Why good people suffer| अच्छे लोग हमेशा जीवन में दुख और परेशानियां क्यों पाते है ?

अच्छे लोग हमेशा जीवन में दुख और परेशानियां क्यों पाते है ?

Why good people suffer
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जकल लोगों के मन में एक गलत धारणा बनती जा रही है कि आजकल सच्चाई और अच्छाई का जमाना नहीं है। इसलिए सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने में कोई लाभ नहीं है बल्कि नुकसान ही है। हमने तो कोई लोगों को यह भी कहते हुए सुना है कि हम तो हमेशा धर्म के मार्ग पर चलते हैं,हम कभी किसी का बुरा नहीं सोचते। फिर भी हमें केवल दुख ही मिलता है और जो लोग अधर्मी और पापी हैं वे सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। परंतु जरा सोचिए कि अगर सभी लोग ऐसा सोचने लगे तो समस्त संसार में अधर्म का अंधकार व्याप्त हो जाएगा इसलिए अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी के शिकार हैं। इस आर्टिकल में हम कुछ उदाहरण देकर आपकी इस गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करेंगे।

सुख और दुख की परिभाषा

देखिए सबसे पहले तो आपको सुख-दुख को देखने का नजरिया बदलना पड़ेगा क्योंकि सुख और दुख आपके नजरिए पर निर्भर करता है। अगर आपकी नजर में धन-दौलत, स्त्री-पुत्र, मान-बड़ाई और पद-प्रतिष्ठा को प्राप्त करना ही सुख है, तो फिर आप के लिए इससे बड़ा दु:ख कुछ भी नहीं है। क्योंकि आप जिन भौतिक सुखों को जीवन का सुख समझ रहे हैं, वह वास्तव में एक धोखा है और इस धोखे से बाहर निकलने के बाद ही आपको परम सुख की अनुभूति हो सकती है। अज्ञानवश आप संसारिक सुखों को जीवन का उद्देश्य बना बैठे हैं जबकि आपके जीवन का मूल्य इन चीजों से कहीं ज्यादा बड़ा है। इस संसार में अनेकों महापुरुष हुए हैं जिन्होंने धर्म पालन के लिए जीवन भर दुखों का सामना किया। आपकी संतुष्टी के लिए हम यहां कुछ महापुरुषों के कठिन जीवन का संक्षिप्त वर्णन कर रहे हैं।

महापुरुषों की संक्षिप्त जीवनीयां

जरा सोचिए कि अगर जीवन में भौतिक सुखों का इतना ही महत्व होता तो भगवान राम ‌राजसी सुख को छोड़कर अपने स्वधर्म पालन के लिए वनवास का दुःख क्यों सहन करते। क्या आपका दुख भगवान राम से भी बड़ा है जिन्होंने राज्य के छप्पन भोगों को छोड़कर 12 वर्षों तक कंद मूल खाकर जीवन गुजर किया। जिनके सुकोमल चरणों के नीचे फूल बिछना चाहिए था, उन चरणों में जंगल के कांटे चुभते रहे।  क्या आपका दुख भगवान कृष्ण से भी बड़ा है जिनका जन्म ही कारागार में हुआ था। जिनको बचपन से ही बार-बार जान से मारने का प्रयास किया गया, और जिन्हें अपने कर्तव्य पालन के लिए अपने प्रेमिका को भी खोना पड़ा। क्या आपने पांडव से भी ज्यादा दुख सहन किया है, जो धर्मात्मा, गुणवान, पराक्रमी, बलवान महारथी और स्वयं भगवान के परम मित्र होते हुए भी कई वर्षों तक अपने हक के लिए दर-दर भटकते रहे। जिन्होंने धर्म पालन के लिए एक विराट नरेश के यहां दास बनकर रहना स्वीकार किया। क्या आप सुदामा से भी ज्यादा निर्धन,निर्बल, दुखी और असहाय हैं जो दाने दाने को तरस गए लेकिन अधर्म का मार्ग नहीं अपनाया। क्या आप जानते हैं ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया  क्योंकि वे धर्म का प्रचार करते थे, महात्मा सुकरात ने हॅंसते-हंसते जहर पी लिया किन्तु धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा।  महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई क्योंकि वे सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलते थे। आज हम लोग इन महापुरुषों की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि ये लोग अपने कर्तव्य और अपने धर्म का पालन करते थे। हम लोग महात्मा बुद्ध की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने राजसी सुख-सुविधाओं को त्याग कर मानवता की सेवा में अपना जीवन व्यतीत कर दिया। अगर इन्होंने भी हमारी तरह भौतिक सुख-सुविधाओं को महत्व दिया होता तो हम लोग आज उनकी पूजा नहीं करते।

मानवता की परिभाषा क्या है ?

देखिए दुख तो हर इंसान के जीवन में होता है परंतु यह जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि आप उसे किस प्रकार से देखते हैं। यदि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक है तो आप दुःख में भी सुख कारण खोज लेंगे। मेरे विचार में तो जीवन में दुख का महत्व सुख से कहीं अधिक है क्योंकि सुख के अपेक्षाकृत हम दुःख में ईश्वर के ज्यादा करीब होते हैं। जो कि जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।  शायद इसीलिए दुनिया के अधिकतर महापुरुषों ने दुखमय जीवन हंस कर स्वीकार किया और उन्होंने अपने दुखों को ईश्वर से प्रेम का जरिया बनाया। आप दुःख को ऐसे भी देख सकते हैं जैसे एक सुनार सोने को जला कर,गला कर और तपा कर आभुषण तैयार करता है। जैसे एक पिता अपने पुत्र का जीवन संघर्षपूर्ण बनाता है ताकि वह एक योग्य,सक्षम, कुशल और बेहतर इंसान बन सकें। जैसे एक योग्य शिक्षक अपने छात्र के हित के लिए ना चाहते हुए भी छड़ी का प्रयोग करता है।

दुख के फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे

फिर भी कुछ ऐसे लोग जो लोग धर्म के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें जीवन में जब बार-बार दुख मिलता है और जब वे अत्याचारी और अधर्मी लोगों को सुखी देखते हैं तो उनके मन में विचार आता है कि क्या उन्हें भी धर्म का मार्ग छोड़कर अधर्म को अपना लेना चाहिए। तो ऐसे लोगों से हमारा यहीं कहना है कि आपको सुख या दुख जो भी मिलता है। वह आपके पूर्वजन्मों या वर्तमान जन्म के कर्मों का ही फल होता है। ईश्वर आपके सुख-दुख के लिए उतरदायी नहीं है।   हां यह भी सत्य है कि कुछ अधर्मी लोग सुखी और खुशहाल जीवन जी रहे हैं क्योंकि उन्होंने पुनर्जन्म में कुछ पुण्य अवश्य किए होंगे। किन्तु अज्ञान और अहंकारवश वे अपने पुनर्जन्म के संचित पुण्य फल को नष्ट करते जा रहे हैं और जब उनका पुण्य फल पूरी तरह समाप्त हो जायेगा तो उन्हें अपने पापों के फलस्वरूप दुखमय नरक में उतरना ही पड़ेगा। वास्तव में वे पापों के दलदल में जा रहे हैं जो उनके जीवन को परम सुख से वंचित कर देगा। याद रखें, समस्याएं, चुनौतियां, दुःख, दर्द सभी के जीवन में हैं इनसे कोई भी मनुष्य अछूता नहीं है इसलिए जीवन में अगर आपको जीवन में दुःख, दर्द, अन्याय और अपमान और मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप धर्म का मार्ग छोड़कर अधर्म के मार्ग पर चल पड़े। हमें जो उचित लगा हमने आपको बता दिया है। अब अपने बुद्धि, विवेक और अनुभव से आपको तय करना है कि आपके लिए क्या सही है और क्या गलत। अब निर्णय आपका है कि आप कैसा बनना चाहते हैं राम के जैसा या रावण के जैसा। धन्यवाद 🙏

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