शादी से पहले sex करना सही है या गलत

शादी से पहले sex करना सही है या गलत

kya sadi se pahle sex paap hai
physical relationship

 हमारे समाज में सेक्स को लेकर इतने सारे विरोधाभासी और अव्यवहारिक मानयताएं है कि लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि क्या शादी से पहले sex करना सही है या गलत है? क्या शादी से पहले शरीरिक संबंध बनाना पाप है? इसलिए आज हम सेक्स से जुड़े तमाम सवालों पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे| 

क्या शादी से पहले संबंध बनाना पाप है?

 sex एक ऐसा विषय है। जिसके बारे में कोई भी खुल कर बात नहीं करना चाहता। खासकर भारत जैसे पुर्वी देशों में धर्म और समाज ने सेक्स को ऐसा तिलिस्म बना दिया है। जिसमें लोग बुरी तरह से उलझ कर रह गये हैं। हमारे समाज के कथित बुद्धिजीवी और धार्मिक लोग कहते हैं कि शादी से पहले सेक्स करना गलत है लेकिन नयी पीढ़ी के मानवतावादी लोग इस बात का समर्थन नहीं करते। इसी तरह हमारे समाज में शादी के बाद किसी गैर पुरुष या स्त्री से संबंध बनाना नाजायज माना जाता है लेकिन मानव अधिकार के तहत जो नये कानून बने हैं। वे कहते हैं कि हर इंसान को अपनी मर्जी से जीने का हक़ है। हमारी समाजिक व्यवस्था में सेक्स को लेकर जितने भी नियम है। वह सब विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों और उनकी प्रचलित मान्यताओं से प्रेरित हैं। जैसे हिंदू शास्त्रों के अनुसार शादी से पहले सेक्स को अनैतिक और अवैध माना जाता है। और शादी के बाद भी किसी गैर स्त्री या पुरुष से संबंध को गलत माना जाता है। इस्लाम धर्म के अनुसार भी ऐसे संबंधों को नाजायज संबंध माना जाता है। इस्लामिक देशों में तो ऐसे गुनाहों के लिए बहुत ही सख्त सजा दी जाती है। इसी प्रकार सिक्ख, ईसाई पारसी, यहूदी सहित अधिकांश संप्रदायों में इस तरह के संबंधों को अनैतिक माना जाता है। फिर भी बहुसंख्यक लोग इस समाजिक मर्यादा का उलंघन करते  हैं। जिसके परिणामस्वरूप तमाम तरह की समाजिक और परिवारिक समस्याएं खडी़ होती है। एक ताजा सर्वे के अनुसार हमारे इंडिया में 70% अपराधिक मामले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेक्स से ही जुड़े होते हैं। तो अब सवाल ये उठता है कि ये सारी बातें जानते हुए भी लोग ऐसे संबंध क्यों बनाते हैं। क्यों वे अपने लिए समस्याएं और मुसीबते खडी़ करते हैं। इसके दो कारण है। पहला कारण है, आज के अधुनिक युग का अप्राकृतिक खानपान और हमारे चारों तरफ का अश्लील माहौल। मोबाइल, टीवी, सिनेमा, अखबार, किताबें,या आप जहाँ देखते हो वहाँ आपकी अश्लीलता ही दिखाई देगी। जो आपकी कामवासना को भडकाने का काम करती है। और दुसरा कारण है कि समाज द्वारा बनाये गए ये रूढिवादी नियम ना तो तार्किक रूप स्पष्ट है और ना ही मानव के कुदरती व्यवहार के अनुकूल है।  यहीं वजह है कि अधिकांश लोग शादी से पहले ही सेक्स में उतर जाते हैं और शादी के बाद भी कथित रूप से नाजायज संबंध बनाते हैं। 

तो इसका सैल्यूशन क्या है। क्या अमेरिका की तरह हमारे देश में भी sex को खुली छूट दे देनी चाहिए। या समाज में सेक्स को लेकर नये नियम बनने चाहिए। 

 

इन सभी सवालों का जवाब देने से पहले आइए समझते हैं कि

सेक्स क्या है? और सेक्स कब और किसके साथ करना चाहिए। 

देखिए सबसे पहले तो लोगों के मन में सेक्स को लेकर कई अलग अलग तरह की धारणायें बैठी हुई है। कुछ लोग सेक्स को सुख का साधन समझते हैं। तो कुछ लोग इसे वंश वृद्धि का द्वार समझते हैं। कुछ लोग तो वैज्ञानिक दृष्टि से सेक्स को शरीर की जरूरत बताते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि ये सारी धारणाएं ही गलत है। जहाँ तक मेरा मानना है, सेक्स प्रेम की चरम अभिव्यक्ति है और इसे प्रेम के रूप में ही प्रकट होनी चाहिए। प्रेम और सेक्स में बहुत गहरा संबंध है। जब दो जीवन एक दुसरे के प्रति प्रेमपूर्वक आकषिर्त होते है तो सेक्स का भाव जगता है। जब दो जीवों के हदय में एक दुसरे के लिए प्रेम उत्पन्न होता है तो दोनों तन मन और आत्मा से मिलकर एक हो जाना चाहते हैं और इसी प्रक्रिया में सेक्स घटित होता है। और सही मायनों में प्रेम इसी स्थिति में सेक्स प्रकट होना चाहिए। सेक्स का यही सबसे स्वस्थ रूप है। इसी स्थिति में सेक्स का चरम सुख और संतुष्टी भी प्राप्त होता है। और सेक्स के इस रूप से जो संतान उत्पन्न होती है। वही संतान संसार में तेजस्वी और विवेकशील इंसान बन पाता है। वरना जो लोग केवल वंश वृद्धि के लिए सेक्स में उतरते है। वे तो केवल पृथ्वी का बोझ बढ़ा रहे हैं। इसी सोच की वजह से पिछले 100 वर्षों में दुनिया की अबादी चौगुनी रफ्तार से बढी है। और जो लोग सेक्स को सेक्स को सुख का साधन समझते हैं उनको बता दूँ कि वे कभी भी सेक्स के संपुर्ण आनंद और संतुष्टी को प्राप्त नहीं कर सकते। ऐसे लोगों के लिए सेक्स नरक का एक दलदल है। जिससे वे कभी बाहर नहीं निकल सकते। ऐसे लोग जो सेक्स को मजा समझते हैं। उन्हें इसकी सजा भुगत ही पडती है। इसी मजा की सजा तो आज सारी दुनिया भुगत रही है।

शादी से पहले physical relationship कितना सही है?

देखिए मुझे नहीं पता कि आपने सेक्स के बारे में क्या धारणा बना रखी है लेकिन मेरी समझ में सेक्स प्रेम की स्थिति में ही होनी चाहिए। अगर इस स्थिति में सेक्स होता है तो उसमें कुछ में पाप नहीं है। चाहे वह शादी से पहले हो या शादी के बाद। तो अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या शादी से पहले सेक्स करना पाप नहीं है? तो मेरा जवाब है , नहीं। शादी से पहले सेक्स में कुछ भी पाप नहीं है बशर्ते जब दो लोगों के बीच वासना रहित निश्छल और निस्वार्थ प्रेम हो। यानी केवल हवस पूर्ति के लिए जान बुझ कर प्रेम का नाटक ना किया गया हो। मैं जानता हूँ कि समाजवादी लोगों को मेरी बातें पसंद नहीं आयेंगी। फिर भी मै अपने विचारों से पीछे नहीं हटूंगा क्योंकि मेरे लिए समाज नहीं सत्य महत्वपूर्ण है।

 

सच्चा प्यार किसे कहते हैं। What is true love

 हालांकि मैं समाजिक व्यवस्था को भी पूरी तरह से गलत नहीं कहूंगा क्योकि आजकल सच्चा प्रेम है कहां। आजकल तो 99% लोग प्रेम के नाम पर शरीरिक शोषण करते हैं। आजकल तो प्रेम के नाम पर केवल वासना का खेल ही चल रहा है। इसलिए समाजिक व्यवस्था भी कुछ हद तक सही है। अगर यह व्यवस्था ना हो तो लोग पता नहीं किस हद तक गिर जायेगे। लेकिन समाज की इस व्यवस्था बहुत सी खामियां है। जैसे समाज में विवाह की व्यवस्था मेरी समझ से बिलकुल परे है। जब दो लोगों के बीच प्रेम होता है तो समाज उन्हें शादी यानी sex करने की इजाजत नहीं देता और जो दो लोग एक दुसरे को जानते भी नहीं है, जिनके बीच प्रेम भी नहीं है, उन्हें अपनी मरजी एक साथ भेज देता है कि जाओ जितना मरजी उतना sex करो। जबकि हमारे हिन्दू शास्रों में भी गंधर्व विवाह का उल्लेख है। गंधर्व विवाह का अर्थ है कि जब दो प्रेमी विवाह करना चाहते हो तो उनका विवाह करा देना चाहिए। लेकिन समाज के लोग चाहते हैं कि लोग प्रेम भी परिवार की मरजी से करे। वरना उनकी ईज्जत खराब हो जायेगी।

 

 अब आप खुद ही सोचो कि प्रेम जबरदस्ती करने की चीज है। इसलिए तो 90% लोग अपने वैवाहिक जीवन से खुश और संतुष्ट नहीं होते। क्योंकि जैसा कि मैंने पहले भी बताया है कि सेक्स प्रेम की ही अभिव्यक्ति है। इसे प्रेम के बीच ही घटित होना चाहिए। और प्रेम जानबूझकर कर जबरदस्ती नहीं किया जा सकता इसलिए अधिकांश वैवाहिक संबंधों में ना तो प्रेम होता है और ना ही सेक्स का चरम सुख और संतुष्टी ही मिल पाती है। अब लोग लोक लाज और समाज के डर से इस बात को स्वीकार ना करे तो अगर बात है। शादी के बाद परिवार समाज, बच्चे जिम्मेदारीयां, कर्तव्य, नैतिकता और भी बहुत सारी जवाबदारीयां हो जाती है इसलिए अधिकांश लोग हालातों से समझौता कर लेते हैं। फिर भी कुछ लोग शादी के बाद भी किसी गैर स्त्री या पुरुष से संबंध बना लेते हैं। जिसे समाज नाजायज संबंध कहता है। दरअसल वह हमारी समाजिक व्यवस्था का ही दुष्परिणाम हैं।  और सच कहे तो इसमें उनकी भी कोई गलती नही होती। क्योंकि प्रेम इंसान की मुलभुत आवश्यकताओं में से एक है। जब किसी पति पत्नी को एक दुसरे से प्रेम नहीं मिलता तभी वे दुसरी जगह प्रेम की तलाश करते हैं। 

प्यार करना सही है या गलत, love is right or wrong in hindi

क्या शादी के बाद अवैध शारीरिक संबंध बनाना गलत है?

अब आपके मन में ये भी सवाल उठ रहा होगा कि तो क्या शादी के बाद किसी गैर स्त्री पुरुष से संबंध रखना गलत नहीं है। तो मेरा जवाब है कि नहीं है लेकिन अपने साथी को धोखा देना जरूर गलत है। अगर शादी के बाद भी आपको किसी गैर स्त्री या पुरुष से प्रेम हो जाता है तो आपको अपने जीवन साथी के साथ ईमानदारी दिखानी चाहिए और उसको भी पूरी आजादी मिलनी चाहिए। अगर आपको अपने पति या पत्नी से प्रेम नहीं हो रहा है तो परिवारिक कलह से अच्छा आपका आपसी सहमति से अलग हो जाना ही बेहतर है। हालांकि इस प्रकार के मामलों में बहुत सी जटिलताएं होती है। बच्चों का भविष्य, आर्थिक निर्भरता और एक दूसरे की भावनाओं का आदर भी करना चाहिए ।

 

 आखिर में जो वैज्ञानिक सोच वाले लोग सेक्स को शरीर की जरूरत समझते हैं। उनको भी बता दे कि सेक्स शरीर की जरूरत नहीं है बल्कि मन की कामवासना है। और मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि कामवासना बुरी चीज़ है। सभी जीवों की तरह इंसानों में भी कुदरती रूप से कामवासना होती है। और ओपोजीट सेक्स को देखकर उसका एकटिव होना स्वाभाविक है। लेकिन यह कामवासना बाहर तभी प्रकट होती है। जब आप उस पर ध्यान देते हैं। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मन में दुख, खुशी और भय जैसे विचार उठते हैं। जब आपके मन में कोई भावना या विचार उठता है तो आपके शरीर में कुछ हार्मोन रिलीज होते हैं। फिर आपका शरीर उस पर प्रतिक्रिया के रूप में उस विचार को बाहर प्रकट करने लगता है।

 

 उदाहरण के लिए जब आपके मन में भय का विचार उठता है तो आपके शरीर में androline नामक हार्मोन रिलीज होने लगता है। इसी वजह से आपकी धडकन तेज हो जाती है। रोये खड़े हो जाते हैं। इसी तरह जब आपके मन में सेकस का विचार उतपन्न होता है तो आपके शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन रिलीज होता है। जिसकी वजह से से आपके शरीर में उतेजना होने लगती है। परंतु यह क्षणिक तौर पर होता है। अगर आप उस पर ध्यान केंद्रित नहीं करेंगे तो कुछ ही मिनटों में उस हारमोन का इफेक्ट खत्म हो जाता है। मेन बात ध्यान और संयम का है। अगर आप ध्यान और संयम से अपने चंचल मन को काबू कर ले तो सेकस कभी भी आपके लिए समस्या पैदा नहीं कर सकता। लेकिन अगर आप अपने चंचल मन के गुलाम हो।  तो याद रखो कि आपका मन आपको बर्बाद कर देगा। क्योंकि आप अपने मन की कामवासना को तृप्त करने की चाहे कितना भी कोशिश कर लो लेकिन मन कभी भरेगा ही नहीं। इसलिए अपना ध्यान sex से हटा कर अपने लक्ष्य पर केंद्रित करो। फिर आपके मन में सेक्स को लेकर कोई सवाल भी नहीं उठेगा। 

तो दोस्तों आशा करते हैं कि sex के विषय में अब आपकी सारी कंफ्यूज दुर हो गई होगी। फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। दोंस्तो ये लेख आपको कैसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बताये और अगर अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें। हमारे साथ जुड़ने के लिए हमें FacebookInstagram  pintrest   linkedin पर फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।  

Leave a Comment