जीवन और मृत्यु क्या है ?
life and death cycle
मृत्यु एक ऐसा रहस्य है। जिसको सदियों से सुलझाने की कोशिश की जा रही है। परंतु आज इसे सुलझाया नहीं जा सका है। इस विषय अभी तक हजारों किताबें लिखी जा चुकी है परंतु आज भी कई सवाल ज्यों के त्यों बने हुए हैं। जैसे- जीवन और मृत्यु क्या है? हमारा जन्म कैसे होता है ? हमारी मृत्यु कैसे होती है? ऐसे ही कई सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं। और जब काफी सोचने के बाद भी हमें हमारे सवालों का जवाब नहीं मिलता तो हम धर्म या विज्ञान की शरण में चले जाते हैं। लेकिन यहां समस्या यह है कि धर्म और विज्ञान दोनों के पास इन प्रश्नों के अलग-अलग उत्तर है। धर्म कहता है कि हम सब एक आत्मा है। जो परमात्मा की आज्ञा से मानव शरीर में जन्म लेते ही परंतु विज्ञान अपने रिसर्चों के आधार पर इन बातों का खंडन करता है। विज्ञान कहता है कि जीवन और मृत्यु एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है और आत्मा या परमात्मा जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर आप धार्मिक दृष्टिकोण से देखेंगे तो आपको धर्म की बातें सच लगेंगी लेकिन अगर आप विज्ञान की दृष्टि से देखेंगे तो आपको विज्ञान की बातें सच लगेंगी। अब सवाल ये उठता है कि इन दोनों में से किसकी बात मानें और किसकी नहीं। देखिए मैंने धर्म और विज्ञान दोनों चीजों पर गहराई से अध्ययन किया है लेकिन मैंने दोनों में से किसी पर आंख बंद करके विश्वास नहीं किया है बल्कि अपनी समझ और अनुभव का उपयोग करके चीजों को समझने की कोशिश की है और मुझे जो समझ आया है, वहीं मैं इस आर्टिकल में बताने की कोशिश करूंगा।
जीवन क्या है – jivan kya hai
जीवन चक्र क्या है – jivan chakra kya hai
हमारा मानव शरीर जिन रसायनिक तत्वों से निर्मित होता है। उनमें एक ही ऊर्जा होती है। बस उनके गुणधर्म अलग-अलग होते हैं। जैसे अग्नि का गुण ताप होता है। पानी का गुण शीतलता होती है, प्रोटीन का गुण निमार्ण और वृद्धि होता है। इसी प्रकार ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए सबसे आवश्यक तत्व होता है। क्योंकि यह हमारे शरीर की कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अन्य तत्वों के साथ मिलकर नयी कोशिकाओं का जन्म देता है। इसी प्रकार हमारे भौतिक शरीर में मौजूद सभी तत्व अपने अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को गति वृद्धि और सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि ये सभी रसायनिक तत्व इलेक्ट्रॉन,प्रोट्राॅन और न्यूॅट्रान से ही बने होते है। जो एक दुसरे के संयोग से जीवन के जरूरी उर्जा उत्पन्न करते हैं। इन्हीं की यौगिक उर्जा से हमारे सभी दैनिक क्रियाकलाप जैसे-चलना फिरना,सोना, खाना और सोचना समझना इत्यादि हमारे सभी दैनिक क्रियाकलापसंपन्न होते हैं। जब हमारे शरीर में ऊर्जा की कमी होती है तो हमें भुख और प्यास लगती है। फिर हमें भोजन के जरिए ये सभी रसायनिक पदार्थ वापस मिल जाते हैं। इस तरह हमारा जीवन निरंतर चलता रहता है।
मृत्यु कैसे होती है – life and death cycle
अब बात करते हैं अपने मौत की जो मनुष्य के लिए सबसे डरावना सत्य है। हम बचपन से यही सुनते आ रहे हैं कि शरीर नश्वर है। जो एक दिन नष्ट हो जायेगा। परंतु यह आधा सच है। पूरा सच तो यह है कि केवल इसका वर्तमान आकार मिटता है। शरीर में मौजूद सभी तत्व उस आकार के मिटने के बाद दूसरा आकार बना लेते हैं। आइए हम इसे विज्ञान की भाषा में समझते हैं।
जैसा कि हमनें पहले भी बताया था कि हमारे शरीर में प्रतिदिन खरबों कोशिकाएं नष्ट होती है और खरबों कोशिकाएं पैदा होती है। और कोशिका विभाजन की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। परंतु एक निश्चित सीमा पर जाकर कोशिका विभाजन की यह प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। जिसके कारण हमारे शरीर की कोशिकाएं मरती तो है लेकिन पैदा नहीं होती। अतः हमारा शरीर धीरे-धीरे जर्जर होने लगता है और चुंकि हमारे शरीर में कोशिका विभाजन की प्रक्रिया थम चुकी होती है। अतः हमारे शरीर को आक्सीजन की जरूरत भी नहीं होती इसलिए हमारा दिल श्वसन क्रिया रोक देता है। और स्वसन क्रिया रूकते ही हमे मृत घोषित करके हमारे शरीर को जला या दफना दिया जाता है। अन्य मामलों में किसी बिमारी या अचानक आघात के यदि दिल की धड़कन क्रम टुट जाए तो ऑक्सीजन की कमी से हमारे दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती है और वह काम करना बंद कर देता है। जिसके कारण बाकी अंग भी काम करना बंद कर देते हैं। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह हमारे जीवन का अंत नहीं होता बल्कि जीवन का आकार परिवर्तन होता है। क्योंकि हमारे शरीर में मौजूद जीवन के तीनों मुल तत्व इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रान और प्रोटान अन्य रसायनिक तत्वों को मिला कर पुनः दुसरे आकार का निर्माण शुरू कर देते हैं। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे एक घर टुटने के बाद पुनः उन्हीं ईंटों को जोड़कर दुसरे आकार का घर बना दिया जाता है। यानी ना तो हमारा जन्म होता है और ना ही हमारी मृत्यु होती है। ना तो हमारा शरीर नष्ट होती है और ना ही हमारे जीवन का अंत होता है। इस ब्रह्माण्ड में कुछ भी नष्ट नहीं हो सकता। बस उसका आकार और रूप परिवर्तित हो जाता है।
देखिए यह समस्त ब्रह्माण्ड इस प्राकृति के अधीन आता है इसलिए इसे प्राकृति कहना ही बेहतर होगा। तो हमारे मानव शरीर के साथ-साथ इस प्राकृति के अंतर्गत जितनी भी चीजें बनी है। वे सब केवल और केवल तीन चीजों से ही मिलकर बनी है। पदार्थ, उर्जा और चेतना। पदार्थ की तीन मुख्य अवस्थाएं होती हैं। ठोस द्रव और गैस।
ठोस पदार्थ जैसे- हमारा शरीर, पत्थर,सोना चांदी, लोहा, लकड़ी इत्यादि।
द्रव्य पदार्थ, जैसे- पानी,दूध,पारा और तेल इत्यादि।
गैस पदार्थ जैसे- आक्सीजन, नाईट्रोजन, हाईड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड हीलियम इत्यादि।
यूं समझ लीजिए कि ब्रह्मांड में जितनी भी चीजें मौजूद हैं वह इस इन्हीं तीन चीजों का संयोग है। वह चाहे सुरज चांद हो या हम सभी जीव-जंतु। और विज्ञान भी इस बात को मान चुका है कि पदार्थ और उसकी उर्जा इन दोनो चीजों को ना तो पैदा किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। इसे केवल दुसरे आकार अथवा स्वरूप में परिवर्तित किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि बर्फ को नष्ट करने की कोशिश करें तो वह जल बर्फ बन जायेगा और जल को नष्ट करने की कोशिश करे तो वह अपना आकार बदल कर गैस बन जायेगा लेकिन हम उसके अस्तित्व को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर सकते। इस सिद्धांत के अनुसार हमारा भी कभी नाश नहीं हो सकता क्योंकि हमारा शरीर पदार्थ है और हम ऊर्जा। हमारा ना तो जन्म होता है और ना ही मृत्यु। हम मनुष्य जन्म के पहले भी थे और शरीर नष्ट होने के बाद भी रहेंगे।
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