दोस्तों, हम सब की जिंदगी में बहुत सारे जरूरी काम है। सुबह उठना, बाथरूम जाना, ब्रश करना, भोजन करना, ऑफिस जाना, पैसा कमाना, पढ़ना, लिखना और भी बहुत सारे जरूरी काम है लेकिन इन सब के बीच एक चीज हम बिल्कुल भूल ही जाते हैं और वह है ध्यान। जो मुझे लगता है कि इन सब चीजों से ज्यादा जरूरी है। आप में से कुछ लोग ये भी सोच रहे होंगे कि ध्यान करके मुझे मिलेगा क्या। तो आज मै आप को ध्यान करने के इतने फायदे बताऊंगा कि आप आज से ही ध्यान करना शुरू कर देंगे। वैसे फायदे की बात तो अलग है परंतु अगर आप ध्यान नहीं करते तो एक बात तो तय है कि आप अपनी जिंदगी में अधिकांश समय परेशान ही रहेंगे। दुःख, दर्द, निराशा, तनाव चिंता, कभी आपका पीछा नहीं छोड़ने वाली और सच्चा आनंद क्या होता है? मुक्ति क्या होती है? ये तो कभी आप जान भी नहीं पायेंगे। तो आज के इस article में हम जानेंगे कि ध्यान क्या होता है और ध्यान हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है। और आज हम ये भी जानेंगे कि ध्यान करने का सही तरीका क्या है क्योंकि 99% लोग गलत तरीके से ध्यान करते हैं।
ध्यान क्यों जरूरी है?
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक तनाव, निराशा और चिंता आम समस्या बन चुकी हैं। कभी बीते हुए बुरे अनुभवों का दर्द तो कभी आने वाले भविष्य की चिंता। हर पल हमारे मन में कोई ना कोई विचार चलता ही रहता है। हम काम कोई और करते है और हमारा ध्यान कहीं और रहता है। चलते हम सडक पर है और मन ऑफिस में रहता है। रहते हम ऑफिस में है और मन में विचार घर का चल रहा होता है। इस तरह हम पूरी तरह से ना घर पर होते है और ना ऑफिस मे। यहा तक की बाथरुम करते हुये, खाना खाते हुये भी मन बन्दर की तरह इस विचार से उस विचार पर छलांग लगाता रहता है। और विचार भी या तो बीते हुई कल का या आने वाले कल का। बिना मतलब के अनचाहे विचार हमेशा हमारे मन में दौड़ते रहते हैं। साइक्लोजी की भाषा में इसे ओभरथिंकिंग [over thinking] कहा जाता है। और मेरा अनुमान है कि आज दुनिया 99% लोग ओभरथिंकिंग के शिकार हैं। जिसमें खुद मैं भी शामिल रहा हूं।
ध्यान का क्या महत्व है?
देखने में हमे ये छोटी बात लग सकती है लेकिन आज यह एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। जिसके बहुत ज्यादा नुकसान है। इन बेमतलब के विचारों की वजह से खुद मेरा बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका है। आपको यकीन नहीं होगा। आज से पांच साल पहले यानी लाकडाउन से पहले मैं इतना चिंतित, परेशान और टेंशन में रहता कि जिंदगी बिल्कुल नरक के जैसी लग रही थी। भला हो कोरोना का जिसने लाकडाउन करवाया और लाकडाउन के खाली समय में ओशो का स्पीच सुन कर meditation करना शुरू किया और आज मेरे जीवन में तनाव और चिंता बिल्कुल गायब हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि हालात पहले से बहुत बेहतर हो गये है। जिंदगी की मुश्किलें और समस्याएं तो कभी किसी के लिए कम नहीं होंगी। लेकिन आज मैं किसी भी हालात में परेशान, चिंतित या दुःखी नहीं होता हूं। ध्यान से मुझे संयम शांति, प्रज्ञा और विवेक मिला है। जो दुनिया के महंगे से महंगे कालेज में भी नहीं मिलता। इसलिए मैं कहता हूं कि हर किसी को अपने जीवन में dhyan जरूर करना चाहिए।
ध्यान क्या है? (What is Meditation)
ध्यान का नाम सुन कर अक्सर हमारे मन में किसी योगी या तपस्वी का चित्र उभरता है। जो किसी पेड़ के नीचे अथवा किसी पहाड़ पर आसन लगा कर बैथा होता है। मुझे भी ध्यान करते देख कर बहुत सारे लोग पुछते है कि क्या तुम सन्यासी बनाना चाहते हो। लोग ध्यान को एक धार्मिक कर्मकांड की तरह देखते हैं। ध्यान के विषय में 99% लोग ऐसा ही सोचते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह कोई अध्यात्मिक साधना अथवा कोई कर्मकांड नहीं है। जिसे करने से आपको कोई चमत्कारी शक्ति प्राप्त हो जायेगी। यह तो एक जीवंत और सहज प्रक्रिया है। ध्यान का अर्थ होता है होश, जागृत। ध्यान का मतलब हर पल, हर क्षण सजग और सचेत और जागरूक रहने की कला है। अपनी हर सोच, हर भावना, हर गतिविधि को बिना किसी जजमेंट के साक्षी भाव देखना। हमेशा वर्तमान क्षण में जीने की कला ही ध्यान है। सीधे शब्दों में कहें तो ध्यान का अर्थ है, अपने शरीर मन और चेतना के बीच संतुलन बनाए रखना। बिल्कुल वैसे ही जैसे यह सारा ब्रह्मांड एक संतुलन में चल रहा है। जब मैं अपने दोस्तों को ध्यान करने को कहता हूं तो वे मुझसे पुछते है कि इससे फायदा क्या होगा तो फायदे की बात तो मैं बाद में करूंगा उससे पहले मैं बता देता हूं कि ध्यान ना करने से नुकसान क्या क्या होता है।
ध्यान ना करने के नुकसान
मैने इस विषय पर बहुत गहराई से स्टडी और रिसर्च किया है और मैं पुरे डिटेल में इसके बारे में बता सकता हूं।
सबसे पहला नुकसान तो यह है कि जब हमारा मन भुत और भविष्य के विचारों में उलझा रहता है तो हम वर्तमान पल का आनंद नहीं उठा पाते। जैसे मान लिजिए कि हम भोजन कर रहे हैं और हमारा ध्यान स्कूल में लगा है तो भोजन चाहे कितना भी स्वादिष्ट हो। हम उसके स्वाद का आनंद नहीं ले पायेंगे।
दुसरा नुकसान यह है कि जब हम काम कोई और करते हैं और ध्यान कहीं और होता है तो उस काम की क्वालिटी और और हम हमारे काम करने की प्रोडक्टिविटी घट जाती है। हम उस में अपनी क्रिएटिविटी भी नहीं दिखा पाते। ना ही अपना बेस्ट परफॉर्मेंस कर पाते हैं इसलिए वह काम बस एवरेज बन कर रह जाता है।
तीसरा नुकसान यह है कि जब हमारा ध्यान वर्तमान पल में नहीं होता तो दुर्घटना होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। जैसे मान लिजिए कि आप सड़क पर चल रहे हैं और दिमाग में चल रहा है कि गर्लफ्रेंड का काल क्यों नहीं लग रहा। कहीं उसने ब्लाक तो नहीं कर दिया। ब्रेकअप के बाद कैसे मूव आन करें?
फिर पता चलेगा कि पीछे से कोई गाड़ी आई और उड़ा कर चली गई। आप गाड़ी चला रहे हैं और ध्यान घर पर हैं कि पत्नी ने ऐसा क्यों कह दिया। फिर अचानक आपका ध्यान वापस आता है तो पता चलता है कि आपने किसी को ठोक दिया है। ऐसा दो बार तो मेरे साथ ही हो चुका है और आमतौर एक्सीडेंट इसी वजह से होता है। या तो हम सतर्क और सजग नहीं होते हैं या सामने वाला नहीं होता। या तो हमारा ध्यान कहीं और होता है या उसका। इंडस्ट्रियल एरियाज में भी इस छोटी सी गलती से अक्सर बड़ी बड़ी दुघर्टनाएं होती रहती है।
ध्यान का महत्व
डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर साल 13 लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं और 20 से 50 लाख लोग घायल हो जाते हैं। यह देखने में हमें केवल एक आंकड़ा लग सकता है। इसकी गंभीरता हमें तब समझ में आती है। जब हमारे परिवार का कोई आदमी किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। एक मिनट के लिए आप जरा कल्पना कर के देखिए कि आपके साथ ऐसी कोई दुर्घटना हो गई है। और एहसास किजिए कि आपको कैसा महसूस हो रहा है। मुझे लगता है कि यदि दुनिया का हर इंसान ध्यान करना शुरू कर दे तो ऐसी दुघर्टनाएं 90% तक कम हो सकती है। यह बात मैं लिख कर दे सकता हूं।
चौथा नुकसान यह है कि अनावश्यक विचारों में उलझे रहने से हमारे ब्रेन की एनर्जी नष्ट होती है। वह एनर्जी जिसे हम किसी क्रियेटिव काम में लगा कर अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
पांचवां और सबसे बड़ा नुकसान है, मानसिक तनाव, चिंता और अशांति किसी साये की तरह हमेशा आपके साथ रहेगी। हमारी जिंदगी में दुःख,गम,निराशा, तनाव, चिंता, बेचैनी, द्वंद्व और अशांति जैसी जितनी भी मानसिक समस्याएं हैं। उन सब का कारण है विचार। भौतिक और क्षणिक सुखों की चाह में हम दौड़ते तो बहुत हैं, लेकिन भीतर शांति की तलाश अधूरी रह जाती है। मानव जीवन का उद्देश्य क्या हैं | क्या है जीवन का अर्थ
ऐसे में हम भले ही दौलत और शोहरत हासिल कर लें लेकिन हम भीतर से अशांत और बेचैन ही रहते हैं क्योंकि हमारा मन हमेशा भुत और भविष्य के विचारों में उलझा रहता है। एक तरह से हमारा खुद का मन ही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है।
ध्यान करने के फायदे।Meditation Benefits in Hindi
ऐसे में ध्यान (Meditation) दुनिया के इस भवसागर में कश्ती का काम करता है। और ज़िंदगी के तुफानों से बचा कर पार ले जाता है। जो जिंदगी के घूप में घनी छांव की तरह आराम देता है।
यह न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि हमारी एकाग्रता, आत्मविश्वास और सकारात्मकता भी बढ़ाता है। ध्यान का अभ्यास करने से हमारा मन विचारों से खाली होने लगता है और मन शांत होने लगता है।
ध्यान करने से हमारे अंदर जागरूकता, स्पष्टता और सजगता बढ़ती है। जागरूक और स्पष्ट सोच होने के कारण हम किसी भी काम को पुरे फोकस से कर पाते हैं। जिससे हमारे काम की क्वालिटी इंप्रूव होती हैं। मन के शांत और एकाग्र होने की वजह से हमारे अंदर की क्रियेटिविटी भी निकल कर सामने आती है। और आप तो जानते ही होंगे कि आज के इस कंपटीशन के दौर में बिना क्रियेटिविटी के किसी भी फिल्ड में सक्सेस मिलना मुश्किल है।
ध्यान का अभ्यास करने से हमारे अंदर अंतर्दृष्टि और विवेक जागृत होती है। जिसकी वजह से हम अपने मन के विचारों, संवेदनाओं और भावनाओं को साक्षी भाव से देखने में सक्षम हो पाते हैं। और जब हम अपने मन का अन्वेषण करने में सक्षम हो जाते हैं तो फिर हमारा खुद से मिलना होता है। अपनी चेतना से। फिर हमें आत्म बोध होता है कि हम वास्तव में कौन हैं। और जब हमें यह अनुभव हो जायेगा कि हम कौन हैं तभी हम मुक्ति और मोक्ष की ओर आगे बढ़ पाएंगे।
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ध्यान करने के और भी बहुत से फायदे हैं। जैसे-
ध्यान करने के लाभ। 10 benefits of meditation hindi
मानसिक लाभ
– तनाव और चिंता कम करता है।
– एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
– नकारात्मक विचारों को कम करता है।
– अच्छी नींद में मदद करता है।
शारीरिक लाभ
– रक्तचाप को संतुलित रखता है।
– हार्मोन को नियंत्रित करता है।
– इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है।
– दिल और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
आध्यात्मिक लाभ
– आत्म-जागरूकता और आत्म-विश्वास बढ़ाता है।
– मन, शरीर और आत्मा में सामंजस्य लाता है।
– आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
– मुक्ति और मोक्ष प्राप्त करने में सहयोगी बनता है।
वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि रोज़ केवल 10-15 मिनट ध्यान करने से मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक ऊर्जा बेहतर होती है। इसलिए मैं कहता हूं कि ध्यान हमारे जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। तो अब अगर आप ध्यान का महत्व समझ गये है तो आइये अब जानते हैं कि ध्यान कैसे करें।
ध्यान कैसे करें?
देखिए, ध्यान कोई नियम या कोई विशेष क्रिया नहीं है। जिसमें लिए हमें समय निकाल कर किसी विशेष विधि में आसन में बैठना ही पड़ेगा। अगर हम ध्यान करना चाहते हैं तो हमारा हर क्षण ध्यान बन सकता है। सड़क पर चलते वक्त, भोजन करते वक्त, किसी से बात करते वक्त किसी भी वक्त हम ध्यान कर सकते हैं। मतलब की कोई भी काम करते वक्त हम बिल्कुल सजग और सचेत रहें। उदाहरण के लिए, जब हम सड़क पर चल रहे हो तो हमारा ध्यान हमारा ध्यान केवल सड़क और चलने पर हो। ना की किसी विचार पर हो। जब हम केवल भोजन और खाने की प्रक्रिया पर हो परन्तु ऐसा होता नहीं है क्योंकि हमारे मन को हर समय यहां वहां भटकने की आदत पर चुकी है। अतः सबसे पहले हमें अपने मन के गतिविधियों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। और इसलिए शुरू शुरू हमें इसका अभ्यास करना पड़ता है। ताकि हमारा मन शांत हो सके। क्योंकि जब हमारा मन शांत होगा तभी हम अपने मन के विचारों और भावनाओं को देखने में सक्षम हो पायेगा। ध्यान का अभ्यास करने के लिए की प्रकार की पद्धतियां प्रचलित है।
ध्यान करने के प्रकार (Types of Meditation)
विपश्यना – [vipassana meditation] इसमे हमें अपने मन के विचारों और संवेदनाओं को साक्षी भाव से बस देखना होता है।
प्राणायाम – [pranayama] इसमे हमें अपनी आती जाती श्वासों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना होता है।
मांईडफुलनेस – [mindfulness meditation] इसमे हमें अपने वर्तमान क्षण में पूरी तरह जागरूक और सचेत रहना होता है।
निर्देशित ध्यान– [guided meditation] इसमे आडियो अथवा म्यूजिक के साथ किया जाता है। youtube पर आपको guided meditation वाले हजारो videos मिल जायेंगे। आप इनमें से किसी के साथ ध्यान करना शुरू कर सकते हैं।
शुरुआती ध्यान कैसे शुरू करें?। Meditation Tips for Beginners
ध्यान कैसे करें? (Step by Step Guide in Hindi)
Step 1: कोई शांत और स्वच्छ जगह चुनें
– शोर-शराबे से दूर कोई एंकात स्थान चुनें।
Step 2: आरामदायक मुद्रा अपनाएँ
पद्मासन या सुखासन में बैठें; चाहे तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
Step 3: आँखें बंद करें और गहरी साँस लें
– फिर अपनी आती जाती सांसो पर ध्यान केंद्रित करें। सांसो को जान बुझकर तेज या धीमा करने की कोशिश ना करे। उन्हे स्वभाविक रूप से चलने दे।
Step 4: यदि मन मे विचार आ रहे है तो उन्हे आने दें, पर पकड़ें नहीं ना ही उन्हें रोकने की कोशिश करें। बस देखें और जाने दें।
Step 5: शुरुआत 5 मिनट से करें और धीरे-धीरे 15–30 मिनट तक बढ़ाएँ।
वैसे तो ध्यान करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि उस समय किसी डिस्टर्बेंस की संभावना बहुत कम होती है परन्तु यदि आपको सुबह समय ना मिले तो 24 घंटे में कभी भी कर सकते हैं। 24 घंटे में जब भी समय मिले एकांत में बैठ जायें। यहां तक कि एंकात जगह ना मिले तो भी ध्यान का अभ्यास कर सकते है। बस जहां और जैसे रहें अपने पांचों सेंसेस के प्रति जागरूक रहें, होशपूवक रहें।
ध्यान कोई विशेष साधना नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। चाहे आप छात्र हों, नौकरीपेशा हों या गृहिणी, लड़का हों या लड़की हो– हर कोई ध्यान कर सकता है। अगर आप रोज़ कुछ मिनट भी ध्यान करना शुरू करें, तो धीरे-धीरे आप अपने जीवन में गहरा परिवर्तन महसूस करेंगे।
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तो दोस्तों आखिर में मैं तो यही कहूंगा कि आज से ही ध्यान की शुरुआत करें । और इस परिवर्तन को खुद महसूस करें।दोंस्तो ये लेख आपको कैसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बताये और अगर अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें। हमारे साथ जुड़ने के लिए हमें Facebook, Instagram pintrest linkedin पर फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।