क्या सच में Motivational speakers आपको पागल बनाते हैं जानिए सच्चाई?

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Motivational speakers

 

क्या Motivational speakers लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। क्या Motivational speakers लोगों को पागल बनाते हैं। दोस्तों यह प्रश्र मैं काफी दिनों से कई internet platforms पर देख रहा हूं। चुंकि Motivation विषय मेरे  website की  catgarey में आता है इसलिए उत्सुकतावश मैंने YouTube पर भी इस सवाल को search किया और वहां भी मुझे कुछ ऐसे विडियो मिल गए। जिसमें बताया जा रहा है कि मोटिवेशन स्पीकर आपको बेवकूफ बना रहे हैं। अब शायद आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि कहीं सच में मोटिवेशनल स्पीकर हमें बेवकूफ तो नहीं बना रहे हैं। इसलिए इस article में हम आपके इसी उलझन को सुलझाने का प्रयास करेंगे। 

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देखिए ये बात बिल्कुल सच हैं कि मोटिवेशनल स्पीकर्स की बातों से आपके जीवन में कुछ ना कुछ सकारात्मक बदलाव जरूर होता है लेकिन ये बात भी उतनी ही सच है कि अगर आप उनकी बातों को निस्पंदित किए बिना अन्तर्विष्ट कर लेंगे तो आप कभी ना कभी बेवकूफ बन सकते हैं। क्योंकि कई बार वे कहते कुछ और हैं और आप समझते कुछ और हैं। दरअसल होता क्या है कि कभी-कभी लोग उनकी बातों का सही अर्थ नहीं समझ पाते इसलिए कुछ गलतफहमीयां पैदा हो जाती है। इसके अतिरिक्त और भी कुछ कारण होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन गलतफहमियों के लिए जिम्मेदार होते है।

 
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  •  सबसे पहले समझने वाली बात यह है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और दोनों ही पहलू एक दूसरे से काफी भिन्न होते हैं। इसी प्रकार हर बात के भी दो अर्थ होते हैं और दोनों अर्थ एक ही जगह पर लागू नहीं हो सकते। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप उनकी बातों का क्या अर्थ निकालते हैं। अर्थात आप वही समझते हैं जो आप समझना चाहते हैं। इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि आदमी वह नहीं समझता जो हम उसे समझाना चाहते हैं वह वैसा ही समझता है जैसी धारणाएं उसके मन-मस्तिष्क में पहले से निर्मित होती है। हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि अगर कोई स्टुडेंट धर्म और अध्यात्म की बात सुने तो वह उससे पूरी तरह सहमत नहीं हो सकता क्योंकि अभी उसका उद्देश्य जीवन में सफल होना है मोक्ष प्राप्त करना नहीं है। इसी प्रकार अगर किसी धार्मिक या आध्यात्मिक आदमी success पर speech सुने तो वह भी पूरी तरह सहमत नहीं होगा। शायद लोग इस बात को नहीं समझ पाते कि हर बात हर परिस्थिति में एक समान लागू नहीं हो सकती। वक्त और पस्थितियों के हिसाब से शब्दों के मायने भी बदल जाते हैं। इसलिए आपको किसी भी सुनी हुई या पढ़ी हुई बात को पकड़ कर नहीं बैठ जाना चाहिए बल्कि उन्हें अपने जीवन में शामिल करने से पहले उनको फिल्टर करना चाहिए। आपको अपने बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करके यह तय करना चाहिए कि कौन सी बात को कब और कहां पर लागू करना है।

मोटिवेशन का अर्थ क्या है

  • देखिए मोटिवेशन एक रोशनी की तरह है जो केवल आपको रास्ता दिखा सकती है लेकिन यह आपको तय करना होता कि आपको किस रास्ते पर कैसे चलना है क्योंकि आपकी खुबियां क्या है और कमजोरियां क्या है यह केवल आपको ही पता है। मोटिवेशन स्पीकर तो केवल आपको मोटिवेट कर सकता है लेकिन काम तो आपको करना है। मेहनत आपको करनी है। लेकिन अगर आप अपना कर्तव्य-कर्म छोड़ कर दिनभर Motivational video देखते रहेंगे तो आप अपनी असफलता के लिए किसी मोटिवेशनल स्पीकर को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। क्योंकि वे केवल आपके साथ अपना ज्ञान और अनुभव शेयर करते हैं।
  • वैसे कुछ मोटिवेशनल स्पीकर ऐसे भी हैं जिनके पास ना तो कोई अपना ज्ञान और और ना ही जीवन के संघर्षों का अनुभव। वे कहीं-कहीं से जानकारियां एकत्र करके जैसे का तैसा बोल देते हैं। ऐसे मोटिवेशनल स्पीकर सच में युवाओं को गलत पागल बनाते हैं। उदाहरत: वे कहते हैं, जीवन में सफल होना है,अमीर बनना है, बहुत पैसा कमाना है तो आपको 8 घंटे पढ़ना होगा 12 घंटे पढ़ना होगा। कुछ लोग तो 24 घंटे पढ़ने की सलाह देते हैं जो कि मेरी नज़र में ठीक नहीं है। मेरे हिसाब से अगर कोई स्टुडेंट 2 घंटे सुबह और 2 घंटे शाम को पूरे focus से पढ़ ले तो इतना ही काफी है। सफल होना है तो रात भर जागते रहो, सफल होना है तो लक्ष्य के पीछे भागते रहो। ऐसी बातें कर-कर वे लोगों को सच में पागल बना देते है। उनकी बातें ना तो सैद्धांतिक होती है और ना तर्कसंगत। यहां मैं बताता चाहूंगा कि संतुलन का नाम ही जीवन है। जीवन को बेहतर बनाने के लिए आपको हर चीज का संतुलन बनाए रखना होगा।
 

 मेरा एक दोस्त था, जो पढ़ाई में बहुत तेज था। वह डाक्टर बनना चाहता था लेकिन उसने एक मोटिवेशन विडियो देखा और पढ़ाई छोड़ कर नेटवर्क मार्केटिंग करने लगा। अब हाल यह है कि वह घर में बेरोजगार बैठा है। इसलिए आपको इस बात को समझना होगा कि कोई भी मोटिवेशनल स्पीकर आपको विराट कोहली की सफलता की कहानी सुनाकर ये नहीं कहता कि आप अपनी पढ़ाई छोड़ कर क्रिकेट खेलना शुरू कर दो।

  • यहां उनके कहने का तात्पर्य यह हो सकता है कि आप भी विराट कोहली की तरह मेहनत, लगन और फोकस से काम करो तभी आपको सफलता मिलेगी। कोई भी मोटिवेशनल स्पीकर ये नहीं कह सकता कि आप जो काम करते हो वह छोटा काम है उसे छोड़ कर कोई बड़ा काम करो। और अगर कोई ऐसा कहता है तो समझिए कि वह आपके सच में बेवकुफ बना रहा है क्योंकि सफलता के लिए कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। आप किसी भी काम में अपना 100% प्रतिशत देंगे तो आपकी सफलता निश्चित है। लेकिन अगर आप किसी मोटिवेशनल स्पीकर के कहने पर कोई काम करते हैं या छोड़ देते हैं तो शायद आप उसके गुलाम बन चुके हैं और आपको उससे आजाद होने की जरूरत है क्योंकि अगर सपने आपके है तो लक्ष्य भी आपका ही होना चाहिए।

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मोटिवेशन स्पीकर पर निर्भरता

इसलिए मैं कहता हूं कि आप कभी भी मेरे या किसी भी मोटिवेशनल स्पीकर की बातों पर आंख मूंद कर भरोसा ना करें। किसी भी मोटिवेशनल विडियो को देखने के बाद उसे समझे उसे analyse करें फिर उसे अपने life में implement करें अन्यथा आप गलतफहमी के शिकार हो सकते हैं।

 

  • आपने सुना होगा संदीप माहेश्वरी अपने हर सेशन में बार-बार कहते हैं कि “आसान है” तो इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ बिल्कुल आसान है। अगर सब कुछ इतना ही आसान होता तो फिर मोटिवेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती। दरअसल ऐसा कहकर वे लोगों के अंदर आत्मविश्वास जागृत करने की कोशिश करते हैं। यहां उनके कहने का अभिप्राय यह हैं कि अगर आपको अपने ऊपर भरोसा है तो आपके लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं हो सकता।
 
  • विवेक बिंद्रा कहते हैं कि सफल होना है तो सफल लोगों के बीच रहो। वे धक्के मार मार कर आपको सफल बना देंगे लेकिन अगर आप गलत लोगों के बीच में रहने लगे तो वे आपको कभी सफल नहीं होने देंगे। तो फिर वे ऐसा क्यों कहते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि अगर आप सफल लोग के बीच में रहेंगे तो आपके अंदर सफल लोगों की आदतें develop होगी और आपकी आदतें ही आपको सफल बनाती हैं।
  • मोटिवेशनल स्पीकर्स का काम बस यही होता है कि वे आपके सोच में बदलाव लाते हैं लेकिन सोचना क्या है यह आप पर निर्भर करता है। इसलिए अगर आपकी सोच गलत दिशा में मुड़ जाए तो आप उसके लिए मोटिवेशनल स्पीकर्स को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। इस गलतफहमी से बचने के लिए आपको एक बात हमेशा याद रखना होगा कि किसी भी मोटिवेशनल स्पीकर के सलाह और सुझाव पर अमल करने से पहले उसे फिल्टर करना जरूरी है। क्योंकि मेरा मानना है कि हो सकता है कि कोई मोटिवेशन स्पीकर बहुत कुछ जानता हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह सब कुछ जानता है। वह कोई भगवान नहीं है वह भी आपकी तरह एक इंसान हैं इसलिए गलतियां उससे भी हो सकती है। मैं भी संदीप माहेश्वरी, विवेक बिंद्रा, उज्जवल पाटनी जैसे बेहतरीन Motivational speaker’s की videos देखता हूं और उनकी कुछ बातों को अपने जीवन में शामिल भी करता हूं लेकिन उनकी कुछ बातें ऐसी भी होती है जिनसे मैं सहमत नहीं होता हूं। यहां मैं ये नहीं कहता कि उनकी वे बातें बिल्कुल ग़लत होती है। हो सकता है कि उनकी उन्हीं बातों से कुछ लोग सहमत हो लेकिन वे बातें मेरे बुद्धि और विवेक की तराजू पर खरी नहीं उतरती इसलिए मैं उन्हें फिल्टर करके हटा देता हूं। इसी प्रकार आपको भी यह बात समझनी चाहिए कि हर बात हर परिस्थिति में सही साबित नहीं हो सकती।

मोटिवेशन स्पीकर की अहमियत

  • अब एक और सवाल, क्या सच में हमारे जीवन में किसी मोटिवेशनल स्पीकर की जरूरत है तो मेरा जवाब है हां क्योंकि हर इंसान के जीवन में कभी ना कभी ऐसा मोड़ जरूर आता है जहां उसे एक मार्गदर्शक की जरूरत होती है। अर्जुन जैसे बुद्धिमान और पराक्रमी योद्धा को भी कृष्ण के मोटीवेशन की जरूरत पड़ गई फिर हम और आप तो एक साधारण इंसान हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह मार्गदर्शक कोई मोटिवेशन स्पीकर ही हो वह हमारे मां बाप, दोस्त या शिक्षक को भी हो सकता है। 

 

कुछ लोग कहते हैं कि मोटिवेशन अब एक बिजनेस बन चुका है और मोटिवेशनल स्पीकर का intention केवल पैसा कमाना है। लेकिन आप खुद सोचिए कि सारी दुनिया तो इसी काम में लगी हुई है और ऐसे में अगर वे पैसा कमा रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। खैर मोटिवेशन स्पीकर तो लोगों के जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव भी करते हैं लेकिन लोग जो दो दो हजार के टिकट ले कर सिनेमाघरों में 3 धंटे झूठा ड्रामा देखते हैं वहां तो इस तरह का सवाल नहीं उठाया जाता। फिर यहां यह सवाल क्यों। तो दोस्तों उम्मीद है कि अब आपकी सारी गलतफहमी दूर हो गई होगी। ये सब मेरे निजी विचार है इसलिए अब आपको खुद फैसला करना है कि आपको क्या करना चाहिए।

 

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