डर क्या है, डर का कारण क्या है और डर से छुटकारा कैसे पाएं,

 fear in hindi|डर क्या होता है?

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डर किसको नहीं लगता। डर सबको लगता है। इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा। जिसे डर नहीं लगता हो। प्रत्येक मनुष्य को किसी ना किसी बात से डर लगता ही है। ये डर भी कई तरह के होते होते हैं। जैसे- मृत्यु का डर, भुत-प्रेत का डर, अकेलेपन का डर, अपने प्रियजनों को खोने का डर, असफलता का डर अथवा आर्थिक नुकसान का डर इसी प्रकार और भी बहुत सारी बातें हैं जिनसे हम सभी को डर लगता है। अगर कोई कहता है कि उसे डर नहीं लगता तो वह झुठ कहता है क्योंकि चाहे इंसान हो या जानवर डर सबको लगता है। तो अगर आपको भी किसी चीज से डर लगता है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस आर्टिकल में हम डर को पुर्णत: परिभाषित करेंगे। इस विषय को हमने पांच भागों में विभाजित किया है। पहले भाग में हम बात करेंगे कि “डर क्या है।” दूसरे भाग में जानेंगे कि‌ “हम डरते क्यूं है।” तीसरे भाग में, “डर का कारण क्या है।” चौथे भाग में, “डर कितने प्रकार के होते हैं।” और पांचवें भाग में बात करेंगे कि “डर से छुटकारा कैसे पाएं।”  

 

 डर क्या है |dar kya hai

 
र एक मनोस्थिति है। जो किसी अज्ञात के प्रति हमारे मन की कल्पना से उत्पन्न होता है। अज्ञात अर्थात जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते या उसके बारे में हम जो जानते हैं वह यथार्थ नहीं है।‌ जिसके विषय में हम कुछ जानते भी नहीं उसके बारे में हम अपने मन में ना जाने क्या-क्या परिकल्पनाएं कर लेते हैं। कहीं ऐसा ना हो जाए, कहीं वैसा ना हों जाएं।‌ ऐसा हो गया तो क्या होगा। वैसा हो गया तो क्या होगा। ये सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में डर पैदा करते हैं। उदाहरण के तौर पर- उदाहरण के तौर पर जब हम रात में किसी सुनसान इलाके से अकेले गुजर रहे होते हैं। तभी हमारे मन में यह विचार उठता है कि इधर भूत-प्रेत अथवा चोर-डाकू हो सकते हैं। यह विचार मन में आते ही हमारे मन में डर की भावना उठने लगती है। जबकि संभवतः वहा ऐसा कुछ नहीं होता। कभी-कभी किसी प्रतिस्पर्धा अथवा किसी नये व्यापारिक गतिविधि में भाग लेने से पहले हमारे मन में ये भावना आती है कि कहीं हम असफल ना हो जाएं। इन्हीं भावनाओं को डर अथवा भय कहा जाता है। मृत्यु का डर सबसे बड़ा डर होता है। अन्य छोटे-मोटे डर उसी के आस-पास केन्द्रित होते हैं। (मृत्यु के भय से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय)
 

हमें डर क्यों लगता है|dar kyo lagta hai

 
हमारे डर के पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है। जिसकी वजह से हमें डर का एहसास होता है। दरअसल हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से एक defence system काम करता है। जिसका उद्देश्य होता है, हमारे स्थूल शरीर को सुरक्षित रखना। यह ठीक वैसे ही काम करता है। जैसे – किसी देश का रक्षा मंत्रालय। जब हमारी ज्ञानेंद्रियों द्वारा हमारे मस्तिष्क को किसी भी प्रकार के खतरे का संकेत मिलता है तो हमारा मस्तिष्क एक केमिकल रिलीज करता है। जो हमारे तंत्रिका प्रणाली के माध्यम से तत्काल हमारे शरीर के सभी अंगों तक पहुंच जाता है। उसके प्रभाव से हमारे रोएं खड़े हो जाते हैं। दिल की धड़कन तेज हो जाती है और हम संभावित खतरे से बचने के लिए रक्षात्मक या आक्रामक स्थिति में आ जाते हैं। दरअसल हमें डर इसलिए लगता है ताकि हम उस खतरे के प्रति सतर्क हो जाएं। उदाहरण के तौर पर, जब कभी हमें किसी व्यक्ति या परिस्थिति से खतरे का आभास होता है तो हम या तो भाग खड़े होते हुए या आक्रमण कर देते हैं। यह हमारे शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है।
 
 

डर कितने प्रकार का होता है|dar kitne prakar ka hota hai

 
डर दो प्रकार के होते हैं।
  1.  काल्पनिक डर 2. वास्तविक डर
 
काल्पनिक डर- काल्पनिक डर वह होता है, जो किसी अज्ञात के प्रति हमारे मन में अकारण और अनावश्यक रूप से जन्म लेता है। जैसे- मृत्यु का डर, शारीरिक या मानसिक कष्ट का डर, किसी अपने को खोने का डर, हारने का डर, धन के नुक़सान का डर, किसी अनहोनी का डर इत्यादि।
ये सभी डर केवल हमारे विचारों की कल्पना से पैदा होते हैं। वास्तव में इनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता। उदाहरण के तौर पर – हम हमेशा किसी अनचाही परिस्थिति का सामना करने से डरते हैं। जबकि हमें ये अच्छी तरह से पता है कि जो होना है वो तो हो कर ही रहता है। हमारे डरने या ना डरने से होनी या अनहोनी पर को फर्क नहीं पड़ता। बल्कि कई बार तो हमारे डरने की वजह से परिस्थितियां और खराब हो जाती है। ऐसे डर केवल हमारी कल्पना से प्रकट होते है और वह हमे जीवन में आगे बढ़ने से रोकता है। ऐसे डर से छुटकारा पाना बहुत जरूरी है।
 
वास्तविक डर- वास्तविक डर से डरना जरूरी होता है क्योंकि अगर हमारे अंदर यह डर ना हो तो हम संकट में पड़ सकते है। जैसे अगर हमें रास्ते में कोई शेर,बाघ और सांप जैसे खतरनाक जानवर‌ दिख जाएं और हम डर कर पीछे हट जाते हैं। तो यह डर वास्तविक है। जब हम गिरने के डर से तुरंत किसी चीज को पकड़ लेते हैं तो यह डर अकारण नहीं है। जब हम एक्सीडेंट होने के डर से सावधानी से गाड़ी चलाते हैं तो यह डर अनावश्यक नहीं है बल्कि आवश्यक है। जब हम कानून के डर से अपराध करने से डरते हैं तो यह डर नुकसान दायक नहीं है। ऐसे में यदि हम ना डरे तो हमारा नुकसान हो सकता है।
 

डर का कारण क्या है|dar ka karan kya hai

 
डर के मुख्यत: पांच कारण होते हैं।
  1. किसी चीज के प्रति अत्यधिक लगाव 
  2. हमारी परवरिश 
  3. जीवन के कड़वे अनुभव
  4. अंधविश्वास
  5. कर्मफल का डर
 
किसी चीज के प्रति अत्यधिक लगाव
 
हम मनुष्यों की एक बहुत ही बूरी आदत है। हम बहुत जल्द ही किसी चीज के साथ अत्यधिक लगाव लगा लेते हैं। और जब हमारा किसी चीज के साथ लगाव हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से हमारे अंदर उसे खोने का डर भी समा जाता है। उदाहरण के तौर पर- जन्म के साथ ही हमें अपने शरीर से अत्याधिक लगाव हो जाता है। अज्ञानवश हम इस भौतिक शरीर जो कि नश्वर है। इसे हमेशा के लिए अपना मानने लगते हैं। हम अपना जीवन, अपनी पहचान इसी नश्वर शरीर के साथ जोड़ लेते है। इसलिए हमें डर लगता है कि हमारे शरीर को कोई नुकसान ना हो जाए। हमें डर लगने लगता है कि कहीं हम अपने शरीर को खो ना दें इसलिए हम मौत से डरते हैं। उसी प्रकार जब हमारा अपने परिवार, धन, सफलता, नौकरी और पद-प्रतिष्ठा इत्यादि से अत्यधिक लगाव हो जाता है तो हमें हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं हम इसे खो ना दें। जबकि सच्चाई यहीं है कि हम जिन चीजों को अपना समझते हैं। उनमें से कोई भी चीज हमारी नहीं है। हमारे जीवन में जो कुछ भी मिलता है। सब प्रकृति से लिया गया उधार है। जिसे एक ना एक दिन लौटाना ही पड़ता है।
 
हमारी परवरिश
 
हमारा संपूर्ण व्यक्तित्व हमारे बचपन की परछाई होता है। हम बचपन में जो सुनते हैं, देखते हैं या जो हमें सिखाया जाता है। वहीं बातें हमारे व्यक्तित्व को निर्मित करती है। और आप माने या ना माने हमारे भारतीय परिवारों में बच्चों को बचपन से ही डरना सिखाया जाता है। अधिकांश मां-बाप बच्चों से कोई काम कराने के लिए, कोई काम करने से रोकने के लिए, खाना खिलाने के लिए, सुलाने के लिए बात बात पर डराया जाता हैं। उदाहरण के लिए मैं अपने ही घर की एक घटना बताता हूं।  मेरी 6 वर्षीय बेटी (जब वह केवल 3 साल की थी) पता नहीं क्यों देर रात सो नहीं रही थी। उसे सुलाने के लिए मेरी पत्नी ने कहा। “जल्दी सो जाओ नहीं तो भुत आ जाएगा।” जिसके बाद डर कर मेरी बेटी सो गई। लेकिन अब वह भूत के नाम से इतना डरती है कि अंधेरे कमरे में अकेले नहीं जा सकती। इसी प्रकार छोटी-छोटी गलतियों के लिए बच्चों से डांट डपट और मारपीट की जाती है। जिसकी वजह से बच्चे में हीन-भावना आ जाती है। उसका आत्मविश्वास कम होता जाता है। जो जीवन भर के लिए डर और कमजोरी के रूप में उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है।
 
जीवन के बुरे अनुभव
 
हम इंसानों की यह प्राकृतिक आदत होती है कि हम जीवन में अच्छी या बूरी घटनाएं देखते हैं। कानों से जो भी बातें सुनते हैं और अपनी ज्ञानेंद्रियों से जो भी अनुभव करते हैं वह हमेशा के लिए हमारे दिमाग में स्टोर हो जाता है। उन्हीं घटनाओं के आधार पर हमारा दिमाग कल्पनाओं के जाल बुनता है। उदाहरण के लिए- जब हम कोई रोड एक्सीडेंट देखते हैं तो वह घटना हमारे दिमाग में स्टोर हो जाती है। फिर जब हम कभी यात्रा कर रहे होते हैं तो हमारे मन में यह ख्याल आता है कि कहीं हमारा भी एक्सीडेंट ना हो जाए। एक और उदाहरण देता हूं। जैसा कि आपलोग जानते हैं कि आजकल कोरोना का डर भी लोगों के मन में समाया हुआ है। इस डर की असली वजह यह है कि टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया पर हम रात दिन कोरोना से मरने वालों की खबरें सुन रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में इस बिमारी से अब तक करीब 3 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। परंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में कैंसर की वजह से प्रति वर्ष 8 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। फिर भी लोग बिना डरे धड़ल्ले से धूम्रपान अथवा मादक पदार्थों का सेवन करते हैं।
(देश को बर्बाद करती युवाओं में नशे की लत) जानते हैं क्यों? क्योंकि उन मौतों को प्रतिदिन टीवी या समाचार पत्रों में नहीं दिखाया जाता। यहां हमारे कहने का मतलब यह है कि सोशल मीडिया भी हमें डराने के मामले में पीछे नहीं है।
 
समाजिक अंधविश्वास
 
हमारे समाज में ऐसी कई पारंपरिक अंधविश्वास फैले हुए है। जिन्हें हम बिना जाने, बिना समझे केवल इसलिए अमल करते हैं क्योंकि हमारे पूर्वज सदियों से उसे मानते आए हैं। जैसे- रात को श्मशान की तरफ नहीं जाना चाहिए। अब आप ही बताइए कि रात को शमशान की तरफ से निकलने में कौन सा संकट आ जाएगा। हमने तो कई रातें श्मशान में अकेले बिताई है लेकिन हमें तो आज तक कुछ नहीं हुआ। एक और अंधविश्वास, बिल्ली के रास्ता काटने पर यात्रा नहीं करनी चाहिए। ड्राइविंग के दौरान सैकड़ों बार बिल्ली ने हमारा रास्ता काटी है लेकिन हमने कभी गाड़ी नहीं रोकी और ना ही कोई प्रतिक्रिया दी। जबकि बाकी लोग गाड़ी रोक देते हैं और प्रतीक्षा करते हैं कि दूसरा कोई आगे जाए। लेकिन हमारे साथ तो कभी कोई बुरी घटना नहीं घटी है। शनि और मंगल को नाखुन नहीं काटना चाहिए। यह नहीं करना चाहिए वह नहीं करना चाहिए ऐसी कई मान्यताएं हैं जो बिल्कुल तर्कहीन और निराधार हैं। हमारे समाज में ऐसी मान्यताएं हैं जो हमें डरपोक बनाती है।
 
बुरे कर्मों का डर
 
इस बात से हर कोई वाकिफ है कि जो जैसा करता है, वैसा ही पाता है। कोई कहे या ना कहे मगर बुरा कर्म करने वाले व्यक्ति के दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात बैठी हुई होती है कि उसने दूसरों के साथ बुरा किया है तो उसके साथ भी कुछ बुरा जरूर होगा। इसलिए बुरा कर्म करने वाले लोग अक्सर भयभीत रहते हैं। चोर को हमेशा यह डर होता है कि वह पकड़ा जाएगा। हत्यारे को हमेशा इस बात का डर होता है कि कोई उसकी भी हत्या कर देगा। इसी प्रकार पापी को हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि उसे उसके के पाप का फल जरुर मिलेगा।

डर से छुटकारा कैसे पाएं |dar se chutkara kaise payen

 
डर से छुटकारा पाने के 5 उपाय है।
  1. आत्मबोध
  2. भय को जानना
  3. साहस
  4. खुद पर विश्वास
  5. ईश्वर पर विश्वास
आत्मबोध
 
हमें सबसे ज्यादा डर अगर किसी बात से डर लगता है तो वह है मौत का डर। मौत का डर ही सबसे बड़ा डर होता है। बाकी सारे डर इसी के आस-पास केन्द्रित होते हैं। मौत का डर हमे इसलिए होता है क्योंकि हम इस भैतिक शरीर से ही अपनी पहचान जोड़ लेते हैं। हमे अपने शरीर से इतना ज्यादा लगाव हो जाता है कि हमें हमेशा अपने शरीर को खोने का डर लगा रहता है। इसी डर की वजह से अंधेरे में जाने से डरते हैं, भूत प्रेत से डरते हैं, सांप बिच्छू से डरते हैं क्योंकि इन सभी से हमें अपनी मौत का भय होता है। इसीलिए जब तक हम अपने आप को केवल एक शरीर मानेंगे। तब तक हम भय से छुटकारा नहीं पा सकते। अतः हमें ध्यान की गहराई में उतर कर अपने आत्मस्वरुप को जानने की कोशिश करनी चाहिए।
( ध्यान क्या है और ध्यान करने से क्या होता है) क्योंकि जब हम अपने जीवन और मौत के परम सत्य को जान जाएंगे। तब हमारा अपने शरीर और संसार से जो लगाव है वह छूट जाएगा और जब हमारा यह लगाव छुट जाएगा तब हमे कोई भी भय छू भी नहीं पाएगा।
 
 
भय को जानना
 
भय से भयभीत होने का वास्तविक कारण यही है कि हम भय के बारे में नहीं जानते। भय हमेशा अज्ञात से ही लगता है। अज्ञात का अर्थ है, जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते। यानी हम उससे डरते हैं। जिसके बारे में हमें कुछ पता ही नहीं है। पता नहीं उसका अस्तित्व है भी या नहीं। अतः डरने के बजाय अपने भय का कारण जानने की कोशिश करें। खुद से पूछें और यह जानने की कोशिश करें कि आपके भय का कारण क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप बेवजह डर रहे हैं। जिस प्रकार बिमारी को जाने बगैर उसका इलाज नहीं हो सकता उसी प्रकार बिना भय को जाने उससे छुटकारा पाना संभव नहीं है। जब तक आप जान नहीं लेते कि भय क्या है तब तक आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन भय से छुटकारा नहीं पा सकते।
उदाहरण के लिए प्राचीन काल में आदिमानव आग से बहुत डरते थे। वे आग को देखते ही भाग जाते थे। उन्हें लगता है कि यह एक भयानक राक्षस है जो हमें खा जाएगा। परंतु जैसे-जैसे वे आग के बारे में जानते गए। धीरे-धीरे उनका भय खत्म हो गया और वे आग को अपने फायदे के लिए उपयोग करने लगे।
 
 
 
 
भय का सामना करना
 
देखिए डर हमें तभी तक डरा सकता है जब तक हम डर से डरते हैं, जब हम साहस के साथ डर का सामना करते हैं तो डर अपने आप खत्म हो जाता है। अतः साहस के साथ डर का सामना करें। अपने डर पर विजय पाने के लिए जिस काम से आपको डर लगता है उस काम को बार-बार करें। धीरे-धीरे आपका डर अपने आप खत्म हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर, आपको को रात के वक्त अंधेरे कमरे में जाने से इसलिए डर लगता है क्योंकि आपको लगता है कि वहां कोई चीज है जो उनके लिए खतरा बन सकता है। ऐसे में आप जानबूझकर रात में अकेले में अंधेरे कमरे में जाएं और खुद से कहें कि “यहां तो कुछ भी नहीं है मैं तो बेकार में डर रहा था।” आपको बता दें कि पहले हमें भूत प्रेत से बहुत डर लगता था। उस डर को जीतने के लिए हमने कई रातें श्मशान में बिताई हैं। एक बात याद रखें कि डर से कभी भी पूरी तरह छुटकारा पाया नहीं जा सकता। अतः आपको डर का सामना करना ही पड़ेगा। यदि आपको नदी को पार करना है तो पानी में उतारना ही पड़ेगा।
 
 
खुद पर विश्वास करें
 
कुछ लोगों को समाज में बात रखने में डर लगता है। कुछ लोगों को अपने टीचर या बाॅस से डर लगता है। कुछ लोगों तो अपने से मजबूत और हेल्दी लोगों का‌ सामना करने से डर लगता है। कुछ लोगों को परीक्षा में फेल होने से डर लगता है तो कुछ लोगों को बिजनेस में फेल होने से डर लगता है। जिसके कारण वे अपने जीवन में औरों बहुत पीछे रह जाते हैं। अतः इस डर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है। अगर आपको भी इन सब चीजों से डर लगता है इसका अर्थ है कि आप हीन भावना का शिकार है या आपके अंदर आत्मविश्वास ही कमी है। इस डर को दूर करने के लिए आपके अंदर आत्मविश्वास होना बहुत ही जरूरी है। इसलिए दूसरों से अपनी तुलना करने के बजाए खुद पर भरोसा बनाए रखें। अपनी कमियों के साथ-साथ अपनी खूबियों को देखें। आपके अंदर जो कमियां है उसे दूर करने का प्रयास करें और अपनी खूबियों को निखारने के लिए भरपूर मेहनत करें। खुद पर विश्वास रखें और मन ही मन दोहराए मैं किसी से कम नहीं हूं। जब बाकी लोग कर सकते हैं तो मैं भी कर सकता हूं।
 
ईश्वर पर विश्वास रखें
 
 यदि आप अनावश्यक डर से छुटकारा पाना चाहते हैं तो मन कर्म और वचन से किसी के साथ बुरा ना करें। क्योंकि आपने सुना भी होगा। “जैसी करनी वैसी भरनी। “जो जैसा करता है उसके साथ भी वैसा ही होता है इसलिए नास्तिक, अत्याचारी और अन्यायी व्यक्ति हमेशा भयभीत रहता है। दरअसल बुरे लोगों की सबसे बड़ी सजा यही होती है कि वह हमेशा भय के साये में जीते हैं। परंतु जो व्यक्ति किसी के साथ कुछ बुरा नहीं करता उसे ईश्वर पर पूरा विश्वास होता है कि ईश्वर उसके साथ कभी बुरा नहीं होने देगा।  इसलिए अच्छाई और सच्चाई के मार्ग पर चलें तथा ईश्वर पर विश्वास बनाए रखें। क्योंकि इस दुनिया में हर कोई आपको धोखा दे सकता है लेकिन ईश्वर कभी भी आपको धोखा नहीं दे सकता। याद रखें, “इस दुनिया में दो ही लोगों पर विश्वास किया जा सकता है, खुद पर और खुदा पर।” जो व्यक्ति ईश्वर पर सच्चा विश्वास करता है। उसे कोई भी भय भयभीत नहीं कर सकता।
 
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