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Dukh ka karan
हम दुखी क्योंं होते हैं | जीवन में दुख के कारण |
अक्सर लोग कहते हैं कि जीवन दुख है, जीवन में केवल दुख ही दुख है। और शायद वे ठीक ही कहते हैं। हो सकता है उन्हें जीवन में केवल दुख ही नजर आता हो। हो सकता है उन्होंने अपने जीवन में केवल दुख को ही अनुभव किया हो। परंतु दुःख को इतना अनुभव करने के बाद भी लोग अगर अपने दुख का कारण जानने की कोशिश ना करें तो यह तो मूर्खता है। इतनी लंबी बीमारी का कष्ट सहने के बाद भी कोई अपना इलाज ना करे तो इसे मूर्खता नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे। अगर लोग इस दुख के कारण को जान पाए तो शायद इस दुख से मुक्त हो सकते हैं।
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आपको पता हैं कि हमारे जीवन का दुःख क्या है। हमारे जीवन का मौलिक दुख यहीं है कि जो रुकेगा नहीं, हम उसे रोकना चाहते हैं। हमारे जीवन का मौलिक दुख यहीं हैं कि जो होगा नहीं, उसे हम करना चाहते हैं। जो कभी हो ही नहीं सकता, उसे हम करना चाहते हैं। जैसे हम अभी जवान हैं तो हमेशा जवान ही रहना चाहते हैं। हम बूढ़े होना ही नहीं चाहते। जैसे हम अभी जी रहे हैं तो ऐसे ही हमेशा जीना चाहते हैं। हम कभी मरना ही नहीं चाहते। अब भला यह कैसे हो सकता है। जो जवान हुआ है उसे तो बूढ़ा होना ही पड़ेगा। जिसने जन्म लिया है उसे तो मरना ही पड़ेगा। हम जिस दिन जन्म लेते हैं उसी दिन से हमारे मरने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। और जब शुरुआत हुई है तो अंत भी एक दिन होना ही है। यहीं तो सृष्टि का नियम है।
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लेकिन नहीं हम चाहते हैं कि हमारे लिए प्रकृति अपना नियम बदल दे। हम चाहते हैं कि यह जीवन धारा जो सबको अपने साथ बहा ले जा रही है हमको अपवाद समझकर छोड़ दे। हम चाहते हैं कि जीवन सब कुछ हमारी मर्जी से हो। हमारी मर्जी से दिन हो और हमारी मर्जी से रात हो। हमारी मर्जी से धूप निकले और हमारी मर्जी से बरसात हो। हम समय के चक्र को अपने इशारों पर चलाना चाहते हैं। मगर ऐसा होता नहीं इसलिए हम दुख का अनुभव करते हैं। दुख हमें कोई दे नहीं रहा। हम अपना दुख स्वयं उत्पन्न कर रहे हैं। हमारे जीवन में दुख इसीलिए है क्योंकि हम जीवन को पकड़ कर रखना चाहते हैं। हम जीवन को उसके स्वाभाविक प्रकृति के साथ स्वीकार ही नहीं करते इसीलिए हमारे जीवन में सुख और शांति नहीं है। अगर हम जीवन के वास्तविक स्वरूप को साक्षी भाव के साथ सरलता से स्वीकार कर ले तो फिर हर परिस्थिति में सुख है हर पल में आनंद है।
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जीवन में सुखी वही रहता है जो जीवन से कुछ नहीं मांगता। जीवन जो भी करता है उसे खुशी-खुशी स्वीकारने का जिसमें भाव होता है। आज किसी का प्रेम मिला तो भी खुश और कल प्रेम खो गया तो भी उतना ही खुश। कल महल में थे तो भी ठीक और आज झोपड़े में आ गए तो भी ठीक। आज पैसा है तो भी खुश, कल पैसा नहीं है तो भी खुश। लेकिन हमारी सबसे बड़ी समस्या यहीं है कि हम जो भी हैं, जैसे भी हैं, जहां भी हैं। उस पल को तो जीते नहीं, बस जो नहीं है उसकी शिकायत करते रहते हैं। हम इतनी छोटी सी बात नहीं समझते कि अभी जो फूल खिला है सांझ होते ही वह मुरझा जायेगा। सामने पेड़ पर जो पत्ते हैं कल टूट कर बिखर जाएंगे। यहां कोई नहीं रहने वाला सब के सब उजड़ जाएंगे। समझ सको तो बस इतना समझ लो कि यह सारा संसार एक सराय है आज यहां हम हैं और कल नहीं रहेंगे। इसलिए ज्यादा सोच विचार मत करो जो जीवन मिला है। उसे जी भरकर जी लो। वरना जो है वह भी चला जाएगा। हमारा अतीत चला गया वर्तमान भी बहा जा रहा है और भविष्य भी आएगा और चला जाएगा।
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