Motivational stories in hindi for students
एक बार एक बहुत बड़े राज्य के प्रधानमंत्री की मृत्यु हो गई। जिसके कारण प्रधानमंत्री का पद खाली हो गया। इसलिए प्रधानमंत्री पद के लिए किसी योग्य व्यक्ति की तलाश शुरू हो गई। उस राज्य का नियम था कि वे राज्य के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को खोज कर प्रधानमंत्री बनाते थे। इसलिए अब राज्य के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति की तलाश शुरू हो गई, अनेकों प्रतियोगिताएं हुई कई सारे चुनाव कराए गए और अंत में राज्य के तीन सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों को चुना गया। अब उन तीनों में से किसी एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद के लिए चुनना था। इसलिए उसके लिए अब अंतिम परीक्षा होनी थी। धीरे-धीरे अंतिम परीक्षा का दिन भी आ गया। सारे देश के लोग नए प्रधानमंत्री को देखने के लिए उत्सुक थे और वे तीनों लोग भी काफी उत्सुक थे क्योंकि यह उनके जीवन का सवाल था।
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परीक्षा कल सुबह होनी थी परंतु आज से ही वे लोग काफी उधेड़बुन में थे कि किसी तरह से कल के परीक्षा के पर्चे का पता चल जाए ताकि उसके अनुसार आवश्यक तैयारी की जा सके। परंतु शाम को जब वे कमरे से बाहर निकले तो आश्चर्यचकित रह गए। नगर की हर दिवार पर परीक्षा का पर्चा छपा हुआ था। पर्चे पर लिखा था कि कल तीनों प्रतिभागियों को एक कमरे में बंद करके दरवाजे पर एक विशेष प्रकार का ताला लगा दिया जाएगा और जो प्रतिभागी सबसे पहले उस ताले को खोल कर बाहर आएगा। वही प्रधानमंत्री बनेगा। अब उन तीनों में से दो लोग भागकर बाजार गए और ताला खोलने की तरकीबों की कई किताबें खरीद कर लाए और उसे रात भर पढ़ते रहे, रात भर याद करते रहे। लेकिन उनमें से एक आदमी बड़ा ही अजीब था। वह शाम से ही चादर तान के सो गया। उन दोनों ने एक दो बार उसे जगाने की कोशिश भी की तो वह विनम्रता से बोला- आप दोनों अपनी तैयारी करें, मैं अपनी तैयारी कर रहा हूं इसलिए कृपया मुझे डिस्टर्ब ना करें। उन दोनों ने सोचा कि शायद इसने परीक्षा से पहले ही हार मान ली है और शायद यह कल परीक्षा में बैठेगा ही नहीं। फिर वे रात भर जागकर अपनी तैयारी करते रहे और वह आदमी रातभर सोता रहा। सुबह उन्होंने देखा कि वह आदमी तो प्रतिदिन 5:00 बजे जग जाता था मगर आज तो वह 7:00 बजे तक सो रहा है। उन्होंने सोचा कि शायद यह डर गया है या घबरा गया है। लेकिन वे दोनों भी रात भर जागने कारण काफी थकान और आलस्य महसूस कर रहे थे। उनका मन तनाव,बेचैनी और अशांति से भरा हुआ था।
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खैर परीक्षा का समय हुआ और वे तीनों तैयार हो कर परीक्षा स्थल की ओर चल दिए। रास्ते में वे दोनों जिन्होंने रात भर जागकर तैयारी की थी, काफी परेशान और चिंतित लग रहे थे। रात भर जागने के कारण उनके पैर डगमगा रहे थे। लेकिन वह तीसरा आदमी मस्ती में गुनगुनाते हुए चल रहा था। वे दोनों तो पहले से ही काफी परेशान थे। उस पर उसका गुनगुनाना सुनकर और भड़क गए। उन दोनों को उस पर बहुत गुस्सा आया। उन्होंने चिढ़ते हुए कहा- यह परीक्षा क्या तुम्हें मजाक लग रहा है। उसने मुस्कुराते हुए कहा- बिल्कुल नहीं! मैं तो अपनी तैयारी कर रहा हूं। कुछ देर बाद वे तीनों परीक्षा स्थल पर पहुंचे। राजा उन तीनों को एक कमरे में ले गया, जहां दरवाजे पर एक विशेष प्रकार का बहुत बड़ा ताला लटक रहा था। उस पर अंकगणित के कुछ चिन्ह बने हुए थे। राजा ने कहा- देखो यह ताला गणित की एक पहेली है, जिसे हल करते ही यह ताला अपने आप खुल जाएगा और जो व्यक्ति सबसे पहले दरवाजा खोलकर बाहर आएगा वही प्रधानमंत्री बनेगा। यह कह कर राजा दरवाजे को बंद कर के बाहर चला गया।
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राजा के जाते ही वे दोनों व्यक्ति जिन्होंने रात भर तैयारी की थी उन्होंने जल्दी से अपने कपड़ों के अंदर से कुछ किताबें निकाली और जल्दी-जल्दी उस पहेली सुलझाने में लग गए। लेकिन उस पहेली को सुलझाना इतना भी आसान नहीं था। वे जितना उस पहेली को सुलझाने की कोशिश करते उतना ही वह उलझती जाती। उधर तीसरा आदमी जो रात भर सोया था वह एक कोने में चुपचाप पालथी मारकर बैठ गया। कुछ देर तक वह चुपचाप उस दरवाजे और ताले को ध्यान से देखता रहा। फिर वह उठा और दरवाजे को खोलकर बाहर निकल गया। वे दोनों भौंचक्के होकर उसे दखते रह गए कि आखिर ये कैसे हो गया। दरअसल दरवाजे को बंद ही नहीं किया गया था।राजा ने उसे बड़ी चालाकी से अटका दिया था। परंतु उन्होंने पहेली हल करने की जल्दबाजी में उस ओर ध्यान ही नहीं दिया था। अब उन दोनों ने राजा से कहा- महाराज, इसने तो पहली को हल ही नहीं किया है। राजा ने कहा- अरे बेवकूफ तुम्हें पहले ये तो देख लेना चाहिए था कि दरवाजा बंद भी है या नहीं। फिर उस राजा ने उस तीसरे व्यक्ति को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया।
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इस कहानी की सीख
तो दोस्तों हमारे जीवन में भी कई समस्याएं, कई चुनौतियां ऐसी ही होती है जो हमारे लिए समस्या होती ही नहीं है। लेकिन हम शांति से उन्हें समझने के बजाय, बेचैन और परेशान होकर उसमें उलझे रहते हैं जबकि उन्हें सुलझाने की नहीं केवल समझने की जरूरत होती है। आजकल जो विद्यार्थी किसी परीक्षा में फेल हो जाते हैं उसका कारण भी यहीं होता है कि उनका मन स्थिर और शांत नहीं होता। वे एक ही समय में अनेकों विचारों से घिरे रहते हैं, जिससे अक्सर उनका मन भटक जाता है। इसलिए उन्हें समझना चाहिए शिक्षा एक साधना है, एक पूजा है और चाहे साधना हो या पूजा मन को स्थिर और एकाग्र करके ही सफल बनाई जा सकती है। भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ऐसे पुरुषों को स्थितप्रज्ञ की संज्ञा दी है उन्होंने कहा है कि जो पुरुष स्थिर बुद्धि वाला है, जिसका मन शांत है और जो अपने मन को जीता हुआ है वह स्थितप्रज्ञ पुरुष जीवन की हर परीक्षा में सफल होने में सक्षम है।
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