best motivational love story in hindi- real life love story in hindi
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एक गरीब लड़के की दिल को छू लेने वाली मोटिवेशनल कहानी
क्या यहीं प्यार है
मैंने बेचैनी से मां से पूछा।
बेयकीनी से मैंने मां को देखा और बाबूजी के कमरे की तरफ बढ़ गया।
“क्या हुआ बाबूजी, क्या कहां उन्होंने”
मैंने बाबूजी के पैरों के पास बैठ गया।
“बस तुम जो चाहते थे वह हो गया ना”
“करवा दी ना मेरी बेइज्जती”
“और कोई कसर बाकी रह गई हो तो उसे भी पूरा कर ले।”
बाबूजी की आवाज में दुख और नाराजगी साफ झलक रही थी।
“कहां क्या उन्होंने”
मैं पूरी बात सुनना चाहता था।
उस दिन मुझे एक बात और सीखने को मिली थी।
गुस्से और अपमान की आग में मैं भुल गया था कि मेरी एक और गलती से मेरे बहन की खुशियां तबाह हो सकती थी।
किंतु बाबूजी को इस बात का एहसास था।
“तो क्या करूं मैं”
“अब तूं वहीं करेगा जो मैं कहूंगा। हम अगले महीने ही तेरी शादी करके उनके अपमान का जवाब देंगे”
बाबूजी के सब्र का बांध टूट गया।
“नहीं मैं किसी और से शादी नहीं कर सकता।”
कहकर मैं वहां से उठ गया।
अगले दो-तीन दिनों तक घर में इस बारे में कोई बात नहीं हुई।
मुझे भी परिस्थिति की गंभीरता का एहसास था इसलिए मैं भी किसी तरह अपने दिल को समझाने की कोशिश कर रहा था।
यह कहते हुए उसने मेरे हाथों में एक कागज का टुकड़ा थमाया और चलती बनी। मैं आश्चर्य से कभी उस कागज़ को तो कभी उसे जाते हुए देखता रहा। पलक झपकते ही वह अंधेरे में गायब हो गई।
“पता नहीं क्या है ये!”
सोचते हुए मैंने उस कागज़ को खोला और मोबाइल का टॉर्च जलाया।
उसमें एक लड़की की पासपोर्ट साइज फोटो थी और एक पत्र भी था।
“पता नहीं किसने और क्यों भेजा है”
हैरानी का भाव लिए मैंने उस पत्र को पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे मैं पत्र पढ़ता गया। मेरी उलझन भी बढ़ती गई। शायद मेरे बहन के ससुराल की ही एक लड़की मुझे बिना देखे, बिना जाने, सालों से प्यार करती थी। सिर्फ प्यार ही नहीं करती थी बल्कि वह मुझे अपना पति भी मान चुकी थी उसने ये भी लिखा था कि अगर मैंने उसका प्रेम स्वीकार नहीं किया तो वह जहर खा कर आत्महत्या कर लेगी।
दुध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। मैं तो पहले से ही अधूरे प्रेम की आग में जल रहा था।
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प्रेम का ताप तो एक पत्थर दिल इंसान को भी पिघला देता है। मैं तो ठहरा एक नर्म दिल आदमी।
एक भोले-भाले दिल के सच्चे इंसान पर अगर कोई इतना इमोशनल अटैक करे तो कुछ ना कुछ तो असर होना ही था।
कहीं यह पागल लड़की कोई गलत कदम ना उठा ले इसलिए मैंने तय किया कि जब वह मिलेगी तो उससे बात करके उसे समझा दूंगा। अगले दिन शाम को मैं वापस आने के लिए तैयार हो रहा था तभी एक लड़की ने मेरे हाथों में एक कागज का टुकड़ा थमा दिया।
“मैं पुराने घर पर जा रही हुं। जाने से पहले मुझसे मिल कर जाइएगा।” पहली बार मैंने उसे गौर से देखा। सांवली सलोनी मासूम सुरत और गहरी काली आंखों वाली वह पागल लड़की अपनी आंखों में कई राज छुपाए हुए थी।
मेरी बहन के ससुर ने कल ही मुझे अपना पुराना घर दिखाया था। शादी का माहौल था इसलिए घर के सभी सदस्य नये वाले घर पर थे। नयी-नयी रिश्तेदारी था इसलिए थोड़ा डर भी लग रहा था। कहीं किसी ने उसके साथ देख लिया तो इज्जत तो जाएगी ही रिश्तेदारी भी खराब हो जाएगी।
लेकिन उसे समझाया भी जरूरी था इसलिए मैंने उससे मिलना ही उचित समझा। मैं उससे जा कर मिला और उसे हर तरह से समझाने की कोशिश की। लेकिन नादान और पागल लड़की समझने को तैयार ही नहीं थी। जब मैंने थोड़ा सख्ती दिखाई तो वह मेरा हाथ पकड़ कर फूट-फूट कर रोने लगी।
“ठीक है, मुझे सोचने के लिए थोड़ा टाइम चाहिए।” कहकर मैंने उससे पीछा छुड़ाया और घर वापस आ गया।
मम्मी-पापा यानी मेरी बहन के सास-ससुर मुझे अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार करते थे। अंततः मुझे मजबूरन रूकना ही पड़ा। दिन भर मैं वहां रहा और शाम को लौट आया। घर आकर मैंने वह पत्र निकल कर कर पढ़ने लगा जो उसने चुपके से मेरे पैकेट में डाल दिया था।
उस समय मैं भी उतना अनुभवी और परिपक्व नहीं था कि सही निर्णय ले सकूं। अतः जिस उम्र में मुझे अपने कैरियर बिल्ड करना चाहिए। तरक्की और सफलता को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए था। उस उम्र में मैंने दुसरी बार मोहब्बत को अपने जीवन लक्ष्य बना लिया। और जो गलती मैंने कि थी वहीं गलती आजकल के युवा पीढ़ी के ज्यादातर लड़के-लड़कियां करते हैं। वे उन लोगों के प्यार भरी बातों में फिसल जाते हैं। जिन्हें ना तो प्यार का मतलब पता है और ना ही दुनियादारी की समझ। फिर बाद में जब उन्हें धोखा या जुदाई मिलती है तो उसके गम में अपना अमूल्य जीवन बर्बाद कर लेते हैं। इसलिए मैं आजकल के लड़कों और लड़कियों को ये संदेश देना चाहता हूं कि किसी के चेहरे की सुंदरता पर मोहित होकर अथवा भावनाओं में बहकर प्यार-मोहब्बत के चक्कर में ना पड़े। मैं ये नहीं कहता कि प्यार करना गलत है। इसलिए किसी से कोई प्यार ना करें। मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि प्यार बहुत ही पवित्र और ऊंची चीज है। प्यार का अर्थ लाखों में से कोई एक ही जानता है। इसलिए अगर प्यार हो ही जाए तो सबसे पहले प्यार का सही अर्थ समझ लें। आजकल जो प्यार के फूल खिल रहे हैं वह असली नहीं बल्कि कागज के फूल है।
तो हुआ यूं कि मैंने उसका प्रेम स्वीकार कर लिया। फिर जैसा कि सब जानते ही हैं, छुप-छुपकर मिलने-मिलाने,कसमे-वादे खाने और प्रेम-पत्रों के आदान-प्रदान का सिलसिला शुरू हो गया। उसके प्यार की मरहम से मेरे दिल पर लगे पुराने ज़ख़्म ठीक होने लगे। प्यार हुआ तो शादी के सपने भी दिखने शुरू हो गए। शादी होगी, फिर बच्चे होंगे, फिर उनकी पढ़ाई लिखाई, कपड़े और बाकी खर्चें ….
अचानक मुझे याद आया कि अभी तो मैं बेरोजगार हूं क्योंकि ड्राइवर का काम तो मैं छोड़ चुका हूं। फिर तो कोई और जाॅब ढूंढना होगा। अब मैं जाॅब के चक्कर इधर-उधर धक्के खाने लगा। परन्तु आप तो जानते ही हैं कि अपने देश में जाॅब मिलना कितना मुश्किल है। और वह भी एक कम पढ़े-लिखे साधारण आदमी के लिए।
जाॅब के चक्कर में मैं कई बार ठगी का शिकार भी हुआ। थक-हारकर कर मैंने बिजनेस में हाथ आजमाने का निर्णय लिया। नेपाल की राजधानी काठमांडू में मेरा एक दोस्त फल बेचने का काम करता था। मैं उससे पास चला गया और उसके साथ फल बेचने लगा। वहां गए अभी महीना भर ही नहीं हुआ था कि मेरी जिंदगी में फिर से तुफान आ गया। एक दिन अचानक उस लड़की का काॅल आया। उसने रोते हुए बताया कि मम्मी पापा को हमारे प्यार के बारे में पता चल गया है। वे मुझे बहुत टार्चर कर रहे हैं। आप जल्दी से चले आइए। मैंने अगले दिन ही गाड़ी पकड़ी और घर वापस आ गया। और मैं किसी तरह से उससे संपर्क करने की कोशिश करने लगा। लेकिन कोई संपर्क सुत्र दिखाई नहीं दे रहा था। उसका घर मेरे घर से 30 किलोमीटर की दूरी पर था। वह फोन भी pco से करती थी क्योंकि उस समय मोबाइल भी उतना चलन नहीं था।अब मेरे पास सिवाय उसके काॅल का इंतजार करने के और कोई उपाय ना था। मैंने सोचा कि 1-2 दिन इंतजार कर लिया जाए। उसके बाद कुछ सोचा जाएगा।
“भैया आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया। आपको प्यार करने के लिए और कोई घर नहीं मिला। जो आपने मेरा बसा बसाया घर उजाड़ने पर तुले हुए हैं। मेरे ससुराल वाले आपकी गलती के लिए मुझे भी दोषी ठहरा रहे हैं और मेरे साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं।”
वह रोते-रोते बोले चली जा रही थी और मैं जड़वत सुने जा रहा था। उसके चुप होते ही मैंने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन उसके काॅल काट दिया। काॅल डिस्कनेक्ट होने बाद मैंने फैसला कर लिया कि कल उसके घर जाऊंगा और उनसे बात करूंगा। परन्तु रात में उसकी सहेली (जिसने पहली बार मुझे पत्र दिया था) का काॅल आ गया।
“उसके घरवाले उसकी शादी कहीं और करना चाहते हैं। आप जल्दी से अपने घरवालों के उसके घर रिश्ते के लिए भेज दिजिए। और हां आप मत आइएगा। वरना बात और बिगड़ जाएगी।
बस उसने इतना ही कहा और फोन रख दिया।
मैंने अपनी मां को सारी बात बताई और बाबूजी को उसके घर भेजने को कहा। बाबूजी हमे बहुत प्यार करते थे परंतु उनको ये बात पसंद नहीं आईं कि वे लड़की वाले के घर रिश्ता मांगने जाएं। मां और बुआ ने उनको मनाने की कोशिश की। पर वे तैयार नहीं हुए। मैंने भी उनसे साफ कह दिया कि अगर उसकी शादी कहीं और हो गई तो मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा।
पर उन्होंने ये शर्त रखी कि वे केवल एक बार ही बोलेंगे। अगर उन्होंने ना कर दी तो तुम्हें भी मेरी बात माननी होगी।
उनके जाने के बाद मैं निश्चिंत हो गया। मुझे पूरा विश्वास था कि वे लोग ना नहीं करेंगे। क्योंकि उसके मम्मी पापा मुझे बहुत पसंद करते थे। मम्मी कहती थी, “भगवान करे कि अगले जन्म में मुझे आपके जैसा बेटा मिलें।” पापाजी कहते थे, “बाबू, आप गली में घूमने मत जाओ। नहीं तो किसी की नजर लग जाएगी।”
(वाकई मैं खुबसूरत ही इतना था कि जहां भी जाता, वहां सब मुझे ही देखते थे।)
उस दिन मेरा पूरा दिन इसी बेचैनी में गुजरा कि पता नहीं क्या होगा। कभी कोई बूरा ख्याल दिल में आता तो ख्वाब हकीकत में तब्दील होते नजर आते।
शाम को जब बाबूजी घर आए तो उनका चेहरा बुझा हुआ था। वे सीधे कमरे में गए और चुपचाप बिस्तर पर लेट गए। मैंने आंखों ही आंखों में मां को इशारा किया। मां फौरन उनके पीछे-पीछे गई और
कुछ ही समय में मां वापस आ गई।
क्या यहीं आजकल का प्यार है?
उसी की गलती से love latter पकड़ें
गए। उसी की वजह से मेरे बाबूजी को अपमान का घूंट पीना पड़ा। उसी की वजह से उसके मम्मी-पापा (जो मुझे अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार और सम्मान देते थे) मुझसे नफरत करने लगे हैं। और उसने सारा दोष मेरे ऊपर ही डाल दिया। मेरी तो बस इतनी ही गलती थी कि मैंने एक सच्चा इंसान होने के नाते हमदर्दी में उसका प्रेम कुबूल कर लिया था। मुझे क्या पता था कि वह इतनी खुदगर्ज और बेवफा निकलेगी। वैसे कुछ गलती मेरी भी है। मुझे उसका प्यार स्वीकार ही नहीं करना चाहिए था। उसी पल जाकर उसके मां-बाप से सारी बात बता देना चाहिए था। चलते-चलते मैं सोचता जा रहा था। मन में दुःख और गुस्से के भाव एक साथ आ रहें थे।