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Karva chauth puja Vidhi

करवा चौथ कब है |करवा चौथ का महत्व

● करवा चौथ का व्रत हिन्दू धर्म की महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है । हिन्दू धर्म की सुहागन महिलाएं इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती है।अपने पति की  दीर्घायु,मंगलकामना,और अखंड सौभाग्य के लिए सुहागन महिलाएं बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को करतीं है। करवा चौथ व्रत में सुहागन महिलाएं सुबह सरगी खा कर दिन भर निर्जला उपवास रखती है और रात को चांद निकलने के उपरांत छलनी में अपने पति का चेहरा देखकर चांद को अर्घ्य देेती है और पति के हाथ से जल ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ती है । करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ की तिथि 13 अक्टूबर को रात 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार करवा चौथ का उपवास 13 अक्टूबर को ही रखा जाएगा.  

सामग्र

करवा चौथ व्रत सामग्री 

• यहां हम करवा चौथ व्रत के लिए आवश्यक पुजा सामग्री बता रहे है जो इस व्रत को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है ।
2 पुजन थाली 2 मिट्टी का बर्तन या लोटा, 1 पुजा के लिए और 1 चन्द्रमा अर्घ्य के लिए ।
• पुजा थाली सामग्री – पान, सुपारी, लौंग,इलायची, मिट्टी का दिया, अगरबत्ती, लाल फूल, शक्कर कुमकुम,अक्षत,बंधन सिंदूर,रक्षा सूत्र, हल्दी,नारियल, छुहारा,मेवे, काजु,किशमिश,फल बिना कटे हुए, दुध से बनी मिठाई,लाल रंग चुनरी करवा ।
• सुहागन सोलह श्रृंगार – लाल साड़ी, सिंदूर, लाल चुड़ी, लाल रिबन,इत्र,काजल,लिपिस्टिक,बिंदी,बिछिया,मेहंदी,महावर,नेल पालिश,मंगल सूत्र,अंगुठी,आभूषण,इत्यादि।
•चन्द्रमा अर्घ्य के लिए –  सफेद थाली, पलाश के पत्ते, सफेद पुष्प,गाय का दूध, जनेऊ, सफेद रूमाल, कुमकुम, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, ईत्यादि ।
• नोट : आप पुजन सामग्री की मात्रा को अपने सामर्थ्य अनुसार घटा या बढ़ा सकते है ।

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● करवा चौथ व्रत विधि | करवा चौथ कैसे करें

करवा चौथ व्रत प्रारंभ सुबह सरगी के साथ शुरू होता है। प्राचीन परंपरा के अनुसार सास अपनी बहू को सरगी के रूप में फल मिठाई और श्रृंगार का सामान देती है जिसे बहू ग्रहण करती है। उसके बाद दिन भर निर्जला-निराहार रह कर भगवान शिव और पार्वती की पुजा की जाती है । करवा चौथ व्रत कथा वाचन और श्रवण के बिना पुर्ण नही होती इसलिए करवा माता के कथा सहित करवा चौथ की अन्य कथाएं अवश्य  सुने और भगवान शिव और माता पार्वती का अनन्य भाव से भजन कीर्तन करें । रात को चांद निकलने के उपरांत चांद को अर्घ्य दें  तत्पश्चात छलनी में अपने पति का चेहरा देखकर उनकी आरती उतारें । फिर अपने पति परमेश्वर के चरणों का स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और फिर उनके कर कमलों द्वारा जल ग्रहण कर व्रत तोड़ना चाहिए।व्रत तोड़ने के पश्चात पुजा की थाली और अन्य सामग्रियों को अपने सासु मां कों दान कर उनका भी आशिष ग्रहण करना चाहिए । करवा चौथ व्रत धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ पति-पत्नी के बीच प्रेम विश्वास और समर्पण का प्रतीक है,इसलिए पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति समर्पण और सम्मान का भाव उत्पन्न करना चाहिए ताकि उनका दांपत्य जीवन सुखमय बना रहें ।

● करवा चौथ व्रत के नियम |क्या करें क्या ना करें

करवा चौथ व्रत एक कठिन व्रत है जिसमें पूर्णतया निर्जला-निराहार रहा जाता है इसलिए जल ग्रहण करना वर्जित है ।
• सरगी में सास द्वारा भेंट किये गए खाद्य पदार्थ के अलावा और कुछ ना खाएं।
•  करवा चौथ उपवास के दौरान सोना वर्जित है ।
• व्रत के दिन सिलाई कटाई और बुनाई जैसे काम ना करें ।
• करवा चौथ व्रत के दिन किसी को भी  अपनी श्रृंगार की वस्तुएं और सफेद कपड़े या सफेद रंग की चीजें ना दे और ना लें।
• करवा चौथ व्रत के दिन किसी को अपशब्द ना कहें अपने पति से झगड़ा या मनमुटाव ना करें।
• करवा चौथ व्रत के दिन पति के साथ सहवास ना करें वर्ना व्रत का फल नही मिलेगा।
• करवा चौथ के दिन किसी को सोते से जगाना हिंदू शास्त्रों सुहागन महिलाओं के लिए अशुभ माना गया है ऐसा करने से भी व्रत का नही 
मिलता ।
•करवा चौथ के दिन लाल रंग के ही वस्त्र करें क्योंकि लाल रंग प्रेम का प्रतीक है । व्रत के दौरान काले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करना अशुभ होता है ।

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 तो आशा करता हूँ कि आपको करवा चौथ व्रत के बारे में सारी जानकारी मिल गई होगी फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पुछ सकती है।हम आपके प्रश्न का उत्तर जरूर देगें।आप सभी माता बहनों को हमारी तरफ से करवा चौथ की ढेर सारी शुभकामनाएं ।भगवान शिव और माता पार्वती आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें। धन्यवाद 

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