hindi short story with moral, यह कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी

hindi short story with moral
Moral stories
जकल अक्सर देखा जा रहा है कि लोग छोटी-छोटी बातों के लिए आवेश लोभ या जज्बात में आकर लड़ाई-झगड़े, चोरी, बेईमानी  हत्या या आत्महत्या जैसे छोटे-बड़े अपराध कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अस्पतालों और जेलों में आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कष्ट भोगना पड़ रहा है, और हम नहीं चाहते आपको भी ऐसे हालातों का सामना करना पड़े इसलिए हम एक कहानी के जरिए आपको एक महत्वपूर्ण सीख देना चाहते हैं। आप इस कहानी को पढ़ने के बाद इस पर विचार अवश्य किजियेगा।

बिना परिणाम सोचे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए

किसी देश में एक दयालु, प्रजावत्सल और ‌प्रतापी राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों ओर हरियाली और खुशहाली थी, कहीं भी कोई भी दुखी ना था। परंतु राजा का प्रधानमंत्री बहुत दुष्ट,मक्कार और अहंकारी था।  एक दिन राजा के दरबार में एक साधु आया और राजा से बोला- राजन मैं आपको ज्ञान की एक बात बताऊंगा, लेकिन बदले में 10 हजार स्वर्ण मुद्राएं लूंगा।
साधु की बात सुनकर सारे दरबारी हंसने लगे और राजा से बोले- महाराज यह साधु आपको ठगने की कोशिश कर रहा है, इसकी बातों में मत आइएगा। परंतु राजा बड़े जिज्ञासु और ज्ञान के प्रेमी थे। उन्होंने उस साधु को 10 हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दी और बोले- महात्मन अब आप मुझे वह ज्ञान की बात बताइए। साधु ने कहा- राजन मेरी ये बात गांठ बांध लिजिए कि बिना परिणाम सोचे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। राजा को यह बात बहुत अच्छी लगी, उसने इस वाक्य को अपने शयनकक्ष की दिवार पर लिखवा दिया।
 
धीरे-धीरे काफी दिन बीतते गए। एक बार राजा  बीमार पड़ गया। राजा को बीमार देखकर प्रधानमंत्री के मन में राजगद्दी हथियाने का लालच आ गया। उसने राजवैद्य को बुलवाया और  बोला- तुम अगर राजा को विष देकर मार दो तो मैं तुम्हें एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दूंगा और राजा बनने पर तुम्हें प्रधानमंत्री का पद भी। प्रधानमंत्री की बात सुनकर राजवैद्य पहले तो ना नुकूर की, लेकिन बाद में वह भी लालच में आ गया और उसने प्रधानमंत्री की बात मान ली।
राजा के शयन कक्ष में आकर उसने दवा के बदले विष का घोल तैयार किया और उसे राजा को पिलाने ही वाला था कि उसकी दृष्टि दीवार पर लिखे उस वाक्य पर चली गई। बिना परिणाम सोचे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। राजवैद्य ने सोचा,कि अगर इस विष के प्रभाव से राजा की मृत्यु हो गई तो उसे उसके पुरे परिवार सहित फांसी पर लटका दिया जाएगा। फिर 1 लाख स्वर्ण मुद्राएं किस काम आएगी। यह बात सोचते ही राजवैद्य घबरा गया। राजवैद्य के चेहरे पर घबराहट देखकर राजा के मन में कुछ संदेह हुआ। उसने राजवैद्य से कड़क कर बोला- तुम जरूर मुझसे कुछ छुपा रहे हो, जल्दी बताओ वरना अभी कारागार में डलवा दूंगा। राजा की कड़क आवाज सुनकर राजवैद्य डर गया और उसने सारी बात बता दी। राजा ने राजवैद्य को तो माफ कर दिया, लेकिन प्रधानमंत्री को उसी क्षण फांसी पर लटकवा दिया।
 
 दोस्तों इस कहानी से हमें यहीं सीख मिलती हैं कि कभी भी किसी भी काम को करने से पहले हमें अच्छी तरह सोच समझ लेना चाहिए। अन्यथा बाद में हमें पछताना पड़ सकता है या हो सकता है कि पछताने का मौका ही ना मिले। अतः इस कहानी के माध्यम से हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि किसी भी काम को करने से पहले एक बार कम से कम एक बार गंभीरता से विचार जरूर करना चाहिए कि इस काम का क्या परिणाम निकल कर आएगा।
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