Motivational speech in Hindi | मैं गलतियां करना क्यों सिखाता हूं

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मैं गलतियां करना सिखाता हूं |motivational speech in Hindi

लतियां मत करों यह वाक्य हमलोग बचपन से सुनते आ रहे हैं। मां-बाप बात-बात पर अपने बच्चों से कहते हैं “ये गलत है इसे मत करो” टीचर्स अपने स्टूडेंट्स से कहते हैं, “कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए” सीनियर्स अपने जूनियर्स से कहते हैं “देखना कोई गलती ना हो” लेकिन क्या आपको पता है कि इस छोटी से वाक्य ने हमें मानसिक रूप से कितना कमजोर किया है। इस वाक्य ने हमारे मस्तिष्क पर इस कदर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है कि कई बार हम किसी काम को करने से पहले ही चिंतित हो जाते हैं कि कहीं कोई गलती ना हो जाए। इसी‌ अवधारणा की वजह से कई बार हम काम शुरू ही नहीं करते‌‌ क्योंकि हम गलतियां करने की जोखिम नहीं लेना चाहते। इसी बात की वजह से कई बार हम अपने लक्ष्य से पीछे छूट जाते हैं क्योंकि हम गलतियां करने से डरते हैं। इसी वजह से हमारे अंदर की कई संभावनाएं विकसित होने से वंचित रह जाती है। क्योंकि हम नए रास्तों की खोज करने के बजाए हमेशा बने बनाए रास्ते पर चलना चाहते हैं ताकि हम भटक ना जाए। इस तरह हम एक निश्चित दायरे में सिमट कर रह जाते हैं।

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पिछली कई सदियों में मानव सभ्यता का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी ने किया है तो वह है “गलतीयां करने से बचना” और सबसे हैरानी की बात यह है कि आजकल लोग गलतियों से बचने की तरकीबें सोच रहे है। अगर आप अभी गुगल पर सर्च करेंगे तो आपको इससे संबंधित कई प्रश्न मिल जाएंगे। जैसे- गलतियां करने से कैसे बचे, गलतियों से बचने के उपाय, इत्यादि। लेकिन इस बात की मैं गारंटी दे सकता हूं कि इंसान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन गलतियां करने से नहीं बच सकते, क्योंकि गलतियां करना इंसान का प्राकृतिक स्वभाव है। गलतियों से ही तो इंसान सीखता है, संवारता है। इसलिए मेरा मत है कि इंसान के समुचित विकास के लिए गलतियां करना जरूरी है। अतः इंसान को गलतियों से बचने की नहीं बल्कि गलतियों से सीखने की कोशिश करना चाहिए।

 

मैं तो कहता हूं कि जितनी चाहे उतनी गलतियां करो,रोज नई नई गलतियां करो, क्योंकि आप जितनी गलतियां करोगे। उतना ही आप सीखोगे और जितना आप सीखोगे उतना ही आपके जीवन में पूर्णता आएगी। हां बस इतना ख्याल रहे कि एक ही गलती को दुबारा मत करना। मैं जानता हूं कि आप मे से बहुत से लोग यह सोच रहे होंगे कि मैं गलतियां करने के लिए क्यों कह रहा हूं। तो घबराइए मत मैं आपको सारी बातें स्पष्ट रूप से समझाऊंगा। लेकिन उससे पहले मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मैं आपको जान-बूझकर गलतियां करने के लिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि जानबूझकर गलतियां करना तो बेवकूफी होगी। मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि जब आपको कुछ समझ में ना आए कि क्या करना सही है और क्या करना गलत है तो आपको यह सोचकर पीछे नहीं हटना है कि कहीं कोई गलती ना हो जाए। आइए एक उदाहरण से समझते हैं।

 

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मान लीजिए कि आपको पता है कि आपके सामने आग जल रही है तो आप उसे नहीं छुएंगे। क्योंकि आप जानते हैं कि इससे आपका हाथ जल जाएगा। लेकिन अगर आप नहीं जानते कि यह क्या है तो आपको उसे छूने की गलती जरूर करनी चाहिए क्योंकि जब तक आप गलती नहीं करेंगे तब तक यह नहीं जान पाएंगे कि सही क्या है। एक छोटा बच्चा जब खड़े होकर चलने की कोशिश करता है तो वह बार-बार गिरता है, कई बार उसे चोट लगती है। चूंकि उसे सही और गलत का कोई बोध नहीं होता किन्तु वह बार-बार गलतियां करता है और अंततः खड़े होकर चलना सीख ही लेता है। आपने सुना होगा कि हमारे पूर्वज आदिमानव थे वे दोनों हाथों और दोनों पैरों से चलते थे यानी चार पैरों से। फिर धीरे-धीरे उन्होंने दो पैरों के बल पर चलना सीख लिया और उनके दो हाथ स्वतंत्र हो गए। अब वे इन दोनों हाथों से और भी बहुत सारे काम कर सकते थे। लेकिन क्या आपको लगता है कि पहली बार दो पैरों पर चलना इतना आसान रहा होगा। क्या उन्होंने इस प्रक्रिया में सैकड़ों गलतियां नहीं की होगी। जरूर की होंगी कई बार उन्हें चोट लगी होगी कई बार उनके घुटने छिल गए होंगे। तब जाकर उन्होंने ठीक से चलना सीखा होगा।

 

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बल्ब का आविष्कार थामस अल्वा एडीसन ने किया था अगर आप जानते होंगे तो यह भी जानते होंगे कि इसके लिए उन्होंने 1000 बार गलतियां की थी। अगर वे 100-200  गलतीयां करने के बाद सोच लेते कि अब बस बहुत हो गया, अब और गलती नहीं करूंगा तो क्या बल्ब का आविष्कार हो पाता। हमारे विज्ञान जगत में जो इतने अविष्कार हुएं हैं उनके पीछे हजारों गलतियां छुपी हुई है। वैज्ञानिकों की प्रयोगशालाओं में सिर्फ गलतियां ही की तो जाती है और उन गलतियों का कोई हिसाब नहीं होता। तभी वे नई-नई चीजों की खोज कर पाते हैं। और जब वे कोई नया अविष्कार कर लेते हैं तो सिर्फ इतिहास लिखा जाता है उनकी गलतियां नहीं लिखी जाती। आपको क्या लगता है कि स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स और मुकेश अंबानी जैसे जितने भी सफलतम लोग हैं क्या उन्होंने अपने जीवन में गलतियां नहीं की होगी। हजारों गलतियां की होगी तभी वे आज सफल है। और जो लोग गलतियां करने से डर गए वे आज तक सही और गलत का हिसाब लगा रहे हैं।

 

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खुद मैंने भी हजारों गलतियां की है। कुछ सालों पहले तक मुझे बाइक चलाना नहीं आता था। मेरे दोस्तों ने कई बार मुझे सिखाने की कोशिश भी की थी लेकिन मैं डरता था कि कहीं कुछ गलती ना हो जाए। लेकिन एक बार मेरे अंकल ने मुझे फंसा दिया।  एक बार वे मुझे अपनी बाइक पर पीछे बैठा कर रेलवे स्टेशन ले गए और ट्रेन पर सवार होकर बोले- बाइक लेकर घर चले जाओ।जब तक मैं उन्हें बताने की कोशिश करता है कि मैं बाइक नहीं चलाता हूं, तब तक ट्रेन खुल चुकी थी। अब मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मरता ना क्या करता मैं बाइक पर बैठा और उसे लेकर घर की तरफ निकल पड़ा। स्टेशन से मेरे घर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर थी और उस 6 किलोमीटर के सफर में करीब 8-10 बार बाइक बंद हुई थी, दो तीन बार गिरा भी था। खैर किसी तरह मैं घर पहुंच गया था। चुंकि  6 किलोमीटर मैं बाइक पर बैठ कर आया था इसलिए वह दिन मेरे लिए खुशी का दिन था क्योंकि मेरे अंदर से डर निकल चुका था। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि बिना गलती किए कुछ भी सीखना मुमकिन नहीं है। फिर अगले एक-दो दिनों में ही मैंने कुशलता से बाइक चलाना सीख लिया। मैंने अक्सर लोगों को पहचानने में गलतियां की है इसलिए आज लोगों को पहचानने का हुनर सीख गया हूं। मैंने अपनी जिंदगी में कई गलत फैसले लिए तभी आज सही फैसले लेने में सक्षम हूं।

 

इसलिए मेरा मानना है कि गलतियां करना बुरा नहीं है क्योंकि हमारी हर गलती हमे कुछ न कुछ जरूर सिखाती है। गलतियां करना ही तो हमारे जिंदा होने का सबूत है क्योंकि मुर्दे  गलती नहीं कर सकते। तो आखिर में मैं आपसे यही कहना चाहता हूं  कि गलतियां करने से डरना मत क्योंकि गलतियों से तजुर्बा मिलता है और तजुर्बा सबसे कीमती होता है जो दुनिया के किसी बाजार में नहीं मिलता। हां बस एक बात का ख्याल रखना कि एक ही गलती को बार-बार मत करना। अन्यथा आप मूर्खों में गिने जाएंगे।

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