मानवता की परिभाषा क्या है?

मानवता की परिभाषा क्या है

* दुनिया में इतना दुख क्यों है ?

क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में इतना दुख क्यों है?  क्योंकि हम मनुष्यों की सोच ही छोटी है और छोटी सोच वाला मनुष्य हमेशा अपना – पराया देखता है। हमेशा सिर्फ अपने हित और दुसरों के अहित की बात सोचता है। इस तरह छोटी सोच वाला मनुष्य घृणा और जलन की आग में जल कर खुद भी दुखी रहता है और दुसरो को भी दुखी करता है। जबकि ऊँचे सोच वाले महान मनुष्य के लिए समस्त पृथ्वी उनका परिवार है और ऐसे महापुरुष उदार चरित्र के होते  है।  वे केवल अपने सुख की नही बल्कि सभी के सुख की कामना करते है। वे चाहते है कि दुनिया में कोई दुख को प्राप्त ना हो और सभी के जीवन में सुख-शांति बनी रहें।  इसी तरह प्रत्येक मनुष्य उदार चरित्र का हो जाए तो इस दुनिया से दुखों का नामोनिशान मिट जायेगा। 

*मानवता की परिभाषा| definition of humanity 

हमारे धर्मग्रंथों में भी कहा गया है कि मनुष्य को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिससे हमारे समाज में परोपकार और सहयोग की भावना पैदा हो।  जिस तरह प्रकृति अपना सब कुछ दुसरों पर न्योछावर कर देती है।  उसी प्रकार मनुष्य को भी यह सोचना  चाहिए  कि उसका जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ है और उसे  खुशी-खुशी अपना सारा जीवन मानव कल्याण में समर्पित कर देना चाहिए। हमारे इतिहास में महात्मा गांधी, महात्मा बुद्ध भगवान महावीर संत कबीर  स्वामी विवेकानंद , जैसे कई ऐसे महापुरुषों का वर्णन है।  जिन्होंने अपना सारा जीवन मानव कल्याण में अर्पण कर दिया ।  महर्षि दधीचि  ने तो देवताओं के रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग कर अपनी अस्थियां तक दान कर दी थी। जिससे इंद्र के वज्र का निर्माण हुआ और देवताओं की असुरों पर विजय हुई  ।

ईसलिए  दोंस्तो हमें भी अपना स्वार्थ त्याग कर एक दूसरे के प्रति मानवता प्रकट करके मानवता का परिचय देना चाहिए।

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