मनावता की परिभाषा क्या है|what is meaning of humanity
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Meaning of humanity |
इस पृथ्वी पर मानव तो बहुत है मगर सही मायने में मानव वही है जिसमें मानवता है ।जिस व्यक्ति में मानवता नही है वह मानव के रूप में दानव है मानवता यानि इंसानियत उसे कहते है जब दुसरों के दुखों को देख कर हमारे मन में दया का भाव उत्पन्न हो परंतु जब दुसरों को दुखी देख कर हमारे दिल में दया का भाव उत्पन्न ना हो तब हमे समझ लेना चाहिए कि हमारे अंदर की इंसानियत मर चुकी है, क्योंकि सच्चा इंसान वही है जो अपने स्वार्थ से परे हो कर दुसरों के दुखों को हरने का प्रयत्न करें । कई बार ऐसा होता है कि हम चाह कर भी किसी के दुख को हर नही सकते, परंतु हम मानवता के नाते सांत्वना के मात्र दो शब्द कह कर उसके दुख को कम करने का प्रयास जरूर कर सकते है यदि हम मनुष्य एक दूसरे के प्रति मानवता व्यक्त नही करेंगे तो इस धरती पर चारो ओर निराशा ही निराशा फैल जायेगी इसीलिए हमे केवल अपने हित और स्वार्थ तक ही सीमित नही रहना चाहिए बल्कि प्रत्येक मनुष्य को एक दूसरे के प्रति मनुष्यता दिखानी चाहिए ।
* दुनिया में इतना दुख क्यों है ?
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में इतना दुख क्यों है क्योंकि हम मनुष्यों की सोच ही छोटी है और छोटी सोच वाला मनुष्य हमेशा अपना – पराया देखता है, हमेशा सिर्फ अपने हित और दुसरों के अहित की बात सोचता है इस तरह छोटी सोच वाला मनुष्य घृणा और ईष्र्या की आग में जल कर खुद भी दुखी रहता है और दुसरो को भी दुखी करता है । जबकि ऊँचे सोच वाले महान मनुष्य के लिए समस्त पृथ्वी उनका परिवार है और ऐसे महापुरुष उदार चरित्र के होते है । वे केवल अपने सुख की नही बल्कि सभी के सुख की कामना करते है वे चाहते है कि दुनिया में कोई दुख को प्राप्त ना हो और सभी के जीवन में सुख-शांति बनी रहें और अदि इसी तरह प्रत्येक मनुष्य उदार चरित्र का हो जाए तो इस दुनिया से दुखों का नामोनिशान मिट जायेगा ।
*मानवता की परिभाषा| definition of humanity
हमारे धर्मग्रंथों में भी कहा गया है कि मनुष्य को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिससे हमारे समाज में परोपकार और सहयोग की भावना पैदा हो जिस तरह प्रकृति अपना सब कुछ दुसरों पर न्योछावर कर देती है उसी प्रकार मनुष्य को भी यह सोचना चाहिए कि उसका जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ है और उसे खुशी-खुशी अपना सारा जीवन मानव कल्याण में समर्पित कर देना चाहिए । हमारे इतिहास में महात्मा गांधी महात्मा बुद्ध , भगवान महावीर संत कबीर स्वामी विवेकानंद , जैसे कई ऐसे महापुरुषों का वर्णन है जिन्होंने अपना सारा जीवन मानव कल्याण में अर्पण कर दिया । महर्षि दधीचि ने तो देवताओं के रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग कर अपनी अस्थियां तक दान कर दी थी जिससे इंद्र के वज्र का निर्माण हुआ और देवताओं की असुरों पर विजय हुई ।
ईसलिए दोंस्तो हमें भी अपना स्वार्थ त्याग कर एक दूसरे के प्रति मानवता प्रकट करके मानवता का परिचय देना चाहिए।
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