छठ पूजा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों बिहार , झारखंड , और उत्तर प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में मनाये जाने वाला सबसे बड़ा लोक पर्व है । भारत के साथ-साथ यह पर्व मलेशिया , सूरीनाम, मारिशस और नेपाल के आंक्षिक क्षेत्रों में भी मनाया जाता है । छठ पूजा में मुख्य रूप से सुर्य देवता और उनकी बहन छठी माता की पूजा की जाती है । प्राचीन कथायों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि छठ व्रत करने से व्रतीन को मनोवांछित फल मिलता है इसलिए इस व्रत को स्त्रियों के साथ-साथ पुरूष भी श्रद्धापूर्वक करते है । यह व्रत एक वर्ष में 2 बार किया जाता है । चैत मास में इसे चैती छठ और कार्तिक मास में इसे कार्तिक छठ कहा जाता है । छठ पूजा को सबसे कठिन व्रत माना जाता है क्योंकि इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जल और निराहार उपवास किया जाता है । छठ पूजा धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक महत्व भी रखता है क्योंकि इस पूजा में लुप्त होती प्राकृतिक वनस्पतियों की उपयोगिता को दर्शाया जाता है । तो आइए हम छठ पूजा के बारे में विस्तार से चर्चा करते है ।
• छठ पूजा कब है 2022
छठ पर्व दिवाली से छठवें दिन मनाया जाता है । यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से शुरू हो कर सप्तमी तक चलता है जिसे नहाय खाय, खरना, सायंकाल का अर्घ्य, प्रातःकाल का अर्घ्य। इस साल ये त्योहार 28 अक्टूबर 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक चलेगा.
● छठ पूजा व्रत विधि
छठ पूजा का व्रत काफी कठिन होता है । जिसे अच्छी तरह जाने बगैर छठ पूजा का व्रत पुर्ण नही हो सकता है इसलिए यहां हमने छठ पूजा के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है ।
● नहाय खाय
कार्तिक चतुर्थी के दिन नहाय खाय के साथ छठ पूजा आरंभ होता है । नहाय खाय के दिन सभी छठ परवैतिन सबसे पहले अपने घर को साफ सुथरा करके पवित्र करती है । फिर अपने नाखुश वगैरह काट कर नदी या घर पर ही स्नान करतीं है । फिर शाम को अरवा चावल और लौकी की सब्जी बना कर खाती है । कुल मिलाकर नहाय खाय का अर्थ है छठ पूजा के लिए अपने घर, अपने शरीर और मन को पुरी तरह से शुद्ध करना । इस दिन से प्याज लहसुन और नमक आदि का प्रयोग वर्जित हो जाता है । इसी दिन महिलाएं छठ पूजा का प्रसाद बनाने के लिए नयी मिट्टी से चुल्हा बनाती है ।
● खरना
छठ पूजा के दुसरे दिन को खरना कहा जाता है । खरना कार्तिक मास के पंचमी को पड़ता है । इस दिन दिनभर निर्जला उपवास रखा जाता है । फिर शाम को साठी चावल,दुध,और गुुुड का खीर और घी का रोटी का प्रसाद बनाया जाता है । खरना के प्रसाद को पहले छठ परवैतिन ग्रहण करतीं है फिर उस प्रसाद को परिजनों और पड़ोसियों में बांटा जाता है । इसी दिन छठ पूजा का मुख्य प्रसाद ठेकुआ बना लिया जाता है ।
● सायंकाल का अर्घ्य
कार्तिक मास के षष्ठी को छठ पूजा का मुख्य दिन होता है । इस दिन छठ परवैतिन पुजा सामग्री को दउरा या पीतल के बड़े बरतन में सजाती है । जिसे परिवार के सदस्य नंगे पाँव सिर पर उठा कर छठ घाट पर ले जाते है। छठ घाट पर छठ परवैतिन
अस्त होते सुर्य देवता को अर्घ्य देती है और छठी माता के लिए बनाये गये पवित्र स्थान के चारों तरफ बैठकर पुजा करतीं है और छठ माता के गीत गाती है । रात होने पर सब लोग पूजन सामग्री को लेकर घर चले जाते है । कुछ लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने के खुशी में छठ माता की कोशी भी भरते है ।
● प्रातःकालीन अर्घ्य
दूसरे दिन प्रातःप्रात 3 या 4 बजे सब लोग उठकर स्नान कर के दउरा में रखे पूजन सामग्री को लेकर पुनः छठ घाट पर जाते है । फिर सब लोग छठ माता की पुजा करते है । प्रातःकालीन सूर्योदय होने से पहले छठ परवैतिन छठ घाट पर नदी या तालाब के किनारे पानी में खड़े होकर सूर्योदय का इंतजार करती है । छठ घाट पर परवैतियों का अनुपम दृष्टि दर्शनीय होता है । सूर्योदय होने पर परवैतिन सुर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी पुजा करके व्रत को समाप्त करतीं है ।
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● छठ पूजा सामग्री
दउरा या पीतल का बड़ा बर्तन, मिट्टी के दीये, मिट्टी का खपरी या दउरी गन्ने का पौधा, खड़ा नारियल पानी वाला, पांच प्रकार के फल,हल्दी, अदरक का हरा पौधा,शकरकंद, मूली, बड़ा निम्बू, कच्चा और पक्का केला, ठेकुआ, गलास या लोटा, मिठाई, पान सुपारी,चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, सिंघाड़ा,गागल, मटर, कद्दू के कटे टुकड़े, सरसो का तेल, अगरबत्ती, लौंग इलाइची, और नये वस्त्र ।
आप चाहे तो अपनी इच्छानुसार और भी सामग्री बढ़ा सकते है ।
● छठ पूजा में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
• छठ पूजा से दो-तीन दिन पहले से ही परवैतिन को तैयारी करना चाहिए। दो तीन दिन पहले से ही खुब पानी पीना चाहिए ताकि व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी ना हो
• छठ पूजा से पहले घर को साफ सुथरा करके पवित्र कर देना चाहिए
• परवैतियों को व्रत के दौरान अपने शरीर और मन को शुद्ध रखना चाहिए ।
• छठ पूजन सामग्री को जुठा नही होने देना चाहिए ।
• छठ व्रतके दौरान परवैतियों को शरीरिक संबंध नही बनाना चाहिए ।
• बिमार और गर्भवती महिलाओं को यह व्रत नही करना चाहिए ।
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आप सभी परवैतियों को छठ पूजा की हार्दिक मंगलकामना