garibi ke karan | reason of poverty
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Garibi ke karan
दोस्तों आखिर ऐसा क्यों है कि एक गरीब आदमी किसी अमीर आदमी से कई गुणा ज्यादा मेहनत करने के बावजूद भी उसके income का 20% भी नहीं कमा पाता। आखिर ऐसा क्यों है कि दुनिया की आधी संपत्ति दुनिया के सिर्फ 1% लोगों के पास है । क्योंकि ईश्वर ने तो दोनों को बिल्कुल same to same बनाया है। वहीं दो हाथ, दो पैर, दो आंखें और एक दिमाग। फिर क्यों एक आदमी अमीर बन जाता है और दुसरा आदमी क्यों गरीब बन जाता है। आखिर गरीबों की गरीबी का कारण क्या है। देखिए वैसे तो लोग गरीबी के लिए पुनर्जन्म की पापों का फल, भाग्य का दोष, ग्रहों और नक्षत्रों का दोष, सरकार का दोष, और पूर्वजों का दोष जैसे कई कारण गिनाते हैं लेकिन हम इसे नहीं मानते क्योंकि ये सब केवल भ्रांतियां हैं। इन बातों में कोई प्रामाणिकता नहीं है। हमारे अनुसार से गरीबी के लिए मुख्यत: तीन कारण ही जिम्मेदार होते है। तो आईए अब जानते हैं कि वो कौन से तीन कारण कौन-कौन से हैं। गरीबी के मुख्य कारण1. लापारवाही और गैरजिम्मेदारी
गरीबों की गरीबी का सबसे बड़ा कारण है, अपने काम के प्रति लापारवाही और गैरजिम्मेदारी। हालांकि ये बात भी सत्य है कि कुछ लोग मेहनती और जिम्मेदार भी होते हैं। लेकिन 90% लोग तो लापारवाह और कामचोर ही होते हैं। अगर आपको हमारी बातों पर यकीन ना हो तो आप किसी भी वर्किंग साईट पर जाकर देख लो। वहां आपको अधिकतर लोग ऐसे मिलेंगे जो केवल टाईमपास करते हैं। वे अपने काम के 8 घंटे में 10 बार घड़ी देखते हैं कि छुट्टी कब होगी और कब हमें काम से छुटकारा मिलेगा। इनसे अगर आप पुछोगे कि आप अपने काम से खुश हो। तो इनका यहीं जवाब होगा। अरे ये भी कोई काम है हम तो बस मजबुरी में ये काम करते हैं। वे हर कड़ी मेहनत करने से बचने हेतु हमेशा कोई ना कोई बहाना ढूंढ़ते रहते हैं।
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अर्थात गरीब लोग अपने काम से प्यार नहीं करते और मैं इस बात को लिख कर दे सकता हूं कि जो लोग अपने काम से प्यार नहीं करते वे जिंदगी में कभी भी अमीर नहीं बन सकते। क्योंकि वे अमीरी के लायक ही नहीं होते। मेरा मानना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नही होता। बस उसे करने का तरीका छोटा होता है। क्योंकि अगर कोई काम छोटा होता तो एक जूते पॉलिश करने वाला मोची Bata जैसी कंपनी नहीं बना पाता, अगर कोई काम छोटा होता तो एक फटे कपड़े सीने वाला दर्जी Zara जैसी विश्वविख्यात कंपनी का मालिक नहीं होता। इसके अतिरिक्त दुनिया में हजारों ऐसे लोग हैं जिन्होंने छोटा काम करके बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने कभी नहीं कहा कि ये काम छोटा है या हमारे लायक नहीं है। वे पुरे लगन और उत्साह से अपने काम को करते रहे और निरंतर कुछ ना कुछ नया सीखते रहें।
कुल मिलाकर इस कहानी का तात्पर्य यह है कि आप जो भी काम करें उसे पुरे दिल से करें, उससे प्यार करें और निरंतर उससे जुड़ी नई नई चीजें सीखते रहें और अपने काम में दक्षता हासिल करें। तभी आप अमीर बन पायेंगे।
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2. गरीब मानसिकता
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एक छोटे से गंदे कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। वे उसी कुएं में पैदा हुआ थे और वहीं उनका पालन-पोषण हुआ था। इसलिए वे वहां बिल्कुल आराम से रहते थे। वहां उनको कोई परेशानी नहीं थी। एक दिन एक समुंद्र का मेंढक गलती से उसी कुएं में गिर गया। कुएं वाले मेंढक ने उससे पूछा- मित्र तुम कहां से आए हो? समंदर के मेंढक ने कहा- मैं समंदर से आया हूं। ये समंदर क्या होता है? एक मेंढक ने पूछा। समंदर बहुत बड़ा होता है। समंदर के मेंढक ने कहा। क्या यह हमारे कुएं जितना बड़ा होता है। मेंढक ने कुएं के एक किनारे से दूसरे किनारे तक छलांग लगाते हुए कहा। समंदर के मेंढक ने कहा- नहीं मित्र! हमारा समंदर तो बहुत-बहुत बड़ा होता है। तो क्या समंदर इतना बड़ा होता है। कुएं के मेंढक ने पहले से भी ज्यादा लम्बी छलांग लगाई। मित्र! हमारे अनंत समंदर से तुम्हारे कुएं की तो तुलना ही नहीं हो सकती। इस पर कुएं के मेंढक ने नाराज होते हुए कहा- अबे जा हमारे कुएं से बड़ी संसार में और कोई चीज नहीं हो सकती। यह कहते हुए उन्होंने समंदर के मेंढक को बाहर भगा दिया।
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इसी प्रकार गरीबी के दलदल में रहते-रहते लोग इसके इतने आदी हो चुके हैं कि वे इस दलदल से बाहर निकलना ही नहीं चाहते। उन्हें लगता है कि गरीबी उनकी नसीब में ही लिखी हुई है। अगर उनके परिवार या समाज कोई उत्साही युवक कोई अमीरी की बात करें तो वे वहीं पुरानी धिसी पिटी कहावतें दोहराने लगते है जैसे- “जितनी चादर हो उतनी ही पांव फैलाने चाहिए” “हमारे नसीब में तो गरीब होना ही लिखा हुआ है” ज्यादा उड़ने की कोशिश मत करो” इत्यादि। एक और भोजपुरी कहावत है, जो आज भी गांवों में मशहूर है, “केतनो करब चतुराई कर्म के लेखा मेट ना पाई“। दरअसल ऐसा कहकर लोग अपने कायरता और निकम्मेपन को क़िस्मत के परदे में छुपाने की कोशिश करते हैं। दरअसल उन्होंने अपने आप को एक दायरे में समेट लिया है और वे अपने दायरे से बाहर निकला ही नहीं चाहते। ऐसे लोगों के लिए तो भगवान भी कुछ नहीं कर सकता।
परंतु अगर आप गरीबी के दलदल से निकलकर अमीर बनना चाहते हैं तो आपको अपने comfort zone से बाहर निकलना होगा और अपनी सोच के दायरे को बड़ा करना होगा।
- जोखिम लेने से डरना
आपने देखा होगा कि दुधवाले, अखबार वाले, रिक्सा वाले, किसान और मजदूर इत्यादि कई सालों से निरंतर वही काम करने आ रहे हैं और उस काम में वे कड़ी मेहनत भी करते हैं। लेकिन उन्होंने अभी तक कोई प्रगति नहीं की या की भी होगी तो यह की होगी कि वे पहले से अधिक मेहनत करने लगे होंगे लेकिन उन्होंने कभी स्मार्ट तरीके से नहीं सोचा। जिससे वे चाहे तो अपने उसी धंधे को बहुत आगे लेकर जा सकते हैं।