क्रोध {anger} एक ऐसा मनोभाव है । जिसे हम चाहे कितना भी नियंत्रित कर ले लेकिन वह कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में हमारे जीवन में शामिल हो ही जाता है । हमारी दैनिक जिंदगी में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है कि हम चाह कर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नही कर पाते। इसलिए हम इस आर्टिकल में 3 पावरफुल anger management tips बतायेंगे। जिससे आप अपने गुस्से को सही दिशा में उपयोग करके अपने ताकत, ऐनर्जी, और फोकस को 4 x गुना ज्यादा बढ़ा सकते हैै।
गुस्से का वैज्ञानिक कारण
क्रोध एक ऐसा मनोभाव है । जिसे हम चाहे कितना भी नियंत्रित कर ले लेकिन वह कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में हमारे जीवन में शामिल हो ही जाता है । हमारी दैनिक जिंदगी में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है कि हम चाह कर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नही कर पाते । अब हमारे साथ कुछ गलत हो रहा हो तो गुस्सा आना तो स्वाभाविक है, इसलिए हम चाहे कुछ भी कर ले लेकिन सच्चाई यही है कि आज के समय में गुस्से के प्रभाव से बच पाना किसी भी मनुष्य के लिए संभव नही है । क्रोध के प्रकोप से देवता और ॠषि-मुनि भी नही बच पाये है फिर हम तो साधारण मनुष्य हैं । आपने पुराण और धर्मग्रंथों मेंं देेेवताओं और ॠषि-मुनियों के क्रोध की कई कथायें भी सुना रखी होंगी, इसलिए दरअसल गुस्से के वक्त हमारे शरीर में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल नामक हार्मोन का अत्यधिक मात्रा में रिसाव होता है। कभी कभी सेरोटोनिन हार्मोन की कमी भी गुस्से की भावनाओं को बढ़ा सकती है. जिसके कारण छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है। और हमारी सोचने-समझने की क्षमता का नाश होने लगता है। गुस्से के दौरान हमारी सांस तेज हो जाती है और चेहरा लाल हो जाता है।इस दौरान हमारी शारीरिक ताकत भी सामान्य के मुकाबले बढ़ जाती है।
क्रोध के दुष्परिणाम
मनुष्य को क्रोध क्यों आता है ?
मनुष्य को क्रोध मुख्यतः दो कारणों से आती है। पहला हम जो चाहते हैं वह नहीं होता और दुसरा हम जो नहीं चाहते हैं वह हो जाता है। तो अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए हमें अपने विवेक और तर्कबुद्धि से अपने गुस्से के कारण को समझना होगा। हमें अपने मन का अन्वेषण करना होगा। हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि यह सृष्टि प्राकृति के नियमों से चलती है। हमारे कहें अनुसार नहीं। ऐसा कभी नही होगा कि हम जो चाहे वो हो जाये और हम जो चाहे वह ना हो। इसलिए इस बात के लिए गुस्सा करना बेवकुफी से ज्यादा कुछ नहीं है। इसलिए जब भी गुस्सा आने लगे तो होशपूर्वक अपने मन में उठते विचारों को देखें और अन्वेषण करें कि आपको गुस्सा क्यों आ रहा है। खुद से सवाल करें कि क्या मेरा गुस्सा उचित है?
गुस्से को तुरंत कम करने का एक रामबाण उपाय है। जब भी गुस्सा आने लगे अपना ध्यान अपनी आती जाती सांसों पर केन्द्रित करने की कोशिश करें।
गुस्से के प्रभाव को कम करने का दुसरा उपाय है कि घटनास्थल से हट जाएं। जिस व्यक्ति पर गुस्सा आ रहा है अथवा जो व्यक्ति आप पर गुस्सा कर रहा है। उसके सामने से हट जाएं। स्थिति तुरंत काबू में आ जायेगी।
फिर भी यदि आप अपने गुस्से को नियंत्रित नही कर पा रहे है तो हम एक ऐसा उपाय बताने वाले हैं, जिनसे आप अपने गुस्से को रूपांतरित करके अपने गुस्से का लाभ उठा सकते है । जी हाँ आपने ठीक पढ़ा गुस्से के अगर नुकसान होते है तो कुछ लाभ भी होते है । आप अपने गुस्से का सही उपयोग करके अपने और अपने जीवन को बेहतर बना सकते है ।
3 पावरफुल anger management tips
1. क्रोध को पालना सीखों
प्राकृति का एक अटल सिद्धांत है कि हर चीज के दो पहलू होते है, सकारात्मक पहलू और नकारात्मक पहलू । जैसे आग हमारे जीवन के लिए जितना उपयोगी भी है उतना खतरनाक भी है । जल ही जीवन है लेकिन कभी-कभी यही जल मनुष्य का मौत भी बन जाता है । इसी तरह गुस्से के भी लाभ और नुकसान दोनों होते है । अगर हम अपने गुस्से का उपयोग सही वक्त पर और सही जगह पर करें तो हम असंभव को भी संभव बना सकते है । हमारे इतिहास में ऐसे कई महापुरुष है जिन्होंने अपने गुस्से का सही इस्तेमाल कर के इतिहास के पन्नो पर सुनहरे अक्षरों से अपना नाम लिख दिया । यहाँ मैं आपको समझाने के लिए कुछ उदाहरण देना चाहूँगा ।
● दशरथ मांझी का नाम तो सुना होगा । उनकी आँखो के सामने उनकी पत्नी की मौत हो गई, मगर वे उनको अस्पताल नही ले जा सके क्योंकि उनके गाँव के एक पहाड़ की वजह से शहर का पाँच किलोमीटर का रास्ता तीस किलोमीटर घुम कर जाना पड़ता था । उनको पहाड़ पर बहुत गुस्सा आया । उन्होंने ठान लिया कि मैं इस पहाड़ को काट कर रास्ता बना दूंगा । फिर क्या था गुस्से में छेनी-हठौडा लेकर लग गए काटने में, और 22 सालों तक अथक परिश्रम के बाद अकेले पहाड़ को काट कर रास्ता बना दिया ।
● मिल्खा सिंह जिनके मां-बाप को उनके आँखो के सामने ही कत्ल कर दिया गया । उसी दृश्य को याद करते ही उनके सीने में गुस्से की आग धधकते लगती थी । जब भी उनको गुस्सा आता, वे पागलों की भांति दौड़ने लगते थे । अपने गुस्से की ताकत की वजह से उन्होंने एथलेटिक्स में विश्व रिकार्ड बना दिया । भारत में उन्हे उड़ता हुआ सिक्ख कहा जाता है ।
● महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में रेलयात्रा के दौरान अंग्रेजों ने उनके सामान सहित उनको प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर फेंक दिया । गाँधी जी ने उनसे कुछ नही कहा ।
बस चुपचाप जाकर दृतीय श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए, परंतु उन्होंने उसी समय सोच लिया कि तुमलोगों ने मुझे रेलगाड़ी से बाहर फेंका है । मैं तुमलोगों को एक दिन हिन्दुस्तान से बाहर फेंक कर रहूंगा । ऐसे और भी कई महापुरुष है जिन्होंने अपने गुस्से को अपनी ताकत बना दिया ।
2. गुस्से को बनाए अपनी ताकत
3, गुस्सा करना भी जरूरी है
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धन्यवाद