा प्रेम तब उत्पन्न होता है जब प्रेम करूणा बन जाता है। इस प्रेम को परमात्मा का नाम दिया गया है। इसी प्रेम के बारे में ओशो कहते हैं, being in love यानी प्रेम ही हो जाना। यह प्रेम किसी एक के लिए नहीं होता। यह प्रेम समस्त अस्तित्व के प्रति होता है। संपूर्ण जगत के प्रति होता है। ऐसा प्रेम प्राकृति में देखने को मिलता है। जैसे- पेड़-पौधे बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी अपेक्षा के सबको अपना फुल देते है,फल देते हैं, छांव देते हैं। यहां तक की मरने के बाद अपना सुखा हुआ शरीर भी देते हैं। फुल सबके लिए अपनी खुशबू लुटाता है। दीपक खुद अंधेर में रह कर दूसरों की राहें रौशन करता है। सूरज खुद जलकर सारे जगत को रौशन करता है। पानी बिना भेदभाव के सबकी प्यास बुझाता है। यह प्रेम बड़ा ही अलौकिक और दिव्य है परंतु प्रेम के इस पथ पर चलना बड़ा ही कठिन है। कभी-कभार बुद्ध, महावीर, कबीर, ओशो और लाओत्से जैसे कुछ लोग ही होते हैं। जो इस प्रेम पथ पर चल पाते हैं। क्योंकि प्रेम की इस स्थिति तक पहुंचने के लिए मनुष्य की आत्मा शुद्ध और हृदय विशाल होना चाहिए, क्योंकि साक्षात प्रेम होने के लिए स्वयं को मिटाना पड़ता है। अपने भीतर से स्वार्थ और अहंकार को मिटाना पड़ता है। ऐसे प्रेम को उपलब्ध होने के लिए मनुष्य को त्याग और समर्पण सीखना होगा।
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