लोग क्यों करते हैं बलात्कार, जानिये बलात्कार के 7 मुख्य कारण

हमारे समाज में बलात्कार क्यों होते हैं? लोग बलात्कार क्यों करते हैं? बलात्कार होने का कारण क्या है, और बलात्कार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है ? आज हम बलात्कार के 7 मुख्य कारणों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे।

भारत में बलात्कार| rape cases in India

भारत में बलात्कार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। कानून व्यवस्था के सारे प्रयास इन घटनाओं को रोकने में विफल साबित हो रहें हैं। आलम यह है कि हमारे देश में 1 साल के मासूम बच्ची से लेकर 70 साल की महिलाएं भी सुरक्षित नहीं है। अभी कुछ सालों  पहले दिल्ली में निर्भया, हैदराबाद में प्रियंका और जम्मू में आसिफा नाम के 6 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप और नृशंस हत्या जैसी हृदय विदारक घटना हुई थी। अभी इन घटनाओं का जख्म भरा ही नहीं है कि पंजाब के होशियारपुर में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना हो गई है। समाज में छुपे एक इंसानी दरिंदे ने एक पांच साल की बच्ची का बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी। इस घटना को लेकर पंजाब के लोगों में काफी आक्रोश है। जिसमें परिणाम स्वरूप‌ वे‌ प्रवासियों को वहां से भगा रहें हैं।

 

इसके साथ ही देशभर में जगह-जगह कानून व्यवस्था के विरोध में धरना प्रदर्शन हो रहे हैं, सोशल मीडिया पर लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं। कोई कर रहा है गुनाहगारों को सरेआम फांसी दो, तो कोई कह रहा है उन्हें जिंदा जला दो। खैर उनका अपराध ही ऐसा जघन्य है कि उन्हें बड़ी से बड़ी सजा मिलनी चाहिए। परंतु क्या केवल रेपिस्ट को सजा दे देने से ही इस विश्वव्यापी समस्या का समाधान हो जाएगा। अभी हाल में ही तो निर्भया के गुनाहगारों को फांसी दी गई है।‌ फिर भी रेप की घटनाएं क्यों हो रही है। रेपिस्ट तो हमारे समाज के कोने-कोने में छिपे हैं। जो कभी भी निकल कर सामने आ सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस समस्या के मुल कारणों को ढूंढना होगा। तभी बलात्कार की इन घटनाओं को रोकने में कुछ मदद मिल सकती है। तो हमने इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया है और हमें इसमें  बलात्कार के 7 मुख्य कारण पता चले है। जो बलात्कार के लिये जिम्मेदार है।

बलात्कार के 7 मुख्य कारण

(१)  शिक्षा व्यवस्था की कमी

बलात्कार का सबसे बड़ा कारण है हमारी शिक्षा व्यवस्था । पुराने जमाने में बच्चों को बचपन से ही धर्म और नैतिकता की शिक्षा दी जाती थी । उन्हें रामायण और भगवत गीता जैसें धार्मिक ग्रंथों का पाठ पढ़ाया जाता था, उनको अच्छे संस्कार दिए जाते थे इसलिए उस जमाने में ऐसे अपराध होते ही नहीं थे। कहा जाता है कि बचपन का बाल मन कोरे कागज की तरह होता है, उस समय उनके मन में ना तो कोई विचार होता है ना ही कोई भावना होती है । धीरे-धीरे वह मासूम बच्चा जो सुनता है, जो पढ़ता है, जो देखता है। वही चीजें उसके मानसिक पटल पर अंकित हो जाती है। उदाहरण के लिए किसी बच्चे को बचपन से ही रामायण का पाठ पढ़ाया जाए तो वह बच्चा जब बड़ा होगा तो उसमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के कुछ गुण तो आ ही जाते हैं। उसके अतिरिक्त उस पर माता पिता के संस्कार और परिवारिक माहौल का भी फर्क पड़ता है। आजकल तो हमारे शिक्षा में नैतिक और धार्मिक शिक्षा के लिए कोई जगह ही नहीं है। हम तो अपने बच्चों को केवल इसलिए शिक्षा देते हैं ताकि वह बड़ा होकर डॉक्टर इंजीनियर आदि बने और ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सके। इस तरह हम अपने बच्चों को पैसा कमाने की मशीन बना रहे हैं। फिर उसके अंदर मानवीय भावनाएं कैसे विकसित होगी। उसे कैसे ज्ञान होगा कि क्या पाप है और क्या पुण्य है, क्या सही है क्या गलत है। इस तरह इस तरह हमारी शिक्षा व्यवस्था भी बलात्कार के लिए जिम्मेदार है।

(२) सोशल मिडिया का दुष्प्रभाव

किसी ने मोबाइल का अविष्कार इसलिए किया था ताकि लोगों तक चित्र, वीडियो, और आवाज के माध्यम से किताबों की तुलना में जल्दी और बेहतर ज्ञान पहुंच सके। लोग एक दूसरे के साथ जुड़े रह सकें। मानव जीवन का तेजी से विकास हो सके और साथ में उनका मनोरंजन भी हो सके। परंतु लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अर्धनग्न फिल्में, अश्लील रिल्स,और गंदी तस्वीरें बना कर कर दर्शकों के मन में छुपे हुए हवस और‌ कामवासना को जगा रहे हैं। क्योंकि इंसान अपनी इंद्रियों से जो चीज अपने मन में इकट्ठा करता है वही चीज उसके विचारों में प्रकट होती है। और इंसान के सारे कर्म उसके विचारों से प्रेरित होते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो सोशल मीडिया हमारे बच्चों किशोरों और युवा वर्ग के लड़कों को बुराई की तरफ धकेल रही है।

(३) समाज की विकृत मानसिकता

नारी भोग की वस्तु है, औरत का काम है बच्चे पैदा करना, यह जो घटिया मानसिकता सदियों से हमारे समाज के दिमाग में बैठी हुई है। यह भी बलात्कार के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। प्राचीन काल में स्त्री को देवी को को संबोधित किया जाता था। उनकी मर्जी के बगैर उन्हें छुना भी भयानक पाप था। इस पाप की सजा दु:शासन,‌ रावण और बालि इत्यादि को इस पाप की क्या सजा मिली आप जानते ही होंगे। मगर आज हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां स्त्रीयों को‌‌ भोग की वस्तु समझा जाता है। लड़कियों को माल कह कर संबोधित किया जाता है। हर जगह हर वक्त स्त्रीयों और लड़कियों को बुरी नजर से घुरा जाता है। आज हमारे समाज की पूरी मानसिकता ही भ्रष्ट हो चुकी है। जो समाज मुन्नी बदनाम हुई, शीला की जवानी, तू चीज बड़ी है मस्त मस्त और चिकनी चमेली जैसे गाने और डांस पर तालियां बजाकर और स्त्रीयों को नचा कर खुश होता है। जिस समाज में पुरुष अपनी अर्धांगिनी अर्थात अपनी पत्नी के साथ भी जबरदस्ती करता है। ऐसे सभ्य समाज में बलात्कारी पैदा नहीं होगा तो क्या राम पैदा होगा। इसी मानसिकता की वजह से ही प्रेम में असफल होने या प्रेम को ठुकराये जाने के पश्पुचात कुछ लोग बलात्कार और जोर-जबरदस्ती करते हैं।

 

जी हां यह बात सुनने में आपको अजीब लगेगी लेकिन यह सच है। बलात्कार केवल घर के बाहर नहीं घर के भीतर भी होते हैं। अगर कोई पति अपनी पत्नी के साथ भी उसकी अनिच्छा के बावजूद जबरदस्ती संबंध बनाता है तो वह भी बलात्कार ही है। क्योंकि बलात्कार का असली मतलब होता है किसी भी स्त्री को उसकी मर्जी के बगैर संबंध बनाना। यह पति-पत्नी के रिश्ते का पीछे का काला सच है। जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। चाहे पत्नी की तबीयत खराब हो, उसका मूड ना हो, उसका मन किसी वजह से दुःखी हो। लेकिन पति को केवल अपनी हवस मिटाने से मतलब होता है।‌ क्योकिं लोगों की मानसिकता यह है कि उनकी पत्नी उनकी निजी संपत्ति है। जिसका जब चाहे वे इस्तेमाल कर सकते हैं। बिस्तर पर भी लोग अपनी पत्नी के साथ किसी चीज की तरह बिहेव करते हैं।‌ और मैं लिख कर दे सकता हूं जब तक हम अपनी मानसिकता नहीं बदलेंगे, अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तब तक सरकार चाहे कितना भी कठोर कानून बना दे बलात्कार की घटनाएं होती ही रहेगी।

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(४) अनुचित खान-पान का असर

तीसरा कारण है हमारा खान-पान। आप विश्वास नहीं करेंगे । मांस मछली और शराब जैसे तामसी भोजन का हमारे मुड और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आपने कहीं पढ़ा भी होगा “जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन”और भगवद् गीता में तो साफ लिखा है कि मांस मछली मदिरा तामसी भोजन है इनका सेवन करने से शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा होती है। जिससे हमारे शरीर में हार्मोन असंतुलन होता हैं। जिससे हमारे शरीर में यौन उत्तेजना बढ़ती है। शराब के सेवन से हमारा अपने शरीर और विचारों पर नियंत्रण नहीं रहता है। जिससे हमें पता ही नहीं चलता कि हम जो कर रहे हैं वह सही है या गलत और जो कर रहे हैं उसका अंजाम क्या होगा। इसलिए अधिकतर नशे में ही होते हैं।

(५) कमजोर कानून व्यवस्था

रेप का चौथा कारण है, हमारी कमजोर कानून व्यवस्था और सुस्त न्याय प्रणाली। हमारे देश की कानून व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम ही है। जब किसी लड़की का बलात्कार होता है तो हमारा देशभक्त राजनेता उसे संप्रदायिक रूप देने की कोशिश करते हैं ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। न्यूज़ चैनल अपना टीआरपी बढ़ाने में लग जाती है। पुलिस वाले जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी करके आरोपी को बचाने की कोशिश करते हैं। खैर जैसे-तैसे मामला अदालत में पहुंचता है, तब शुरू होता है तारीख। तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख देते देते जब सजा सुनाने का वक्त आता है तब तक गुनहगार बूढ़ा होकर मरने के कगार पर पहुंच चुका होता है, इसलिए गुनाहगार को ना तो कानून का डर होता है ना ही सजा का, इसलिए जब तक कानून व्यवस्था ठीक नहीं होगी तब तक गुनहेगार गुनाह करते रहेंगे।

(६) लड़कियों का रहन सहन

रेप का पांचवा कारण है लड़कियों की कमजोरी और बेवकूफी, जिसका फायदा दरिंदे उठाते हैं। कुछ हद तक लड़कियों की बेहूदा कपड़े और  बेवकूफीकाना हरकतें भी जिम्मेदार है, जो दरिंदों को उकसाने का काम करते हैं। इसलिए लड़की को इस बात का ख्याल रखना चाहिए। घर बाहर निकलने के बाद खुद को सेफ रखना चाहिए, तुरंत किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए । लड़कियों को खुद में कॉन्फिडेंस क्रिऐट करना चाहिए क्योंकि वहशी दरिंदे ज्यादातर डरपोक लड़कियों को ही अपना शिकार बनाते हैं। लड़कियों को चाहिए कि कहीं भी रहे अपने आसपास नजर रखे, हमेशा सचेत और जागरूक रहें, अगर कुछ भी गलत लगे तो डरने की वजह लड़ने का हिम्मत दिखाएं।
मेरा सुझाव है की लड़कियां ब्यूटी पार्लर ज्वाइन करने के बजाए जिम ज्वाइन करें और खुद को शक्तिशाली और सक्षम बनाएं। जूडो कराटे और मुक्केबाजी आदि सीखें। ताकि जरूरत पड़ने पर अपनी सुरक्षा खुद कर सके। परंतु दुख की बात यह है कि आजकल की लड़कियां फैशन, श्रृंगार और अपनी खूबसूरती दिखाने पर ज्यादा ध्यान देती है। जिससे लोगों का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो सके। इसलिए वे भी बलात्कार के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं। कहा जाता है कि इंसान लोगों की नजर में अपनी छवि खुद बनाता है। अगर आप अपनी इज़्ज़त नही करोगे तो दुसरा कैसे करेंगा। स्त्रीयों ने भी पुरुषों की नजर में अपनी छवि एक कमजोर, शोषित, पीड़ित और आश्रित शख्शियत की बना रखी है। इसलिए पुरुषों द्वारा उनका शोषण होता है। अतः स्त्रीयों को अपनी पहचान एक आत्मनिर्भर और सशक्त शख्शियत के रूप में बनानी होगी।

(७) आधुनिक जीवन की तनाव और चिंता

आज के आधुनिक युग में कुछ पाने, कुछ बन जाने की अंधी दौड़ लगी हुई है। जिसकी वजह से लोगों में तनाव, चिंता, स्ट्रेस, डिप्रेशन बढ़ती जा रही है। जो लोगों के व्यवहार में आक्रामकता, मूड़ स्विंग, मानसिक विक्षिप्ता और अजीबो-गरीब हरकतों के रूप में देखी जा सकती है। तनाव और स्ट्रेस से राहत पाने के लिए लोगों को एक्साइटमेंट और एंटरटेनमेंट चाहए। जो उन्हें नशे की लत, मोबाइल एडिक्शन, रैंगिंग और बलात्कार जैसे अपराधिक मनोवृत्तियों की ओर धकेल रहा है।

 (८) कामवासना का दमन

हमारे देश की प्राचीन संस्कृति और धार्मिक अंधविश्वास भी बलात्कार के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। प्राचीन काल से ही हमारे समाज में कामवासना को पाप अथवा घृणित कर्म माना जाता है।   शुरू से ही पंडे-पुजारी और साधु-महात्मा कहते आ रहे हैं कि सेक्स बुरी चीज है। कामवासना पाप है। कामवासना नरक का द्वार है।ब्रह्मचर्य व्रत धारण करो। कामवासना का दमन करो। अपनी कामेच्छा को नियंत्रित करो। यह बात लोगों के मन में ऐसे बैठ गई है कि लोग लोग सेक्स के बारे में बात करना भी पाप समझते हैं। इसलिए लोगों में सेक्स एजुकेशन और सेक्स के प्रति जागरूकता की कमी है। परंतु मानव मनोविज्ञान कहता है कि हम अपने मन में जिस चीज को जितना दबाने की कोशिश करते हैं।‌ वह उससे ज्यादा तेजी से बाहर निकलने का प्रयास करती है। उदाहरण के लिए, हम जो बात बार-बार भूलने की कोशिश करते हैं। वही बात बार-बार याद आती है। यौन आक्रामकता भी यौन उत्तेजना को दबाने का ही कारण है। इसलिए समाचार पत्र में अक्सर साधु महात्माओं के लड़कियों के साथ पकड़े जाने की खबरें भी आते रहती है।  बाबा राम रहीम और आसाराम बापू इसके जीवंत उदाहरण है।

बलात्कार को रोकने के उपाय

  • हमारी स्कूली शिक्षा के विषयों में नैतिक शिक्षा का विषय भी शामिल होना चाहिए है। बच्चों को बचपन से ही आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा दें। हमारा मानना है कि योग और ध्यान को स्कूली शिक्षा में अनिवार्य रूप से शामिल होना चाहिए
  • लड़कियां ब्यूटी पार्लर ज्वाइन करने के बजाए जिम ज्वाइन करें और खुद को शक्तिशाली और सक्षम बनाएं। ताकि जरूरत पड़ने पर अपनी सुरक्षा खुद कर सके।
  • बच्चों और किशोरों को सोशल मीडिया से दूर रखें। ऐसा मुमकिन ना हो तो उनका मार्गदर्शन करें और उन्हें सोशल मीडिया के बुरे प्रभाव से बचाएं,
  • अपनी सोच बदले, अपनी मानसिकता बदले। नारी भोग की वस्तु नहीं है। नारी प्रेम समर्पण और सम्मान‌‌ की भूखी है,ना कि हवस की। नारी मां है, बहन है।  नारी ममता, स्नेह, त्याग समर्पण और शक्ति का प्रतीक है।
  • तनाव, चिंता, मानसिक थकान और  निराशा से राहत पाने के लिए योग और ध्यान को अनिवार्य रूप से अपने दिनचर्या में शामिल करें। ध्यान करने से मन में उठते अनियंत्रित के विचारों को शांत करने में मदद मिलती है। जिससे तनाव और चिंता से राहत मिलती है। ध्यान करने से हम अपने विचारों और कर्मों के प्रति जागरूक, सचेत और होश में रहने में सक्षम हो पाते हैं।
  • ध्यान रखें कि बलात्कारी किसी किसी दुसरे ग्रह से नहीं आता। यह हमारे आपके अचेतन मन में शैतान के रूप में छिपा होता है। जो अवसर मिलते ही बाहर निकल आता है। हम सब बेहोशी और अर्धजागृत अवस्था में जी रहे हैं। इसलिए हमें पता नहीं चल पाता और हम ना चाहते हुए भी कोई अपराध कर देते हैं। अतः ध्यान और योग के द्वारा बेहोशी को दूर करें । हमेशा सजग सचेत और जागरूक रहने का प्रयास करें।
तो अगर आप चाहते हैं कि हमारा समाज बलात्कार मुक्त हो तो सबसे पहले अपने बच्चों को बचपन से ही आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा दें, उन्हें मीडिया के बुरे प्रभाव से बचाएं, और अपनी सोच बदले, अपनी मानसिकता बदले। होश में रहें। तभी हम एक बलात्कार मुक्त समाज का निर्माण कर पाएंगे।
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