एक गरीब लड़के की सच्ची प्रेम कहानी – love story in hindi

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“ क्या हुआ दीपक ” अभी तक तैयार नहीं हुए क्या ” बाबूजी बरामदे से थोड़ा चिल्लाते हुए बोले। ये आजकल के लड़के भी ना लड़कियों की तरह श्रृंगार करते हैं “ कोई जवाब ना पाकर बाबूजी बड़बड़ाते हुए बरामदे में लगी तख्त पर बैठ गये। बाबूजी को बैंक से पैसे निकाले थे। आईने के सामने खड़ा दीपक मुस्कुराते हुए जल्दी जल्दी अपने बाल संवारने लगा।

चलिए” जल्दी जल्दी body spray मार कर बाहर निकलते हुये बोला। बाबूजी नाराजगी से उसे घूरते हुए तख्त से उठ खड़े हुए। दीपक ने बाइक start की तो बाबूजी नाक को हाथ ढकते हुए उसके पीछे बैठ गये। पुराने जमाने के आदमी ठहरे body spray की खुशबू उन्हें बिल्कुल भी नहीं भा रही थी।

थोड़ी ही देर मे वे पंजाब नेशनल बैंक के नीचे खड़े थे। बैंक मे बाबूजी को छोड़ कर वह चाय पीने के नीचे आ गया।

“आंटी एक चाय देना।”

चाय का आर्डर दे कर वह instagram स्क्रॉल करने लगा। तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी।

“हेलो!”

वह चाय का कप होंठों से लगाते हुए बोला।

उधर से कोई आवाज नही आई।

“हेल्लौ, हेल्लौ!”

उधर से कोई आवाज़ नही आई तो वह झुंझला गया।

“हेल्लौ!”

उसके तीन बार बोलने के बाद उधर से एक लड़की की धीमी सी आवाज़ आई।

“कौन?”

आप कौन बोल रही हो?”

उधर से कोई जवाब न पाकर दीपक ने दोहराया।

“आप मुझे नही पहचानते?”

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‘रिया!”

नम्बर तो नया था लेकिन अबकी बार दीपक आवाज़ से पहचान गया?

“इतनी जल्दी भूल गये मुझे!”

“भूलने की बात मत करो, कौन किसको भूल गया यह आप भी जानती हो।”

दीपक को पुराने जख्म याद आ गये।

“अच्छा मै गुस्से में बोल दिया कि भूल जाओ तो भूल गए। क्या हमारा प्यार इतना कच्चा था। जो इतनी जल्दी टुट गया।”

रिया की अवाज़ मे दर्द था।

“गलती आपकी है, क्या कहा था आपने, आज से हमारा रिश्ता खत्म हो गया।”

“हाँ कहा था, आपने काम ही ऐसा किया था।”

“क्या गलत काम कर दिया था मैने!”

दीपक ने सवाल किया।

“आपको क्या जरूरत थी उस घटिया आदमी से कुछ बताने की। आप जानते है उसके बारे में। उसकी बुरी नजर हमारे ऊपर बहुत दिन से थी। एक बार होली मे उसने हमारे गालो मे रंग मल दिया था तो मैंने गुस्से मे उसको बुरा बोल दिया था। उसी की दुश्मनी उसने निकली है। वह जीजा नही मेरा दुश्मन है।”

 

“अब मुझे क्या पता था कि वह कुत्ता ऐसा ही करेगा। उसने तो कहा था कि वह हमारा सपोर्ट करेगा। इसलिए मैंने उसे दोस्त समझ कर सब कुछ बता दिया था। लेकिन उसने मुझे सिखा दिया कि जिंदगी के सबसे कड़वे सबक अक्सर मीठा बोलने वाले लोगों से ही मिलते हैं।”

दीपक की आवाज अफसोस और दुख दोनों उभर आये।

“हां, आपको सबक तो मिल गया लेकिन किस कीमत पर”

रिया ने व्यंग्य किया।

“ख़ैर छोड़ो! जो होना था वो तो हो गया। और बताओ, कैसी हो? इतने दिनों के बाद मेरी याद कैसे आ गई।”

दीपक पुराने जख्मों को कुरेदना नहीं चाहता था।

 

“इतने दिनों बाद, आपको पता भी है कि पिछले आठ सालों में मेरे ऊपर क्या बीती है। कितने दर्द से गुजरी हूं। आपको पता है। कोई भी दिन ऐसा नहीं होगा कि आपको याद करके ना रोई ।”

रिया के सब्र का बांध टूट गया और वो रोने लगी।

दीपक ने रोकने की कोशिश नहीं की। उसे रोने दिया।

एक गरीब की सच्ची प्रेम कहानी

 

आंसू एक दुखी इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं और दर्द की सबसे अच्छी दवा भी। आंसुओं के साथ दिल का दर्द भी निकल जाता है और दिल का बोझ कुछ हल्का हो जाता है। चाय खत्म हो चुकी थी और वह आंटी को चाय के पैसे दे कर उठ गया। बाबूजी का काम शायद अभी नहीं हुआ था इसलिए वह वहां से उठ कर सामने एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय के निजी उद्यान में आ गया। जहां हरी घास की छोटी सी चादर बिछी हुई थी।

“हेलो!”

वह दूब की घास पर बैठते हुए बोला।

“हां “

अब तक रिया भी संभल चुकी थी।

“ठीक तो हो ना।”

दीपक ने नरमी से पूछा।

“इतने दिनो मे क्या आपको एक बार भी मेरी याद नही आई।”

रिया शिकायत कर रही थी।

“आती थी, बहुत आती थी लेकिन बीच मे एगो आ जाती थी। आपने बात ही ऐसी बोली थी कि किसी का भी दिल टूट सकता है। और आपके घर वालों ने बाबूजी की कितनी बेइज्जती की थी। यही सारी बातें याद करके गुस्सा आ जाता था।”

“ठीक तो हो ना।”

काफी देर तक उधर से आवाज नही आई तो दीपक ने दोहराया।

“क्या ठीक हो, मेरी ज़िंदगी तबाह हो गई। टेंशन की वजह से मैं दसवीं के एक्जाम में फेल हो गई।‌ उसके बाद मैं कालेज छोड़कर घर बैठ गई। सोचते सोचते मैं पागल हो गई। मुझे माइग्रेन की बिमारी हो गई। अभी भी हर महीने दवा लेने मुझे पटना जाना पड़ता है। और क्या क्या बताऊं कितने दर्द और तकलीफ से गुज़री हूं। मैं ही जानती हूं। आप तो शादी करके बीबी के साथ ऐश कर रहे हैं। और मैंने आपकी वजह से आज तक शादी नहीं की है।”

रिया का एक एक लफ्ज़ दर्द में डूबा हुआ था।

“शादी की नहीं, करनी पड़ी, बाबूजी से वादा किया था कि अगर आपके घरवाले शादी के लिए तैयार नहीं होंगे तो आप जैसा कहोगे। वैसा करेंगे। तभी वे आपके दरवाजे पर रिश्ता लेकर जाने को तैयार हुए थे। फिर भी मैं शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। आपको पता है शादी से एक दिन पहले मैं पूरी रात श्मशान में सोया हुआ था। मोबाइल स्विच ऑफ करके। घरवाले रात भर ढूंढते रहे और मैं रात भर प्रार्थना करता रहा कि काश कहीं से मौत आये और गले लगा ले। लेकिन ऐसी मेरी खुशनसीबी कहां। मुझे तो अभी बहुत कुछ सहना बाकी था। खानदान की इज्जत, मां बाप की मजबूरी, समाज के रीति-रिवाज बहुत कुछ देखना पड़ता है। परिवार और रिश्तेदारों के दबाव में आकर मुझे शादी करनी पड़ी। कुछ वादे निभाने के लिए कुछ वादे तोड़ने पड़ते हैं।”

दीपक एक सांस में पूरी कहानी कह गया।

 

एक गरीब लड़के की सच्ची प्रेम कहानी – true sad love story in hindi, part-1

 

“लेकिन आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की।

दीपक को हैरत हुई।

“आपकी यादों से छुटकारा मिले तब ना।”

रिया ने डुबती हुए आवाज में कहा।

“ख़ैर मेरी छोड़िए, आप कैसे हैं और आपकी वाइफ कैसी है।

कुछ देर की खामोशी के बाद उधर से गम में डूबी हुई आवाज आई।”

“अच्छी है और मेरी वाइफ भी बहुत अच्छी है। शुरू शुरू में काफी दिनों तक मैंने उसे इग्नोर किया। उसके प्रति बहुत ही लापरवाही से पेश आता रहा। लेकिन उसकी मासूमियत और साफ दिल मिजाज ने मेरा दिल जीत लिया। आखिर उस बेचारी का क्या कसूर है। एक लड़की जो अपने परिवार को छोड़कर कर किसी गैर इंसान का हाथ थामती है। किसी अनजान इंसान पर भरोसा करके उसे अपना तन मन सौंप देती है। उस लड़की के साथ बुरा बर्ताव करना। बहुत बड़ा पाप होगा।”

दीपक मखमली घास पर करवट लेते हुए बोला।

“वह हमारे बारे में जानती है।”

रिया ने उत्सुकता से पूछा

हां, मैंने उसे सुहागरात के दिन ही बता दिया था कि हम एक लड़की से प्यार करते हैं और ये शादी हमारी मर्जी से नहीं हुई है। तुम चाहो तो हम अभी से भी तुम्हें आजाद कर सकते हैं।”

दीपक ने बताया।

“क्या कहा उसने “

“कुछ नहीं।” लेकिन वह थोड़ा निराश जरूर हुई थी।

दीपक उठते हुए बोला।

उसने बाबूजी को बैंक के गेट से निकलते हुए देख लिया था।

“मुझे आपको एक बात बतानी है।”

रिया ने धीरे से कहा।

“रिया, अभी मुझे जाना होगा बाबूजी आ गये है। रात में बात करते हैं। ओके।”

“ठीक है।

रिया ने फोन रख दिया।

“बहुत टाइम लग गया।”

दीपक बाइक के इ्ग्नीवेशन में चाबी डालते हुए कहा।

“हां, आज सोमवार है ना इसलिए। सोमवार को बहुत भीड़ होती हैं। मार्केट की तरह चलना। कुछ सामान लेना है।”

बाबूजी पीछे बैठते हुए बोले।

“ठीक है।”

दीपक ने बाईक स्टार्ट की और आगे बढ़ गया।

 

एक गरीब की सच्ची प्रेम कहानी

 

आज दिन भर वह इसी उलझन में पड़ा रहा कि क्या बताना चाहती थी। और साथ ही रिया के दर्द को महसूस करके पछतावा भी करता रहा। आठ साल तक उसने मेरी वजह से शादी नहीं की और अकेले ही इतनी सारी मुसीबतों को झेलती रही। शायद मुझे इतनी जल्दी हार नहीं मानना चाहिए था। शायद मुझे उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था। यह सोच कर उसका मन भारी हो गया।

सब कुछ कितना अच्छा चल रहा था। रिया के घरवाले हमसे कितना प्यार करते थे। सब लोग कितने खुश थे लेकिन अचानक ही एक तुफान आया और सब कुछ तबाह करके चला गया। ये किस्मत भी पता नहीं क्या क्या खेल खेलती है।

काश रिया ने लेटर को बिस्तर के नीचे ना रखा होता। काश वह लेटर उसके पापा को ना मिला होता।

काश! जिंदगी एक बार फिर गुज़रे वक्त में जाने का अवसर देती तो वह सब कुछ वापस से ठीक कर देता। दिन भर वह ऐसे ही पता नहीं क्या क्या सोचता रहा।

जब इंसान को लगे कि उसकी जिंदगी तबाह हो गई है। जब लगे कि किस्मत ने उसके साथ बहुत बूरा किया है तो भगवद्गीता की एक लाईन उसे बड़ा सुकून देती है।

“जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। बस यहीं लाईन दीपक के लिए डूबते को तिनके का सहारा साबित हुई थी। जिसने दीपक की डूबती हुई कश्ती को थाम रखा था। इंसान चाहे कितना भी बुद्धिमान हो लेकिन वह उस सर्वशक्तिमान, सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमत्ता से ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकता। जो इस समूची सृष्टि को संचालित कर रही है। आपके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है। वह आपसे बेहतर जानती है। वह आपके लिए जो निर्णय करती हैं। वहीं आपके लिए सर्वश्रेष्ठ निर्णय होता है। उसी सर्वशक्तिमान बुद्धिमत्ता पर यकीन करके दीपक जिंदगी के हिला देने वाली तूफ़ानों में भी एक खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी जी रहा था।

“हेलो रिया!”

प्रतिदिन शाम को खेतों की तरफ घुमने आता था। मोबाइल कान से लगा कर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया।

“हां बोलिए।”

उधर से रिया आवाज आई।

“आप क्या बताने को बोल रही थी।”

दीपक ने बेचैनी से पूछा।

“मैं शादी कर रही हूं।”

रिया की शांत सधी हुई आवाज आई।

“अच्छा तो लगता है कि कोई पसंद आ गया है।”

पता नहीं क्यों दीपक की आवाज में जैलसी उभर आई।

 

एक गरीब लड़के की दिल को छू लेने वाली दर्द भरी real love story 💔 part 2

“हां! हमारे नजदीक के ही एक आदमी हैं। वे हमें पसंद करते हैं और उन्होंने ही मम्मी पापा से हमारी शादी की बात की है। वे बहुत अच्छे इंसान हैं। पता है, पिछले साल मेरे भतीजे की सांप के काटने से मौत हो गई थी तो उन्होंने हमारी बहुत हेल्प की थी। पुरे दिन वह हमारे भतीजे को लेकर मम्मी पापा के साथ अस्पतालों के चक्कर लगाने रहे और पूरी हमारे परिवार के साथ रहे, उन्हें समझाते रहे, उन्हें सांत्वना देते रहे। दुःख की उस कठिन घड़ी में उन्होंने हमारा बहुत साथ दिया था। मम्मी पापा तो उन्हें बहुत पसंद करते हैं।”

रिया की आवाज में उस आदमी के लिए बहुत इज्जत झलक रही थी।

“और आप भी।”

दीपक का लहजा सख्त हो उठा।

“हां शायद’ आपके बाद पहली बार कोई पसंद आया है। सच में वे बहुत अच्छे इंसान हैं।”

रिया बता रही थी लेकिन दीपक को उसकी आवाज बहुत दूर से आती हुई महसूस हो रही थी।

इंसान चाहे हर चीज बर्दाश्त कर सकता है लेकिन अपनी मोहब्बत को किसी और के साथ देखना कभी पसंद नहीं कर सकता। दीपक स्वभाव से बहुत ही नरम दिल और नेक इंसान था। लेकिन पता नहीं क्यों उसे उस इंसान से जलन महसूस हो रही थी।

“और बहुत अमीर भी होगा। हम लोग तो गरीब थे इसलिए आपके मम्मी पापा को पसंद नहीं आये।”

दीपक ने व्यंग्य किया।

“अब तुम उसकी बाहों में होगी। वह तुम्हें चुमेगा। तुम्हें प्यार करेगा।”

अपने स्वभाव के विपरीत वह कठोरता से बोला।

काफी देर तक दोनों तरफ खामोशी छाई रही।

“कोई बात नही, आप कर लो उससे शादी। आखिर कब तक अकेली रहोगी। आपकी भी ख्वाहिशें होगी, अरमान होंगे।”

दीपक खामोशी को तोड़ते हुए बोला।

“कब है शादी।”

दीपक ने नरमी से पुछा।

अब तक वह खुद को संभाल चुका था।

 

love story hindi | दिल को छू लेने वाली दर्द भरी सच्ची प्रेम कहानी-part 3

“इसी महीने की 18 तारीख को।”

रिया ने धीरे से बताया।

“आप नहीं आओगे।”

वह पूछ रही थी।

“नहीं रिया! मैं नहीं आ पाऊंगा।” घरवालों में से कोई चला जायेगा।”

“ठीक है, रखते हैं। आपको शादी की बहुत बहुत शुभकामनाएं। खुश रहना और अपना ख्याल रखना। ठीक है।”

दीपक ने उसे शादी की मुबारकबाद दी।

“ठीक है।”

ओके बाय।

कॉल डिस्कनेक्ट हो गया।

प्यार की कहानियां अधूरी इसलिए रह जाती है क्योंकि शायद उसके अधूरेपन में ही उसकी होती खूबसूरती है। उसका पूरा ना होना ही ज्यादा बेहतर होता है। क्योंकि इंसान की फितरत है कि जो चीज ना मिले उसकी चाहत करता है और जो चीज मिल जाती हैं। उससे उब जाता है। इसलिए मुझे लगता है कि जो होता है अच्छा ही होता है।

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