Why good people suffer
दोंस्तो हमलोग रोजाना अखबार या टीवी पर चोरी डकैती हत्या दुष्कर्म अपहरण आदि के अपराध पढ़ते या सुनते है, और इन सब बातों को इग्नोर कर देते है क्योंकि इन सब बातों से हमे कोई फर्क नही पड़ता।
हां हमे फर्क तब पड़ता है जब हमारे साथ ऐसी कोई घटना होती है तब जाकर हमारे अंदर की सोई हुई इंसानियत जागती है और उसके जागते ही दोषारोपण का दौर शुरू हो जाता है।हमलोग कभी ईश्वर को दोष देते है कभी प्रशासन को दोष देते है तो कभी जमाने को दोष देते है लेकिन क्या आपको पता है इन सभी अपराधों के लिए समाज की इन बुराईयों के लिए आप जिम्मेदार है, मैं जिम्मेदार हूँ, और हमारा ये समाज जिम्मेदार हैं । दोंस्तो शायद आप सोच रहे होंगे कि मैं पागल हो गया हूँ जो ऐसी बातें कर रहा हूँ लेकिन इस पोस्ट में आपको ये साबित कर के दिखाऊंगा और मेरी बात से सहमत भी हो जायेंगे ।
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ये सारी दुनिया एक परिवार है
ये सारी दुनिया एक परिवार है और हम सब इंसानों के साथ- साथ जितने भी सजीव प्राणी है। सब इस परिवार के सदस्य है और जिस तरह किसी परिवार के द्वारा किए गए अच्छे या बुरे कर्मो का प्रभाव पुरे परिवार पर पड़ता है।ठीक वैसे ही दुनिया में किसी एक इंसान द्वारा की गई गलती का प्रभाव लाखों लोगों पर पड़ता है और लाखों लोगो द्वारा की गई गलती का असर किसी एक इंसान को भी भुगतना पड़ता है ।
इस तरह दुनिया में जितने भी अपराध होते है उसमे अपराधी के आलावा पुरी दुनिया के लोग भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते है ।
मान लीजिए अगर आपके घर में चोरी होती है तो आप केवल उस चोरी को जिम्मेदार नही ठहरा सकते बल्कि उस चोरी के लिए आपके साथ -साथ सारा सामाज जिम्मेदार है। क्योंकि दुनिया की कोई भी मां किसी चोर को जन्म नही देती, जन्म तो वो एक मासूम बच्चे को देती है ।फिर वह मासूम बच्चा चलना -फिरना बोलना और चोरी करना सब कुछ इस दुनिया से ही सीखता है। यानि कि दुनिया में जितने भी अपराधी है उनको अपराधी बनाने में उनके माता-पिता उनके गुरुजन और हमारे समाज का भी योगदान होता है ये बात मुझे साफ- साफ दिख रही है और आपको भी दिखने लगेगी ।जब आप इस बात पर गहराई से विचार करेंंगे।
नैतिक शिक्षा का अभाव
जरा सोचिए जिस घर में बच्चे सुबह उठकर स्मार्टफोन पर अश्लील वीडियो देखते है, टीवी पर अश्लील विज्ञापन देखते है तो फिर उस घर के उस समाज के बच्चे दुष्कर्मी नही बनेंगे। जिस समाज में बच्चों को केवल अमीर बनने की शिक्षा दी जाती है, केवल पैसे कमाना सिखाया जाता है वह बच्चा बड़ा होकर पैसे कमाने के लिए गलत तरीके अपनाने लगे तो उसके लिए केवल उसे ही दोषी कैसे ठहराया जा सकता है। मैं जब पढ़ता था तो उस समय नैतिक शिक्षा की पुस्तक भी स्कूलों में पढ़ाई जाती थी । जिसमे बच्चों को एक अच्छा इंसान बनना सिखाया जाता था परंतु आजकल वह पुस्तक ना जाने कहां गुम हो गई है ।
आज जब कहीं कुछ गलत होता है तो हम सब एक दूसरे को दोष देने लगते है परंतु कोई उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नही होता ।दरअसल हमलोगों को लापरवाही की ऐसी आदत लगी हुई है कि कोई सुधरने को तैयार नही है, सुबह से लेकर शाम तक हर काम में लापरवाही ।सबका बस एक ही वसूल है बस अपना काम होना चाहिए बाकी दुनिया जाए भाड़ में, कोई ये नही सोचता कि इस छोटी -छोटी लापरवाही का हमारी आने पीढ़ी पर कितना भयानक प्रभाव पड़ने वाला है ।इसलिए दिन पर दिन दुनिया में अपराध बढ़ते जा रहे है।
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क्या अपराध को कानून के द्वारा रोका जा सकता है ?
एक बात मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि अपराध को कानून के द्वारा नही रोका जा सकता क्योंकि ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है, इस समाज से बुराई को मिटाने के लिए और दुनिया को अपराध मुक्त बनाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा और इसके लिए हमें सबसे पहले खुद को बदलना होगा। हमें लापरवाही छोड़कर जिम्मेदारी लेनी पडे़गी।हमे अपने बच्चों में बचपन से ही संस्कार, धर्म निति, और नैतिकता का विकास करना होगा तभी हम एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर पायेंगे ।
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दोंस्तो अगर आप मेरे विचार से सहमत है तो कृपया कमेंट करके जरूर बताये और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाये ।। धन्यवाद