क्या हम सच में आज़ाद हैं? आज़ादी का असली मतलब क्या होता है? कही आज़ादी हमारा भ्रम तो नही है? आज हम आपको बताने वाले है कि हम सब कितनी बुरी तरह से गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुये है।
motivational speech in hindi| मोटिवेशनल स्पीच इन हिंदी
दुनिया का हर इंसान आज़ाद रहना चाहता है। यहाँ तक की पेड़ पौधे, जीव जंतु, पशु पक्षी सबको आज़ादी पसंद है। अभी हाल में ही हमने आज़ादी का जश्न पुरे जोर शोर से मनाया है। लेकिन क्या वास्तव में हम सब आज़ाद है। कही हमारी आज़ादी हमारा भ्रम तो नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसी बात कर रहे हो । हम आज़ाद तो है। हम अपनी मर्जी से कही भी आ जा सकते है। अपनी मर्जी से कुछ भी बोल सकते है। कुछ भी सोच सकते है। अगर आप ऐसा सोच रहे है तो आप 100% गलत है। आप अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकते। आप शारीरिक और मानसिक रूप से पुरी तरह से गुलाम है। आज हम आपको बताने वाले है कि हम सब कितनी बुरी तरह से गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुये है।
असली आजादी क्या है?
सबसे पहले हम बात करते हैं कि आजादी का मतलब क्या है। आम तौर पर लोग सोचते है कि आजादी का मतलब है कि हम अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकते हैं। अपनी मर्जी से जी सकते हैं। सरकार या व्यवस्था के खिलाफ कुछ बोल सकते हैं। कुछ भी सोच सकते हैं। परंतु यह असली आजादी नहीं है। आजादी का असली मतलब है। सभी तरह के दुखों, समस्याओं, उलझनों, भयों और मोह रुपी बंधनों से पूरी तरह से मुक्त होना। जहां किसी तरह का कोई भय ना हो, कोई मजबूरी ना हो, कोई दुख, कोई उलझाव, कोई समस्या ना हो। अब आप बताइए, क्या हम सही मायनों में आजाद हैं। बिल्कुल भी नहीं ना तो शारीरिक रूप से और ना ही मानसिक रूप से। आजादी के नाम पर हमें बेवकूफ बनाया जा रहा है। देश प्रेम, राष्ट्रवाद, धर्म, विकास, नैतिकता। ये सब नशे की दवायें है। जिसका नशा देकर देकर हमारे ब्रेन को डेड बना दिया गया है ताकि हम तार्किक रूप से सोच समझ ना सके, सवाल ना उठा सके और सत्य को खोज ना सके। हमारा समाज, हमारे राजनेता, और पूंजीवादी लोग कभी नहीं चाहते कि हम आजाद हो जाए। क्योंकि उन्हें पता है कि अगर हम आजाद हो गए तो उनकी गुलामी कौन करेगा। उनका तो धंधा ही बंद हो जाएगा। इसलिए वह हमें राष्ट्रवाद के नाम पर, जातिवाद के नाम पर, धर्म के नाम पर, ईश्वर के नाम पर और स्वर्ग-नरक के नाम के नाम पर उलझाकर कर रखते है।
क्या स्वर्ग और नर्क सच में होते हैं? do heaven and hell really exist..
क्या हम सच में आज़ाद है?
हमें भुलावे में रखने के लिए, खुश रखने के लिए बार-बार हमारे इतिहास को, हमारे अतीत को याद दिलाया जाता है कि हमने अंग्रेजों को भगा दिया, हम आजाद हो गए है। लेकिन सच तो यह है कि हम अभी भी गुलाम हैं। हम धर्म के गुलाम हैं, समाज के गुलाम है, राजनेताओं के गुलाम है, पूंजीवादियों के गुलाम है। एक इंसान के रूप में हम अपनी सारी गरिमा, सारा आत्म सम्मान खो चुके हैं। अगर आपको हमारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा है तो लिए आइये आपको विस्तार से बताते हैं कि हम कितने बुरी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से गुलामी से जकड़े हुए है। सबसे पहले शरीर के स्तर पर बात करते हैं। 1947 में अंग्रेज तो चले गए लेकिन भाषाई तौर पर हमें गुलाम बना कर चले गए। कहने को तो हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है लेकिन किसी भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था का पूरा पेपर वर्क अंग्रेजी में होता है और एक सर्वे के अनुसार भारत में केवल 10% लोग अंग्रेजी को ठीक से पढ़ और समझ सकते है। अगर आपको अंग्रेजी नहीं आती और आपको किसी बैंक, बीमा एजेंसी, जमीन-जायदाद या अन्य किसी कागजात पर सिग्नेचर करना है तो आप कब और कैसे बेवकूफ बन जायेंगे। आपको पता भी नहीं चलेगा। अधिकांश वितीये संस्थानों के टर्म एंड कंडीशन यानी नियम और शर्तें अंग्रेजी में लिखे होते है। और इतने छोटे अक्षरों में लिखे होते है कि थोड़ा बहुत अंग्रेजी जानने वाले भी अपमान के दर से बिना पढ़े चुपचाप साइन कर देते हैं।
कहने को तो हम कभी भी कहीं भी आ जा सकते हैं। लेकिन यह सिर्फ किताबी बातें हैं। सच तो यह है कि हम कहीं भी सुरक्षित नहीं है। रात की बात तो अलग है, दिन दहाड़े ही कब कहा किसकी हत्या हो जाए, लूट-पाट हो जाए, बलात्कार हो जाए। कुछ कहा नहीं जा सकता। धर्म, जातिवाद और क्षेत्रीयता के नाम पर हर जगह भेदभाव का माहौल है। हर सरकारी महकमे में घूसखोरी और भ्रष्टाचार का बोलबाला है लेकिन आम आदमी चाहकर भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकता। वरना या तो उसका काम नहीं होगा या जरूरत पड़ी तो उसे रास्ते से हटा दिया जाएगा। कहने को तो हम सब अपनी मर्जी से जीने के लिए आजाद हैं। लेकिन हम अपना जाॅब तक छोड़ने के लिए आजाद नहीं है। ना चाहते हुए भी हमें अनचाहा जॉब करना पड़ता है और अपने सपनों की, अपने पैशन की बलि चढ़ानी पड़ती है। क्योंकि हमारे पैरों में मजबूरियों की बेड़ियां पड़ी हुई है। ऐसे ही और भी हजारों तरह की मजबूरियां हैं। हमारी जिंदगी में। और जहां मजबूरी हो वहां आजादी हो भी कैसे सकती हैं। खैर यह तो हुई शारीरिक गुलामी की बात।
लोग क्यों करते हैं बलात्कार, जानिये बलात्कार के 7 मुख्य कारण
मानसिक गुलामी
अब बात करते हैं मानसिक गुलामी की बात। मानसिक तौर पर तो हम और भी ज्यादा गुलामी से जकड़े हुए हैं। हम सब अनेकों प्रकार की सामाजिक और धार्मिक अंधविश्वासों और प्रथाओं के गुलाम है। हम अपने अतीत के गुलाम है। अपनी आदतों के गुलाम है, अपने विचारों के गुलाम है। भावनाओं के गुलाम है। अपने मन की बेलगाम इच्छाओं और वासनाओं के गुलाम है। और तो और हम अब स्मार्टफोन के भी गुलाम बनते जा रहे हैं। हाल यह है कि अगर हम से एक महीने के लिए मोबाइल और टीवी छीन लिया जाए तो हम में से कुछ लोग पागल हो जाएंगे।
हम तो स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए भी आजाद नहीं है। हमारी अपंग शिक्षा पद्धति, भ्रष्ट सामाजिक विचारधारा और धार्मिक अवधारणाओं ने मिलकर हमारे मन की ऐसी कंडीशनिंग कर दी है कि हम स्वतंत्र रूप से सोचने और समझने में भी सक्षम नहीं है। हमारी तार्किक बुद्धि मंद-कुंद हो गई है और विवेक शुन्य हो गया है। अगर आप सोचते हैं कि हम अपनी मर्ज़ी से सोचते हैं, विचार करते हैं तो आप पूरी तरह से गलत है। क्योंकि हमारी सोच हमारे विचार सब हमारे मन की स्मृति से पैदा होते है। जो ज्ञान, अनुभव हमारे मन की मेमोरी में भरा पड़ा है। अक्सर हम उसी के बारे में सोचते रहते हैं। वहीं बातें हमारे विचार में भी प्रकट होती है। और हमारे मन की मेमोरी में क्या है। बचपन से लेकर आज तक जो भी हमें बताया गया है, जो भी हमने किताबों में पढ़ा है या जो भी हमने अपनी इंद्रियों से अनुभव किया है। वही चीजें हमारे मन की मेमोरी में सेव है। जैसे- कल किसी ने हमें भला बुरा कह दिया और हम अभी भी उसी के बारे में सोच रहे हैं। कल एक पांच साल का बच्चा अपने दोस्तों से बोल रहा था कि नरेंद्र मोदी चोर है। मैंने मुस्कुराते हुए पूछा कि तुम्हें कैसे पता तो उसने जबाब दिया कि पापा और अंकल बात कर रहे थे। यानी हम बचपन से जो बातें सुनते आ रहे हैं। उन्हीं बातों को हम सच मानने लगते हैं। उसी तरह पंडितों पुरोहितों ने हमें बता दिया है कि पूजा पाठ करने से भगवान खुश होते हैं, सुख शांति मिलती है इसलिए हम रोज मंदिर जाते हैं। कुछ नेताओं ने बता दिया है कि हिंदू मुस्लिमों के दुश्मन है इसलिए कुछ मुस्लिम हिंदुओं से नफ़रत करते हैं। कुछ हिन्दू मुस्लिमों से नफ़रत करते हैं।
धर्म क्या है और धर्म की सही परिभाषा क्या है? what is real meaning of religion
हमें बता दिया गया है कि हमारे सारे दुःख दर्द, हमारी गरीबी, हमारे भाग्य की देन है और भाग्य का लिखा कोई नहीं मिटा सकता। इसलिए हम उस से बाहर निकलने की सोच भी नहीं सकते। हम कुछ भी अपने विवेक और बुद्धि से नहीं सोचते। हमारी पूरी सोच और विचार पद्धति किसी ना किसी और कि गुलाम है। किसी सामाजिक विचारधारा की, किसी धार्मिक विश्वास की या अपनी अतीत के अनुभवों की। यानी हमारा मन किसी और का गुलाम है और हम अपने मन के गुलाम हैं। इसलिए कोई कुछ कह देता है तो हम खुश हो जाते हैं, कोई कुछ कह देता है तो हम दुखी हो जाते हैं और कोई कुछ कह देता है तो हम क्रोधित हो जाते हैं। हमारा रिमोट किसी और के पास है और हम बस एक गुलाम की तरह उनके इशारों पर नाचते रहते हैं। परंतु हम कभी इसके बारे में नहीं सोचते, इस पर सवाल नहीं उठाते क्योंकि हमें गुलामी में जीने की आदत हो गई है। आदत से याद आया कि हम अपने मन की आदतों के भी गुलाम बन चुके हैं। कोई किसी लड़की को भूल नहीं पा रहा है क्योंकि उसे उसकी आदत हो गई है। कोई सिगरेट नहीं छोड़ पा रहा है क्योंकि उसे सिगरेट पीने की आदत हो गई है। किसी को पोर्न देखने की आदत हो गई है तो किसी को सोशल मीडिया की आदत हो गई है। हर कोई अपने मन की आदतों का गुलाम है।
कब तक गुलाम रहोगे ?
और सच कहूं तो हम लोग इन गुलामियों से आजाद होना भी नहीं चाहते हैं। क्यों, क्योंकि गुलामी में एक सुरक्षा है, एक स्टेबिलिटी है। किसी विरोध का डर नहीं है और किसी के नाराज होने का भी टेंशन नहीं है। दुसरी बात कि हमें खुद से कुछ सोचा नहीं पड़ता है। कोई रिस्क नहीं उठाना पड़ता। जांच पड़ताल, खोजबीन करने की जहमत नहीं उठानी पड़ती। अपना दिमाग नहीं लगाना पड़ता। लेकिन प्रकृति का एक नियम है कि जो चीज इस्तेमाल नहीं होती उसमें जंग लग जाती है। इसलिए हमारे दिमाग में भी जंग लग चुकी है। मुझे बहुत सारे लोग मिलते हैं। जो बरसों से हेल्पर का काम कर रहे हैं। मैं उनसे पूछता हूं कि आपने अभी तक कारीगरी क्यों नहीं सीखी। उनका जवाब होता है कौन जाए उतना दिमाग लगाने। उतना रिस्क और टेंशन लेने। मजदूरी करना आसान है। बस दूसरा कोई बता देता है। हमें वही करना होता है। यह मानसिक विकलांगता का जीवंत उदाहरण हैं। हम सब आलसी, कामचोर, निकम्मे और मरे हुए लोग हैं। बस सब लोग जिधर जा रहे हैं उधर चलते रहो। पहले के लोग जो बता गए हैं। उसे ही रटते रहो। हमने सब कुछ ईश्वर और भाग्य के भरोसे छोड़ दिया है। क्योंकि हमें बताया गया है कि जो होता है ईश्वर की मर्जी से होता है। जो भाग्य में लिखा होता है वही होता है। इसलिए हम गरीबी और बदहाली में जीते रहते हैं। हम दुख दर्द और परेशानी झेलते रहते हैं। रोते रहते हैं और ईश्वर से अल्लाह से प्रार्थना करते रहते हैं कि या अल्लाह, रहम करो, हमें मुसीबत और परेशानियों से बाहर निकालो। हे भगवान, दया करो। हमारे दुखों और कष्टों का निवारण करो। हम सदियों से अन्याय और अत्याचार सहते आ रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि ईश्वर का कोई अवतार जन्म लेगा। जो हमें हमारे दुखों और कष्टों से मुक्ति दिला देगा।
ईश्वर क्या है? | what is god in hindi?
लेकिन आज मैं यह बात खोल कर कहता हूं कि कोई ईश्वर तुम्हारी मदद करने नहीं आएगा, कोई तुम्हारे दुखों और परेशानियां और समस्याओं को दूर करने नहीं आएगा। कोई मसीहा तुम्हें इस गुलामी से आजाद करने नहीं आएगा। तुम ही वह एकमात्र आदमी हो। जो खुद को इस गुलामी से आजाद हो सकते हो और कोई नहीं। तो अगर आपको भी गुलामी की आदत हो गई है तो आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है। आप फिर से रिल्स देखना जारी रख सकते हो लेकिन एक बात याद रखना कि पिंजरे में बंद तोता आराम की जिंदगी जी सकता है लेकिन आसमान के ऊंचाइयों को छूने से वंचित रह जाता है। जिसके लिए उसको पंख दिए गए हैं। हमारा इंसान के रूप जन्म भगवान बनने के लिए हुआ है। हमें अस्तित्वगत रूप से असीमित क्षमता वाला यह अद्भुत मस्तिष्क इसलिए मिला है ताकि हम अपनी चेतना का समग्र रूप से विकास कर सकें। जीवन की सार्थकता और अनंत संभावनाओं को तलाश सके परंतु आप पशुवत जीवन जीने में ही संतुष्ट हैं। अगर आप क्षुद्र, निरर्थक और क्षाणिक भौतिक सुखों में ही खुश हैं तो आपकी मर्जी परंतु अगर आपमें से किसी किसी का बोध जागृत हुआ है। अगर किसी को भी लगता है कि मैं जो कह रहा हूं वह सच है तो नीचे कमेंट में लिखो कि मैं आजाद होना चाहता हूं। और इस article को ज्यादा ज्यादा शेयर करें क्योंकि आपकी और हमारी तरह बहुत सारे लोग घोर गुलामी में जी रहे हैं। हो सकता है कि इसे पढ़ कर उनका आत्मसम्मान भी जागृत हो जाए।
आपका अमीर बनना क्यों जरूरी है, आपको अमीर क्यों बनना चाहिए
तो दोस्तों इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें, और आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें| हमारे साथ जुड़ने के लिए हमें Facebook, Instagram pintrest linkedin पर फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें।
धन्यवाद