दर्दभरी सच्ची प्रेम कहानी| Very sad story in hindi
टीं टीं टीं टीं…
रात को 11.00 बज रहे थे। दीपक मोबाइल को स्विच ऑफ करने ही वाला था कि मोबाइल बज उठा। वह प्रतिदिन सोने से पहले मोबाइल off कर देता था। उसके आइडिया वाले सीम का रिचार्ज खत्म होने को था इसलिए उसने यह सोच कर मैसेज खोला कि शायद कोई नया ऑफर आया हो। क्योंकि जब से जियो मार्केट में आया है तब से सीम कंपनियों में सस्ते ऑफर देने की होड़ सी लग गई है। दीपक बिहार के एक गांव का बाशिंदा था जो दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में अपने गांव के कुछ दोस्तों के साथ रहकर राजमिस्त्री का काम करता था। दिहाड़ी कोई बहुत ज्यादा नहीं थी इसलिए वह अपने खुद के खर्च को कम से कम रखने कोशिश करता ताकि घरवालों को ज्यादा से ज्यादा पैसे भेज सके। इसलिए उसने उत्सुकतावश मैसेज खोला लेकिन यह क्या मोबाइल की स्क्रीन पर सिर्फ एक शब्द जगमगा रहा था, “sorry”
दीपक को एक पल के लिए तो कुछ भी समझ नहीं आया, लेकिन जब उसकी नजर मैसेज आने वाले नम्बर पर पड़ी तो अचानक बिस्तर से उठकर बैठ गया। मैसेज भेजने वाले का नाम शायद उसके मोबाइल में सेव था। और यह नाम उसकी नींद उड़ाने के लिए काफी था। सब कुछ तो भुल गया था लेकिन इस नंबर को डिलीट करना कैसे भुल गया मैं । उसने खुद को कोसा। वह दुबारा सोने के इरादे से बिस्तर पर लेट गया। लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर था। जिन यादों को उसने दिल के अंधेरे कुएं में दफन कर दिया था वे आज एक बार फिर से जिंदा हो गई थी। उसने बेचैन हो कर करवट बदला। मगर वो यादें इतनी आसानी से उसका पिछा कहां छोड़ने वाली थी। उसने खिड़की से बाहर देखा, काले बादलों की एक टुकड़ी धीरे-धीरे चांद को अपने आगोश में ले रही थी और इधर यादों ने भी उसके दिलो-दिमाग को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया। बीते कल की एक-एक घटना किसी फिल्म के भांति उसके आंखों के सामने घूमने लगी। उसने घबराकर आंखें बंद कर ली और आखिरकार यादों के घने जंगल में खो गया।
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ओ हेलौ सुनिए ना ..?
रात के करीब 9.00 बज रहे थे। वह छत पर लेटा हुआ आसमान में टिमटिमाते तारों को निहार रहा था। तभी उसे किसी लड़की के फुसफुसाने की आवाज सुनाई पड़ी। उसने चौंककर आवाज की दिशा में नजर दौड़ाई। उसने देखा, छत की सीढ़ीयों के आखिर में बने छोटे से दरवाजे के पास खड़ी एक सांवली सी लड़की उसे पास आने का इशारा कर रही थी। लड़कियों के मामले में वह काफी शर्मिला था और वह नई-नई रिश्तेदारी में आया था इसलिए उसे उस लड़की के पास जाने में थोड़ा संकोच हुआ।
आप आईए ना ..? उसने शरारती अंदाज में कहा। उसे लगा कि वह लड़की शायद मजाक करने के इरादे से आई है।
वह लड़की डरते-डरते उसके पास आई और उसके हाथों में एक लिफाफा थमाते हुए बोली- यह मेरी दोस्त रिया ने आपको देने के लिए कहा है।
यह रिया कौन है ? उसने सवालिया लहजे से उस लड़की से पुछा।
हफ्ते भर पहले ही दीपक की छोटी बहन अंकिता की शादी हुई थी और वह उसके बहुभोज की पार्टी में उसके ससुराल आया हुआ था। एक छोटे से गांव का रहनेवाला दीपक अपनी प्यारी बहन की शादी शहर में करके बहुत खुश था। अंकिता के ससुराल वाले काफी अमीर थे और उनका व्यवहार भी दीपक को बहुत अच्छा लगा था। खासकर अंकिता की सास और ससुर के प्यार और अपनेपन ने उसका दिल जीत लिया था। लेकिन वह अभी उसके परिवार के बाकी लोगों से अपरिचित था।
रिया आपके बहन की ननद है। यह कहते हुए,वह लड़की तेजी से सीढ़ियां उतरती चली गई और वह हाथ में लिफाफा लिए अवाक हो कर उसे जाते देखता रह गया।
कुछ देर तक तो उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें। फिर कुछ देर सोचने के बाद उसने धीरे से लिफाफे को खोल कर देखा। अंदर एक छोटा सा लेटर और एक सांवली सलोनी लड़की की तस्वीर थी। तस्वीर वाली लड़की को ध्यान से देखते हुए उसने दिमाग पर जोर डाला। उसे लगा कि शायद मैंने इसे कभी देखा है। हां याद आया पिछले साल सगाई में जब मैं यहां आया था तो यहीं लड़की दही फेंककर भाग गई थी। और हां बारात में शामिल 4-5 लड़कियों में यह भी थी लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया था। मुस्कराते हुए उसने सोचा। फिर तस्वीर को साइड में रखते हुए उसने मोबाइल का टार्च जलाकर उस लेटर को पढ़ना शुरू किया।
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मेरे प्रिय दीपक जी
मैं आपसे बहुत, बहुत, बहुत प्यार करतीं हूं। मैं आपसे इतना प्यार करती हूं कि बता नहीं सकती। आप बस इतना समझ लीजिए कि मैने अपना तन-मन आपके नाम कर दिया है। मैं आपको अपना पति मान चुकी हूं और इस जन्म में मैं आपके सिवा और किसी की नहीं हो सकती। और आप ये मत समझना कि मुझे आपके जिस्म से प्यार है। मैं आपको पिछले एक साल से प्यार करती हूं। बिना देखे, बिना जाने,केवल आपके नाम से, जानते हैं कैसे। एक साल पहले जब हमारे घर के लोग आपकी बहन को देखकर आए थे तभी से हमारे घर के सभी लोग आपकी ही तारीफ करते थे। सब कहते थे कि लड़की का भाई बहुत सुंदर है, बहुत अच्छा है। मेरी नानी तो कहती हैं कि उसी लड़के से रिया की शादी होगी। उनकी बात सुनकर मैं सोचती थी कि कैसा लड़का है कि सभी लोग हमेशा उसकी ही तारीफ करते हैं। इस तरह धीरे-धीरे मुझे आपसे प्यार हो गया।
पिछले एक साल से मैंने हर पल इंतजार किया है कि कब ये शादी होगी और कब आपको देखूंगी। और अब आपको देखने के बाद ऐसा लगता है कि एक पल भी आपके बिना नहीं जी सकूंगी।
दीपक जी मैं पता नहीं आप मेरी बात पर विश्वास करेंगे या नहीं लेकिन एक बात पर विश्वास जरूर किजियेगा कि अगर आपने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया तो मैं जहर खाकर अपनी जान दे दूंगी। अब फैसला आपके हाथ में है।
आपकी रिया
लेटर को पढ़ने के बाद दीपक सोच में पड़ गया कि वह क्या करें और क्या ना करें। क्योंकि तरफ एक लड़की के सच्चे प्रेम और विश्वास के टुटने का डर था तो दुसरी तरफ अपनी बहन के शादी-शुदा जिंदगी में जहर घुलने का डर था।
भैया! अभी तक यहां क्यों बैठे हैं चलिए ना सोने। वह उसकी बहन अंकिता की आवाज थी।
वह धीरे से उठा और नीचे सोने चला गया। लेकिन अब उसकी आंखों में नींद कहां थी। वह रात भर सोचता रहा लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका।
सुबह अपने घर वापस जाने के लिए अपना बैग पैक कर रहा था तभी अंदर उसके एक गिफ्ट पैक नजर आया। उसने बैग के अंदर ही उसे खोला तो उसमें प्रेमी युगल वाला गिफ्ट और एक छोटा सा कागज था जिस पर लिखा था। मैं पुराने घर पर हूं, मुझसे मिल कर जाइएगा। अंकिता के ससुराल वालों का घर दो जगह था। पुराना घर नये घर से कुछ दूरी पर था।
मैं बस अभी आया ! उसने अंकिता से कहा और सड़क पर आ गया।
दीपक के ना चाहते हुए भी उसके कदम पुराने घर की तरफ बढ़ते चले गए। रिया वहां पर अकेली थी और बहुत उदास नज़र आ रही थी।
“बताइए क्या कहना चाहतीं हैं, क्यों बुलाया है मुझे यहां?
सवालिया निगाहों से देखते हुए दीपक ने जल्दी से पूछा।
किसी ने यहां देख लिया तो पता नहीं क्या होगा। दीपक को अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था।
उसकी मासूमियत भरी नजरें जो उसकी पैर के नाखूनों के साथ मिलकर जमीन कुंरेद रहीं थीं, एक पल को उठी तो एक साथ कई मोती उसकी आंखों से टुट कर बिखर गए। अचानक उसके सब्र का बांध टुट गया। वह एक झटके से आगे बढ़ी और दीपक के कंधे पर सर रख कर फुटफुट कर रो पड़ी। रिया के आंखों से आंसुओं की धारा फुट पड़ी। उसके आंखों से बहते आंसू उसकी सच्ची मोहब्बत की गवाही दे रहे थे। वह हैरान परेशान उसे देखता रह गया। फिर उसने किसी तरह उसे चुप कराया और जाने की इजाजत मांगी। फिर कब आइएगा? वह उसकी कलाई को कसकर पकड़े हुए थी। बस जल्द ही आउंगा। दीपक ने उसके दुपट्टे से उसके आंसू पोछते हुए कहा।
घर पहुंच कर फोन किजियेगा। रिया ने उसका हाथ छोड़ते हुए कहा। ठीक है ! यह कहकर वह तेजी से बाहर निकल गया।
लेकिन वहां से निकलने के बाद उसे ऐसा लगा जैसे वह अपनी सबसे कीमती चीज उसके पास छोड़ आया हो। क्योंकि यह सच था कि उसने कभी उसे चाहा नहीं था लेकिन उस पागल लड़की की मासुम मोहब्बत ने उसके दिल के बंजर जमीन पर चाहत के बीज बो दिए थे। लेकिन कुछ बातें थी जो अभी तक दीपक को बेचैन कर रही थी…
क्रमशः
क्या दीपक ने रिया का प्यार कबूल किया ? रिया को दीपक ने क्या जवाब लिखा ? इस प्रेम कहानी का अंजाम क्या हुआ ?
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