smartphone addiction: आपकी जान भी ले सकता है।

 smartphone addiction effect in hindi

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इंटरनेट नाम की क्रांति ने हमारी दुनिया को काफी तेजी से विकसित किया है परंतु जिस प्रकार लोग smartphone addiction का शिकार होते जा रहे हैं उससे यहीं प्रतीत हो रहा है कि यहीं इंटरनेट एक दिन दुनिया के विनाश का कारण बनेगा। और हम ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप स्वयं ही समझ जाएंगे। तो दोस्तो आज हम बात करने वाले हैं smartphone addiction के बारे में जिसने दुनिया के 3.5 अरब इंसानों को बीमार बना कर रख दिया है। जिसने नोमोफोबिया नामक एक नई महामारी को जन्म दे दिया है। आज हम बताने वाले है कि स्मार्टफोन की लत ने हम इंसानों को किस कदर अपंग बना कर रख दिया है। इस आर्टिकल में हम ये भी बताएंगे कि आप स्मार्टफोन की लत से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।

smartphone addiction in hindi

3 अप्रैल 1973 जब मार्टिन कूपर ने दुनिया का सबसे पहला मोबाइल फ़ोन लांच किया था। उस वक्त शायद उन्होंने यही सोचा होगा कि यह छोटी सी डिवाइस हम इंसानों की लाइफ आसान और बेहतर बनाएगी। लेकिन शायद उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन इंसान इस छोटी डिवाइस का गुलाम बन कर रह जाएगा। उन्हें क्या पता था कि इंसानों की इतनी विशाल दुनिया बस 5 इंच की स्क्रीन के भीतर कैद होकर रह जाएगी। इस 5 इंच की स्क्रीन ने इंसानों को किस प्रकार अंधा,बहरा और अपंग बना दिया है। इसके कुछ उदाहरण देख लिजिए।
 
 दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो ..

बच्चों पर मोबाइल फोन का दुष्प्रभाव

आजकल अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को इंगेज्ड रखने के लिए उनके हाथ में स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं। परंतु लोग ये नहीं सोचते कि उनकी यह छोटी सी गलती उनके बच्चे की पूरी लाइफ खराब कर सकती है। थाईलैंड में रहने वाली एक फैमिली ने यहीं गलती करी थी। जिसके कारण आज उनकी चार साल की बच्ची पूरी तरह से अंधी हो चुकी है। और यह कोई एकलौती बच्ची नहीं है, जिसके साथ ऐसा हुआ है। स्मार्ट फोन की लाइट ने न जाने कितने लाखों करोड़ों आंखों की रोशनीयां छीनी है। इसका कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है। इसके अलावा स्मार्ट फोन कब किसके लिए मौत का पैगाम लेकर आ जाए। यह कोई नही जानता।
 

सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता स्मार्टफोन

8 मई 2020 आगरा में तीन दोस्त कान में एयरफोन लगा कर रेलवे ट्रैक पर चल रहे थे। वे अपने स्मार्टफोन में इतने बिजी थे कि उनको पता ही नहीं चला कि ट्रेन कब आकर उनके शरीर के टुकड़े-टुकडे कर गई।
26‌ अप्रैल 2018 को यूपी के कूशीनगर में एक स्कूल वैन 20 बच्चों को स्कूल ले कर जा रही थी। वैन का ड्राइवर कान में ईयरफोन लगा कर अपने मोबाइल में इतना खोया हुआ था कि उसे रेलवे क्रासिंग पर आती हुई ट्रेन की आवाज सुनाई ही नहीं पड़ी। नतीजन 13 मासुम बच्चे मौके पर ही बेमौत मारे गए और 7 गंभीर रूप से घायल हो गए।
और ऐसी दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं है, आए दिन ऐसी दुर्घटनाएं न्यूज़पेपर्स में पढ़ने को मिलती है। अभी कुछ दिन पहले ही हमारे आंखों के सामने ऐसी ही एक भयानक दुर्घटना हुई थी। जिसमें पूरे 20 लोग मारे गए थे। लेकिन दुख की बात यह है कि इतना सब कुछ देखने सुनने और पढ़ने के बावजूद भी आज भी हर जगह लोग कार या बाइक चलाते समय मोबाइल पर बात करते हुए दिख जाते हैं।
 
 
मुझे समझ में नहीं आता कि टीवी के सामने घंटों बैठकर घटिया रियल्टी शो देखने वाले लोग कितने बिजी होते हैं कि थोड़ा सा रुक कर फोन पर बात भी नहीं कर सकते। मोबाइल फोन ने लोगों को इस कदर गुलाम बना लिया हैं। कि लोग बीबी के बगैर रह सकते हैं परन्तु मोबाइल के बगैर के 1 मिनट भी नहीं रह सकते हैं। सोते-जागते, खाते-पीते उठते-बैठते, चलते फिरते और यहां तक की लोग बाथरूम करते समय भी मोबाइल चलाते रहते हैं। परंतु लोगों को इस बात की जरा भी खबर नहीं होती कि मोबाइल फोन धीरे धीरे उनके लाईफ को ही कंट्रोल करने लगता है। 
 

स्मार्टफोन की वजह से बिगड़ते रिश्ते

मोबाइल फोन आजकल हम रिश्तो के बीच भी घुस गया है। आजकल लोग बैठे तो अपनों के बीच होते हैं परन्तु उनकी नजरें और उनका दिमाग मोबाइल की स्क्रीन में घुसा हुआ रहता है। जिसकी वजह से‌‌ परिवारिक रिश्ते खराब हो रहे हैं। परिवार के सदस्यों के बीच अंडरस्टैंडिंग कम हो रही है। आजकल तो इस मोबाइल फोन की वजह से पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े तलाक के मामले भी सुनने को मिल रहे हैं। कुछ साल पहले रजनीकांत की एक फिल्म आई थी, “2.0“। जिसमें मोबाइल फोन के रेडिएशन के बारे में दिखाया गया था। वैसे तो यह फिल्म काल्पनिक कहानी पर बनाई गई है परंतु इसमें जो फैक्ट बताए गए वह काफी हद तक सही है। हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि मोबाइल रेडिएशन हमारे लाइफ को कितनी बुरी तरह से इंपैक्ट कर रहा है।
 
 
 टेक्निकल विशेषज्ञ बार-बार यह चेतावनी देते हैं कि चार्जिंग के वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहींं करना क्योंकि मल्टिटास्किंग की वजह सेे मोबाइल ज्यादा गर्म होता है। और मोबाइल ब्लास्ट होने की आंशका रहतीं है। परंतुुुुुुुु मोबाइल की ऐसी लत है कि लोग किसी की नहीं सुुुुनते। इसलिए आए दिन मोबाइल ब्लास्ट की खबरें आती रहती है। मोबाइल ब्लास्ट होने की वजह से अभी तक कई लोग मारे जा चुके हैं। अब यहां हमारे कहने का ये मतलब नहीं है कि मोबाइल फोन हमारा दुश्मन है और हमें इसका यूज नहीं करना चाहिए। मोबाइल फोन निश्चित ही इस शताब्दी का सबसे उपयोगी और अभुतपूर्व अविष्कार है। जिसने हमारे जिंदगी को काफी सरल और बेहतर बना दिया है। लेकिन अब यह मोबाइल फोन हमें ही use करने लगा है । जो हमारे लिए चिंता का विषय है।
 

 स्मार्टफोन का सदुपयोग करें

देखिए स्मार्ट फोन तो हम भी यूज़ करते हैं। परंतु हम इसे अपने YouTube video बनाने के लिए यूज करते हैं। हम इसे blogging करने के लिए यूज करता है। digital marketing करने के लिए यूज करते हैं। नई नई skills सीखने के लिए यूज करते हैं। लेकिन यूज करने और यूज होने में बहुत फर्क होता है। अब यह आपको सोचना है कि आप मोबाइल फोन का यूज करते हैं या मोबाइल फोन आपको यूज करता है। वैसे यदि आप मोबाइल का यूज करके अपने करियर में, या अपने लाइफ में कोई value add कर रहे हैं तो फिर दिक्कत वाली कोई बात नहीं है क्योंकि यहां हानि की तुलना में अधिक लाभ मिलने की संभावना है। यहां यह तर्क भी दिया जा सकता है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। लेकिन यदि आप घंटों सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं, मूवी देखते रहते हैं, गेम खेलते रहते हैं या बिना मतलब की चीजें देखते रहते हैं तो आप अपने बहुमूल्य समय के साथ-साथ अपना स्वास्थ्य भी गंवा आ रहे हैं। अतः आपको अलर्ट हो जाना चाहिए क्योंकि शायद आप भी मोबाइल एडिक्शन के शिकार हो रहे हैं। और आपको उससे बचने के लिए जल्द ही अनुशासनात्मक कदम उठाना चाहिए
वैसे आप चाहे तो हमारा वाला फार्मूला भी आजमा सकते हैं।
 

स्मार्टफोन की लत से छुटकारा पाने के उपाय

  •  हम अपने फोन में केवल अपनी जरूरत के एप्स ही रखते हैं और हमने उन सभी एप्स के नोटिफिकेशन बंद कर रखे हैं। इसलिए कोई भी एप्स हमारी मर्जी के बगैर हमे डिस्टर्ब नहीं कर सकता। 
  • इसके अलावा हमने अपने सभी सोशल मीडिया एप्स को एक फोल्डर में डाल कर रखा है। ताकि किसी भी एप्स का आइकन हमे अपनी तरफ आकर्षित ना कर सके।
  • सोशल मीडिया हम भी यूज करते हैं लेकिन हमने इसे इस करने के लिए कुछ नियम बना रखे हैं। हम अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट स्कोर प्रतिदिन के बाद 10 मिनट के लिए ओपन करते हैं। 5 मिनट सुबह पोस्ट डालने के लिए और रात में 5 मिनट उस पर प्रतिक्रिया देखने के लिए। कभी-कभी तो यह टाइम उससे भी कम का होता है।
  • हमारे स्मार्टफोन में जितने भी एप्स है उन सब पर हमने पासवर्ड वाले ऐप लॉक लगा रखे हैं ताकि हमें उनको ओपन करने के लिए हर बार पासवर्ड डालना पड़े। और हम उन्हें बार-बार ओपन करने बच सकें।
  • अपने आंखों को स्मार्टफोन की तेज रोशनी से बचाने के लिए हम ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करते हैं जो स्मार्टफोन के रोशनी को काफी हद तक कम कर देता है। आप चाहे तो गूगल प्ले स्टोर से कोई भी best rated ब्लू लाइट फिल्टर download कर सकते हैं।
इस तरह हम अपने स्मार्टफोन use के लिए नियम बना रखे हैं। जिनको फॉलो करके हम अपने स्माटफोन uses को कंट्रोल में रखते हैं। 
 
 
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