सच्चे प्यार की एक दर्द भरी कहानी | heart touching love story in hindi
prem kahani in hindi
दोस्तों इस सच्ची प्रेम कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा था कि दीपक अपनी बहन की शादी की पार्टी में उसके ससुराल जाता है जहां एक लड़की उसे एक love latter देती हैं जो किसी अनजान लड़की द्वारा भेजा गया होता है। दीपक उस लव लेटर को खोलकर पढ़ता है। तो पता चलता है कि उसकी कोई रिया नाम की लड़की उसे बिना देखे बिना जाने पिछले एक साल से प्यार करती है। दीपक उस लड़की से मिलता है और उसे समझाने की कोशिश करता है कि किसी मजबूरी के कारण वह उसके प्यार को कुबूल नहीं कर सकता। लेकिन वह लड़की कहती हैं कि मैं आपको अपना पति मान चुकी हूं और अगर आप मेरे प्यार को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं जहर खाकर आत्महत्या कर लूंगी। दीपक की वो कौन सी मजबूरी थी जिसके कारण वह रिया का प्यार कबूल नहीं करना चाहता था,क्या दीपक ने रिया का प्यार कबूल किया ? रिया को दीपक ने क्या जवाब लिखा ? इस प्रेम कहानी का अंजाम क्या हुआ ? अब आगे पढ़िए….
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prem kahani in hindi | sad love story in hindi (part 2)
दीपक लागातार सोचे जा रहा था। क्या कहूं इस मासुम लड़की को,क्या इसकी मोहब्बत को कुबूल कर लूं? लेकिन कहीं फिर से किस्तम अपना इतिहास तो नहीं दोहरायेगी। उसे अपनी बदकिस्मती से डर लग रहा था। अभी-अभी तो वह मोहब्बत के खुबसूरत बगीचे से जख्म खा कर लौटा था। तभी अचानक झटका लगा तो वह ख्यालों के जंगल से बाहर आ गया। बस उसके गांव के पास वाले कस्बे में पहुंच चुकी थी। दीपक अपना बैग उठाकर बस से नीचे उतर आया। कस्बे से उसके गांव की दुरी 5-6 किलोमीटर थी। शाम हो चुकी थी और इस वक्त कोई सवारी मिलनी मुश्किल था। वैसे भी उसे सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए इसलिए वह पैदल ही घर की तरफ चल पड़ा। तुम्हे अपना साथी बनाने से पहले मेरी जान मुझको बहुत सोचना है…. मोहब्बत की दुनिया बसाने के पहले मेरी जान मुझको बहुत सोचना है..
दुर किसी लाउडस्पीकर से आ रही इस गाने की आवाज ने उसकी मुश्किल और बढ़ा दी। वह रास्ते भर सोचता रहा मगर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका।
जब वह घर पहुंचा तो रात के 8:00 बज चुके थे। दीपक ने भोजन किया और अपने घर वालों को बहन के घर का हाल-चाल सुनाने लगा। मां आज बहुत गर्मी है इसलिए मैं छत पर नहीं सोऊंगा, दीपक ने बर्तन मांज रही मां से कहा। ठीक है थोड़ी देर रुको मैं बिस्तर लेकर आ रहा हूं,उसकी मां ने उठते हुए कहा। रात के 1:00 बज रहे थे दीपक ने काफी काफी सोच विचार कर रिया को जवाब लिखना शुरू किया।
रिया जी
मैं आपके सच्चे प्यार की बहुत कद्र करता हूं लेकिन माफ किजिए मैं आपके प्यार को स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि मेरे साथ बहुत सारी मजबूरियां हैं जिन्हें मैं आपसे नहीं बता सकता।। वैसे भी मैं आपके प्यार के काबिल नहीं हूं। मैं एक गांव का सीधा-सादा और कम पढ़ा लिखा लड़का हूं और आप एक शहर की पढ़ी-लिखी खूबसूरत लड़की है। मैं एक गरीब मां बाप का गरीब बेटा हूं और आप एक अमीर खानदान की लड़की है। आपके और हमारे स्टेट्स में जमीन आसमान का अंतर है इसलिए आपके घरवालें किसी भी हाल में हमारी शादी के लिए राजी नहीं होंगे। और मैं नहीं चाहता कि हमारे प्यार की किश्ती बीच समुंदर में ही डूब जाए। आप एक पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की है और मुझे उम्मीद है कि आप हमारी मजबूरी जरूर समझेंगी।
आपका दीपक
पत्र लिखकर उसने तकिए के नीचे दबाया और सोने के इरादे से आंखें मूंद ली। "आंसुओं में ना टुटना हम दिल में बस जायेंगे, तमन्ना होगी अगर मिलने कि तो बंद आंखों में नज़र आयेंगे" उसे याद आया यहीं शायरी रिया ने अपने प्रेम-पत्र में सबसे ऊपर लिखा था। उसकी आंखों के सामने रिया का आंसुओं से भीगा हुआ चेहरा झलकने लगा। फिर काफी देर तक अनजानी राहों पर भटकने-भटकते वह नींद की वादियों में उतर गया।
"बाबू उठो ना धूप निकल आया है।"
कहते हुए मां ने उसके ऊपर से चादर हटाया। दीपक ने आंखें मींचते हुई मोबाइल पर टाइम देखा। सुबह के सात बज रहे थे। मोबाइल एक तरफ रख कर उठा और बाथरूम में घुस गया। बाथरूम से निकलते ही मां ने बताया कि मोबाइल पर किसी का काॅल आया था। दीपक ने देखा तो किसी अनजान नंबर से मिस कॉल दिखाई दे रहा था। इतनी सुबह कौन हो सकता है, दीपक में सोचते हुए कॉल बैक किया। हेलो प्रणाम भैया उधर से अंकिता के रुआंसी आवाज सुनाई पड़ी। खूब खुश रहो कैसी हो तुम, दीपक अपने प्यारी बहन की आवाज सुनकर खुश हो गया। मैं बिल्कुल ठीक हूं और आप कैसे हैं। मैं भी ठीक हूं, दीपक मुस्कुराते हुए बोला। मम्मी पापा कैसे हैं उनसे बात कराइए ना। फिर अंकिता ने सब से बात की और आखिर में दीपक से बोली, भैया आपका चार्जर यहीं पर रह गया है, मोबाइल चार्ज कैसे कीजिएगा। अरे हां चार्जर को तो मैं बोर्ड से निकालना ही भूल गया, दीपक को याद आया। अच्छा ठीक है, मैं एक-दो दिनों में आकर ले आऊंगा। कॉल डिस्कनेक्ट करने के बाद दीपक ने देखा तो बैटरी लगभग डिस्चार्ज हो चुका था। एक बार को तो उसने सोचा कि आज ही चला जाऊं लेकिन नई नई रिश्तेदारी में इतनी जल्दी जल्दी जाना ठीक नहीं था। यहीं सोच कर उसने अपना इरादा बदल लिया।
क्या प्यार सच में अंधा होता है?
खैर अगले 2 दिनों के बाद वह फिर अंकिता के ससुराल में था। दीपक के आने से अंकिता बहुत खुश थी लेकिन उससे भी ज्यादा खुश थी रिया उसके तो पांव जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे। आज उसने खुद अपने हाथों से नरम-नरम परांठे बनाए और खाना लेकर खुद दीपक के पास चली आई। उसने दीपक के आगे थाली रखा और एक तरफ खड़ी हो गई। तभी दीपक ने जेब से पत्र निकाला और रिया की तरफ बढ़ा दिया। रिया ने पत्र को मोड़ कर अपनी मुट्ठी में दबाया और वहां से चली गई। खाना खाकर दीपक अंकिता के साथ ससुर से इधर उधर की बातें करने लगा, बातों ही बातों में कब शाम हो गई उन्हें पता भी नहीं चला। दीपक ने मम्मी से जाने की इजाजत मांगी। बाबू 3.00 बज चुके हैं और उधर जाने वाली ट्रेन निकल चुकी होगी और पता नहीं बस मिलेगी भी या नहीं इसलिए आज रुक जाइए कल चले जाइएगा। अंकिता की सासू मां ने प्यार भरा निवेदन किया। और सच तो यह था कि उनको दीपक से गहरा लगा हो चुका था। वे तो कहती थी कि मैं आपको अपने बेटे से भी ज्यादा मानती हूं। आखिरकार दीपक को रुकना ही पड़ा। चलिए आज आपको हम अपने बगीचे दिखाते हैं। दीपक हाथ मुंह धो का पापा के साथ बाहर घूमने निकल गया। अंकिता की सास अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी इसलिए उनको अपने मां-बाप की तरफ से काफी जमीन जायदाद मिली हुई थी। जिसमें सैकड़ों एकड़ में फैले हुए आम के बगीचे थे जिनकी कीमत करोड़ों में थी। रात को वापस आकर दीपक ने पापा के साथ ही खाना खाया और उनके साथ ही सो गया। अगली सुबह रिया ने उसे जगाया तो उसने देखा कि पापा उठकर बाहर चले गए थे।
"क्या बात है"
दीपक ने देखा कि रिया आज काफी उदास और गंभीर लग रही थी तो उसने धीमे से मुस्कुराते हुए पूछा। रिया ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने दीपक के हाथों में एक चिट्ठी थमाई और चुपचाप चली गईं। दीपक ने पत्र को पॉकेट में डाला और घर वापस जाने के लिए तैयार होने चला गया। फिर उसके वह उसके आने तक कहीं भी नजर नहीं आई। दीपक घर पहुंचते ही चिट्ठी निकाल कर पढ़ने लगा।
प्रिय दीपक जी
आप यह क्या कह रहे हैं कि मैं गरीब घर का हूं और आप अमीर घर की हैं आपको क्या लगता है मैंने आपके धन-दौलत से प्यार किया है। एक बात याद रखिए मुझे आपके धन दौलत से कुछ लेना देना नहीं है अगर आप मेरा साथ देंगे तो मैं आपके साथ एक झोपड़ी में भी खुश रहूंगी। और रही बात शादी की तो मेरी नानी और मम्मी आपको बहुत पसंद करती हैं। वे तो कहतीं है कि मेरी शादी आप ही के साथ होगी। इसलिए आप उनकी चिंता मत कीजिए। और हां मुझे आपकी बहन ने बता दिया है कि आप पहले किसी और लड़की से प्यार करते थे और उसकी शादी कहीं और हो चुकी है। इसलिए आप हमेशा उसके गम में डूबे रहते हैं। आप हमेशा उदास और दुःखी रहते हैं। लेकिन सुन लीजिए कि मैं उसके जैसी लड़की नहीं हूं कि आपको धोखा दे दूंगी। आज मैं अपने मां-बाप की कसम खाती हूं, अपने प्यार की कसम खाती हूं, अपनी लाश की कसम खाती हूं कि आपको कभी धोखा नहीं दूंगी। और हां मैंने सुना है कि वह पूरे गांव में सबसे सुंदर है। शायद मैं उसके जैसी सुंदर तो नहीं हूं लेकिन वादा करती हूं कि मैं आपको इतना प्यार दूंगी कि आप उस चुड़ैल के दिए हुए सारे दर्द भूल जाएंगे। एक और बात आप प्लीज ट्रक चलाना छोड़ दिजिए क्योंकि गाड़ी चलाना बहुत खतरा वाला काम है और अगर आपको कुछ हो गया तो मैं मर जाऊंगी।
आई लव यू जान
दीपक की रिया और रिया के दीपक।
पति-पत्नी के अद्भुत प्रेम की सच्ची कहानी
चिट्ठी खत्म करके दीपक ने एक गहरी सांस ली और बिस्तर पर लेट गया। उसने महसूस किया कि उसके दिल की बंजर जमीन पर उस लड़की के मासुम मोहब्बत के अंकुर फूटने लगे हैं। अब उसे भी धीरे-धीरे रिया से प्यार होने लगा था। धीरे-धीरे ही सही लेकिन वह लड़की उसके ख्यालों में छाने लगी। अब गाड़ी पर कब जाना है रात को भोजन करते समय पापा ने दीपक से पूछा। नहीं अब मैं गाड़ी नहीं चलाऊंगा, दीपक ने रोटी का निवाला मुंह में डालते हुए कहा तो पापा ने चौक कर उसकी तरफ देखा। क्यों? पापा ने उसके चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए पुछा। क्योंकि मुझे मोटर लाइन का गंदा माहौल बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। दीपक खाना खाते-खाते रुक गया था। दीपक के पापा पुराने ख्यालों के आदमी थे उन्हें किसी ने बता दिया था कि ड्राइवरी का काम बहुत आराम वाला काम है और कमाई भी बहुत है। इसलिए उन्होंने दीपक काफी विरोध करने के बावजूद भी ड्राइविंग सीखने के लिए ट्रक पर भेज दिया। दीपक ने काफी मिन्नतें की यह ड्राइविंग वाला काम मुझे पसंद नहीं है। मैं कोई दूसरा काम ढूंढ लूंगा लेकिन उसके पापा ने उसकी एक न सुनी। आखिरकार 3 साल तक ट्रक पर रहने के बाद अब वह एक काफी अच्छा ड्राइवर बन गया था। हालांकि यह काम उसे आज भी पसंद नहीं था। न खाने का ठिकाना न सोने के ठिकाना और ऊपर से एक जगह बैठे बैठे उसके कसरती बदन में जंग लगता महसूस होता था। मोटर लाइन के गंदे और अश्लील माहौल से वह बहुत नफरत करता था। ठीक है अब तुम्हारी मर्जी दीपक के पापा उसके फैसले से नाराज लग रहे थे। दीपक अब जल्द ही कहीं ना कहीं सेटल होना चाहता था इसलिए उसने जाॅब के लिए अपने हाथ पैर मारने शुरू कर दिए। इसी क्रम में वह एक दिन स्टेशन पर खड़ा पटना जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था तभी उसके मोबाइल पर कॉल आया। "नमस्ते कैसे हैं आप" दीपक ने कॉल रिसीव किया तो उधर से रिया की मधुर आवाज सुनाई पड़ी। "हां मैं बिल्कुल ठीक हूं,आप बताईए आप कैसी हैं।" "घर आइए ना, मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा है। दीपक को उसकी आवाज में उदासी महसूस हुई। अभी कुछ दिन पहले तो आया हूं फिर कैसे आ जाऊं नई नई रिश्तेदारी है आपके घर के लोग क्या सोचेंगे। दीपक ने समझाने की कोशिश की। "नहीं मुझे कुछ नहीं पता आपको देखने को दिल कर रहा है। मुझे आपसे मिलना है।" रिया जिद पर करने लगी। मैं बार-बार आपके घर नहीं आ सकता आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश कीजिए। दीपक ने प्यार से उसे मनाने की कोशिश की। तो फिर कल हमारे कॉलेज आ जाइए। "अच्छा ठीक है मैं देखता हूं।" दीपक ने अब हार मान ली थी। प्यार करना सही है या गलत दीपक ने उसके कॉलेज का पता पूछा और बाकी घरवालों का हाल समाचार पूछने के बाद फोन रख दिया। अगले दिन दीपक ने ट्रेन पकड़ी और उसके शहर पहुंच गया। काफी खोजबीन करने के बाद वह गर्ल्स कॉलेज मिल गया। वह गर्ल्स कॉलेज गेट के बाहर बैठकर लंच होने का इंतजार करने लगा। करीब आधे घंटे तक इंतजार करने के बाद आज का लंच टाइम हुआ और लड़कियां बाहर आने लगी। गेट से बाहर निकलते ही रिया ने इधर उधर नजर दौड़ाई तो दूर खड़ा दीपक उसे दिख गया। उसने दीपक को इशारे से अपने पीछे आने को कहा। थोड़ी दूर चलने के बाद एक गली में रिया और अपने दोस्त के साथ रुक गई।उस गली में कभी कभार लोग भी आत-जा रहे थे इसलिए दीपक को अनजान शहर में थोड़ा-थोड़ा डर भी लग रहा था। रिया को भी वहां अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने 2 मिनट हालचाल पूछा और घर चलने के लिए कहा। लेकिन दीपक ने मना कर दिया। फिर दीपक फिर रिया ने अपने दिल का हाल जो उसने चिट्ठी में उतारा था दीपक को दे दिया और चली गई। दीपक भी वहां से अपने घर वापस चला आया। धीरे-धीरे प्यार का यह सिलसिला चल पड़ा। दीपक एक अंतराल पर उसके कॉलेज मिलने जाने लगा। अब तो रिया की सहेलियां उसे जीजाजी कहने लगी थी। रिया के पास मोबाइल नहीं था फिर भी वह pco से प्रतिदिन दिन में तीन बार फोन करती। सुबह स्कूल जाते वक्त दोपहर में लंच टाइम में और शाम को स्कूल से निकलने के बाद। एक दिन दीपक ने मज़ाक-मजाक में पूछ ही लिया कि फोन करने के लिए उसके पास इतने पैसे कहां से आते हैं। रिया ने बताया कि लंच टाइम में नाश्ता करने के लिए उसे जो पैसे मिलते हैं उसी पैसे से वह फोन करती है। फिर नाश्ता कैसे करती हो, दीपक को उस पर बहुत प्यार आया। नाश्ता नहीं करती हूं। इस तरह भूखे पेट रहने से तो आफकी तबीयत खराब हो जाएगी। दीपक चिंतित स्वर में नाराज होते हुए बोला। आपसे बात करती हूं ना तो मेरा भूख खत्म हो जाता है, रिया रोमांटिक होते हुए बोली। लेकिन दीपक उसकी बहुत परवाह करता था अब वह जब भी जाता है उसके लिए मिठाई समोसे इत्यादि लेते जाता। हालांकि रिया उसे बार-बार मना करती कि इतने पैसे मत खर्च किया कीजिए। ब्रेक-अप के बाद क्या करना चाहिए खैर इसी तरह उनका धीरे-धीरे उनका प्यार बढ़ता ही चला गया। वे दोनों जब भी मिलते एक दूसरे को चिट्ठियों के रूप में अपने दिल का हाल जरूर बताते। उन्होंने एक दूसरे को इतने पत्र लिखे कि उनके पास पत्थरों का एक लाइब्रेरी बन गई। दीपक कभी-कभार अंकिता के घर भी चला जाता। वे सबके सो जाने के बाद रात को किचन में मिलते और एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर जी भर के बातें करते और साथ जीने मरने की कसमें खाते। शायद उन्हें इस बात का जरा गुमान भी नहीं था कि उनके जीवन में एक तूफान आने वाला है जो उनके सारे सपनों को तहस नहस कर देगा। प्यार की एक अलग दुनिया में खोए उन प्रेमियों को शायद पता नहीं था कि उनकी प्रेम-कहानी एक दर्द भरी दस्तान बन जाएगी। हालांकि उन्होंने कभी भी प्यार के उस दायरे को पार नहीं किया था जिसे समाज बुरी नजर से देखता है। उन्होंने अभी तक शरीरिक संबंध नहीं बनाए थे। दीपक खुले दिल वाला लड़का था इसलिए उसने अपने मां और बहनों से अपने रिया के बारे में बता दिया था लेकिन रिया ने अपने प्यार की बात अपने घर वालों से छुपा रखी थी। दीपक ने कई बार कहा की वह अपने घर वाले को सब कुछ बता दे। क्योंकि उसे रिया के मां-बाप भी बहुत प्यारे थे वह उनसे रुसवाई नहीं चाहता था। लेकिन वह शायद उनसे अपने प्यार की बात कहने में डरती थी। वह दीपक से कहती कि वह अपने पापा को हमारे रिश्ते की बात करने के लिए हमारे घर भेजें। चुंकि दीपक अभी तक बेरोजगार था इसलिए पहले वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था ताकि वह रिया को खुश रख सके। इसके लिए वह काफी प्रयास भी कर रहा था। दीपक के कुछ दोस्त काठमांडू में फलों का कारोबार करते था। उन्होंने दीपक को भी अपने पास बुला लिया। दीपक वहीं उनके साथ रह कर फल बेचने का काम करने लगा। दीपक के बाहर जाते हैं उनका मिलना और बात करना बंद हो गया और वे दोनों प्यार जुदाई में तड़पने लगे। रिया के पास मोबाइल नहीं था और काठमांडू चुकी विदेश था इसलिए वहां इंडिया की सिम काम नहीं करते थी। अब उनके लिए उनकी चिट्ठियां ही जीने का सहारा थी। दीपक रिया की दी गई चिट्ठियों को हमेशा अपने बैग में संभाल कर रखता था और उसे पढ़कर रिया को याद करता। हालांकि एक दो बार उसने अपने दोस्त के मोबाइल से रिया की एक दोस्त के मोबाइल पर उससे बात की थी। अभी उसे वहां गए हुए करीब 1 महीने ही हुए थे। एक दिन सुबह वह अपने दोस्तों के साथ खाना बना रहा था। तभी उसके दोस्त के मोबाइल पर रिया का कॉल आया। दीपक ने कॉल रिसीव किया तो रिया की आवाज सुनाई थी। वह रो रही थी। क्या हुआ क्यों रो रही हो। रिया की रोने की आवाज सुनकर दीपक का कलेजा बैठने लगा। आप जल्दी से जल्दी घर चले आइए यहां बहुत प्राब्लम हो गई है... रिया क्यों रो रही थी उसके साथ ऐसा क्या हुआ था ? क्या उन दोनों की प्रेम कहानी पुरी होगी या अधूरी ही रह जायेगी ... पढ़िए तीसरे भाग में.. 👇 एक गरीब लड़के की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी भाग-3 आपको यह कहानी भी पसंद आयेगी 👉 सच्चे प्यार की एक अधूरी कहानी दोस्तों इस आर्टिकल के विषय में अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। और कहानी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ शेयर करना ना भूलें। और हां आप चाहे तो हमारे साथ Facebook, Instagram,Pinterest,Quora और YouTube channel के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं। धन्यवाद 🙏
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3rs part Kaha hai
Third part kahan hain
इस पार्ट के अंत में तीसरे पार्ट की लिंक है।