क्या प्यार सच में अंधा होता है ?| Is love really blind?

प्यार अंधा होता है। प्यार इंसान को अंधा बना देता है। आपने कई बार इस लाइन को पढ़ा और सुना होगा। लेकिन क्या प्यार सच में अंधा होता है ?| Is love really blind? आइये जानते है…

Is love really blind?|क्या प्यार अंधा होता है ?

प्यार अंधा होता है। मैं इसे बिल्कुल नहीं मानता। क्योंकि जहां तक मेरी सोच है। प्रेम अंधा नहीं होता। प्रेम अंधा हो ही नहीं सकता, क्योंकि प्रेम तो एक दिव्य ज्योति है जो इंसान को अंधकार से प्रकाश की ओर ले कर जाती है। प्रेम की आंखों में इतनी रोशनी है कि वह एक अंधे को भी रास्ता दिखा सकती है। प्रेम एक भटके हुए इंसान को रास्ता दिखाती है। साधारण आंखों से केवल बाहरी वस्तुएं ही दिखाई पड़ती है। परंतु प्रेम की आंखोंं से आप किसी इंसान के मन और उसकी आत्माा को भी देख सकते हैं। फिर प्रेम अंधा कैसे हो सकता है।

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प्रेम की आंखें होती हैं

महाभारत में भगवान श्री कृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा जा रहे थे। तो राधा ने कहा- आप हमें छोड़ कर जा रहे हो, हम सब कैसे जिएंगे भगवान श्रीकृष्ण बोले- मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जा रहा। मैं हमेशा तुम्हारे पास ही रहूंगा। अगर हमें देखना हो तो प्रेम की दृष्टि से देखना हम तुम्हें गोकुल की हर वस्तु में नजर आएंगे। प्रेम की आंखों से तो मंदिर के पत्थर में भी भगवान नजर आते हैं। प्रेम की आंखों से पत्नी को अपने पति में परमेश्वर नजर आते हैं प्रेम अगर सच्चा हो तो वह अपने प्रेमी का गुण और मन देखती हैै और प्रेम झूठा भी हो तो‌‌‌ भी वह अपने प्रेमी की सुंदरता, धन और पद देखता है, और दोनों ही सूरतों में प्रेम अंधा नहीं होता। और जो प्रेम अंधा होता है वह प्रेम नहीं हो ही सकता। प्रेम को लोग शायद इसलिए अंधा समझते हैं क्योंकि प्रेम अमीर-गरीब  जात-बिरादरी और रंग-रूप नहीं देखता। किन्तु यहां मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहूंगा। जरा सोचिए किसी को किसी से प्रेम कब होता है। प्रेम तब होता है जब कोई आपको अच्छा लगता है और कोई आपको तभी अच्छा लगता है जब उसके अंदर‌ आपको कोई अच्छाई दिखती है। प्रेमी को अपने प्रेमी में कुछ ना कुुछ तो खास बात दिखती हैं जो उसे पसंद होता है।‌‌‌

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प्यार अंधा नहीं हवस अंधी होती है

दरअसल आजकल लोगों को प्रेम के विषय में ज्ञान ही नहीं है। वे या तो दूसरे के द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करते हैं। या उनके दी गई व्याख्या को सच मान लेते हैं। परंतु वास्तव में प्रेम अंधा नहीं होता। बल्कि अंधे प्रेम को ना समझने वाले  लोग होते हैं। जो किसी की खूबसूरती देखकर उसे पाने की चाहत को प्रेम कहते हैं। किसी राह चलती लड़की को आई लव यू कहना प्रेम समझते हैं। जो प्यार के बदले प्यार पाने की चाहत रखते हैं और इस चाहत में वे किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं और जब उनको प्यार के बदले प्यार नहीं मिलता तो जोर जबरदस्ती पर उतर आते हैं। यहीं अंधी सोच वाले लोग अपने
प्रेमी के इज्जत से खिलवाड़ करते हैं। यहीं अंधी सोच वाले लोग अपने प्यार के खूबसूरत चेहरे पर तेजाब डाल देते हैं। ऐसे ही प्यार के अंधे लोग अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ मिलकर अपने पति या पत्नी की हत्या कर देते हैं। प्यार तो जीवन देता है फिर ये कैसा प्यार है जो जीवन लेता है। दरअसल ये प्यार के अंधे नहीं बल्कि हवस के अंधे होते हैं। अब ऐसे लोगों के लिए प्यार अंधा है तो अंधा ही सही।

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