क्या स्वर्ग और नर्क सच में होते हैं? या यह केवल एक काल्पनिक अवधारणा है। और यदि स्वर्ग और नरक है तो वह कहां है। अगर आप प्राचीन मान्यताओं, आधुनिक विज्ञान और अपनी आत्मा में छिपे इस रहस्य को जानना चाहते हैं तो तैयार हो जाइए।
do heaven and hell really exist | kya swarg aur narak vastav me hota hai
स्वर्ग और नर्क का यह विचार कोई नया नहीं है। यह हज़ारों साल पुराना है और वर्तमान में मौजूद लगभग सभी धर्म इस विचार को मान्यता देते हैं। जैसे –ईसाई धर्म मृत्यु के बाद शाश्वत पुरस्कार और दंड की बात करता है। इस्लाम धर्म भी जन्नत के सुख और दोजख के यातना के सजीव दृश्यों का वर्णन करता है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म भी स्वर्ग नरक की अवधारणा पर विश्वास करते हैं। हिंदू शास्त्रों में स्वर्ग और नरक पर आधारित सैकड़ों कहानियां हैं। जो इस विश्वास को और भी मजबूत बनाती है। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो स्वर्ग या नर्क का कोई भी ठोस प्रमाण नहीं है। विज्ञान कहता है: कि मानव जीवन “केवल एक जैविक प्रक्रिया है। जो पदार्थ और ऊर्जा के संयोजन से उत्पन्न और नष्ट होता रहता है। और पिछले कुछ सदियों से विज्ञान ने जिस तरह धार्मिक मिथकों को तोड़ा है। और मानवता की प्रगति में योगदान दिया है। उसे देखते हुए वैज्ञानिक प्रमाणिकता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
तो अब सवाल ये उठता है कि क्या ये कहानियाँ लोगों को नैतिक तौर पर नियंत्रित करने के तरीके मात्र थीं? या प्राचीन सभ्यताओं ने कुछ ऐसा देखा था जिसे विज्ञान अभी तक ढूंढ नहीं पाया हैं? क्योंकि कई सारे मेडिकल रिपोर्टो में यह देखा गया है कि हज़ारों लोगों ने near death experience को अनुभव किया हैं। जैसे- अपने शरीर के ऊपर हवा में उड़ते हुए, प्रकाश की सुरंगों में प्रवेश करते हुए, अखंड शांति महसूस करते हुए… और बेहद आतंकित करने वाले दृश्यों का भी वर्णन किया है।
टोनी से मिलिए – जिसे चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया गया था। परंतु कुछ ही देर में वह जिंदा हो उठा। उसने बताया कि उसने एक लंबी सुरंग देखा जो एक प्रकाश के पुंज पर खत्म हुआ। उसने ये भी बताया कि उसे वहां अत्यंत अलौकिक सुकून और शांति का एहसास हुआ।
एलिज़ाबेथ टेलर – जिन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था लेकिन पांच मिनट बाद वह उठ कर बैठ गई। उन्होंने बताया कि उनकी मुलाकात उनके पति से हुई। जिन्होंने उन्हें बताया कि अभी उनके लौटने का टाइम नहीं हुआ है| और ये सिर्फ़ सपने नहीं हैं। ये लोग वापस आ गए… और वे उसके बाद फिर कभी पहले जैसे नहीं रहे। तो क्या ये उनके मतिभ्रम हो सकते हैं? या किसी दूसरे आयाम की झलक?
जीवन और मृत्यु क्या है | secret of life and death
इस सवाल का जवाब इन दोनों में से कोई भी हो सकते हैं क्योंकि हमारे ब्रेन और माइंड की कार्यप्रणाली इतनी अद्भुत और रहस्यमयी है कि यह कोई भी इ्ल्युजन पैदा कर सकती हैं। जब यह हमें सपने दिखा सकती हैं तो और कुछ भी दिखा सकती हैं। वहीं दूसरी ओर ये किसी ऐसे आयाम की झलक हो सकती है। जो अभी तक विज्ञान की पहुंच से बाहर है। क्योंकि अभी भी हजारों ब्रह्माण्डीय रहस्य है जो अभी तक विज्ञान की पकड़ से बाहर है। ब्रह्मांड का लगभग 95% हिस्सा डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बना है। जिसके बारे में हम अभी भी बहुत कम जानते हैं। हम तो यह भी नहीं जानते कि ब्रह्मांड की सीमा क्या है, या ब्रह्मांड की कोई सीमा है भी या नहीं। इसलिए क्या स्वर्ग और नर्क सच में होते हैं? [do heaven and hell really exist] इस सवाल का इन दोनों में से कोई भी जवाब ठोस और प्रमाणिक जवाब नहीं दिखाई पड़ता। लेकिन आपको निराश होने को जरूर नहीं है। क्योंकि इस सवाल का एक और जवाब हो सकता है। जो हमें ज्यादा प्रमाणिक और वास्तविक प्रतीत होता है।
स्वर्ग और नरक में क्या अंतर है
देखिए ,जहां तक हमारी समझ है। उसके अनुसार स्वर्ग और नर्क कहीं आकाश के ऊपर या धरती के नीचे नहीं है। बल्कि हमारे भीतर ही मौजूद हैं। जी हां दोस्तों, स्वर्ग और नरक कोई भौगौलिक स्थान नहीं है बल्कि वे हमारी चेतना की अवस्थाएँ हैं। यह हमारे सोचने के, जीने के और दूसरों के साथ व्यवहार करने के तरीके में प्रतिबिंबित होता है। आइए एक एक छोटी सी कहानी से समझते हैं। पुराने समय में जापान में हाकुइन नाम के एक प्रसिद्ध संत हुआ करते थे। उनके त्याग संयम और ज्ञान की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। एक बार उनके राज्य का सेनापति उनसे मिलने आया। उसके हाकुइन उसने हाकुइन से पूछा, महात्मा जी, क्या स्वर्ग और नरक वास्तव में होते हैं। बहुत सारे लोगों का मानना है कि स्वर्ग और नरक होते हैं और बहुत सारे लोग इसे केवल एक कल्पना मानते हैं। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि सच क्या है। हाकुइन ने उससे पूछा, तुम काम क्या करते हो। सेनापति ने बड़े गर्व से बताया कि मैं इस राज्य का सेनापति हूं। लेकिन शक्ल से तो तुम भिखारी लगते हो। किस मूर्ख ने तुम्हें सेनापति बना दिया। संत ने कहा। यह सुनते ही सेनापति का पारा गर्म हो गया और उसने म्यान से तलवार खींच ली। संत ने कहा, मुझे नहीं लगता कि इस तलवार से तुम मेरा कुछ बिगाड़ पाओगे। जाओ जाकर कोई दूसरा शस्त्र ले कर आओ। अब तो सेनापति मारे गुस्से के धधकते लगा। लेकिन संत उससे ज़रा भी भयभीत नहीं हुये। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- अब तुम्हारे लिए नरक का दरवाजा खुल गया है और अब तुम नरक की आग में जल रहे हो। तुम्हारे सवाल का जवाब शब्दों से देता तो शायद उतना अर्थ नही रहता इसलिए तुम वास्तविक अनुभव करा दिया। यह सुनते ही सेनापति उनके चरणों में गिर पड़ा और अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगा। संत ने कहा कि लो अब तुम्हारे सामने स्वर्ग भी उपस्थित हो गया। तो शायद अब आपको समझ में आ गया होगा कि स्वर्ग और नरक कहीं आकाश या पाताल में नहीं बल्कि इस धरती पर ही मौजूद हैं। आपके अंदर ही मौजूद हैं।
क्या स्वर्ग और नरक दोनों इस पृथ्वी पर ही हैं?
🧘♂️ “स्वर्ग शांति है। पछतावा नरक है।” प्रेम स्वर्ग है और नफरत नर्क है। क्षमा स्वर्ग है और क्रोध नरक है। अगर आपने पौराणिक कहानियों में नरक के आग मे जलने कि बात सुन रखी है तो यह भी गलत नहीं है। जब आप क्रोध करते हो तो वाकई नरक की आग मे जलते हो। उसी वक्त इसके लिये आपको मृत्यु का इंतजार करने की भी जरुरत नही है। और अभी आप प्रेम करोगे तो अभी स्वर्ग की शांति को महसूस करोगे। इस प्रकार स्वर्ग में नरक दोनों आपके अंदर ही है।
हालांकि अगर आप स्वर्ग के भौगोलिक स्थिति को देखना ही चाहते हो तो स्वर्ग और नर्क वास्तविक भी हैं। हमारी ये दुनिया भी स्वर्ग से कम नही है। सुंदर दृश्य, फल फूलों के सुंदर बगीचे, खूबसूरत परियां, तरह तरह के शराब। क्या नहीं है यहां। यहा वह हर चीज़ मौजूद है जिसकी आप स्वर्ग मे मिलने की कल्पना करते है। हमारे लिए तो यह दुनिया स्वर्ग से भी सुंदर है और कछेक क्षणों को हटा दे तो हम हमेशा स्वर्ग में ही रहते हैं। और अगर आप हमारी नजर से देखोगे तो आपकी इसी धरती पर स्वर्ग और नर्क दिख जायेगा। अगर आप अच्छे कर्म करोगे तो आपको स्वर्ग का सुख यही पर मिल जायेगा और बुरे कर्म करोगे तो नरक का दुःख यहीं पर अनुभव हो जायेगा। सब कुछ आप पर निर्भर करता है। आप जैसे कर्म करते हो वैसा फल यहीं पर मिल जाता है। उसके लिए आपको मरने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। यह बात हम किसी किताब के हवाले से नहीं कह रहे हैं। हमने अपने जीवन में स्वर्ग और नरक दोनों को अनुभव किया है और अपनी आंखों से देखा भी है।
स्वर्ग और नरक की खोज किसने की
हालांकि यह सब जानने के बाद भी आप स्वर्ग और नरक की काल्पनिक अवधारणा पर विश्वास करते हैं तो इसमें भी कोई नुकसान नहीं है क्योंकि आप स्वर्ग जाने के लालच ज्यादा से ज्यादा पुण्य करना चाहेंगे और नरक के डर से बुरे कामों से बचना चाहेंगे। किसी काल्पनिक विश्वास के रूप में ही सही। मानवता का भला तो होगा ही। वैसे भी जिन लोगों ने स्वर्ग और नरक के अवधारणा को गढ़ा होगा वह इसलिए गढ़ा होगा ताकि अज्ञानी और मूढ़ लोगों को नैतिक रूप से नियंत्रित किया जा सके। और वे अपने प्रयोजन में कभी हद तक सफल भी हुए हैं। हालांकि ये बात अलग है कि आजकल के लोग तात्कालिक सुखों की चाह में इस अवधारणा के महत्व को भी अनदेखा कर देते हैं। ख़ैर जिंदगी आपकी है। आप चाहें तो अपनी जिंदगी को स्वर्ग बना सकते हैं और चाहे तो नरक बना सकते हैं। चुनाव आपका है।
तो दोस्तों, अगर आप जीते जी स्वर्ग को देखना चाहते हैं तो प्रेम. करुणा, क्षमा अहिंसा और शांति जैसे सद्गुणों को अपने जीवन में शामिल करें।
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