नवरात्रि पर्व हिंदुओं के लिए एक विशेष महत्व रखता है। इस पवित्र पर्व में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वेदों और पुराणों के अनुसार, मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है। आइए जानते हैं इस नवरात्रि पर्व के बारे में.
नवरात्रि व्रत का महत्व
नवरात्रि पूजा का हिंदु धर्म में विशेष महत्व है। यह पूजा पूरे 9 दिनों तक चलती है। यह नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। वेदों और पुराणों के अनुसार, मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है। जो राक्षसों से दुनिया की रक्षा करती हैं। नवरात्रि व्रत के दौरान, भक्तजन मां दुर्गा से सुख, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। यह त्यौहार साल में चार बार मनाया जाता है। साल के प्रथम मास चैत्र में पहली नवरात्र होती है, फिर चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्र पड़ती है। इसके बाद अश्विन माह में में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है। साल के अंत में माघ माह में गुप्त नवरात्र होते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि पर्व के प्रथम दिन अर्थात एकम के दिन भक्तों द्वारा कलश स्थापना की जाती है। घटस्थापना करने के बाद भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। भक्तों द्वारा देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भजन कीर्तन किया जाता है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और केवल फलाहार पर निर्भर रहते हैं। इस व्रत के दौरान वे शराब, मांस, प्याज, लहसुन आदि से परहेज करते हैं। नौ दिनों के बाद, दसवें दिन नवरात्रि व्रत समाप्त होता है। जिसे विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी। भारत समेत दुनिया के कई देशों में नवरात्रि का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। बिहार, झारखंड गुजरात और पश्चिम बंगाल सहित भारत के उत्तरी भाग में नवरात्रि बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर देश के कई हिस्सों में धार्मिक कार्यक्रम और मेलों का आयोजन किया जाता है।
Navratri 2022 date and time – Navratra 2022 kab se shuru hai
इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर को घटस्थापना से शुरू होकर 5 अक्टूबर 2022 को विजयादशमी और दुर्गा विसर्जन के साथ समाप्त होगा। हिंदु पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।
अश्विन नवरात्रि सोमवार, 26 सितंबर, 2022 प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 26 सितंबर, 2022 प्रातः 03.23 बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – 27 सितंबर, सुबह 03.08 बजे घटस्थापना मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 6.28 बजे से 8.01 बजे के बीच शुरू हो रहा है। अवधि: 1 घंटा 33 मिनट अभिजीत मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.42 बजे तक है।
जानिए नवरात्रि 2022 की तिथि और दिन प्रतिपदा:
- (मां शैलपुत्री): 26 सितंबर 2022 द्वितीया
- (माँ ब्रह्मचारिणी): 27 सितंबर 2022 तृतीया
- (मां चंद्रघंटा): 28 सितंबर 2022 चतुर्थी
- (माँ कुष्मांडा): 29 सितंबर 2022 पंचमी
- (मां स्कंदमाता): 30 सितंबर 2022 षष्ठी
- (माँ कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022 सप्तमी
- (माँ कालरात्रि): 02 अक्टूबर अष्टमी
- (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022 नवमी
- (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
- दशमी माँ दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन): 5 अक्टूबर 2022
नवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त और पुजा विधिः (Navratri vrat Shubh muhurt aur Puja vidhi)
नवरात्रि व्रत करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए। आपको पूजा सामग्री जैसे कि एक मूर्ति या माँ दुर्गा की तस्वीर, लाल चुनरी, आम के पत्ते, चावल, दुर्गा सप्तशती पुस्तक, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ, मिट्टी का बर्तन, गुलाल, सुपारी इकट्ठा करने की आवश्यकता है। पान के पत्ते, लौंग, इलायची और उस स्थान को सजाएं जहां मां दुर्गा की मूर्ति रखी जानी है। मां दुर्गा की मूर्ति को लाल कपड़े में रखना न भूलें। आपको प्रतिदिन जौ के बीजों को मिट्टी के बर्तनों में बोना होगा और नवमी तक प्रतिदिन जल छिड़कना होगा। पूरी विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें. आपको सबसे पहले कलश में गंगाजल भरना होगा, उसके चेहरे पर आम के पत्ते लगाने होंगे और उसके ऊपर नारियल रखना होगा। फिर कलश को लाल कपड़े में लपेटकर कलावा से बांध दें। अब इसे मिट्टी के घड़े के पास रख दें। फूल, कपूर और अगरबत्ती से पंचोपचार पूजा करें। घटस्थापना के बाद,आपको नौ दिनों तक मां दुर्गा से जुड़े मंत्र का जाप करना होगा और मां का स्वागत कर उनके सुख-समृद्धि की कामना करनी होगी।

नवरात्रि में कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’।।
नवमी के दिन दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं की पूजा करें और उन्हें पूरी, चना और हलवा खिलाएं। अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद कलश विसर्जन इस प्रकार करें। पहले मां दुर्गा की आरती करें, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और फिर बेदी से कलश उठाएं।
नवरात्रि व्रत के नियम- Navratri vrat ke niyam
- इन नौ दिनों तक किसी भी महिला का अनादर, तिरस्कार, आलोचना आदि न करें। जो भक्त महिलाओं का आदर करता है। उस पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा होती है।
- मांसाहार ना करेः नवरात्रि के नौ दिनों तक आप व्रत रहें या ना रहें, मांसाहारी खानपान, धूम्रपान या मद्यपान से परहेज रखना चाहिए।
- अखंड दीप अनवरत जलना चाहिएः अगर नवरात्रि में आप अखंड दीप प्रज्वलित करते हैं, तो ध्यान रहे कि दीप पूरे नौ दिनों तक अनवरत जलते रहना चाहिए।
- घर में शांति और चैन का माहौल रखेः हिंदू धर्म में मान्यता है कि माँ दुर्गा वहीं निवास करती हैं, जहां शांति एवं चैन होता है। घर में कलश स्थापना से लेकर दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन तक घर में कलह, विवाद, झगड़े आदि नहीं होने दें।
- कन्याओं को भोजन के नियमः इस महापर्व की अष्टमी एवं नवमी के दिन छोटी कन्याओं को भोजन कराने से पूर्व माँ दुर्गा को प्रसाद चढ़ाएं और सर्वप्रथम कन्याओं को प्रसाद खिलाएं।
- सहवास वर्जितः नौ दिनों तक पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से परहेज रखना चाहिए।
- भूमि पर सोनाः अखंड दीप जलाने तक उपवासी व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए.
- नवरात्रि के नौ दिनों तक सुनिश्चित करें कि घर में बनने वाले भोजन में लहसुन और प्याज आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान बाल कटवाने एवं शेविंग करने इत्यादि से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए।
- नवरात्रि व्रत के दौरान अपने मुख से अशुभ, अभद्र या अशुद्ध वाणी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
प्रिय पाठकों आशा करता हूं कि आपको Navratri vrat के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां मिल गई होगी। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अन्य भक्तों के साथ भी शेयर करें। आप सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। Happy navratri 2022, happy durga puja
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