Heart touching true love story in hindi
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Love story ki kahani |
दोस्तों इस सच्ची प्रेम कहानी के पहले और दूसरे भाग में आपने पढ़ा कि दीपक अपनी बहन की शादी की पार्टी में उसके ससुराल जाता है जहां एक लड़की उसे एक love latter देती हैं जो किसी अनजान लड़की द्वारा भेजा गया होता है। दीपक उस लव लेटर को खोलकर पढ़ता है। तो पता चलता है कि उसकी कोई रिया नाम की लड़की उसे बिना देखे बिना जाने पिछले एक साल से प्यार करती है। दीपक उस लड़की से मिलता है और उसे समझाने की कोशिश करता है कि किसी मजबूरी के कारण वह उसके प्यार को कुबूल नहीं कर सकता। लेकिन वह लड़की कहती हैं कि मैं आपको अपना पति मान चुकी हूं और अगर आप मेरे प्यार को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं जहर खाकर आत्महत्या कर लूंगी। आखिरकार दीपक उसके प्यार को स्वीकार कर लेता है और धीरे-धीर
उसे भी उस लड़की से बेइंतहा मोहब्बत हो जाती है। धीरे धीरेेेे प्यार का सिलसिला शुरू होता है। वे दोनों दुनिया की नजरों से छिपकर एकांत में मिलने लगते हैं और साथ जीने मरने की कसमें खाते हैं। गरीब परिवार का दीपक उस लड़की को दुनिया की सारी खुशियां देना चाहता है इसीलिए वह अपने पैरों पर खड़े होने के लिए विदेश कमाने चला जाता है। तभी अचानक एक ऐसा भूचाल आता है जो उनके प्यार की दुनिया को तबाह कर देता है
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true sad love story in hindi
“क्या हुआ रिया जी कुछ बताइए तो सही?” रिया के आंसु दीपक का दिल दुखा रहे थे ।” मम्मी-पापा को हमारे प्यार के बारे में सब कुछ पता चल गया है। वे लोग बहुत गुस्से हैं और मुझे बहुत टार्चर कर रहे हैं, उन्होंने भाभी के साथ भी मारपीट की है। रिया सिसकते हुए बोली। “लेकिन कैसे?” दीपक परेशान हो गया । आपने मुझे जो लव लेटर लिखे थे उन्हें मैंने बेड के नीचे छुपा रखा था लेकिन पता नहीं कैसे” वे पापा के हाथ लग गए।” रिया ने डरते-डरते बताया। मैं तो कब से आपको कह रहा हूं कि मुझे ये लुका-छिपी पसंद नहीं है। उन्हें हमारे प्यार के बारे में बता दिजिए लेकिन आपको तो कुछ समझ ही नहीं आता” दीपक ने नाराज होते हुए कहा। अब मैं आपको अपनी मजबूरी कैसे समझाऊं कि मेरे अंदर उतनी हिम्मत नहीं है कि उनसे अपने प्यार के बारे में बता सकूं, आप प्लीज अपने पापा को हमारे घर भेजें वरना ये लोग हमारी शादी के लिए लड़का ढुंढ रहे हैं और अगर इन्होंने मेरी शादी किसी और से करने की कोशिश की तो मैं जहर खा लूंगी।” रिया फिर से रूआंसी हो उठी। “अच्छा ठीक है” मैं परसों तक घर पहुंच जाऊंगा। उसके अगले दिन ही मैं आपके घर आकर मम्मी पापा से बात करता लूंगा। और हां आप प्लीज रोइए मत क्योंकि मैं आपके आंसु बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसने दिलासा देते हुए कहा। “नहीं! “आपको मेरी कसम है, आप प्लीज अभी हमारे घर मत आइएगा। वरना वे लोग आपको देखकर और भड़क जाएंगे। आप अपने पापा जी को भेजिएगा। ठीक है अब फोन रखती हूं, “अपना ख्याल रखियेगा।”
यह कहते हुए उसने फोन रख दिया।
“प्यार और खुशी जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तो नजर लग जाती हैं।”
दीपक को जिसका डर था वहीं हुआ शायद उसके प्यार को किसी की नजर लग चुकी थी। उसका दिल किसी अनहोनी की आशंका से भर उठा।
कल मैं घर जा रहा हूं। तुम लोग रूम किराया और राशन का हिसाब करके मुझे बता देना। शाम को खाना बनाते समय उसने प्रदीप और पप्पू से कहा। लेकिन अगले हफ्ते तो हमें दिपावली में जाना ही है। नहीं “बहुत जरूरी काम है” मुझे कल ही जाना होगा। दीपक ने अपना फैसला सुनाया। प्रदीप और पप्पू उसके बचपन के दोस्त थे और वे जानते थे कि वह जो कहता है वहीं करता है इसलिए उन्होंने ज्यादा जोर देना मुनासिब नहीं समझा।
अगली सुबह वह काठमांडू से वीरगंज के लिए बस पकड़ी और घर के लिए रवाना हो गया। “पता नहीं वह किस हाल में होगी!” पता नहीं वे लोग अंकिता के साथ कैसा सलूक कर रहे होंगे!”
बस की खिड़की से भरे पहाड़ों को देखते हुए वह इसी सोच में डुबा हुआ था। नेपाल के पहाड़ी रास्तों की खुबसूरत वादियां भी आज उसके दिल को सुकून नहीं पहुंचा पा रही थी। रास्ते भर वह इन्हीं आशंकाओं और उलझनों के बीच 300 किलोमीटर का सफर कैसे कट गया, “पता ही नहीं चला।” वीरगंज बस स्टैंड पर उतर कर वह टैक्सी में बैठा और करीब 1 घंटे में अपने घर पहुंच गया।
शाम हो चुकी थी और लम्बे सफ़र की थकान उसके ऊपर हावी हो रही थी इसलिए वह सबसे मिलने के बाद आराम करने के इरादे से बिस्तर पर लेट गया। “परंतु उसकी आंखों में ना तो नींद थी और ना दिल को चैन।” क्या बात है बाबू जो इतने परेशान लग रहें हों।” मां भले ही अनपढ़ हो लेकिन अपने बच्चों के चेहरे पढ़ना अच्छी तरह जानती है। दीपक की मां ने उसकी परेशानी को भांप लिया था। वह अपने मां-बाप से कोई भी बात नहीं छुपाता था। वह पहले ही रिया के बारे में मां को बता चुका था। मां तुम कल पापा को रिया के घर जाने को कहो ना!” उसने मां से सारी बात बताने के बाद मिन्नत की। वह जानता था कि उसके स्वभिमानी पापा इस बात के लिए कतई राजी नहीं होंगे। क्योंकि समाजिक नियमों और परंपराओं के अनुसार पहले लड़की वाले को लड़के वाले के पास जाना पड़ता है। “ठीक है मैं उनसे बात करती हूं। तुम खाना खा लो, मैं खाना लेकर आती हूं।” मां को अपने बेटे की खुशी सबसे प्यारी थी। चाचाजी! अंकिता बुआजी का काॅल आया है,वह आपसे बात करना चाहती है।” वह भोजन करके हाथ धो रहा था, तभी उर्मिला हाथ में फोन लिए भागती हुई आई। उर्मिला दीपक के चचेरे भाई की लड़की थी। दीपक के पापा दो भाई थे, बड़े भाईसाहब की चार बेटियां और एकलौता बेटा था। सबकी शादी हो चुकी थी। चचेरे भाई की तीन बेटियां और दो बेटे थे। उर्मिला उनकी मंझली बेटी थी। दीपक ने हाथों को पोंछ कर फोन को कानों से लगाया। हेलो! ” दीपक धीमे से बोला। उधर से अंकिता की रोने की आवाज़ आई। “हेलो … उसका दिल बैठने लगा। भैया आपने ऐसा क्यों किया? क्या आपको प्यार करने के लिए कोई दुसरी लड़की नहीं मिली! आपकी वजह मेरे घर में तुफ़ान मचा हुआ है, मुझे गालियां और ताने सुनने पड़ रहे हैं, मेरा घर उजड़ने की कागार पर है। क्यों किया आपने ऐसा? दीपक चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाया,”बस दो आंसू उसकी पलकों से टुटे और जमीन में समा गए। बोलिए ना बोलते क्यों नहीं!
“अब बस चुप हो जाओ अंकिता ” मैं आ रहा हूं,सब ठीक हो जाएगा। भैया! आप सबसे कहते हैं कि अंकिता मेरी सबसे प्यारी बहन है और मैं इसके लिए कुछ भी कर सकता हूं तो अगर आप मुझसे जरा भी प्यार करते हैं तो एक कृपा करना आज के बाद मेरे घर कभी मत आना। काॅल डिस्कनेक्ट हो गया लेकिन दीपक उसे कान से लगाए खड़ा रहा जैसे वह जड़ हो गया हो।
सुबह जब मां ने पापा से रिया का हाथ मांगने के लिए उसके घर जाने के लिए कहा तो पापा इंकार करते हुए बोले- क्या तुम लोगों ने ऐसा कभी देखा है कि लड़का वाला लड़की वाले के घर रिश्ता लेकर जाए। ये बात तो ठीक है परंतु अपने औलाद की खुशी के लिए लोग पता नहीं क्या-क्या करते हैं, क्या आप इतना भी नहीं कर सकते। मां ने पापा को मनाने की कोशिश की। नहीं मुझे ये ठीक नहीं लग रहा है। पापा अभी भी मानने को तैयार नहीं थे। तो ठीक है पापा! “लेकिन यदि मेरी शादी रिया से नहीं हुई तो फिर मैं कभी किसी और से भी शादी नहीं करुंगा।” दीपक भी अपने जिद पर उतर आया। दीपक की बात सुनकर पापा सोच में पड़ गए। कुछ देर सोचने के बाद वे कुर्सी से उठते हुए बोले- ठीक है मैं जाउंगा लेकिन मेरी एक शर्त है, अगर उन्होंने इंकार कर दिया तो मैं जो कहूंगा तुम वहीं करोगे। ठीक है ! दीपक ने वादा किया।
आज दीपक बहुत खुश था। उसे पुरा यकीन था कि रिया के मम्मी-पापा उसके रिश्ते के लिए इंकार नहीं करेंगे क्योंकि वे बहुत अच्छे इंसान थे और दीपक को पसंद भी करते थे। कोई भी बाप यदि अपनी बेटी का लव लेटर पढ़ ले तो उसे वक्ती तौर पर बुरा लगना स्वभाविक है। लेकिन गुस्सा ठंडा होने पर वे जरूर मान जाएंगे। दीपक को पुरा विश्वास था। वह छत पर लेटा बेसब्री से पापा के आने का इंतजार कर रहा था।
तभी उसे पापा की आवाज सुनाई पड़ी। “क्या हुआ पापा,क्या कहा उनलोगों ने ।” दीपक लगभग भागता हुआ नीचे आया और आते ही सवाल किया। पापा ने कोई उत्तर नहीं दिया, बस चुपचाप सिर नीचे झुकाए बैठे रहे। उसने देखा पापा के पलकों के किनारे कुछ सफ़ेद मोती चमक रहे थे। पापा प्लीज! ” कुछ बताइए ना क्या हुआ।” मिल गई ना तसल्ली, करा दी ना बेइज्जती, पापा उसकी आंखों में देखते हुए भारी मन से बोले। लेकिन पापा आखिर… “बस अब कुछ मत कहना” पापा ने हाथों के इशारे से उसे रोका और उठकर बाहर चले गए। उसके बाद दो-तीन दिनों तक पापा से उसकी बात नहीं हुई। वह तो बाद में मां से उसे पता चला कि उन्होने यह कहकर इंकार कर दिया कि हम अपने बेटी की शादी किसी भिखमंगे के घर नहीं करेंगे।
जिंदगी के सबसे कड़वे सबक हमेशा मीठा बोलने वालों से ही मिलते हैं। रिया के मम्मी-पापा की मीठी बातें अब उसके दिल को जला रही थी। वह तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि वे उससे इतना नफरत करते हैं। वह तो उन्हें अपने मां-बाप से भी ज्यादा प्यार और सम्मान देता था। “काश आपके जैसा बेटा मेरे कोख से पैदा होता।” रिया की मम्मी की प्यारी बातें बार-बार उसे याद आ रही थी। जब वह उनके घर जाता तो रिया के पापा कहते- बेटा बार-बार गली में मत निकला करो, “कहीं किसी की नजर ना लग जाए।” रिया की छोटी बहन नेहा खुश हो कर कहती- “मैं आपलोगों की शादी में जमकर नाचूंगी।” उसके सारे सपने धुल में मिलते नजर आ रहे थे। दीपक को कई दिनों तक तो विश्वास ही नहीं हो पाया कि उसके साथ ऐसा भी हो सकता है। उसका दिल अपमान की पीड़ा से तड़प उठा। उसने बहुत सोचा-विचारा और आखिर में तय किया कि उसे एक बार फिर खुद से उनसे बात करनी चाहिए।
जीवन में प्यार का क्या महत्व है ?
फिर उसने कई बार रिया के घर का नंबर मिलाया लेकिन उन्होंने काॅल रिसीव नहीं किया। तभी उसे याद आया कि रिया की बड़ी बहन का घर उसी शहर में हैं, उन्होंने की बार अपने मोबाइल से अंकिता से बात भी कराई थी। दीपक ने अपने मोबाइल के contact list को खंगाला तो उसे उनका नंबर मिल गया। उसने फटाफट नंबर डायल किया तो रिंग होने लगी। हेलो! कौन”
उधर से रिया के जीजा जी ने फोन उठाया। हेलो प्रणाम! मैं अंकिता का भाई दीपक बोल रहा हूं, “पहचाना आपने? हां हां बिल्कुल! कैसे हैं दीपक जी” हां हम बिल्कुल ठीक है, आपलोग कैसे हैं।
हां हम लोग भी बिल्कुल ठीक हैं। थोड़ी देर हाल-समाचार पुछने के बाद दीपक ने कहा- क्या आप मम्मी-पापा से बात करा सकते हैं। माफ किजिए दीपक जी, मगर वे आपसे बात नहीं करना चाहते हैं। सुना है आपके और रिया के बीच प्यार-मोहब्बत चल रहा है शायद इसी वजह से। हां मैं उसी विषय में उनसे बात करना चाहता हूं आप प्लीज किसी तरह उनसे बात कराइए ना, “मैं बहुत परेशान हूं।” दीपक ने विनती की। देखिए अभी वे लोग बहुत गुस्से में है इसलिए वे आपसे बात नहीं करेंगे। लेकिन यदि आप हमे अपना समझते हैं तो हमें सारी बात सच-सच बताइए। हम आपकी तरफ से उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे। रिया के जीजा जी ने अपने शब्दो में शहद घोलते हुए कहा। फिर दीपक ने उनसे बता दिया कि हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। लेकिन रिया तो कह रही थी कि वह आपसे प्यार नहीं करती बल्कि आपने ही उस पर डोरे डालते हैं और उसे लव लेटर लिखते हैं। नहीं ये झुठ है, “वह ऐसा कभी नहीं कह सकती।” दीपक को विश्वास नहीं हो रहा था। उसने खुद मेरे सामने यह कहा है, क्या आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं है। मै जब तक यह बात उनके मुंह से ना सुन लूं, मुझे विश्वास नहीं होगा। अच्छा अब ये बताइए कि आप रिया से अकेले में कितनी बार मिले है। रिया के जीजा धीरे-धीरे भोले-भाले दीपक को अपने जाल में फंसाते जा रहे थे। अकेले में तो नहीं लेकिन हम उनके काॅलेज में दो-तीन बार मिले है। कहीं आपलोंगो के बीच शारीरिक संबंध तो नहीं बने हैं। आप ये कैसी बातें कर रहे हैं,हम तो ऐसा कभी सोच भी नहीं सकते। अच्छा चलिए ठीक है! मै मम्मी पापा को मनाने की कोशिश करूंगा और जब उनका गुस्सा थोड़ा ठंडा हो जाए तो मैं आपको उनसे मिलवा दूंगा। रिया के जीजा ने वादा किया और फोन कट कर दिया।
क्या प्यार सच में अंधा होता है ?
उनसे बात करके दीपक को थोड़ी आस बंधती दिखाई दी। अब वह उनके कॉल का इंतजार करने लगा। रिया से दूर होने के बाद उसका कहीं भी मन नहीं लग रहा था “पता नहीं रिया किस हाल में होगी” वह दुखी होकर बार-बार सोचता।
दीपक का बुझा और उदास चेहरा देखकर उसके पापा को बहुत दुख होता। अतः उन्होंने उसे एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मुंशी के जॉब पर लगवा दिया। शायद व्यस्त रहने से इसका थोड़ा मन बहल जाए, उन्होंने सोचा। एक दिन वह मजदूरों को काम पर लगवा रहा था तभी रिया के दोस्त अनिता के नंबर से कॉल आया। दीपक ने काॅल उठाया तो रिया उस पर बरस उठी। आपने मेरे जीजा को हमारे बारे में क्यों बताया। उसने मेरे घर वालों के सामने मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। लेकिन उन्होंने तो वादा किया था कि वह किसी से कुछ नहीं बताएंगे और हमारी शादी के लिए मम्मी-पापा को मनाने की कोशिश करेंगे। इसलिए मैंने उन्हें अपना दोस्त समझकर हमारे बारे में बता दिया और मैंने तो उन्हें बस इतना बताया है कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। दीपक ने सफाई दी। बस! हमारे और आपके बीच में सब कुछ खत्म हो गया, अगर आप मुझे जिंदा देखना चाहते हैं तो मेरे घर कभी मत आइएगा।
लेकिन एक बार मेरी बात तो…. काॅल डिस्कनेक्ट हो गया। फिर दीपक ने कई बार कॉल करने की कोशिश की लेकिन फोन स्विच ऑफ मिला। तभी दीपक को चक्कर आया और वह कटे हुए पेड़ की तरह नीचे गिर पड़ा। थोड़ी देर बाद जब उसने होश संभाला तो उसे एहसास हुआ की अब उसकी दुनिया लुट चुकी है। उसने उसी वक्त काम से छुट्टी ली और अपने घर आ गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और क्या ना करें। उसकी हालत एक हारे हुए जुआरी की माफिक हो गई थी।
मार्च के महीने ने सर्दियों को विदा करके पतझड़ को आने का निमंत्रण दे दिया था और इधर दीपक के जीवन में भी ऐसा पतझड़ आया था, जिसके बाद बहार आने की कोई उम्मीद ना थी।
वह दिन भर छत पर धूप बेसुध होकर लेटा रहता और रात भर अपनी गलती पर आंसू बहाता रहता। आखिर उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, जब उसमें दुनिया से लड़ने का हौसला नहीं था तो उसने मोहब्बत क्यों की? मेरी क्या गलती थी? प्यार भी उसने किया, इजहार भी उसने किया, इकरार भी उसने किया, मैंने तो बस उसके प्यार की कद्र की थी, गलती मेरी है मुझे उसके प्यार को स्वीकार करना ही नहीं चाहिए था। उसे रिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था और इसी गुस्से में वह बार-बार रिया को भुलाने की कोशिश करता मगर चाह कर भी उसे भुला नहीं पाता था।
हद से ज्यादा प्यार और हद से ज्यादा नफरत दोनों इंसान की जिंदगी के लिए हानिकारक होते हैं। एक दिन उसके दिमाग में एक विचार आया और उसने एक बहुत बड़ा फैसला कर लिया। उसने बाजार से जाकर सल्फास की गोलियां खरीदी और बस पकड़कर रिया के घर की तरफ जाने वाली बस में बैठ गया।
आगे क्या हुआ पढ़िए इस कहानी के चौथे भाग में 👇
एक गरीब लड़के की दिल को छू लेने वाली दर्द भरी सच्ची प्रेम कहानी (भाग 4)
ब्रेकअप होने के बाद ब्रेकअप के दर्द से बाहर कैसे निकलें
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Iss story ka part 4 kab aayega
Bhai hamne bhi life mein ek bar Sacha pyar Kiya hai par pariwar ki jimmedari ki our samaj ki niyam kanun hai bas kurban karna padta hai apna pyar