होली का अर्थ क्या होता है|होली 2021 पर विशेष लेख
holi 2021 special
होली का उत्सव करीब आ गया है। भारतीय कैलेंडर के अनुसार इसी हफ्ते 29 मार्च 2021 दिन सोमवार को holi 2021 मनाया जाना है। इधर कोरोना का दूसरा लहर भी बढता ही जा रहा है। मानो जैसे पिछले वर्ष की पुनरुक्ति हो रही हो। संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में एक बार फिर से लाॅकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगाएं जा रहे हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा सर्वाजनिक समारोहों और होली की पार्टीयों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए जा रहे है। परंतु इन सबके बीच जिन क्षेत्रों में कोरोना का दूसरा लहर अभी नहीं पहुंचा है। वहां holi celebration की तैयारियां शुरू हो गई है। शायद आपने भी होली सेलिब्रेशन की तैयारी शुरू कर दी होगी। किंतु ठहरिएं, क्या आप जानतेेेेे हैं की होली की परिभाषा क्या है, होली का अर्थ क्या होता हैै और होली कैसे मनाना चाहिए। यदि नहीं जानतेे तो इस आर्टिकल को पढ़िए।
होली का महत्व
दोस्तों
होली का त्यौहार
रंगों का त्योहार है। जो हमारे जीवन को रंग-बिरंगे खुशियों से रंग भर देता है।
होली का नाम सुनते ही हमारा मन उल्लास, उमंग और उत्साह भर जाता है। होली का ख्याल दिल में आते ही गरम गरम गुलगुले, पुआ, पूड़ी, कचौड़ी, पकौड़ी और भी 36 प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों की छवि दिमाग में घूमने लगती है। जिनका नाम सुनकर है मुंह में पानी आ जाता है। ऊपर से रंग गुलाल से पुते हुए रंग-बिरंगे हंसते मुस्कुराते चेहरे दिल में एक अद्भुत ख़ुशी का एहसास जगाते हैं। सचमुच होली का त्यौहार प्रेम, विश्वास, भाईचारे, सामाजिक सौहार्द और पवित्रता का प्रतीक है। परंतु मालूम होता है कि कोरोनावायरस ने हमारी सारी खुशियों पर पानी फेरने की कसम खा ली है। पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोनावायरस ने होली के ठीक पहले दुबारा दस्तक दे दी है।
परंतु हमें लगता है कि तमाम पाबंदियों के बावजूद लोग होली जरूर मनायेंगे।
आखिर साल में एक बार ही तो हुड़दंग मचाने की पूरी छूट मिलती है। अब होली ही ना मनाएं तो सालभर से दबा हुआ मन का गुब्बार कैसे निकलेगा। और इसके लिए हर जगह तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। जगह-जगह रंग-गुलाल की दुकानें खुलने लगीं है। कुछ राज्यों में शराबबंदी के बावजूद शराब के ठेकेदारों ने बीयर,व्हिस्की,रम इत्यादि की नयी-नयी किस्में स्टाॅक कर ली है। जिन राज्यों में मदिरापान को मौलिक अधिकार समझा जाता है। वहां के शराब दुकानों में तो एडवांस बुकिंग भी शुरू हो गई है। गरीब तबके के लोगों ने महुआ, गांजा,भांग इत्यादि की व्यवस्था कर ली है। अब तो चाहे लाॅकडाउन लगे या ब्लॉकडाउन होली का हुड़दंग तो होगा जरूर।
आजकल लोग होली कैसे मनाते हैं?
वैसे होली मने या ना मने हमे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हमें तो होली कभी भी रास नहीं आई है। जब से हमने होश संभाला है तब से होली हमे एक समस्या की तरह ही नजर आई है। क्योंकि होली के दिन सब लोग होली खेलने के फ़िराक़ में रहते हैं और हम नशे में धुत्त परिजनों और दोस्तों को संभालने में परेशान रहते हैं। क्या पता ये लोग कब कहां झगड़ा-झंझट शुरू कर दे। हमें याद नहीं कि शायद ही कोई ऐसी होली बीती हो, जब हमारे गांव में मारपीट ना हुई हो।
होली के हमारी यहीं कोशिश रहती है कि घर से बाहर कम से कम निकला जाएं। क्या पता कब, कौन कहां से गंदी नाली का कीचड़ या काला मोबिल डाल दें। क्या पता कब कहां से गुब्बारे का गोला आ कर हमारे आंखों को सुजा दें। क्या पता कौन आ कर हमारे कमीज के चिथड़े-चिथड़े उड़ा दें। हालांकि तमाम सावधानियों के बाद भी कई बार ये ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही चुका है। अब हम ठहरे एक सभ्य और संस्कारी आदमी, कैसे होली के मंगल दिन को दंगल बना दें। बस अपने गुस्से को शराब समझ कर पी लेते हैं।
परंतु हमें आज तक ये समझ नहीं आया कि यह होली मनाने का कौन सा माडर्न तरीका है। लोग कहते हैं कि आज हम होली मनाएंगे परंतु समझ में नहीं आता है यह होली होता है या हुड़दंग। वास्तव में होली मनाया ही इसलिए जाता है कि जाने-अनजाने में जो लोग रूठे हैं उन्हें मनाया जाएं। परंतु लोग जबरदस्ती हर आने-जाने वाले पर रंग-गुलाल डाल देते हैं। रंग-गुलाल तो कुछ हद तक ठीक है परंतु लोग धूल-मिट्टी गोबर कीचड़, मोबिल इत्यादि डाल देते हैं। जिससे कई लोग रूठ जाते हैं या नाराज हो जाते हैं। और आश्चर्य की बात यह है कि जिस कार्य से लोग रूठ जाते हैं उससे हम मनाना कहते हैं। अब यह पता नहीं कैसा मनाना है कि जिसके कारण प्रशासन को पुलिस बल तैनात करने पड़ते हैं। सरकार को समाचार पत्रों में यह घोषणा करवाना पड़ता है कि जो होली में जो हुड़दंग करेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सरकारें कहती हैं कि हमारे शासनकाल में शिक्षा का प्रचार प्रसार बढ़ है। अधिकांश लोग शिक्षित हो रहे हैं। परंतु जो लोग शिक्षित हैं उन्हें भी तो होली का सही अर्थ पता होना चाहिए। होली मनाने के लिए करोड़ों रुपयों के रंग-गुलाल, बहुमूल्य जल, कपड़े इत्यादि बर्बाद करके सरकार की संपत्ति का नुकसान किया जाता है। जबकि हमारे देश में गरीबी के कारण करोड़ों लोगों के तन पर ठीक से वस्त्र नहीं हैं। तब इस प्रकार वस्त्रों को बर्बाद करना भला होली मनाने का सही अर्थ कैसे हुआ। हर आने-जाने वाले लोगों को गुब्बारा मारना तो अपने मन का गुबार निकालने जैसा है। इसमें होली मनाने का प्रेमस्प्रद भाव कहां है। क्या होली मनाने का सही अर्थ गंवाना ही है ?
होली का अर्थ
होली शब्द का अंग्रेजी अर्थ है पवित्रता। परंतु आजकल होली में तो पवित्रता नजर भी नहीं आती। जिस होली में लाखों निर्दोष पशुओं की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है। लोग आती-जाती लड़कियों और महिलाओं से छेड़खानी करते हैं। होली खेलने के बहाने जानबूझकर उनके अंगों को छूने की कोशिश करतेे हैं। हमने देखा है कि इस दिन लोग पुरानी दुश्मनी का बदला लेते हैं। एक दूसरे के मुंह पर रंग, गुलाल कालिख इत्यादि ऐसे अभद्र तरीके से जबरदस्ती मल देते हैं, जैसे वे अपना गुस्सा निकाल रहे हो। लोग हुड़दंग मचाते हुए एक दूसरे का अपमान करते हैं। एक दूसरे के साथ अभद्र और अनुचित व्यवहार करते हैं। फिर भला उस पवित्र पर्व का नाम होली कैसे सार्थक हुआ।
वैसे कहने को होली एक उत्सव है। लेकिन क्या आप उत्सव शब्द का मतलब जानते हैं। उत्सव शब्द का प्रयोग उस अवसर के लिए होता है जो मनुष्य आपकी खुशी और उत्साह को बढ़ा दे। परंतु जिस उत्सव को मनाने में कोई नाराज हो जाए, किसी व्यक्ति से बिना मतलब का झगड़ा हो जाए। इसके साथ इतने रंग, पानी, वस्त्र और इतना समय बेकार चला जाए। उसे उत्सव कहना तो एक तरह से उत्सव शब्द का अपमान हुआ। यदि भांग के गुलगुले खाकर हुड़दंग करना, मदिरापान करके गंदी नाली में गिर जाना ही यदि होली है तो फिर उसे होली के बजाय गाली कहना ज्यादा बेहतर होगा।
अब आप यह मत समझना कि हम होली नहीं मनाते या हम होली मनाते के खिलाफ हैं। होली हम भी मनाते हैं परंतु होली मनाने के दौरान हमसे कभी कोई नाराज नहीं हुआ। होली में हमारा कभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ। हमने कभी शराब या भांग का सेवन करके होली में हुड़दंग नहीं किया। और इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपसे यही कहना चाहते हैं कृपया होली के महत्व को समझें और सही अर्थों में होली मनाएं।
होली कैसे मनाना चाहिए
होली का सही अर्थ है पुराने गिले-शिकवे को भुला देना और रूठे हुए को मनाना लेना। गैरों को भी अपना बना लेना और बिछड़े हुए को गले लगा लेना। रंग गुलाल तो एक बहाना है होली का सही अर्थ है, प्रेम के रंग से एक दूसरे को रंग देना। तो यदि आप होली का अर्थ समझ गए हैं तो कृपया श्रद्धा, विश्वास, भाईचारे और प्रेम के सच्चे रंगों के द्वारा सादगीपूर्ण होली मनाये। एक और बात, यदि आपके क्षेत्र में भी कोरोना का दूसरा लहर पहुंच गया है तो कृपया अपने जिला प्रशासन के सभी निर्देशों का यथासंभव पालन करें। जहां तक संभव हो अनावश्यक रूप से सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचें। अपने घर पर रहे औरअपने परिजनों के साथ होली सेलिब्रेट करें। यदि अपने दोस्तों और दूर के रिश्तेदारों से होली मनाने का दिल करें तो
डिजिटल इंडिया का लाभ उठाएं और इस बार ऑनलाइन होली मनाएं। क्यों जब सब कुछ ऑनलाइन हो सकता है तो क्या ऑनलाइन होली नहीं मनाया जा सकता जरूर मनाया जा सकता है। तो इस नये
ऑनलाइन होली की शुरुआत करते हुए सबसे पहले हम ऑनलाइन होली मनाते हैं।
आप सभी दोस्तों को रंगो के त्यौहार होली की ढेर सारी शुभकामनाएं
आप होली का त्योहार कैसे मनाते हैं कृपया नीचे कमेंट करके जरूर बताएं और हां अगर आप भी हमारे साथ ऑनलाइन होली मनाना चाहते हैं तो हमें
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