kundalini Jagran in hindi | कुंडलिनी शक्ति जागरण
कुंडलिनी जागरण को लेकर आजकल लोगों में काफी जिज्ञासा और उत्सुकता देखी जा रही है। बहुत से लोग अपनी कुंडलिनी उर्जा को जागृत करके चमत्कारी शक्तियां हासिल करना चाहते हैं परन्तु आधी-अधूरी जानकारी की वजह से अधिकांश लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या करें और क्या ना करें। इसलिए इस आर्टिकल में हम पूरे विस्तार से बताने वाले हैं कि कुंडलिनी जागरण क्या है, कुंडलिनी कैसे जागृत होती है और कुंडलिनी जागरण के फायदे और नुक्सान क्या हैं। अंत में हम आपके साथ अपने कुंडलिनी जागरण के अनुभव शेयर करके ये भी बताएंगे कि आपको कुंडलिनी जागरण करना क्यों चाहिए और क्यों नहीं करना चाहिए। इस आर्टिकल में कुंडलिनी शक्ति जागरण के बारे में पूरे विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। ताकि आपको कुंडलिनी जागरण से संबंधित सभी सवालों के जवाब मिल जाएं।
कुंडलिनी शक्ति क्या है
kundalini shakti jagran – कुंडलिनी जागरण क्या है
अभी हमने विधुत उर्जा का उदाहरण दिया। जो एक चार्जर के माध्यम से AC से DC में परिवर्तित हो जाती है। तो यदि हम कुंडलिनी को DC उर्जा मान ले तो हम फलों, सब्जियों और अन्य खाद्यान्नों को हम AC उर्जा कहेंगे। जिसमें ब्रह्मांडीय उर्जा यानी AC उर्जा प्राकृतिक रूप से विद्यमान है। हमारा शरीर एक चार्जर स्वरूप है। हम जो चीजें भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, उन्हें हमारा शरीर DC उर्जा में परिवर्तित करके कुंडलिनी में संचित कर लेता है। जिसे हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर में मौजूद 72000 नाड़ियों के द्वारा शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचा देता है। इससे हमारे शरीर का काम आराम से चल जाता है।
लेकिन अब समय के साथ हमारी जरूरतें और इच्छाएं बढ़ती गई। अब हमें ज्यादा उर्जा की जरूरत महसूस होने लगी। तब हमने इसी उर्जा के द्वारा अपने बौद्धिक क्षमता का विकास किया। बौद्धिक क्षमता विकसित होने के कारण हमारे मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे। जैसे- हम कौन हैं? हमें किसने बनाया है ? इस संसार को किसने बनाया और वह हमें कैसे मिल सकता है, इत्यादि इत्यादि। हम में से कुछ लोग जिनकी बुद्धि ज्यादा विकसित थी। वे इन सवालों के जबाव खोजने में लग गए। इसी खोज के दौरान उन्हें पता चला कि ब्रह्मांड की सारी शक्तियां हमारे शरीर में सुप्तावस्था में मौजूद है। इसी खोज के दौरान उन्हें पता चला कि हमारे मस्तिष्क में सहस्त्रार हार चक्र के रूप में एक परमाणु रिएक्टर मौजूद हैं। जो ब्रह्मांडीय उर्जा से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है। ( इसे भी पढ़ें- 7 शरीरों और 7 चक्रों का रहस्य) इसके साथ यह भी पता चला कि वह छः अन्य चक्रों के साथ हमारे कुंडलिनी से जुड़ा हुआ है। जो ब्रह्मांडीय उर्जा को रसायनिक उर्जा में परिवर्तित करके हमारे मूलाधार चक्र में स्थित कुंडलिनी में स्त्रावित कर रहा है।
यहां मैं हमेशा उर्जा की बात इसलिए कर रहा हूं कि यह समस्त ब्रह्माण्ड केवल और केवल उर्जा है। हम और हमारी ये दुनिया उर्जा के ही अलग-अलग रूप है। बाकी और कुछ भी नहीं है। तो धीरे-धीरे हमे बता चल गया कि यदि हम इस कुंडलिनी उर्जा को पुर्णत जागृत करके इसे सहस्त्रार चक्र में मौजूद ब्रह्मांडीय उर्जा तक पहुंचा दे। तो हमें उस ब्रह्मांडीय उर्जा की समस्त शक्तियां प्राप्त हो सकती है। फिर हमने वहां तक पहुंचने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए और अंत में हमें तीन उत्तम रास्ते मिलें। जिसके द्वारा कुंडलिनी उर्जा को जागृत किया जा सकता है।
तो आइए अब हम उन तीन विधियों की बात करते हैं। जो कुंडलिनी जागरण के लिए सर्वाधिक उपयोगी है।
कुंडलिनी शक्ति कैसे जागृत करें – how to awaken kundalini shakti in hindi
कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए सबसे प्रचलित विधि है, हठयोग। परंतु यह बिल्कुल नास्तिक और प्राकृति विरोधी प्रणाली है। इसमें खतरे भी बहुत है। इस प्रणाली में विभिन्न प्रकार के आसनों और मंत्रों द्वारा कुंडलिनी उर्जा को जबरदस्ती जगाया जाता है। दरअसल हमारे शरीर के सातों चक्र तीन प्रमुख नाड़ियों इगला पिंगला और सुषुम्ना के द्वारा आपस में जुड़ी हुई है। इनमें से सुषुम्ना नाड़ी सबसे प्रमुख है। जो हमारे रीढ़ की हड्डियों के बीच से निकलती है। यह नाड़ी हमारे मुलाधार चक्र में स्थित कुंडलिनी उर्जा को हमारे सहस्त्रार चक्र में स्थित बहृमांडीय उर्जा से सीधे जोड़ती है। इसी नाड़ी के द्वारा सहस्त्र हार चक्र में मौजूद ब्रह्मांडीय उर्जा हमारे मुलाधार चक्र में मौजूद कुंडलिनी में गिरती है। साधक इसी नाड़ी के जरिए कुंडलिनी उर्जा को ध्यान साधना और तंत्र-मंत्रों के द्वारा बलपूर्वक ऊपर उठा कर ब्रहृमाडीय उर्जा से जोड़ने की कोशिश करते हैं। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे पाईप के द्वारा छत से गिरते हुए बरसात की पानी को नीचे पाईप का मुंह बंद करके रोक दिया जाए। ताकि धीरे-धीरे पाईप भरते हुए पानी वहां तक पहुंच जाएं जहां से आ रही है। यह बहुत ख़तरनाक और जोखिम भरी प्रक्रिया है। अतः इसे किसी योग्य और अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही करना उचित है। अन्यथा यदि आपका शरीर और मस्तिष्क इस उर्जा को धारण करने के लिए तैयार नहीं हुआ है तो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आप मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकते हैं। अथवा आपको शारीरिक रूप से भी नुकसान हो सकता है।
तीसरा और सबसे आसान विधि है, सहज ध्यान। इसे करने के लिए आपको जंगल या पहाड़ पर नहीं जाना पड़ेगा। आप अपने घर में प्रतिदिन थोड़ा समय निकाल कर इसे कर सकते हैं। सहज ध्यान से धीरे-धीरे आपके अंदर आत्म जागरूकता और समझ पैदा होने लगेगी। जिसके परिणामस्वरूप एक-एक करके आपके सभी चक्र खुलते जायेंगे। और आपकी कुंडलिनी अपने आप जागृत हो जाएगी हालांकि सहज ध्यान से कुंडलिनी उर्जा जागृत होने में अधिक समय लगता है परंतु यह प्राकृति के नियमों के अनूकूल है। अतः इसमें आपको कोई खतरा नहीं है। क्योंकि आपका शरीर में धीरे-धीरे खुद को इसके लिए तैयार कर लेता है। सहज ध्यान में विपश्यना ध्यान सबसे प्रसिद्ध और आसान है। आप चाहे तो इसे कर सकते है।
कुंडलिनी शक्ति का उपयोग
तो अब सवाल ये उठता है कि कुंडलिनी जागरण करें या ना करें। तो मुझे नहीं लगता कि हमे कुंडलिनी जागृत करने की कोई आवश्यकता है। क्योंकि ईश्वर ने पहले से ही हमारी कुंडलिनी में बहुत सारी शक्तियां दे रखी है। यदि हम अपने अंदर समझ और जागरूकता को विकसित करके इन शक्तियों का उचित उपयोग कर लें तो हम जो चाहे हासिल कर सकते हैं। आप खुद सोचिए कि ईश्वर ने हमारे जन्म से ही हमारी कुंडलिनी को पुर्ण जागृत क्यों नहीं किया। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य इसका गलत उपयोग कर सकता है। और ये सच भी है। क्योंकि शक्ति अपने साथ अहंकार भी लेकर आती है। आजकल किसी को थोड़ी सी अधिक शक्ति मिल जाए तो वह उसका दुरूपयोग करने लगता है। अगर उसे कुंडलिनी जैसी अद्भुत शक्ति मिल जाए तो वह सारी दुनिया को तबाह कर सकता है।
कुछ लोगों का मानना है कि कुंडलिनी जागरण के बिना मोक्ष अथवा निर्वाण संभव नहीं है। परन्तु ये सच नहीं है। आप खुद इतिहास में झांक कर देखिए कि बुद्ध, महावीर, नानक, कबीर, लाओत्से और जीसस जैसे जितने भी लोग निर्वाण को प्राप्त हुए हैं। उनमें से किसी ने भी कुंडलिनी जागरण नहीं किया था और ना ही कभी दुसरों को इसके लिए प्रेरित किया था। फिर भी वे ईश्वर को प्राप्त हो गए। इसलिए कुंडलिनी शक्ति का अध्यात्म से कोई संबंध नहीं है। कुंडलिनी जागरण तो अधिकांश: नास्तिक प्रवृत्ति के लोग ही करते हैं, जो किसी शक्ति या सिद्धि को पाना चाहते हैं। परन्तु सोचने वाली बात यह भी है कि आप कोई शक्ति या सिद्धि प्राप्त करके करेंगे भी क्या। मान लिजिए, बरसों की साधना और मेहनत के बाद आप पानी पर चलने लगे, हवा में उड़ने लगे, लोगों का दिमाग पढ़ने लगे, या हाथी को उठा लें तो इससे आपका क्या प्रयोजन सिद्ध होगा। इससे तो आपके अंदर अहंकार ही भरेगा। जो अंततः आपके पतन का कारण बनेगा। अभी आप जहां खड़े है वहां ना जाने कितने महारथियों की कब्रें दबीं पड़ी है जो कभी महाशक्तिशाली हुआ करते थे। और अंत से हमारा और आपका भी वहीं हाल होगा। इतना सब जानने के बावजूद भी अगर आप चमत्कारी सिद्धियां हासिल करना चाहते हैं तो आप कुंडलिनी जागरण कर सकते हैं।
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दोस्तों आशा करता हूं कि अब आपको कुंडलिनी से संबंधित सभी सवालों का जवाब मिल गया होगा। फिर भी यदि आपके मन में कोई उलझन हो तो कृपया नीचे कमेंट में जरूर लिखें। हम निश्चित रूप से आपके सवालों का जवाब देंगे।
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