What’s self awareness in hindi | सेल्फ अवेयरनेस क्यों जरूरी है?

आत्म जागरूकता की परिभाषा |definition of self awareness

What's self awareness, definition of self awareness

Self awareness essay

दोस्तों आज हम आपको self awareness के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने शायद केवल सुना होगा लेकिन इसके बारे में आज तक आपको किसी ने बताया नहीं होगा। लेकिन इस बात को समझने के लिए आपको स्वयं के प्रति जागरूक होकर गंभीरता से विचार करना होगा क्योंकि हो सकता है कि इस आर्टिकल के प्रारंभ में आपको कुछ समझ में ना आएं लेकिन जैसे-जैसे पढ़ते जाएंगे वैसे-वैसे सब कुछ स्पष्ट होता जायेगा। तो इस विषय के संबंध में सबसे पहले एक उदाहरण पढ़िए।

Self-awareness examples

 

एक कोर्ट में मर्डर केस चल रहा था। आरोपी पर अपने ही भाई की हत्या का आरोप था। सरकारी वकील ने कटघरे में खड़े आरोपी की तरफ इशारा करते हुए जज से कहा- मी लॉर्ड इस व्यक्ति ने अपने ही सगे भाई की बेरहमी से हत्या की है। अतः इसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। जज ने आरोपी से पूछा, तुम्हें अपने सफाई में कुछ कहना है। आरोपी रोते हुए बोला- जज साहब, मैंने जानबूझ कर ये हत्या नहीं की है। तो क्या तुम ये कबूल करते हो कि तुमने अपने भाई की हत्या की है, जज साहब बोले। आरोपी ने जवाब दिया, हां ये सच है कि मुझसे अनजाने में ये हत्या हुई है लेकिन मैंने ये जानबूझकर नहीं किया। मुझे कुछ भी होश नहीं है कि ये सब कैसे हो गया। जज ने पूछा-क्या तुमने शराब पी रखी थी या कोई नशा किया था। आरोपी बोला- हुज़ूर मैं किसी प्रकार का नशा नहीं करता लेकिन मैं सच कह रहा हूं कि हत्या के वक्त मैं बेहोश था और जब होश आया तो मुझे एहसास हुआ कि ये मैंने क्या कर दिया। इसी प्रकार काफी देर तक मुकदमा चलता रहा। और आखिर में जज ने अपना फैसला सुनाया। सभी सुबूतों और गवाहों को मध्यनजर रखते हुए मुजरिम को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया जाता है और इस गुनाह के लिए मुजरिम को ipc की धारा 304 के तहत 5 साल बामुश्ककत कैद की सजा दी जाती है। आरोपित रोता-चिल्लाता रह गया कि मैंने जानबूझ कर अपने भाई को नहीं मारा, मैं निर्दोष हूं लेकिन पुलिसकर्मी उसे घसीट कर ले गए।

 

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आत्म जागरूकता का जीवन में महत्व

 

दोस्तों हमारे देश में हर साल गैर इरादतन अपराध के लाखों केस दर्ज होते हैं और लाखों अपराधी इस अपराध की सजा काट रहे हैं। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि जिस अपराध की सजा वे काट रहे हैं वह अपराध उन्होंने किया ही नहीं है। हां ये सच है वे अप्रत्यक्ष रूप से निर्दोष है। ऐसे अपराध तो हमलोग रोजाना करते हैं। मगर संयोगवश हम उनसे बस थोड़ा सा पीछे रह जाते हैं इसलिए हम किसी बड़ी सजा से बच जाते हैं।

 

उदाहरणार्थ मान लीजिए कि किसी बात पर आपकी किसी व्यक्ति से लड़ाई हो गई और आपने उसे जोर से धक्का दिया। वह व्यक्ति नीचे गिर जाता है। उसे चोट लगती है लेकिन ज्यादा गंभीर रूप से नहीं लगती। दुसरी ओर एक अपराधी जो जेल में 5 साल की सजा काट रहा है। उसके साथ भी वहीं घटना होती है लेकिन फर्क सिर्फ इतना होता है कि वह जिस व्यक्ति को धक्का देता है उसका सिर जोर से नीचे रोड से टकराता है और सिर में गहरी चोट लगने के कारण उसकी मौत हो जाती है।

दोस्तों आमतौर पर हम सब अपनी छोटी छोटी गलतियों को नजरंदाज कर देते हैं। हम सोचते हैं कि ऐसी छोटी-छोटी गलतियां तो होती ही रहती है लेकिन हम ये भुल जाते हैं कि ये छोटी-छोटी गलतियां ही बड़ी गलतियों के लिए पृष्ठभूमि तैयार करती हैं।

अब आप खुद सोचिए कि कितने अंतर से आप जेल जाने से बच गए। जरा सोचिए कितने छोटे अंतर से आपकी जिंदगी नरक बनने से बच गई। लेकिन आपको इस बात का जरा भी गुमान भी नहीं होगा कि आने वाले समय में आपके साथ भी ऐसी कोई अनहोनी हो सकती है। अब मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं ये बताने से पहले मै आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं।

 

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क्या आपके साथ ऐसा कभी होता है कि आप बोलना कुछ और चाहते हैं मगर मुंह से कुछ और निकल जाता है। फिर आप बाद में अफसोस करते हैं कि मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था, पता नहीं मेरे मुंह से कैसे निकल गया। क्या आपके साथ कभी ऐसा होता है कि आप जाने अंजाने में कोई ऐसी गलती कर देते हैं जिसका बाद में आपको अफसोस होता है। आप सोचते हैं कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था,पता नहीं ये कैसे हो गया। क्या आपके साथ ऐसा होता है कि विपरीत परिस्थितियों में आप अपने emotions पर कंट्रोल नहीं कर पाते। आप बहुत जल्द गुस्सा हो जाते है या बहुत जल्द भावुक हो जाते हैं।

दोस्तों मुझे पता है कि आपका उत्तर हां होगा क्योंकि हमसे भी सैकड़ों बार ऐसी छोटी-छोटी गलतियां हुई है और अगर ये गलतियां मुझसे हो सकती है तो आपसे भी हो सकती हैं। लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि ये गलतियां हम बेहोशी में करते हैं। जैसे कोई दूसरा हमसे ये सब करवा रहा हो।

 

आपने सुना होगा कि जब कोई बुरी आत्मा किसी इंसान के शरीर में समा जाती है तो वह उससे जो चाहे करा सकती है। और ऐसी ही कई बुरी आत्माएं हमारे भीतर भी मौजूद हैं। ये बुरी आत्माएं है हमारी “नाकारात्मक भावनाएं”। जैसे- क्रोध, बदला, वासना, घृणा, नफरत, अहंकार और निराशा इत्यादि। हमारी ये नाकारात्मक भावनाएं ही वे बुरी आत्माएं है जो हमारी चेतना पर हावी हो कर हमसे बुरे काम करवाती है। जब ये बुरी भावनाएं हमारे बुद्धि और विवेक पर हावी हो जाती है तो हम बेहोशी की हालत में चले जाते हैं और उसके बाद हम क्या करते हैं,हमे खुद ही पता नहीं रहता। जिन लोगों ने अपरिचित मूवी देखी है वे इस बात को ज्यादा बेहतर ढंग से समझ रहे होंगे। इस फिल्म का नायक dual personality disorder नामक बिमारी का शिकार होता है। जिसके चलते जब जब उसे गुस्सा आता है तब तब ये बिमारी उस पर हावी हो जाती है। और वह अपना होश खो कर अपने वास्तविक स्वभाव के विपरीत व्यवहार करने लगता है। और जब उसे दुबारा होश आता है तो उसे कुछ भी याद नहीं रहता। वैसे इस मूवी को केवल कल्पना के आधार पर बनाना गया था लेकिन आज वह कल्पना सच होती दिखाई दे रही है। आजकल लगभग हर इंसान उसी बिमारी का शिकार हैं। वह सोचता कुछ और हैं और करता कुछ और हैं।वह बोलना कुछ और चाहता है मगर मुंह से कुछ और निकल जाता है।

 

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आजकल हर इंसान लगभग बेहोशी की हालत में जी रहा है उसे कुछ भी पता नहीं है कि वह क्या कर रहा है और क्यो कर रहा है। और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आजकल हमारी भावनाएं ही हमें कंट्रोल कर रही हैं। हमारा अपने मन और मस्तिष्क पर कोई कंट्रोल नहीं है। हालांकि हमारे अंदर कुछ अच्छी भावनाएं भी होती है जैसे- प्रेम, करूणा, अहिंसा, खुशी, मानवता इत्यादि जो हमें सच्चा इंसान बनना सिखाती हैं लेकिन समस्या तब शूरू होती है जब हमारी नकारात्मक भावनाएं हमारी अच्छी भावनाओं पर हावी हो जाती है।

 

Self awareness test

 

आपने कभी ख्याल किया है कि भोजन करते समय आपको याद भी नहीं रहता कि आपने कितनी रोटियां खाई हैं। आप रोड पर बेहोशी की हालत में चल रहे होते हैं और पीछे जब किसी गाड़ी का हार्न बजता है तब आपको होश आता है कि अरे मैं तो रोड पर चल रहा हूं। किसी खुबसूरत स्त्री को देखकर वासना के तूफ़ान में आप अपने होशोहवास खोने लगते है। कोई आपके विरुद्ध कुछ बोल दें आप क्रोध में अपना होश खो देते हैं। और अगर आपके साथ ऐसा होता है तो इसका अर्थ है कि आप भी बेहोशी की हालत में जी रहे हैं। और इस बात की पूरी संभावना है कि आप आज नहीं तो कल किसी बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। इसलिए खुद के प्रति जागरूक बनिए और अपने होशपूर्वक जीना शुरू किजिए।

 

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Self awareness development

 

होशपूर्वक जीने का अर्थ है हमेशा अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक रहना अर्थात सेल्फ अवेयरनेस। यहां हम आपके लिए कुछ self awareness techniques बता रहे हैं। जिन्हें खुद पर प्रयोग करके आप अपने self awareness का development कर सकते हैं।

Techniques for self awareness

  • किसी भी काम को करने समय आपको ध्यान होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं।
  • आपके अंतर्रात्मा को अपने हर गतिविधि की खबर होनी चाहिए, जैसे- चलना, बोलना, भोजन करना, ईत्यादि।
  • प्रतिकुल परिस्थितियों में अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
  • अपनी छोटी-छोटी गतिविधियों पर अपना ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।
  • प्रतिदिन नियमित रूप से ध्यान करने का अभ्यास करें। शूरूआती चरण में अपने मन में उठते विचारों को तटस्थ होकर देंखे और जब विचारों का उठना कम हो जाए तो अपनी आती-जाती सांसों पर ध्यान लगाएं।
  •  जब आप किसी सार्वजनिक जगह पर होते हैं तो हमारा ध्यान अधिकांशतः आपका स्मार्टफोन की स्क्रीन पर होता है लेकिन कुछ दिनों के लिए इस आदत को बदलें और अपने आसपास की गतिविधियों और ध्वनियों पर अपना ध्यान लगाने का प्रयत्न करें।
  • भावनात्मक क्षणों में तुरंत अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त ना करें। साक्षी भाव के साथ स्थिति को थोड़ा समझें, थोड़ा विचार करें।

दोस्तों हमें पता है कि ये‌ काम थोड़ा कठिन है लेकिन यदि आप जागरूक हो कर निरंतर अभ्यास करते रहें तो आप अपने self awareness को improve कर सकते हैं।

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