ध्यान क्या है | मेडिटेशन क्या है
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Meditation meaning |
Meditation अब धीरे-धीरे लोगों की दिनचर्या में शामिल होता जा रहा है परंतु अभी भी अधिकांश लोग ऐसे हैं जो आध्यात्मिक क्रियाकलापों जैसे मेडिटेशन, योग, साधना,मंत्र, आदि को निरंर्थक मानते हैं। शायद उन्हें लगता है कि ध्यान, साधना या अध्यात्मवाद यह सब साधु संतों का काम है। उन्हें लगता है कि वे जो मौज मस्ती वाला जीवन जी रहे हैं वहीं जिंदगी है, जबकि यह सच नहीं है। वास्तव में अध्यात्मिकता का आपके जीवन से बहुत गहरा संबंध है। अध्यात्मिक ज्ञान के बिना हम जीवन का भरपूर आनंद ले ही नहीं सकतें हैं। अतः इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि ध्यान यानी (meditation) क्या है और ध्यान का आपके जीवन में क्या महत्व है।
अधिकांश लोग शायद ये समझते हैं कि ध्यान करना एक कठिन प्रक्रिया है परंतु वास्तव में ध्यान करना उतना भी कठिन नहीं है जितना कि लोग समझते हैं। ध्यान करना इतना सरल है कि कोई भी आदमी अगर चाहे तो कहीं भी ध्यान कर सकता है। जैसे अगर अभी आप इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ रहे हैं तो ये भी एक ध्यान ही हैं। ध्यान क्या है, ध्यान का अर्थ है अपने भूत और भविष्य के विचारों से परे होकर वर्तमान को देखना। ध्यान को अंग्रेजी भाषा में Meditation कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हमारा मन दुनिया के झंझावातों से मुक्त होकर एक गहरे शांति का अनुभव करता है। ध्यान अपने मन के विचारों के प्रति जागरूक होकर अपने भीतर झांकने की एक कला है। ध्यान अपने अस्तित्व को जानने का सबसे सरल मार्ग है। ध्यान आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सबसे सरल साधन है।
ऐसा नहीं है कि आप ध्यान के बारे में पहले से नहीं जानते। यह शब्द हमलोग बचपन से ही सुनते आ रहे हैं,कभी अपने अध्यापकों से तो कभी अपने माता-पिता से जैसे- मेरी बात ध्यान से सुनो, ध्यान लगाकर पढ़ाई करो, ध्यान से काम करना, या तुम्हारा ध्यान कहां है। जी हां आज भी हम उसी ध्यान की बात कर रहे हैं। ध्यान से हमारे शरीर की सारी ऊर्जा एकत्रित होकर किसी खास जगह,वस्तु या विषय पर केंद्रित हो जाती है। जिससे हम उसकी वास्तविकता को गहराई से जान पाते हैं। आज हमारे विज्ञान ने जितने भी अविष्कार किए है। वह ध्यान से ही संभव हो सका है। अभी आपके हाथ में जो यंत्र है उसे भी गहन ध्यान से ही बनाया गया है। हम जिस यंत्र में बैठ कर आकाश में उड़ते हैं उसका निर्माण भी ध्यान की शक्ति से ही संभव हो सका है। अभी भी मनुष्य के अद्भुत मस्तिष्क में अनंत संभावनाएं छुपी हुई है जिसे ध्यान से तलाशा जाए तो ब्रह्मांड के अंतिम बिंदु तक पहुंचा जा सकता है।
ध्यान तकनीक क्या है ?
दरअसल हमारा मन एक झील की भांति है। जिसके ऊपरी सतह को चेतन मन और तल को अवचेतन मन समझ सकते हैं। चेतन मन हमेशा सक्रिय रहता है और हमारे दैनिक क्रियाकलापों को संपन्न करता है और हमारे अवचेतन मन यानी इस झील के तल में ब्रह्मांड के सभी रहस्य छुपे हुए हैं। लेकिन हम इस मन के झील में दिन-रात विचारों के कंकड़ डालते रहते हैं। जिसके कारण इस झील के पानी में सुख दुख, काम क्रोध, मान अपमान, घृणा ईर्ष्या, प्रसन्नता निराशा और चिंता तनाव जैसी भावनात्मक तरंगें चलती रहती है। जिसके परिणामस्वरूप हम अवचेतन मन यानी झील के तल में छुपे हुए अनंत संभावनाओं को नहीं देख पाते इसलिए ध्यान के द्वारा हम इस मन की झील में कंकड़ डालना छोड़ कर, इसके पानी को स्थिर करने का प्रयास करते हैं, ताकि हम अवचेतन मन की गहराई में उतर सकें।
अध्यात्म जगत में ध्यान करने की कई विधियां प्रचलित है। महादेव शिव ने माता पार्वती को 112 ध्यान विधियों के बारे में बताया था। जिनमें से कुछ विशिष्ट और सरल ध्यान विधियों का संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार हैं।
ध्यान कैसे करें
- विपश्यना ध्यान- यह भगवान बुद्ध द्वारा विस्तारित की गई ध्यान पद्धति है। भगवान बुद्ध को विपश्यना ध्यान के द्वारा ही आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था। इस ध्यान को तीन चरणों में पुरा किया जाता है। पहले चरण में अपने दैनिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। जैसे- चलतेेे-फिरते, उठते-बैठते, खाते-पीते अपना पूरा ध्यान उसी पर केन्द्रित करें। महसूस करें कि आपके शरीर के अंग किस प्रकार अपना कार्य कर रहे हैं। दुसरे चरण में किसी एकांत स्थान पर किसी भी आरामदेह मुद्रा में बैठ कर अपने मन में आते-जाते विचारों को ध्यान से देखें। याद रखें आपको ना तो अपने विचारों को रोकना है और ना ही उनके विषय में सोचना है, केवल उन्हेंं देखना है। तीसरे चरण में आपको केवल अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करना है। अपने अंदर आती जाती सांसों को महसूस करना है। ध्यान रहे आपको सांसों को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करना है।
- शांभवी मुद्रा– यह भगवान शिव की मुद्रा है इसलिए इसे शांभवी मुद्रा कहा जाता है। इसे करने के लिए किसी शांत जगह पर सर्वप्रथम सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब अपने सिर को हल्का सा ऊपर उठा कर अपने दोनों भाव के बीच आज्ञाचक्र पर ध्यान लगाने का प्रयास करें। इस स्थिति में आपकी आंखें अधखुली अवस्था में रहनी चाहिए। इस ध्यान को प्रतिदिन 2 से 5 मिनट तक करना चाहिए।
- त्राटक ध्यान– इस ध्यान में किसी विशेष बिंदु या ज्योति पर टकटकी लगाकर देखने का प्रयास किया जाता है। किसी शांत और अंधेरे कमरे में बैठ जाएं फिर अपने शरीर से 10 फीट की दूरी पर किसी मोमबत्ती या दीपक को जलाकर अपने आंखों के समानांतर रख दें। अब आंखों को बिना झपकाएं, उस पर ध्यान लगाने का प्रयास करें। जब तक आंखों से पानी ना आ जाए। थोड़ी देर विश्राम करके इसे 4 से 5 बार करें।
- कुंडलिनी जागरण– योग विज्ञान के अनुसार हमारे शरीर में ब्रह्मांड की अनंत शक्तियां विद्यमान हैं, जो हमारे शरीर के मूलाधार चक्र में स्थित है। कुंडलिनी जागरण द्वारा इन्हीं शक्तियों को जागृत करने का प्रयास किया जाता है। यह एक बहुत ही कठिन साधना है इसलिए इसे किसी योग्य गुरु के सानिध्य में ही करना उचित है। इस कठिन साधना को सिद्ध करने के बाद साधक सुपर नेचुरल शक्तियों का मालिक हो जाता है।
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ध्यान करने के लाभ
ध्यान यानी मेडिटेशन करने के अनगिनत फायदे हैं परंतु अगर आप इसे फायदे और नुकसान की दृष्टि से देखेंगे तो शायद आप मेडिटेशन नहीं कर पायेंगे। फिर भी आपकी संतुष्टी के लिए हम कुछ फायदे बता देते हैं।
- कुंडलिनी जागरण के द्वारा आप अपने अंदर छुपी हुई चमत्कारी शक्तियों को जागृत कर सकते हैं।
- विपश्यना ध्यान के द्वारा आप अवचेतन मन के गहराई में जाकर आप आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और आखिर में मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
- अगर आप जीवन में किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं परंतु आप अपने लक्ष्य पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं तो आपको त्राटक ध्यान करना चाहिए। यह ध्यान आपके मन की चंचलता को दुर करके आपकी एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। त्राटक ध्यान द्वारा सम्मोहन शक्ति भी सिद्ध किया जा सकता है।
- अगर आपको बहुत गुस्सा आता है आपका अपने मन पर कंट्रोल नहीं हैं तो आपको विपश्यना ध्यान करना चाहिए। इस ध्यान से सभी प्रकार के मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
- अगर आप मन की शांति चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन शांभवी मुद्रा में ध्यान करना चाहिए। यह ध्यान दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है और बुद्धि तीव्र होती हैं। शांभवी ध्यान के सिद्धि प्राप्त होने पर आप भुत और भविष्य के ज्ञाता भी बन सकते हैं।
- नियमित रूप से ध्यान करके आप कई प्रकार रोगों से मुक्त होकर निरोग, सुखी, और आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।