भारत एक ऐसा देश है। जहां केवल चमत्कार को ही नमस्कार किया जाता है। यहां जब भी किसी चमत्कार की बात होती है तो उसका क्रेडिट देवताओं को दिया जाता है। हालांकि इसका कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं मिलता कि उन चमत्कारों के पीछे किसी दैवीय शक्ति का ही हाथ होता है। चुंकि हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी यहीं बताया गया है कि देवी-देवता ही हमारे सर्वोसर्वा है। इसलिए हमलोग हमेशा देवताओं की ही जय-जयकार करते रहते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहे कि आपके शरीर के अंदर देवताओं से ज्यादा अद्भुत दिव्य और चमत्कारी शक्तियां मौजूद हैं तो आप शायद यकीन नहीं करेंगे। क्योंकि जब से हमारी आंखें खुली है। हम बाहर ही देखते आए हैं। हमारे परिवार और समाज ने भी हमें केवल बाह्य जगत के बारे में बताया है। शायद इसलिए हमारा ध्यान कभी अपने भीतर कभी गया ही नहीं है। परन्तु इस आर्टिकल में हम मानव शरीर के भीतर छिपी ऐसी दिव्य और अलौकिक शक्तियों के बारे में बतायेंगे। जिसको सुनने के आपको हनुमानजी की तरह अपनी भूली हुई शक्तियां याद आ जायेगी। और आपको अपने मनुष्य होने पर गर्व होगा।
मनुष्य की शक्तियां – manusya ke andur kitni shakti hoti hai
आपने सुना होगा कि देवता भी मनुष्य जन्म लेने के तरसते हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि मनुष्य को जितनी शक्तियां, जितने अधिकार मिले हैं उतने देवताओं को भी नहीं मिलें हैं। मनुष्य को इतनी शक्तियां मिली है कि वह जो चाहे वह कर सकता है। वह चाहे तो स्वयं का विकास कर सकता है या चाहे तो विनाश कर सकता है। मनुष्य की इतने अधिकार मिले हैं कि वह जो चाहे बन सकता है। चाहे तो ईश्वर हो सकता है या चाहे तो शैतान हो सकता है। मनुष्य की शक्तियां और उसके विकास की संभावनाएं अनंत है किंतु देवताओं की शक्तियां सिमित है। इसलिए देवता भी मनुष्य योनि में जन्म लेने के लिए तरसते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। हमारे मुख्य देवताओं में अग्निदेव, पवनदेव, वरूण देव, सुर्य देव और इन्द्र इत्यादि का नाम आता है। जो सभी देवताओं के राजा हैं।
लेकिन आपको याद होगा कि ये इंन्द्र 33 करोड़ देवी-देवताओं के साथ मिलकर भी बालि, रावण, मेघनाथ, महिषासुर, और हिरण्यकशिपु इत्यादि राक्षसों को नहीं हरा पाते थे। तब भगवान विष्णु को मनुष्य जन्म ले कर इन राक्षसों का वध करना पड़ता था। इससे यह साबित होता है कि मनुष्य शरीर में इन 33 करोड़ देवी-देवताओं से भी ज्यादा शक्तियां छिपी हुई है। आपने ये भी सुना होगा कि पृथ्वी पर जब भी कोई मनुष्य कठोर तपस्या या साधना करता है तो देवराज इन्द्र का सिंघासन डोलने लगता है। वे डर कर उसकी तपस्या भंग करने की कोशिश करने लगते हैं। इसका यह अर्थ हो सकता है कि शायद इंन्द्र जानते हैं कि मनुष्य के भीतर हमसे भी ज्यादा चमत्कारी शक्तियां छिपी हुई है। और शायद उन्हें हमेशा इस बात का सताता रहता है कि कहीं मनुष्य ने अपने अंदर की शक्तियों को जागृत कर लिया तो यह देवताओं को हरा सकता है। इसके बारे में तो हमने एक कहानी भी पढ़ी है। जिसे हम यहां संक्षेप में सुनाना चाहते हैं।