Who am i in hindi | मैं कौन हूं ? यह सवाल आपको अंदर से झंकझोर देगा

मैं कौन हूं ? | Main kaun hoon

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कुछ दिन पहले‌ जब हम बाजार से घर वापस लौट रहे थे तो ‌रास्ते में हमने देखा कि एक जगह बहुत भीड़ लगी हुई थी। उत्सुकता वश हमने भी गाड़ी का ब्रेक लगाया और देखने लगें। वहां दो व्यक्ति झगड़ रहे थे। कुछ बुद्धिजीवी लोगों ने झगड़ा छुड़ाने के उद्देश्य से उन्हें पकड़ रखा था। तभी पहला व्यक्ति जो वेशभूषा से संपन्न परिवार का लग रहा था बोला- तुम अभी नहीं जानते ‘ मैं कौन हूं । दुसरा व्यक्ति भी तैश में आकर बोला- तुम नही जानते ‘मैं कौन हूं। फिर धीरे-धीरे गालियों की बौछार होने लगी इसलिए हमने वहां रूकना उचित नहीं समझा। हमने एक्सीलेटर दबाया और आगे बढ़ गए। परंतु उनकी बात हमारे मन में बैठ गई। हम रास्ते भर सोचते रहे कि शायद वे सच में नहीं जानते थे कि वे कौन हैं। फिर हमने इस प्रश्न को अपने ज्ञान के सागर में डालकर मंथन शुरू किया। उस ज्ञानमंथन से हमें जो प्राप्त हुआ। हम उसे आप सब में बांटना चाहते है।
दोस्तों आज हमारी मानव जाति विज्ञान के सहयोग से काफी प्रगति कर चुकी हैं और निरंतर प्रगतिशील है। हमारे विज्ञान ने अपने ज्ञान से काफी सारे अविष्कार किए हैं लेकिन हमें यह नही भुलना चाहिए कि यह सभी अविष्कार मानव मस्तिष्क का कमाल है जो किसी अदृश्य शक्ति का अविष्कार है। जिसे ईश्वर अल्लाह या गॉड कहा जाता है। खैर विज्ञान ने मानव सभ्यता के विकास के लिए काफी अच्छा काम किया है लेकिन विज्ञान से यहां एक गलती जरूर हुई है कि उसे अध्यात्म को भी साथ लेकर चलना चाहिए था। अगर विज्ञान ने अध्यात्म के साथ मिलकर काम किया होता तो शायद भगवान और इंसान के बीच इतनी दुरी ना होती। आपके नजर में हो सकता है कि विज्ञान बहुत आगे निकल गया हो लेकिन मेरी नज़र में वह अध्यात्म से काफी पीछे है क्योंकि विज्ञान हजारों सालों से अभी केवल चांद तक ही पहुंचा है लेकिन अध्यात्म मानव ‌को ब्रह्मांड के उस पार पहुंचा चुका है और वो भी हजारों साल पहले । माना कि विज्ञान ने ब्रह्मांड के कई सवालों का जबाव खोज लिया है मगर अभी भी कई सवाल ऐसे हैं जिनका जबाब विज्ञान के पास नहीं है जैसे मैं कौन हूं ?

 यह एक ऐसा प्रश्न है जो जीवन के किसी न किसी स्तर पर जाकर आपके मन में जरूर उठेगा क्योंकि यह आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि यह प्रश्न आपके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। अगर अभी हम आपसे पूछें कि आप कौन हैं तो आप इसका सही जवाब नहीं दे पाएंगे। अभी तक आप इस सवाल के बारे में जो कुछ भी सोच रहे हैं। वह सब आपकी गलतफहमी है, वह सब आपके मन का भ्रम है। इस आर्टिकल में हम आपको इसी भ्रम से निकालने की कोशिश करेंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि आप कैसे जान सकते हैं कि आप कौन हैं। इस प्रश्न का उत्तर खोजना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि कहीं ऐसा ना हो कि जीवन में सब कुछ हासिल करने के बाद आपको एहसास हो कि ये सब हासिल करना तो मेरे जीवन का उद्देश्य ही नहीं था। हमें तो किसी और उद्देश्य से दुनिया में भेजा गया था। तब सिवाय पछतावे के आपके हाथ और कुछ नहीं लगेगा।

अगर कोई आपसे पुछे कि आप कौन हैं तो आप क्या कहेंगे। आप अपना नाम बतायेगें या अपने पिताजी का नाम बतायेंगे। आपका जवाब शायद यह भी हो सकता है कि मैं एक विद्यार्थी, डॉक्टर इंजीनियर या शिक्षक हूं लेकिन यह आपका वास्तविक परिचय नहीं है क्योंकि आप हमेशा से डॉक्टर इंजीनियर या विद्यार्थी नहीं थे और संभवतः भविष्य में भी नहीं रहेंगे। और जो आपको नाम मिला है वह भी आपके जन्म के बाद ही मिला है, अगर कल को आप अपना नाम बदल लें तो क्या आपका अस्तित्व बदल जाएगा। इस दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं जो अनाथ हैं जिन्हें यह भी नहीं पता कि उनके माता पिता कौन है उनका धर्म या जाति क्या है, तो क्या उनका कोई अस्तित्व नहीं है।

देखिए यह एक अत्यंत गूढ़ प्रश्न है इसलिए इस पर आपको गंभीरता से विचार करना होगा। अगर आप इस प्रश्न पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार करें तो विज्ञान यही कहता है कि मनुष्य कई प्रकार के न्यूरॉन्स और एटम्स के मिलने से बना है। जिसमें जीवन ऊर्जा बहने से मनुष्य अस्तित्व में आया, लेकिन विज्ञान यह रहस्य अभी तक पुरी तरह से नहीं सुलझा पाया है कि ये न्यूरॉन्स और एटमस् आए कहां से और विज्ञान भी ये मान चुका है कि इस जीवन ऊर्जा को उत्पन्न नहीं किया जा सकता। यह जीवन ऊर्जा ब्रह्मांड में अनंतकाल से है।

अगर अध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो मनुष्य एक आत्मा है जो परमात्मा का ही सूक्ष्म अंश है परंतु अध्यात्म भी इस बात को साबित नहीं कर सकता क्योंकि अध्यात्म पुरी तरह से श्रद्धा और विश्वास पर टिका हुआ है इसलिए इस प्रश्न का उत्तर तो आपको स्वयं ढुंढना होगा।  हां अध्यात्म ने कुछ ऐसे मार्ग बता दिए हैं जो आपको इस प्रश्न के उत्तर तक ले जा सकते हैं।

अब यहां पर तीन प्रश्न उठते हैं- क्या इस प्रश्न का उत्तर जानना आपके लिए आवश्यक है? तो मेरा उत्तर है, हां यह प्रश्न आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर आपने इसका सही उत्तर नहीं ढूंढा तो आप यह कभी जान ही नहीं पाएंगे कि आप सच में कौन हैं, आप इस दुनिया में कहां से आए हैं, आपका इस दुनिया में आने का उद्देश्य क्या है और आपके अंदर कितनी संभावनाएं छुपी हुई है।

दूसरा सवाल- क्या‌ सचमुच इसका सही उत्तर खोजा जा सकता है, तो हां बिल्कुल खोजा जा सकता है। आपने सुना होगा कि कुछ लोग सत्य की खोज में,परम शांति की खोज में और ईश्वर की खोज में जंगलों और पहाड़ों में भटकते रहते हैं। इस दुनिया में महात्मा बुध , भगवान महावीर, रामकृष्ण परमहंसस्वामी विवेकानंद और रमन महर्षी,जैसे अनेकों महान लोग हुए हैं जिन्होंने इस परम सत्य को प्राप्त किया है और जिन्होंने इस आत्मतत्व को जाना है।

तीसरा प्रश्न इसे खोजने का मार्ग क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर जानने का मार्ग है, ध्यान-योग। वैसे अध्यात्म ने , अष्टांग मार्ग विपश्यना ध्यान और कुंडलिनी जागरण आदि का मार्ग भी बतलाया गया है। लेकिन आप केवल ध्यान से‌ ‌ही स्वयं को जान सकते हैं। इसके लिए आपको जंगलों और पहाड़ों पर जाने की जरूरत नहीं है। आप अपने घर पर ही यह ध्यान कर सकते हैं,अपना कर्तव्य पालन करते हुए। बस आपको अपनी दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर एकांत में बैठना होगा। हम यहां आपको विपश्यना ध्यान करने की विधि बता रहे हैं क्योंकि यह हमें सबसे सरल और सुविधाजनक लगता है और हम भी विपश्यना ध्यान ही करते हैं। महात्मा बुद्ध ने को भी विपश्यना साधना के द्वारा ही आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था। विपश्यना साधना पुर्ण रुप हमारी श्वासों पर आधारित है।हम सब जानते है कि श्वास ही जीवन है। श्वास से ही हमारी आत्मा और हमारा शरीर जुड़ा हुआ है। श्वास एक ऐसा पुल है जिसके इस पार शरीर है और उस पार सूक्ष्म आत्मा इसलिए यदि हम श्वास को ठीक से देखते रहे तो निश्चित रूप से ध्यान की अनंत गहराइयों में उतर सकते हैं।

भगवान कौन हैं और कहां रहते हैं ?

ध्यान कैसे करें

सबसे पहले किसी एंकात स्थान का चुनाव करें जहां शुद्ध और शांत वातावरण हो। तत्पश्चात तन और मन को शुद्ध करके बिल्कुल शांत अवस्था सिद्धासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब आप देखेंगे कि आपके मन में तरह-तरह के विचार आ रहे हैं लेकिन आपको उन विचारों को रोकने की कोशिश नहीं करनी है। आपको केवल अपने विचारों को आते जाते देखना है जैसे आप सड़क के किनारे बैठ कर आती जाती गाड़ियों को देखते हैं।फिर जब आपके विचार पुरी तरह रूक जाएं तो अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करना है। ध्यान रहे आपके अपने सांसों को काबू नहीं करना है बस उसे देखना है, उसे महसूस करना है। ऐसा आप प्रतिदिन जितना देर कर सकते हैं, उतना देर करें। विपश्यना ध्यान आप 10 मिनट से लेकर 1 घंटे तक या और ज्यादा देर तक भी कर सकते हैं। शुरू शुरू में आपको कुछ परेशानी हो सकती है लेकिन जैसे-जैसे आप का ध्यान सधने लगेगा आप खुद के भीतर बदलाव महसूस करने लगेंगे।

अगर अभी भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में बेहिचक पूछ सकते हैं।

दोस्तों हम इस मार्ग पर निकल चुके और हम चाहते हैं कि आप भी निकलें क्योंकि हमने जो कुछ भी हासिल किया है और करेंगे,वो सब इस धरा का है और इस जो इस धरा का है वह इस धरा पर ही धरा रह जाएगा।

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