मृत्यु के 40 सेकंड पहले इंसान के शरीर में क्या क्या होता है? What happens before death

विज्ञान ने जीवन को समझना काफी आसान बना दिया है। लेकिन मृत्यु आज भी एक जटिल विषय बनी हुई है। मृत्यु क्या होती है, कैसे होती है, मृत्यु के पहले क्या होता है, मृत्यु के बाद क्या होता है। इसके बारे में किसी को ठीक ठीक नहीं पता। मृत्यु के संबंध में अधिकतर लोग केवल पौराणिक ग्रंथों और काल्पनिक अवधारणाओं को ही सच मान कर बैठे हैं। जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण अथवा तर्कसंगत आधार नहीं है। इस आर्टिकल में मैं जो बताने वाला हूं वह पूरी तरह से प्रमाणित और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।

मृत्यु क्या है?

हमारे मानव शरीर में करीब 86 अरब कोशिकाएं होती है और हरेक कोशिका में जीवन होता है। हरेक कोशिका के नाभिक में DNA होता है जो प्रोटीन की मदद से अपनी एक कापी तैयार कर लेता है। इन्हीं कोशिकाओं के विशाल समूहों द्वारा हमारे शरीर के विभिन्न अंगों का निर्माण होता है। इन कोशिकाओं को अपना काम करने के लिए जल और आक्सीजन के साथ साथ कई सारे खनिज तत्वों की जरूरत होती है। जो हम बाहर की प्रकृति से ग्रहण करते हैं। हमारे द्वारा ग्रहण किए गए आक्सीजन जल और पोषक तत्वों से कोशिकाओं को उर्जा मिलती रहती है और वे अपना काम करते रहते हैं। हमारी दैनिक गतिविधियों के दौरान हमारे शरीर की लाखों कोशिकाएं मरती रहती है और उनके स्थान पर नयी कोशिकाएं जन्म लेती रहती हैं। इस पूरी प्रक्रिया को सेल डिविजन कहा जाता है और यह प्रक्रिया पल प्रतिपल और जीवन भर चलती रहती है। इस तरह से हमारा जीवन एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है। जो पूरी तरह कोशिका विभाजन, उत्पादन और उनके विकास पर निर्भर करती है।

हमारे शरीर की ये जैविक प्रकियाएं कई कारणों से रुक जाती हैं। जैसे उम्र ढलने की वजह से शरीर का जर्जर हो जाना, कुपोषण या बीमारी की वजह से शरीर के अंगों के काम करने की क्षमता खत्म हो जाना या किसी दुर्घटना या आघात की वजह से दिल की धड़कन रुक जाना। दिल हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। यह हमारे पुरे शरीर को ब्लड के जरिए भोजन से मिले जल, पोषण तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आक्सीजन और जल ही वे मुख्य तत्व है। जिनसे हमारे शरीर की कोशिकाओं को उर्जा मिलती रहती है। इनके बिना हमारे शरीर की कोशिकाएं जीवित नहीं रह सकती। इसलिए जल को जीवन और आक्सीजन को प्राणवायु भी कहा जाता है।

जीवन क्या है और इस जीवन का सत्य क्या है?

मनुष्य की मृत्यु क्यों हो जाती है?

जब किसी आघात या दुर्घटना की वजह से दिल की धड़कन रूक जाती है तो शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन की मिलना बंद हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप हमारे शरीर के अंगों की कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती है। इस तरह हमारे दिल की धड़कन का रूकना ही कई बार मौत का कारण बनती है। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों मेडिकल सपोर्ट की मदद से दिल की धड़कन दुबारा रीस्टार्ट किया जा सकता है। इसलिए दिल की धड़कन का रूकना मृत्यु का कारण तो बन सकता है परंतु इसे मृत्यु नहीं कहा जा सकता। वास्तव में हमारी मृत्यु तब होती है जब हमारा ब्रेन स्टेम डेड हो जाता है। ब्रेन स्टेम की मृत्यु ही हमारी मृत्यु होती है क्योंकि एक बार यदि ब्रेन स्टेम काम करना बंद कर दे तो उसे दोबारा रिस्टार्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि ब्रेन का 90% हिस्सा न्यूरॉन सेल का बना होता है। जिनका विभाजन। इसलिए यदि ब्रेन का कोई हिस्सा डैमेज हो जाएं तो इसे दुबारा रिपेयर नहीं किया जा सकता।

मरने के 40 सेकंड पहले इंसान को क्या महसूस होता है?

अब आप सोच रहे होंगे कि ये ब्रेन स्टेम क्या होता है। ब्रेन स्टेम हमारे ब्रेन के मध्य भाग के निचले हिस्से में मौजूद होता है। जो हमारी रीढ़ की हड्डी से जुड़ा होता है। ब्रेन स्टेम हमारे शरीर की सभी स्वचलित गतिविधियों का संचालन करता है। यानी हमारे सांस लेने बोलने, चलने या किसी भी तरह का बाडी रिएक्शन ब्रेन स्टेम के द्वारा ही होता है। सोते समय भी जो हमारी सांसें चलती रहती है। यह काम ब्रेन स्टेम ही करता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि हमें हमारी चेतना का बोध ब्रेन स्टेम की वजह से नहीं होता बल्कि सेरेब्रम और सेरिबेलम कार्टेक्स की वजह से होता है। जिसमें बाहरी दुनिया से मिलने वाले इंफॉर्मेशन और एक्सपीरियंस सेव होते हैं। ब्रेन स्टेम के न्यूरॉन्स को ऑक्सीजन से ऊर्जा मिलती है। इसलिए जब किसी वजह से ब्रेन स्टेम को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है तो धीरे धीरे ब्रेन स्टेम के न्यूरॉन्स डिएक्टिवेट होने लगते हैं। यानी मरने लगतें है। जब किसी वजह से हमारे ब्रेन में आक्सीजन सप्लाई रूक जाती है तो ऐसे समय में ब्रेन स्टेम की सुरक्षा प्रणाली एक्टिवेट हो जाती है। जो ब्रेन स्टेम को बचाने की पूरी कोशिश करती है। वह शरीर के सभी अंगों के ब्लड में मौजूद आक्सीजन को निचोड़ना शुरू कर देती है। इसलिए मरते वक्त सारे शरीर की ऊर्जा ब्रेन स्टेम की ओर खिंचने लगती हैं। यह प्रक्रिया मरने के लगभग 40 सेकंड पहले शुरू होती है। इसी प्रक्रिया में हमें तरह तरह के अनुभव होते हैं। ऐसा महसूस होता है जैसे कोई हमारे प्राण खींच रहा हो। हमें बेचैनी सी महसूस होती है। कुछ लोगों को बहुत तेज रोशनी दिखाई देती है। इसे ही हम near death experience कहते हैं। परंतु यह अनुभव ब्रेन में मौजूद मेमोरी और ब्रेन स्टेम के रिएक्शन के कारण महसूस होता है। तो जब ब्रेन स्टेम को कही से भी आक्सीजन नहीं मिल पाता तो धीरे धीरे उसके न्यूरॉन्स पूरी तरह डेड हो जाते है। और इस तरह हमारी मृत्यु हो जाती है।

मौत के बारे में विज्ञान क्या कहता है?

मेडिकल साइंस में ब्रेन स्टेम का डेड होना ही इंसान की मृत्यु मानी जाती है। अब एक सवाल ये भी उठता है कि जो इंसान बिमारी या किसी दुर्घटना में नहीं मरता। वह बुढ़ापे में कैसे मर जाता है। देखिए जैसा कि आप जान चुके हैं कि सेल डिविजन, रीप्रोडक्शन और ग्रोथ ही हमारे जीवन की बायोलॉजिकल प्रोसेस है। अब हमें यह समझना होगा कि अगर किसी चीज को बार बार, बहुत बार विभाजित किया जाए तो वह छोटी और छोटी होती जाती है। एक दिन वह इतनी छोटी हो जाती है उसे और तोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए एक उम्र के बाद कोशिका विभाजन की प्रक्रिया धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगती है। फिर एक समय ऐसा आता है जब कोशिका विभाजन की‌ अंतिम सीमा पूरी हो जाती है। उसके बाद हमारे शरीर की कोशिकाएं विभाजित नहीं हो पाती जिसकी वजह से हमारे शरीर की कोशिकाएं नष्ट तो होती है परंतु उसके स्थान पर नयी कोशिकाएं जनम नहीं ले पाती। कोशिकाओं के नष्ट होने की वजह से धीरे धीरे हमारे शरीर के अंग कमजोर होने लगते हैं और अंततः उनमें काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है। इसी वजह से बुढ़ापे में हमारे शरीर के अंग अपने आप काम करना बंद कर देते है और हमारे मृत्यु हो जाती है। जीवन मृत्यु का यह चक्र ऐसे ही अनंत काल तक चलता रहता है।

मृत्यु के बाद क्या होता है?

परन्तु इस मृत्यु का मतलब हमारे जीवन अंत नहीं है बल्कि हमारे शरीर की जैविक प्रक्रिया और हमारी मेमोरी का अंत हैं। यह हमारे मस्तिष्क में संचित की गई स्मृतियों, विचारों और अनुभवों का अंत हैं। जीवन का अंत तो कभी होता ही नहीं। सांइस ने भी इस तथ्य को प्रूव कर दिया है कि जीवन के मुल बीज में ये जो तीनों तत्व है। न्यूट्रॉन प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन ये कभी भी नष्ट हो ही नहीं सकते। हम जिस मृत्यु समझते हैं। वह वास्तव में पदार्थ और उर्जा का परिवर्तन है। जो फिर से एक नये जीवन को आकार दे देता है। आपने देखा होगा कि पतझड़ में पेड़ पौधों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनकी जगह पर नये पत्ते निकल आते हैं। सब कुछ फिर से नया, ताज़ा और कोरा हो जाता है। मृत्यु के बाद हमारा जीवन वैसे ही हो जाता है बिल्कुल नया और ताजा। हम बेवजह ही मृत्यु से डरते हैं। मृत्यु तो आरंभ है एक नए जीवन की।

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तो दोस्तो आशा करता हूं कि अब आप समझ गए होंगे कि मृत्यु क्या होती है और कैसे होती है। फिर भी यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। आपको इस पोस्ट से क्या सीखने को मिला नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। और हां आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और युटयूब के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं।

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