रतन टाटा नाम तो जरूर सुना होगा परंतु आप उनके बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानते होंगे इसलिए आज हम आपके लिए tata group के चेयरमैन रतन टाटा की पूरी बायोग्राफी लेकर आएं हैं। रतन टाटा भारत के सबसे सम्मानित और सफल उद्यमियों में से एक हैं। जो टाटा ग्रुप के उदय के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। रतन टाटा को अपनी साहसिक निर्णय लेने की असाधारण क्षमता के लिए जाना जाता है। उनके साहसिक फैसलों और कुशल नेतृत्व के फलस्वरूप आज टाटा समूह का दुनिया के 40 देशों में करीब $ 100 बिलियन डॉलर का साम्राज्य विस्तारित हो चुका है। रतन टाटा आज लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत हैं। भारतीय उद्योग जगत में उनके अभुतपूर्व योगदान के लिए आजकल टि्वटर पर उन्हें भारत-रत्न की उपाधि दिलाने की मुहिम छिड़ी हुई हुई। और इसी मुहिम का हिस्सा बनते हुए आज हम आपको ratan tata full life story in Hindi बताएंगे।
रतन टाटा बायोग्राफी इन हिंदी
देश की सबसे बड़ी औधोगिक ईकाई Tata group के वर्तमान अध्यक्ष रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को
सुरत (
गुजरात) में एक पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम नवल टाटा और मां का नाम सोनू टाटा है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा चैम्पियन स्कूल और जाॅन कैनन स्कूल बंबई ( मुंबई ) में हुई थी। दसवीं के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए
अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने न्यूयॉर्क के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर बीएस और हार्वर्ड बिजनेस यूनिवर्सिटी (वोस्टन) से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की डिग्री हासिल की। अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात वे 1962 में अमेरिका से वापस आएं और टाटा समूह से जुड़ गए।
शुरुआत में उन्होंने
tata steel के sharp floor में काम किया फिर बाद में वे टाटा समूह की अन्य कंपनियों के साथ जुड़ते चले गए। उनकी प्रतिभा और दूरदर्शिता को देखते हुए सन् 1971 में उन्हें
राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (
nelco) का इन्चार्ज नियुक्त किया गया। जिस समय रतन टाटा ने इस कंपनी का पदभार संभाला उस समय कंपनी भारी वित्तीय घाटे से गुजर रही थी। परंतु रतन टाटा के कुशल प्रबंधन में कंपनी जल्द ही मुनाफे में आ गई और अपना घाटा भी पूरा कर लिया। हालांकि 1975 में आपातकाल लागू होने के बाद देश में आर्थिक मंदी आ गई। जिसकी वजह से कंपनी को कई तरह की व्यापारिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अंततः इस कंपनी को बंद कर दिया गया। सन् 1977 में रतन टाटा ने टाटा समूह की ही एक कंपनी
एम्पायर मिल्स का कार्यभार संभाला। यह कंपनी भी उस वक्त भारी घाटे में चल रही थी। रतन जी ने इस कंपनी को घाटे से उबारने की काफी कोशिशें की परंतु अधिक वित्तीय नुकसान की वजह से बाद में इसे भी बंद कर देना पड़ा। साल 1981 में रतन टाटा टाटा ग्रुप की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
परंतु इनका असली व्यापारिक कैरियर तब शुरू हुआ जब 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बना दिए गए। टाटा समूह के चेयरमैन बनने के बाद इन्होंने कंपनी को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। रतन टाटा के कुशल मार्गदर्शन में ही
टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस नामक सॉफ्टवेयर कंपनी को पब्लिक कारपोरेशन बनाया गया। इनकी कंपनी टाटा समूह की कंपनी इकाई
टाटा मोटर्स ने 1998 के अंत में
टाटा इंडिका कार लॉन्च किया। जिसने लॉन्च के एक हफ्ते के भीतर 1,15,000 बुकिंग हासिल की। इंडिका टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुई और इससे उन्हें एक ही मंच से कई ऐसे मॉडल बनाने का भरोसा मिला। इंडिका ने रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स को बिक्री संख्या के मामले में लगभग तीसरा सबसे बड़ा ब्रांड बना दिया। 2007 में उन्होंने मिडिल क्लास केे लोगों के सपनों को सच करने के लिए एक ऐसे कार का वादा किया, जिसकी कीमत एक लाख रुपये से शुरू हो। उस कार का नाम
टाटा नैनो रखा गया। रतन टाटा ने अपने सपने को सच करने में अपना सब कुछ झोंक दिया और उनकी इंजीनियरिंग टीम ने भी भरपूर समर्थन दिया। हालांकि एक लाख की कार को बाजार में फिट करने के लिए नैनो पर बहुत सारे समझौते किए गए थे। नैनो को विकसित करने का मार्ग बहुत सारी बाधाओं और बाधाओं से भरा था जिसने कंपनी को अपने घुटनों पर ला दिया। परंतु आखिरकार, नैनो को 2008 में लॉन्च किया गया, जिससे यह उस समय दुनिया की सबसे सस्ती कार बन गई।
रतन टाटा के जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से
उसके बाद रतन टाटा की अगुवाई में टाटा मोटर्स ने मार्च 2008 में फोर्ड से जैगुआर और लैंड रोवर को भी ख़रीदा। फोर्ड कंपनी से इस डील के पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। बात साल 1998 की, जब टाटा मोटर ने अपनी पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतारी थी। दरअसल ये रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसके लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत भी की। लेकिन इस कार को बाजार से उतना अच्छा रेस्पोंस नहीं मिल पाया, जितना उन्होंने सोचा था। इस वजह से टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी, कंपनी से जुड़े लोगों ने घाटे को देखते हुए रतन टाटा को इसे बेचने का सुझाव दिया और न चाहते हुए भी रतन टाटा को इस फैसले को स्वीकार करना पड़ा। इसके बाद वो अपनी कंपनी बेचने के लिए अमेरिका की कंपनी फोर्ड के पास गए। परंतु
बिल फोर्ड ने रतन टाटा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और कहा कि जिस व्यापार के बारे में आपको जानकारी नहीं है उसमें इतना पैसा क्यों लगा दिया। ये कंपनी खरीदकर हम आप पर एहसान कर रहे हैं। ये शब्द बिल फोर्ड के थे लेकिन रतन टाटा के दिल और दिमाग पर छप गए। वे वहां से अपमान का घूंट पीकर इस डील को कैंसल कर चले आए। बिल फोर्ड का वह अपमानित करने वाला वाक्य उन्हें लगातार बेचैन कर रहा था और उनकी रातों की नींद उड़ी पड़ी थी। बस इसके बाद रतन टाटा ने निश्चय कर लिया कि वो अब इस कंपनी को किसी को नहीं बेचेंगे और कंपनी को ऊंचाईयों पर पहुंचाने के काम में लग गए। इसके लिए उन्होंने एक स्पेशल टीम तैयार की और रात दिन मेहनत करने में जुट गए। जिसके फलस्वरूप टाटा इंडिका ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। लेकिन उधर फोर्ड कंपनी का पतन शुरू हो गया। साल 2008 तक आते-आते फोर्ड कंपनी दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई थी। मौके की नजाकत को समझते हुए रतन टाटा ने फोर्ड की लक्जरी कार लैंड रोवर और जैगुआर बनाने वाली कंपनी जेएलआर को खरीदने का प्रस्ताव रखा। जिसे
विल फोर्ड ने स्वीकार करना पड़ा। इसकेेेे बाद फोर्ड डिल करने के लिए भारत आएं। लेकिन रतन टाटा ने उनके साथ बहुत ही दोस्ताना व्यवहार किया। उस समय बिल फोर्ड के शब्द थे- आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने पूरी दुनिया में टाटा समूह को विस्तारित किया। आज टाटा समूह की कुल 96 कंपनियां सात अलग-अलग व्यापारिक क्षेत्रों में दुनिया के करीब 40 देशों में सक्रिय हैं। जिसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा केमिकल्स, टाटा ग्लोबल बेवरिजेज, टाटा टेलीसर्विसेज, टाइटन, टाटा कम्युनिकेशंस और ताज होटल ग्रुप प्रमुख हैं।
रतन टाटा एक शांत और शर्मीले और सादगी पसंद व्यक्ति हैं। वे समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं। रतन टाटा को गिटार बजाना और विमान उड़ना बहुत पसंद है और वह एक प्रशिक्षित पायलट भी हैं। वे 8 फरवरी 2007 को F-16 फाल्कन विमान उड़ाने वाले पहले भारतीय बन गए। रतन टाटा बड़े ही उदार और नेक दिल इंसान हैं। वे अपनी कमाई का 65% हिस्सा मानव और समाज कल्याण के लिए दान कर देते हैं। इसलिए कभी उनका नाम भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल नहीं हो पाया वरना आज भारत के सबसे अमीर उद्योगपति होते।
रतन जी एक सफल व्यवसायी होने के साथ-साथ वे सच्चे देशभक्त भी हैं। 26/11 के मुंबई हमले भारत के हालिया इतिहास में हुए सबसे गहरे ज़ख्मों में से एक है। इस दुखद घटना से रतन टाटा को बहुत दुख हुआ और उन्होंने मुंबई के लोगों की मदद करने में अपना तन मन और धन लगा दिया।
उन्होंने पीड़ितों की सुरक्षा के लिए पुलिस की गतिविधियों की निगरानी की। इससे हमें इस व्यक्ति की उदारता और देश के प्रति प्रेम का एक आदर्श उदाहरण मिला। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपने ताज होटल के उन सभी 80 कर्मचारियों के परिवारों का दौरा किया। जो लोग हमले के दौरान मारे गए या घायल हुए थे। उनके परिजनों को सांत्वना दी और उचित आर्थिक सहायता भी प्रदान किया।
आज रतन टाटा मुम्बई के कोलाबा में एक साधारण से बेचलर फ्लैट में रहते हैं। 2002 में जब वे 65 साल के हुए थे तभी उन्होंने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी लेकिन कंपनी ने उन्हें रिटायर नहीं होने दिया। चुंकि साल 2012 में उन्होंने टाटा समूह से रिटायरमेंट ले लिया और सायरस मिस्त्री को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
इंटरनेट पर कई लोगों ने ये सवाल पूछ रहे कि
रतन टाटा की पत्नी की नाम क्या है,
रतन टाटा के बेटे का नाम क्या है लेकिन आपको ये जानकर हैरानी कि उन्होंने शादी नहीं की है और उनकी कोई संतान नहीं है। परिवार के मामले में उनका दुर्भाग्य हमेशा उनके साथ रहा है। आपको बता दें कि रतन टाटा के बचपन में ही उनके माता-पिता का तलाक हो गया। उनका पालन पोषण उनकी दादी लेडी
नवजबाई द्वारा किया गया था। लेकिन ऐसी बात नहीं है कि उनका कोई परिवार नहीं है। उनके दो भाई और भी है
नोएल टाटा और
जिमी टाटा। नोएल टाटा उनके सौतेले भाई है जबकि जिमी टाटा को उनकी मां ने गोद लिया था। रतन टाटा की तरह जिमी के भी कोई बच्चे नही है। लेकिन नोएल टाटा की के दो बेटियां
माया टाटा,
लिया टाटा और एक बेटा
नेविल टाटा है और ये तीनो ही टाटा परिवार की अगली पीढी है। और हां आपको बता दें कि टाटा समूह के उतराधिकारी घोषित किए गए
सायरस मिस्त्री रतन टाटा के सौतेले भाई के सगे साले हैं।
रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की
सन् 1961 में न्यूयॉर्क के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन करने के बाद रतन टाटा लॉस एंजेलिस में किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने लगे। जिसके कारण उनके पिता नाराज हो गए। रतन टाटा ने अपने इंटरव्यू में खुद बताया है कि लॉस एंजेलिस में उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था और वो उस लड़की से शादी करने ही वाले थे। लेकिन अचानक उन्हें वापस भारत आना पड़ा क्योंकि उनकी दादी की तबीयत ठीक नहीं थी। भारत वापस आने के बाद तुरंत बाद भारत-चीन युद्ध हो गई। हालांकि उनकी प्रेमिका ने उनसे वादा किया था कि वह उनके पास भारत आ जाएगी। लेकिन 1962 की भारत-चीन युद्ध के चलते उसके माता-पिता ने उसे भारत आने नहीं दिया और इस तरह उनका रिश्ता टूट गया। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी प्रेमिका से वादा किया था कि वे उसके अलावा किसी और से शादी नहीं करेंगे और उसी वादे को निभाने के लिए ही शायद उन्होंने उम्र-भर शादी नहीं की।
रतन टाटा केेेे प्रेरणादायक विचार
“मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता। मैं फैसले लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित करता हूं। ”
“अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो मिलकर साथ चलें ”
“जीवन में उतार-चढ़ाव हमें बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जीवन में सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं“
“कोई भी लोहे को नष्ट नहीं कर सकता है, लेकिन इसे नष्ट करने में इसकी खुद की जंग हो सकती है! इसी तरह कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता उसे नष्ट करती है “
“यदि कोई या पर पत्थर फेंके तो उनका उपयोग स्मारक बनाने के लिए करें”
“मैं ऐसे लोगों की प्रशंसा करता हूं जो बहुत सफल हैं। लेकिन अगर वह सफलता बहुत ही निर्ममता से हासिल की गई है, तो मैं उस व्यक्ति की प्रशंसा तो कर सकता हूं, लेकिन मैं उसका सम्मान नहीं कर सकता। ”
देश के सबसे बड़े उद्योगपति होने के बावजूद भी रतन टाटा हमेशा मददगार और विनम्र व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। वे सुर्खियों से हमेशा दूर रहते हैं और सादा जीवन व्यतीत करते हैं। जो उनके लिए और भी अधिक सम्मान पैदा करता है। रतन टाटा ने भारत के आर्थिक विकास में जो उत्कृष्ट योगदान दिया है। उसे देखते हुए उनको
भारत रत्न की उपाधि जरुर मिलनी चाहिए।
दोस्तों यदि आप भी चाहते हैं रतन टाटा को भारत रत्न मिले तो अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में जरुर प्रकट करें। हम आपके सवालों का जवाब देने की पुरी कोशिश करेंगे और यदि यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करें। हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमें Facebook, और Instagram जरूर फॉलो करें। आप हमारे YouTube channel पर जाकर हमारा motivational video भी देख सकते हैं।
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